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मुसीबत या नियामत?

एक आदमी अपनी कार पर काबू खो बैठता है और बिजली के खंभे से जा टकराता है। इस दुर्घटना से उसके साथ सफर कर रही एक स्त्री बुरी तरह घायल हो जाती है। वह आदमी फौरन मदद के लिए अपने मोबाइल से कॉल करता है। मगर कार उसके काबू से निकली कैसे? दरअसल कार चलाते वक्‍त उसे एक कॉल आया और उसका ध्यान कुछ पल के लिए सड़क से हट गया। बस फिर क्या था, नज़र हटी दुर्घटना घटी!

यह घटना दिखाती है कि टेक्नॉलजी का हम जिस तरह इस्तेमाल करते हैं, उससे या तो हमें फायदा हो सकता है या नुकसान। लेकिन अगर लोगों से पूछा जाए कि क्या वे अपने बाप-दादों के ज़माने की चीज़ों को फिर से इस्तेमाल करना चाहेंगे, तो ज़्यादातर लोग ना कहेंगे। टेक्नॉलजी से हमें कितने फायदे होते हैं, इसकी एक मिसाल है कंप्यूटर। इसकी बदौलत हम बड़े-बड़े काम जल्दी निपटा सकते हैं, घर बैठे इंटरनेट पर खरीदारी और बैंक के काम कर सकते हैं। यही नहीं, हम दूसरों के साथ ई-मेल, वॉइस मेल या वीडियो लिंक के ज़रिए बातचीत भी कर सकते हैं।

कुछ साल पहले की बात लीजिए जब मोबाइल फोन ने ज़ोर नहीं पकड़ा था। परिवार के लोग जब सुबह घर से निकलते थे, तो उन्हें एक-दूसरे से बात करने का मौका शाम को घर लौटने पर ही मिलता था। लेकिन आज, यूएसए टुडे अखबार के मुताबिक “70 प्रतिशत पति-पत्नी, जिनमें दोनों के पास मोबाइल है, रोज़ाना एक-दूसरे का हाल-चाल जानने के लिए फोन करते हैं, 64 प्रतिशत जोड़े एक-दूसरे के साथ प्रोग्राम बनाने के लिए फोन मिलाते हैं और 42 प्रतिशत माँ-बाप हर दिन अपने बच्चों की खोज-खबर लेने के लिए मोबाइल से उन्हें फोन करते हैं।”

किसी अच्छी चीज़ को अपनी कमज़ोरी मत बनने दीजिए

क्या टेक्नॉलजी का हद-से-ज़्यादा या गलत इस्तेमाल करने से तन-मन पर बुरा असर पड़ता है? पश्‍चिमी देश के एक जोड़े की मिसाल लीजिए जिनकी नयी-नयी शादी हुई थी। एक खबर के मुताबिक “वे चौबीसों घंटे फोन पर लगे रहते थे, फिर चाहे वे कार में हों या जिम में। यहाँ तक कि घर में होते हुए भी वे एक-दूसरे से बात करने के लिए फोन का इस्तेमाल करते थे।” कभी-कभी तो वे एक महीने में फोन पर 4,000 मिनट यानी 66 घंटों से भी ज़्यादा बात करते। उनका कहना है कि वे मोबाइल फोन के बिना नहीं रह सकते। मानसिक-स्वास्थ्य विशेषज्ञ, डॉ. हैरिस स्ट्रैटनर गौर करते हैं कि इस जोड़े में “ऐसी निशानियाँ हैं जो आम तौर पर किसी चीज़ की लत लगने पर देखी जाती हैं। . . . अब यह नौबत आ गयी है कि अपनी शादी का रिश्‍ता निभाने के लिए भी वे मानो किसी यंत्र का सहारा ले रहे हैं।”

शायद ऊपर बताया उदाहरण सिर्फ इक्का-दुक्का लोगों के मामले में सच हो। लेकिन इस चलन को फैलने में देर नहीं लगेगी और यह वाकई चिंता की बात है। आज बहुत-से लोग सेल फोन या इंटरनेट के बगैर घंटा-भर रहने की सोच भी नहीं सकते। एक लड़की जिसकी उम्र 20 साल से ऊपर है, कहती है: “हम ई-मेल चेक किए बिना नहीं रह सकते, हमें हमेशा इंटरनेट पर रहना और अपने दोस्तों को इंस्टंट मैसेज करना ही करना है।”

द बिज़नेस टाइम्स ऑफ सिंगापुर में डॉ. ब्रायेन यो कहते हैं कि सेल फोन और इंटरनेट जैसे उपकरण अगर “आपका ज़्यादा-से-ज़्यादा समय खा रहे हैं और आपका मन बाकी कामों में नहीं लग रहा, तो हो-न-हो कुछ तो गड़बड़ है।” इसके अलावा, जो लोग घंटों तक अपने कमरे में बंद इन इलेक्ट्रॉनिक चीज़ों में डूबे रहते हैं, उन्हें कसरत करने का समय नहीं मिलता। इससे आगे चलकर उन्हें दिल की बीमारी, डायबिटीज़ या कोई और गंभीर बीमारी का खतरा हो सकता है।

टेक्नॉलजी के कुछ खतरे ऐसे भी हैं जिनका खामियाज़ा तुरंत उठाना पड़ सकता है। मिसाल के लिए, मोबाइल फोन के बारे में हाल में किए गए एक अध्ययन पर गौर कीजिए। अध्ययन से पता चला है कि जो लोग गाड़ी चलाते वक्‍त हैड फोन की मदद से या हैंड सेट पर बात करते हैं, उन्हें उतना ही खतरा होता है जितना कि नशे में धुत गाड़ी चलानेवालों को। कार चलाते वक्‍त मैसेज करना भी खतरे से खाली नहीं! एक सर्वे बताता है कि 27 साल से कम उम्र के करीब 40 प्रतिशत जवान, कार चलाते वक्‍त मैसेज करते हैं। जब कभी ड्राइव करते वक्‍त आप फोन या एसएमएस करने के लिए मोबाइल उठाएँ, तो पहले दो बार सोच लीजिए। वह इसलिए कि अगर कोई ऐक्सीडेंट हो जाता है, तो पुलिस या इन्शोरेन्स कंपनी सबसे पहले आपका मोबाइल चेक करेगी कि हादसे से ठीक पहले आपने उसका इस्तेमाल किया था या नहीं। एक फोन कॉल या मैसेज कितना महँगा पड़ सकता है!a इसकी एक मिसाल लीजिए। सन्‌ 2008 में अमरीका के कैलिफोर्निया शहर में एक ट्रेन दुर्घटना हुई जिसमें 25 लोगों की जानें गयीं। तहकीकात करने पर यह बात सामने आयी कि दुर्घटना से कुछ ही सेकेंड पहले ड्राइवर ने अपने मोबाइल से किसी को मैसेज किया था। इस बीच उसने ब्रेक लगाना भी ज़रूरी नहीं समझा!

आजकल ज़्यादा-से-ज़्यादा बच्चे मोबाइल फोन, कंप्यूटर और मनोरंजन के दूसरे साधनों का इस्तेमाल करने लगे हैं। इसलिए उनके लिए यह जानना ज़रूरी है कि वे इन चीज़ों का सोच-समझकर और ज़िम्मेदाराना तरीके से इस्तेमाल करें। उनकी किस तरह मदद की जा सकती है? कृपया अगला लेख पढ़िए। (g09-E 11)

[फुटनोट]

a बाइबल की शिक्षाओं पर चलने की कोशिश करनेवालों को इस बात का खास खयाल रखना चाहिए कि जो हालात उनके लिए खतरनाक साबित हो सकते हैं, उनमें वे किसी भी तरह अपना ध्यान भटकने न दें।—उत्पत्ति 9:5, 6; रोमियों 13:1.

[पेज 15 पर तसवीर]

क्या फोन जैसे यंत्र आपका ज़्यादा-से-ज़्यादा समय खा रहे हैं?

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