2000—क्या इस साल में कुछ खास बात है?
सन् २००० में क्या कोई खास बात है? पश्चिमी देशों में रहनेवाले ज़्यादातर लोग मानते हैं कि यह साल, तीसरे मिलेनियम (हज़ार साल की अवधि को एक मिलेनियम कहते हैं) का पहला साल होगा। इसलिए इस साल को धूम-धड़ाके से मनाने की तैयारियाँ चल रही हैं। सन् १९९९ की आखरी घड़ियाँ गिनने के लिए और सन् २००० कब शुरू होगा, यह देखने के लिए बड़ी-बड़ी इलेक्ट्रॉनिक घड़ियाँ भी लगाई जा रही हैं। और इसे मनाने के लिए बड़ी-बड़ी पार्टियाँ आयोजित की जा रही हैं। छोटी-छोटी दुकानों और बड़े-बड़े शॉपिंग सॆंटरों में ऐसी टी-शर्ट बेची जा रही हैं जिन पर दूसरे मिलेनियम की विदाई के स्लोगन छपे हुए हैं।
छोटे-बड़े सभी चर्चों ने तीसरे मिलेनियम की शुरूआत की खुशी में, साल-भर के लिए कई प्रोग्राम आयोजित किए हैं। और कैथोलिकों ने बड़े उत्साह से तीसरे मिलेनियम को “रोमन कैथोलिक चर्च की मिलेनियम जुबली” कहा है। उम्मीद की जाती है कि इसे मनाने के लिए अगले साल की शुरुआत में पोप जॉन पॉल II इस्राएल जाएँगे। इसके अलावा वहाँ २५ से ६० लाख लोगों के पहुँचने की भी आशा की जा रही है, जिनमें से कुछ तो अपनी श्रद्धा से और कुछ बस नज़ारा देखने के लिए जाएँगे।
लेकिन इतनी बड़ी तादाद में लोग इस्राएल क्यों जाना चाहते हैं? वैटिकन के एक अधिकारी, रॉजर कार्डिनल एचगैराइ ने पोप की ओर से कहा: “सन् २००० को, मसीह की इस्राएल में बतायी ज़िंदगी की याद में मनाया जाएगा। इसलिए पोप का वहाँ जाना कोई ताज्जुब की बात नहीं है।” लेकिन, सन् २००० का यीशु मसीह से क्या ताल्लुक है? आमतौर पर लोग यह सोचते हैं कि सन् २००० में यीशु की पैदाइश के ठीक २००० साल पूरे होंगे। मगर क्या यह सच है? यह हम आगे देखेंगे।
चर्च के कुछ दूसरे समूहों के लिए तो सन् २००० बहुत ही खास है। उन्हें पूरा यकीन है कि अगले साल या उसके कुछ साल बाद यीशु फिर से जैतून पहाड़ पर आएगा और जैसा प्रकाशितवाक्य में हर-मगिदोन के युद्ध के बारे में लिखा है, वह युद्ध मगिद्दो की घाटी में लड़ा जाएगा। (प्रकाशितवाक्य १६:१४-१६) इन घटनाओं को देखने के लिए अमरीका में रहनेवाले सैकड़ों लोग अपना घर-बार और ज़मीन-जायदाद बेचकर इस्राएल जा रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, अमरीका में एक मशहूर प्रचारक ने वादा किया है कि जो अपना घर-बार छोड़कर नहीं जा सकेंगे उनके लिए यीशु की वापसी टीवी पर, जी हाँ कलर टीवी पर दिखाई जाएगी!
पश्चिमी देशों में, तीसरे मिलेनियम वर्ष की शुरुआत के स्वागत के लिए ज़ोर-शोर से तैयारियाँ चल रही हैं। मगर दूसरे देशों में जीवन सामान्य है और लोग अपने-अपने काम-काज में व्यस्त हैं। ऐसे लोग दुनिया की अधिकतर आबादी में से हैं जो यीशु नासरी को मसीहा नहीं मानते। और न ही वे ई.पू./ई. पर आधारित कैलेंडर को मानते हैं।a मिसाल के तौर पर, बहुत-से मुसलमान अपने ही कैलेंडर के मुताबिक चलते हैं, जिसमें अगला साल, वर्ष १४२० होगा, वर्ष २००० नहीं। उनके कैलेंडर की गिनती तब से शुरू होती है जब मुहम्मद मक्का से मदीना भाग गए थे। और पूरी दुनिया में लोग तकरीबन ४० अलग-अलग किस्म के कैलेंडर इस्तेमाल करते हैं।
क्या मसीहियों के लिए सन् २००० का कोई खास मतलब होना चाहिए? क्या जनवरी १, २००० वाकई कोई खास दिन है? इन सवालों का जवाब हम अगले लेख में देखेंगे।
[फुटनोट]
a ई.पू./ई. कैलेंडर के मुताबिक, जो घटनाएँ यीशु के जन्म से पहले घटीं उस समय को ईसा पूर्व यानी ई.पू. कहते हैं और जो यीशु के जन्म के बाद घटीं उस समय को ईसवी सन् यानी ई. कहते हैं। मगर इसके बदले कुछ विद्वान, किताबों में सा.यु.पू. (सामान्य युग से पहले) और सा.यु. (सामान्य युग) इस्तेमाल करना ज़्यादा पसंद करते हैं।