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  • वर्ष २००० कितना महत्त्वपूर्ण है?
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सजग होइए!–1998
g98 6/8 पेज 28-29

बाइबल का दृष्टिकोण

वर्ष २००० कितना महत्त्वपूर्ण है?

वर्ष २००० का पश्‍चिमी देशों और अनेक अन्य देशों के लिए जो अर्थ होगा अधिकतर लोग उसका धर्म के साथ कोई संबंध नहीं जोड़ते। उदाहरण के लिए, यहूदी, मुसलमान और हिंदू सभी के अपने-अपने धार्मिक कैलॆंडर हैं जो पश्‍चिमी कैलॆंडरों से मेल नहीं खाते। धार्मिक और पारंपरिक तिथियों के लिए चीनी लोग चंद्र कैलॆंडर के हिसाब से चलते हैं। इसलिए आज अरबों लोग, संभवतः संसार की अधिकांश जनसंख्या वर्ष २०००a को कोई विशेष महत्त्व नहीं देती।

इसके बावजूद, खासकर पश्‍चिमी देशों में अनेक लोग ग्रॆगोरियन कैलॆंडर के अनुसार अगली सहस्राब्दी के आगमन की जिज्ञासा से प्रतीक्षा कर रहे हैं। कुछ लोगों के लिए यह मात्र जिज्ञासा नहीं। वे सोचते हैं कि वर्ष २००० एक नया युग लाएगा, इतिहास में एक निर्णायक मोड़ होगा। अनेक लोग जो बाइबल में विश्‍वास करने का दावा करते हैं भविष्यवाणियों की पूर्ति को वर्ष २००० के साथ जोड़ते हैं। कुछ लोग बड़े पैमाने पर आध्यात्मिक प्रकटन की अपेक्षा कर रहे हैं। दूसरे हैं जिन्हें महाविपत्ति—संसार के अंत—का डर है। क्या बाइबल इन अपेक्षाओं के लिए कोई आधार प्रदान करती है?

यहोवा, समय का पक्का

बाइबल के परमेश्‍वर को “अति प्राचीन” कहा गया है। (दानिय्येल ७:९) वह समय को एकदम सूक्ष्म रीति से नियंत्रित करता है जो उसकी अनेक रचनाओं की क्रिया से प्रकट है, ग्रहों के परिभ्रमण से लेकर सूक्ष्म कणों की गति तक। उसकी अपनी समय-सारणी है और वह ठीक उसी के अनुसार काम करता है। “उसने [मनुष्यों का] एक निश्‍चित समय तथा उनके निवास की सीमाएं निर्धारित कर दीं,” बाइबल कहती है। (प्रेरितों १७:२६, NHT) यहोवा समय का एकदम पक्का है।

इसी कारण बाइबल कालक्रम पर विशेष ध्यान देती है। यह सिलसिलेवार ब्यौरा है जिससे एक क्रम में पीछे की तरफ गणना करके मानव इतिहास के आरंभ तक पहुँचना आसान हो जाता है। ऐसी काल-गणना सा.यु.पू. ४०२६ तक ले जाती है कि उस साल परमेश्‍वर ने आदम की सृष्टि की। करीब २,००० साल बाद इब्राहीम का जन्म हुआ। उसके २,००० साल बीतने पर यीशु का जन्म हुआ।

बाइबल कालक्रम का अध्ययन करनेवाले कुछ लोगों ने मनमाने समीकरण बनाए हैं जो भविष्य में निश्‍चित समय की ओर संकेत करते हैं। उदाहरण के लिए, इसे आधार मानते हुए कि आदम, इब्राहीम और यीशु में से हरेक के बीच करीब २,००० साल का अंतर था, कुछ लोग अनुमान लगा रहे हैं कि यीशु के जन्म के बाद के २,००० साल के अंत में कोई अशुभ घटना होगी। यह अनुमान काल-गणना सूत्रों के अनेक उदाहरणों में से एक है जो बाइबल कालक्रम पर आधारित होने का दावा करते हैं।

माना, बाइबल उस समय के बारे में बात करती है जब यहोवा परमेश्‍वर बुराई को हटाने और एक नया संसार लाने के द्वारा मानव कार्यों में हस्तक्षेप करेगा। बाइबल भविष्यवाणी ‘अन्त के समय,’ “इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति,” “अन्तिम दिनों” और “परमेश्‍वर के उस दिन” के बारे में बोलती है। (दानिय्येल ८:१७; मत्ती २४:३, NW; २ तीमुथियुस ३:१; २ पतरस ३:१२) लेकिन बाइबल में पूर्वबताये गये “अन्त” का वर्ष २००० से कोई संबंध नहीं। शास्त्र में ऐसा कुछ नहीं जो ग्रॆगोरियन कैलॆंडर के हिसाब से दूसरी सहस्राब्दी के अंत को विशेष महत्त्व दे।

“ये बातें कब होंगी?”

यीशु के प्रेरितों ने परमेश्‍वर की समय-सारणी में गहरी दिलचस्पी दिखायी जब उन्होंने यीशु से पूछा: “हमें बता, ये बातें कब होंगी, और तेरी उपस्थिति का और इस रीति-व्यवस्था की समाप्ति का क्या चिन्ह होगा?” (मत्ती २४:३, NW) आज भी अनेक लोगों को भविष्य के बारे में वैसी ही जिज्ञासा है। ऐसी महत्त्वपूर्ण बाइबल भविष्यवाणियों और उनकी पूर्ति के समय में गहरी दिलचस्पी रखना स्वाभाविक है। लेकिन इस विषय पर परमेश्‍वर के रुख को स्वीकार करना और आदर देना बुद्धिमानी की बात है।

अपने पुत्र के माध्यम से यहोवा ने अपने इरादों का खुलासा किया है और इस विषय पर स्पष्ट उत्तर दिया है। यीशु के स्वर्गारोहण से कुछ ही समय पहले, उसके शिष्यों ने परमेश्‍वर की प्रतिज्ञाओं की पूर्ति के समय के बारे में एक बार फिर उससे पूछा। यीशु ने उत्तर दिया: “उन समयों या कालों को जानना, जिन को पिता ने अपने ही अधिकार में रखा है, तुम्हारा काम नहीं।” (तिरछे टाइप हमारे।) (प्रेरितों १:७) इससे पहले भी यीशु ने अपने शिष्यों से कहा था: “उस दिन और उस घड़ी के विषय में कोई नहीं जानता; न स्वर्ग के दूत, और न पुत्र, परन्तु केवल पिता।”—मत्ती २४:३६.

स्पष्ट है, “उन समयों या कालों को जानना,” खासकर जब बाइबल भविष्यवाणियों की भावी पूर्ति की बात आती है, मनुष्यों के अधिकार में नहीं। परमेश्‍वर ने ऐसी जानकारी हम पर न प्रकट करने का चुनाव किया है। (मत्ती २४:२२-४४) क्या हम परमेश्‍वर की इच्छा के विरुद्ध, अपने आप “उस दिन और उस घड़ी” का पता लगाने के द्वारा उसके उद्देश्‍य को किसी भी तरह बदल सकते हैं? स्पष्ट है कि ऐसा संभव नहीं। (गिनती २३:१९; रोमियों ११:३३, ३४) बाइबल कहती है: “यहोवा की युक्‍ति सर्वदा स्थिर रहेगी।” (भजन ३३:११) सर्वशक्‍तिमान परमेश्‍वर होने के कारण वह हमेशा सफल होता है।—यशायाह ५५:८-११.

यह जानते हुए भी कि परमेश्‍वर के पास ‘उन समयों या कालों की जानकारी को अपने ही अधिकार में रखने’ की सामर्थ है बहुत लोग अटकलें लगाना पसंद करते हैं। कुछ लोग अपने आपको विनाश का भविष्यवक्‍ता बना बैठते हैं। इस कारण प्रेरित पौलुस ने थिस्सलुनीकियों को स्पष्ट निर्देश दिये कि उनकी बातें सुनने में खतरा है जो तिथियों के बारे में अटकलें लगाते हैं। उसने लिखा: “[हम] तुम से बिनती करते हैं। कि किसी आत्मा, या वचन, या पत्री के द्वारा जो कि मानो हमारी ओर से हो, यह समझकर कि प्रभु का दिन आ पहुंचा है, तुम्हारा मन अचानक अस्थिर न हो जाए; और न तुम घबराओ। किसी रीति से किसी के धोखे में न आना।”—२ थिस्सलुनीकियों २:१-३.

यहोवा के साक्षियों का यह दृढ़ विश्‍वास है कि भविष्य के बारे में परमेश्‍वर के उद्देश्‍य उसके पूर्वनियत समय पर, उसके द्वारा निर्धारित दिन और घड़ी में निश्‍चित ही पूरे होंगे। (हबक्कूक २:३; २ पतरस ३:९, १०) और हम मानते हैं कि ये घटनाएँ निकट भविष्य में घटेंगी। (२ तीमुथियुस ३:१-५) लेकिन आजकल जो धारणाएँ फैली हुई हैं हम उन पर अटकलें नहीं लगाते और न ही उनका समर्थन करते हैं।b यह तो निश्‍चित है कि न वर्ष २०००, न २००१, न ही मनुष्यों द्वारा निर्धारित किसी दूसरी समय सीमा का यहोवा की समय-सारणी से कोई लेना-देना है।

[फुटनोट]

a पारिभाषिक दृष्टिकोण से तथाकथित तीसरी सहस्राब्दी जनवरी १, २००१ में शुरू होगी। पहली सहस्राब्दी शून्य वर्ष से नहीं, बल्कि वर्ष १ से शुरू हुई। लेकिन, जनता “तीसरी सहस्राब्दी” पद को वर्ष २००० के साथ जोड़ती है। यह लेख वर्ष २००० के बारे में सामान्य अपेक्षाओं पर केंद्रित है।

b प्रहरीदुर्ग के सितंबर १, १९९७ अंक, पृष्ठ २१-२२ में कहा गया था: “यहोवा के साक्षी इस बात को जानने के लिए उत्सुक रहे हैं कि यहोवा का दिन कब आएगा। अपनी उत्सुकता की वज़ह से उन्होंने कभी-कभी अनुमान लगाने की कोशिश की है कि यह कब आएगा। लेकिन ऐसा करने से वे यीशु के प्रारंभिक चेलों की नाई अपने स्वामी की इस चेतावनी का पालन करने में विफल हुए हैं कि हम “नहीं जानते कि वह समय कब आएगा।” (मरकुस १३:३२, ३३) ठट्ठा करनेवालों ने वफ़ादार मसीहियों की असामयिक प्रत्याशाओं का मज़ाक उड़ाया है। (२ पतरस ३:३, ४) लेकिन पतरस इस बात पर ज़ोर देता है कि यहोवा की समय-सारिणी के अनुसार उसका दिन आएगा।”

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