गीत 25
“मैं यहाँ हूँ! मुझे भेज”
1. झूठे लगाते हैं इल्ज़ाम,
करते यहोवा को बदनाम,
कोई कहे वो निर्दयी,
मूरख कहे, ‘ईश्वर नहीं’।
सारे आरोप मिटाए कौन?
करे महिमा उसकी कौन?
‘प्रभु, यहाँ हूँ! भेज मुझे।
गाऊँगा मैं गुनगान तेरे।’
(कोरस)
2. आज ताना देते लोग ऐसा,
“यहोवा ना करता पर - वाह”,
पत्थरों को कोई पूजे,
भक्ति कोई देश की करे।
दुष्टों को अब चिताए कौन?
युद्ध याह का ऐलान करे कौन?
‘प्रभु, यहाँ हूँ! भेज मुझे।
ऐलान करूँ बिना डरे।’
(कोरस)
3. आज धर्मी लोग आहें भरते,
देखके बुराई को बढ़ - ते,
सच्चाई के प्यासे हैं वो,
तरसते मन की शांति को।
इन्हें दिलासा देगा कौन?
नेक राह इन्हें दिखाए कौन?
‘प्रभु, यहाँ हूँ! भेज मुझे।
सिखाऊँ धीरज से उन्हें।’
(कोरस)
‘इससे बड़ा मान मिले कहाँ,
भेज मुझे, मैं हूँ यहाँ!’