हमारे पाठकों से
तनहाई लगता है लेख “बाइबल का दृष्टिकोण: तनहाई का महत्त्व” (नवंबर ८, १९९८) मेरे लिए लिखा गया था। आध्यात्मिक और भावात्मक रूप से मज़बूत बने रहने के लिए मुझे तनहाई की बहुत ज़रूरत होती है। लेकिन, मैं यह बात याद रखूँगी कि तनहाई “ऐसी जगह है जहाँ बस कुछ देर के लिए जाना बहुत अच्छा है। लेकिन वहाँ रहना बहुत ही खतरनाक।”
एल. जी., अमरीका
सब लोगों के बीच प्रेम लेख-श्रृंखला “क्या एक दिन सब लोगों के बीच प्रेम होगा?” (जनवरी ८, १९९९) बहुत बढ़िया थी! कभी-कभी मेरे अंदर नाराज़गी और नफरत रखने का ज़बरदस्त आवेग उठता है लेकिन इन लेखों ने उसे दबाने में मेरी मदद की है। आपका बहुत शुक्रिया! मैं आशा करता हूँ कि आपके प्रकाशनों से मुझे जो प्रोत्साहन मिलता है वह मुझे यहोवा परमेश्वर का सेवक बनने में मदद देगा।
जी. सी., इटली
सत्य को अपना बनाना मैं १२ साल का हूँ और मुझे लेख “युवा लोग पूछते हैं . . . मैं सत्य को अपना कैसे बनाऊँ?” (नवंबर ८, १९९८) अच्छा लगा। अब स्कूल शुरू हो गया है इसलिए मसीही सभाओं की तैयारी करना थोड़ा ज़्यादा मुश्किल हो गया है। लेकिन मुझे समय निकालने की ज़रूरत है। मेरे खयाल से यह लेख बहुत-से युवाओं को मदद देगा कि यहोवा से लगाव बढ़ाएँ और सत्य में अपनी जड़ें मज़बूत करें।
सी. एस., पुर्तगाल
एक साल पहले मैं भी सत्य के बारे में अपने आपसे यही प्रश्न पूछ रहा था। मुझे ठीक से मालूम नहीं था कि क्या सचमुच मुझे सत्य से प्रेम है या क्या मैं अपने परिवार के कारण सत्य में हूँ। फिर मैंने वही किया जिसका प्रोत्साहन आपने दिया था—मैंने बाइबल में शोध करके खुद को यकीन दिलाया। अब मुझे यह कहते हुए खुशी होती है कि मैंने सत्य को अपना बना लिया है। मैं आगे चलकर पूर्ण-समय की सेवकाई करना चाहता हूँ!
एच. एन., अमरीका
कैंसर का शिकार युवा मेरी उम्र १८ साल है और मैं आपको मैट टैपियो के अनुभव के लिए धन्यवाद कहना चाहती हूँ जो लेख “उसने हार नहीं मानी” (नवंबर ८, १९९८) में छपा था। उसके विश्वास, आध्यात्मिक बातों के लिए उसकी कदरदानी और उसके जोश से मैं सचमुच बहुत प्रभावित हुई। मैं परादीस में मैट के पुनरुत्थान के बाद उसे खुद धन्यवाद कहना चाहती हूँ।
ई. जी. जी., स्पेन
हमारे परिवार की ओर से आपको इस लेख के लिए धन्यवाद। हमारे बेटे अभी जवान हैं, इसलिए हमें उनके साथ मैट टैपियो के विश्वास के उदाहरण पर चर्चा करने से बहुत फायदा हुआ। हमें इस पर विचार करने का मौका मिला कि व्यक्तिगत रूप से और परिवार के तौर पर हमारी क्या प्राथमिकताएँ हैं।
एम. एफ. एन. जी., ब्राज़ील
इस लेख से हम युवजनों को बहुत प्रोत्साहन मिला क्योंकि इसमें एक युवक के जोश को दिखाया गया जिसने अपनी बीमारी के बावजूद यहोवा के बारे में बात करना कभी नहीं छोड़ा।
डी. एम., इटली
हालाँकि मैट टैपियो को जानलेवा बीमारी थी, फिर भी वह ज़िंदगी से लड़ा ताकि वह यहोवा की स्तुति और सेवा कर सके। यह हम जैसों के लिए जिनका स्वास्थ्य अच्छा है, एक बढ़िया उदाहरण है।
डी. पी., पोर्टो रीको
मैट के बारे में इस लेख ने मेरा ध्यान खींचा। उसे १४ साल की उम्र में दिमाग की रसौली के लिए ऑपरेशन करवाना पड़ा। उसकी आखिरी बातों में ये शब्द थे, “यहोवा के बारे में गवाही देना कभी मत छोड़िए।” इससे मुझे प्रोत्साहन मिला कि कभी हिम्मत न हारूँ और यह समझने में मदद मिली कि बाइबल का अध्ययन करना और जीवन की ओर ले जानेवाला ज्ञान हासिल करना कितना महत्त्वपूर्ण है!
डी. वी., फिलीपींस