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अध्ययन १९

आपकी उन्‍नति प्रकट हो

१, २. हम सब को उन्‍नति करने के विषय में क्यों विचार करना चाहिए?

इस पुस्तक के सभी पाठों का ध्यानपूर्वक अध्ययन करने और उन्हें लागू करने के बाद क्या आप अभी ईश्‍वरशासित सेवकाई स्कूल से स्नातकता प्राप्त करने के लिए तैयार हैं? जी नहीं, क्योंकि यह सेवकाई प्रशिक्षण का एक जारी कार्यक्रम है। ईश्‍वरीय ज्ञान हासिल करने और जो आप सीखते हैं उसे लागू करने के सम्बन्ध में कोई स्नातकता नहीं है। इसके बजाय, एक कर्मठ विद्यार्थी के तौर पर आप उन्‍नति करते रह सकते हैं जो आपसे परिचित लोगों को दिखेगी।

२ प्रेरित पौलुस ने अपने युवा संगी उपासक तीमुथियुस से आग्रह किया कि वह ‘पढ़ने, और उपदेश और सिखाने में लौलीन रहे, उन बातों को सोचता रहे जिन्हें उसने सीखा है और उन्हीं में अपना ध्यान लगाए रहे, ताकि उसकी उन्‍नति सब पर प्रगट हो।’ (१ तीमु. ४:१३, १५) उसी परमेश्‍वर के एक उपासक के तौर पर आप भी अपनी उन्‍नति दूसरों पर प्रकट कर सकते हैं। आप एक ऐसी स्थिति में कभी पहुँचे बग़ैर, जहाँ उन्‍नति करने का अवसर ही नहीं, ऐसा करते रह सकते हैं। यहोवा सब सच्चे ज्ञान का स्रोत है, और वह स्रोत ताज़गी देनेवाले पानी के एक अथाह कुएँ की तरह है। हालाँकि हम कभी उसकी गहराइयों को पूर्णतः नाप नहीं सकेंगे हम अनन्तकाल तक उससे जीवन और ताज़गी प्राप्त करते रह सकते हैं। (रोमि. ११:३३, ३४; यशा. ५५:८, ९) तो फिर, देखनेवालों पर आपकी उन्‍नति कैसे प्रकट होगी?

३, ४. सेवकाई स्कूल और अन्य कलीसिया सभाओं में उन्‍नति कैसे प्रदर्शित की जाती है?

३ जिन तरीक़ों से उन्‍नति प्रकट होती है। एक तरीक़ा जिससे आपकी उन्‍नति स्पष्ट होती है वह है आपके सेवकाई स्कूल भाषण। आपको शायद लगे कि आपने कोई बड़ी उन्‍नति नहीं की है, परन्तु अन्य लोग आपकी प्रगति को शायद आपसे ज़्यादा देखेंगे। इस सम्बन्ध में हम सब उस बच्चे की तरह हैं जो चाहता है कि वह जल्दी बड़ा हो जाए, लेकिन जब रिश्‍तेदार भेंट करते हैं तो वे आश्‍चर्य करते हैं: “अरे, यह तो कितना बड़ा हो गया!” आपने स्कूल में जो पहला भाषण दिया था उसके बारे में विचार कीजिए। क्या आपको वह याद है? उसकी तुलना आपने हाल में जो भाषण दिए हैं उनके साथ कीजिए। आपने तब से बहुत कुछ सीखा है और बहुमूल्य अनुभव प्राप्त किया है, है कि नहीं? तो फिर आगे बढ़ते रहिए।

४ उन्‍नति केवल सेवकाई स्कूल के भाषणों में ही प्रकट नहीं होती। यह कलीसिया सभाओं में भी दिखाई देती है। क्या आप सभाओं में नियमित तौर पर उपस्थित होते हैं? यदि आप होते हैं तो यह प्रदर्शित करता है कि आप प्रगति कर रहे हैं, कि आप हमारी आध्यात्मिक ख़ैरियत के लिए यहोवा द्वारा किए गए प्रबंधों का मूल्यांकन करते हैं। इसके अलावा, सभाओं में की गई टिप्पणियों की गुणवत्ता भी उन्‍नति का प्रमाण दे सकती है। जो मात्र टिप्पणियाँ पढ़ने के बजाय उन्हें अपने शब्दों में देते हैं, वे प्रगति प्रदर्शित करते हैं। उसी तरह, अध्ययन की जा रही जानकारी का हमारे जीवन में अर्थ और महत्त्व पर टिप्पणी करनेवाले प्रदर्शित करते हैं कि वे समझ विकसित कर रहे हैं। सो, सभाओं में नियमित उपस्थिति और उनमें हमारी व्यक्‍तिगत सहभागिता की गुणवत्ता ध्यान देने योग्य है जब इस बात की जाँच की जाती है कि क्या उन्‍नति की गई है।

५. कौन-सी बात एक व्यक्‍ति की क्षेत्र सेवकाई में उन्‍नति का प्रमाण देती है?

५ और क्षेत्र सेवकाई में जो उन्‍नति आपने की है उसके बारे में क्या? याद कीजिए कि सेवकाई में पहली बार भाग लेते वक़्त आपको कैसा महसूस हुआ था जब आप उस पहले दरवाज़े पर थे? उसकी तुलना आज दरवाज़ों पर की अपनी योग्यता के साथ कीजिए। सुधार हुआ है, है कि नहीं? परन्तु आप निःसंदेह इस बात को स्वीकार करते हैं कि प्रचार करने और सिखाने की प्रभावकारिता में अतिरिक्‍त सुधार किया जा सकता है। साथ ही, क्या आप सेवा के सभी संभव पहलुओं में और अधिक भाग ले सकते हैं? प्रेरित पौलुस ने प्रोत्साहित किया: “जैसे तुम ने हम से योग्य चाल चलना, और परमेश्‍वर को प्रसन्‍न करना सीखा है, और जैसा तुम चलते भी हो, वैसे ही और भी बढ़ते जाओ।” (१ थिस्स. ४:१) जैसे-जैसे आप उन्‍नति करते रहते हैं और यहोवा की सेवा में और अधिक भाग लेते हैं, तो न केवल आपका प्रचार और शिक्षण अधिक प्रभावकारी होगा, परन्तु यहोवा की सेवा करने के विशेषाधिकार के प्रति आपका मूल्यांकन भी गहरा होगा। जब गृहस्वामियों की प्रतिक्रिया अच्छी न हो तब भी आप यहोवा द्वारा उसके संदेश को लोगों तक पहुँचाने में इस्तेमाल किया जाना एक विशेषाधिकार समझेंगे।

६. एक व्यक्‍ति की बातचीत आध्यात्मिक प्रगति कैसे प्रदर्शित कर सकती है?

६ एक व्यक्‍ति की उन्‍नति बातचीत में भी प्रकट होती है। यीशु ने कहा कि ‘जो मन में भरा है वही एक व्यक्‍ति के मुंह पर आता है।’ (लूका ६:४५) जब एक व्यक्‍ति की बातचीत यहोवा और उसके उद्देश्‍यों पर अधिकाधिक केन्द्रित होती है, तो यह स्पष्ट है कि उन्‍नति हुई है। यह प्रकट करता है कि वह व्यक्‍ति यहोवा के प्रति अपने मूल्यांकन को बढ़ा रहा है, कि वह परमेश्‍वर के और क़रीब आ रहा है। और जितना हम उसके क़रीब आते हैं उतना ही वह हमारे लिए सुरक्षा प्रदान करेगा।

७. बाइबल सिद्धांतों को लागू करने में उन्‍नति कहाँ स्पष्ट होगी?

७ दैनिक जीवन में बाइबल सिद्धांतों को लागू करने में भी उन्‍नति प्रकट होती है। क्या यह सच नहीं है कि यहोवा के वचन से परिचित होने से पहले की तुलना में आप अपने आपको अब अलग ढंग से कार्य करते हुए पाते हैं? संभवतः यहोवा के ढंग से कार्य करने में यह प्रगति हर जगह आपकी गतिविधि में प्रतिबिंबित हो। यह आपके घर में, अपने परिवार के अन्य सदस्यों के साथ आपके व्यवहार में प्रकट होगी। जिस प्रकार आप अपनी ज़िम्मेदारियों को संभालते हैं उसमें यह प्रकट होगी। अपने लौकिक कार्य में आप बाइबल सिद्धांतों को लागू करने में अधिक सावधान होते हैं। यह सब इस बात का प्रमाण है कि आपने कुछ हद तक प्रगति की है। लेकिन यहाँ भी हम सब और प्रगति करने के लिए, बाइबल सिद्धांतों को और अधिक लागू करने के लिए कार्य कर सकते हैं।

८, ९. यदि हम दूसरे प्रकाशकों की मदद करने के लिए अपने आपको उपलब्ध कराते हैं तो यह क्या सूचित करता है, और ऐसा करने के लिए कौन-से अवसर हैं?

८ अपने आपको उपलब्ध कराइए। उन्‍नति प्रकट करने का एक और तरीक़ा है यहोवा की सेवा में अपने आपको अधिकाधिक उपलब्ध कराना। भजन ११०:३ कहता है: “तेरी प्रजा के लोग तेरे पराक्रम के दिन स्वेच्छाबलि बनते हैं।” क्या यह आपके बारे में सच है? क्या भविष्य में यह आपके बारे में और अधिक सच हो सकता है?

९ दूसरों की मदद करने के लिए उपलब्ध होने तथा उनके लिए वास्तविक परवाह प्रदर्शित करने के द्वारा आप अपनी इच्छा प्रदर्शित कर सकते हैं। कलीसिया में भाइयों या बहनों को किसी तरह से मदद देने के लिए प्राचीन शायद आपसे कहें। इन्हें सभाओं में आने के लिए शायद मदद की ज़रूरत हो। क्या आप मदद देने के लिए उपलब्ध हैं? आपको तब तक भी इंतज़ार करने की ज़रूरत नहीं है जब तक कि कोई आपसे मदद माँगे। क्यों न अपने आपको प्रस्तुत करें और उनको मदद पेश करें जो इसकी ज़रूरत में प्रतीत होते हैं? क्या कोई बीमार है या अस्पताल में है? यह ज़रूरी नहीं कि आप तब तक इंतज़ार करें जब तक कि प्राचीन इस बात की ओर हमारा ध्यान आकर्षित करें, लेकिन आप पहल कर सकते हैं और उनसे भेंट कर सकते हैं या यदि आपको किसी ख़ास ज़रूरत का पता हो तो उस रीति से आप उनकी मदद कर सकते हैं। क्या आपके घर में एक नियमित पारिवारिक बाइबल अध्ययन है? क्या यह बात सहायक होगी यदि एक नई-नई संगति करनेवाले और ऐसा अध्ययन न करनेवाले परिवार को आप आमंत्रित करें कि वे आपके परिवार के साथ समय-समय पर इस अध्ययन में उपस्थित हों? या यदि आप क्षेत्र सेवकाई में अकेले जाते हैं, क्या कोई और हैं जो जा सकते हैं यदि आप उन्हें अपने साथ ले जाने का आमंत्रण दें? क्यों न पहले से ही दूसरे प्रकाशक को साथ चलने का आमंत्रण देने की योजना बनाएँ? जी हाँ, यहोवा के सेवक इन दिनों बहुत व्यस्त हैं, परन्तु दूसरे भाइयों और बहनों की मदद करने में हमारी स्वेच्छा हमारी उन्‍नति का माप है। “इसलिये जहां तक अवसर मिले हम सब के साथ भलाई करें; विशेष करके विश्‍वासी भाइयों के साथ।”—गल. ६:१०.

१०, ११. पहला तीमुथियुस ३:१ के अनुसार, भाई अपने आपको कैसे उपलब्ध करा सकते हैं?

१० यदि आप एक भाई हैं तो कलीसिया में अगुवाई लेनेवालों के लिए परमेश्‍वर के वचन में दी गई योग्यताओं पर पूरा उतरने की कोशिश करने के द्वारा आप अपने आपको उपलब्ध करा सकते हैं। पहला तीमुथियुस ३:१ अध्यक्षता के लिए कोशिश करनेवालों की सराहना करता है। यह दूसरों को दिखाने के लिए अपने आपको प्रमुख करने या दूसरों के साथ स्पर्धा करने की बात नहीं है। यह अपने आपको एक प्रौढ़ मसीही, एक ऐसा “प्राचीन” साबित करने के लिए कार्य करने की बात है, जो किसी भी ज़रूरी पदवी में सेवा करने के लिए योग्य और इच्छुक है। और हरेक कलीसिया में सिखाने, प्रचार करने और कलीसिया की ज़िम्मेदारियों को संभालने में अगुवाई लेने के लिए बहुत “प्राचीनों” और “सेवकों” की ज़रूरत है।

११ इच्छुक व्यक्‍ति कलीसिया में अनेक विशेषाधिकारों का आनन्द ले सकते हैं। उनसे सेवा सभा में प्रदर्शनों में भाग लेने के लिए या प्राचीनों या सहायक सेवकों की मदद करने के लिए कहा जा सकता है क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा प्रदर्शित की है और यह दिखाया है कि जो भी कार्य उन्हें दिया जाता है उसे पूरा करने में वे विश्‍वसनीय हैं। जब ज़रूरत पड़ती है, तब उनकी स्वेच्छा और उन्‍नति उन्हें ऐसे भाइयों के तौर पर चिन्हित कर सकती है जिनकी सेवकों के तौर पर नियुक्‍ति के लिए सिफ़ारिश शायद की जाए। उन्हें क्यों नियुक्‍त किया जाता है? क्योंकि उन्होंने स्वेच्छा प्रदर्शित की है और उन्‍नति की है और अब उन योग्यताओं पर पूरा उतरते हैं जो यहोवा ने अपने वचन में दी हैं। जिन्हें सेवकों के तौर पर नियुक्‍त किया जाता है उन्हें कलीसिया ज़िम्मेदारियों को संभालने में अतिरिक्‍त प्रशिक्षण के लिए समय-समय पर राज्य सेवकाई स्कूलों के लिए भी आमंत्रित किया जाता है।

१२, १३. अनेक लोग जो इच्छुक हैं और अपने आपको उपलब्ध करा सकते हैं उनके लिए कौन-से अन्य विशेषाधिकार उपलब्ध हैं?

१२ अतिरिक्‍त विशेषाधिकार भी हैं जिनका सभी आनन्द ले सकते हैं यदि वे इच्छुक हैं और यदि उनकी परिस्थिति इसकी अनुमति देती है। क्या आप समय-समय पर सहयोगी पायनियर के तौर पर कार्य कर सकते हैं जैसे कि दूसरे हज़ारों लोगों ने किया है? शायद आप एक नियमित पायनियर बन सकते हैं और उनकी बढ़ती संख्या में शामिल हो सकते हैं। क्या आपकी व्यक्‍तिगत परिस्थितियाँ और यहोवा की सेवा के प्रति आपकी मनोवृत्ति ऐसी हैं कि यदि ज़रूरत हो तो सेवा करने के लिए आप दूसरी जगह भी स्थानांतरित होने के लिए तैयार हैं? अनेक लोगों ने ऐसा ख़ास पायनियरों के तौर पर, या गिलियड स्कूल में जाकर मिशनरी कार्य करने के द्वारा, या जहाँ ज़रूरत ज़्यादा है वहाँ प्रकाशकों के तौर पर सेवा करने के लिए स्थानांतरित होने के द्वारा ऐसा किया है। कुछ लोगों ने संसार-भर के अनेक बेथेल घरों में सेवा करने का चुनाव किया है। उन्हें बहुत आशीषें प्राप्त हुई हैं क्योंकि उन्होंने अपने आपको स्वेच्छा से यहोवा को अर्पित किया है।

१३ यह रोमांचक समय है जिसमें हम जी रहे हैं। यहोवा पृथ्वी पर इन “अन्तिम दिनों” में एक अद्‌भुत प्रचार और शैक्षिक कार्य करवा रहा है। जब अपने संगठन के ज़रिए, यहोवा सेवा के किसी पहलु के लिए कोई आमंत्रण देता है तो अपने आपसे पूछिए: “क्या यह कुछ ऐसी बात है जो यहोवा मुझसे कह रहा है?” अपनी परिस्थितियों की, अपने हृदय की स्वयं जाँच कीजिए। संभवतः आपने कुछ हद तक उन्‍नति की है और कुछ हद तक स्वेच्छा प्रकट करते हैं, और यह अच्छा है। लेकिन क्या अन्य तरीक़े हैं जिनसे और पूर्णतः अपने आपको उपलब्ध कराने के द्वारा आपकी उन्‍नति प्रकट हो सकती है? यहोवा के निर्देशन के प्रति अपनी प्रतिक्रियाशीलता में जैसे-जैसे आप बढ़ते जाएँगे और उसके मार्गदर्शन को स्वीकार करेंगे, तो आपको और अधिक आशीषें प्राप्त होंगी। संसार-भर में स्वेच्छा से यहोवा की सेवा करनेवाले इस बात की पुष्टि कर सकते हैं। वास्तव में, सबसे महान आशीष, परमेश्‍वर के नए संसार में अनन्त जीवन, हमारी उन्‍नति पर निर्भर है। इसलिए परमेश्‍वर का वचन हमसे आग्रह करता है: “उन बातों को सोचता रह और उन्हीं में अपना ध्यान लगाए रह, ताकि तेरी उन्‍नति सब पर प्रगट हो। अपनी और अपने उपदेश की चौकसी रख। इन बातों पर स्थिर रह, क्योंकि यदि ऐसा करता रहेगा, तो तू अपने, और अपने सुननेवालों के लिये भी उद्धार का कारण होगा।”—१ तीमु. ४:१५, १६.

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