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अध्याय 37

मुख्य मुद्दों को उभारना

आपको क्या करने की ज़रूरत है?

जानकारी को क्रम में लिखकर इस तरह पेश कीजिए ताकि मुख्य मुद्दों पर खास ध्यान दिया जा सके।

इसकी क्या अहमियत है?

इससे याद रखने में आसानी होती है और इससे मनन करने और सीखी हुई बातों पर अमल करने में मदद मिलती है।

भाषण के मुख्य मुद्दे क्या होते हैं? ये मुद्दे सिर्फ दिलचस्प बातें नहीं हैं जिनका भाषण में सरसरी तौर पर ज़िक्र किया जाता है। ये मुद्दे ऐसे अहम विचार हैं जिन्हें खोलकर समझाने में काफी वक्‍त दिया जाता है। भाषण के मकसद को पूरा करने के लिए ये विचार बेहद ज़रूरी हैं।

मुख्य मुद्दों को उभारने के लिए ज़रूरी है कि आप सोच-समझकर जानकारी चुनिए और उसे क्रम में बिठाइए। अकसर भाषण के लिए जब आप खोजबीन करते हैं, तो आपको ज़रूरत-से-ज़्यादा जानकारी हाथ लगती है और यह सारी जानकारी इस्तेमाल करना मुमकिन नहीं है। ऐसे में आप कैसे तय कर सकते हैं कि कौन-सी जानकारी इस्तेमाल करें?

पहला, अपने सुननेवालों पर गौर कीजिए। क्या वे आपके विषय से काफी हद तक वाकिफ हैं? या क्या वे इस विषय के बारे में बहुत कम जानते हैं? क्या सुननेवालों में से ज़्यादातर लोग ऐसे हैं जो बाइबल में कही बातों से सहमत हैं? या फिर क्या कुछ लोग बाइबल की बात पर यकीन नहीं करते? जब वे अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी में, उस विषय पर बाइबल की सलाह लागू करने की कोशिश करते हैं, तो उन्हें कौन-सी मुश्‍किलों का सामना करना पड़ता है? दूसरा, यह आपको अच्छी तरह पता होना चाहिए कि आप किस मकसद से सुननेवालों के साथ एक विषय पर बात कर रहे हैं। इन दोनों हिदायतों को मद्देनज़र रखते हुए जानकारी की जाँच कीजिए और सिर्फ वही जानकारी रखिए जो विषय पर ठीक बैठती हो।

अगर आपको भाषण के लिए बनी-बनायी आउटलाइन दी जाती है, जिसमें शीर्षक और मुख्य मुद्दे दिए गए हैं, तो आपको अपने भाषण में वही आउटलाइन इस्तेमाल करनी चाहिए। फिर भी, हर मुख्य मुद्दे को खोलकर समझाते वक्‍त, अगर आप ऊपर बतायी गयी दो बातों को ध्यान में रखें, तो आप जो जानकारी पेश करेंगे उसकी अहमियत कई गुना बढ़ जाएगी। और जब कोई आउटलाइन नहीं दी जाती है, तब आपको खुद मुख्य मुद्दे चुनने होंगे।

एक बार आप अपने मन में मुख्य मुद्दों को अच्छी तरह बिठा लें और हर मुद्दे की जानकारी को क्रम से तैयार कर लें, तो आपके लिए भाषण देना आसान हो जाएगा। यही नहीं, आपके सुननेवालों को भी आपके भाषण से पूरा-पूरा फायदा मिलेगा।

जानकारी को क्रम से रखने के अलग-अलग तरीके। अपने भाषण के खास भाग को क्रम से तैयार करने के कई अलग-अलग तरीके हैं। इन तरीकों को जानने पर आप पाएँगे कि भाषण के मकसद तक पहुँचने के लिए बहुत-से तरीके असरदार साबित हो सकते हैं।

एक तरीका है, विषय के मुताबिक जानकारी को अलग-अलग भागों में बाँटना। (हरेक मुख्य मुद्दा ज़रूरी है, क्योंकि इससे भाषण के विषय के बारे में सुननेवालों की समझ बढ़ती है या भाषण के लक्ष्य तक पहुँचा जा सकता है।) इस तरीके में फेरबदल करके इसे किसी भी तरह इस्तेमाल किया जा सकता है। दूसरा तरीका है, घटनाओं के समय के हिसाब से जानकारी देना, यानी जो घटना पहले घटी उसे पहले बताइए और जो बाद में घटी उसे बाद में। (मिसाल के लिए, हम प्रलय से पहले की घटनाओं के बारे में बताकर फिर सा.यु. 70 में यरूशलेम के नाश से पहले की घटनाएँ बताएँगे और इनके बाद हम आज हमारे दिनों की घटनाओं का ज़िक्र करेंगे।) तीसरा तरीका है, पहले आप कारण बताइए, फिर उसका अंजाम क्या हुआ, यह समझाइए। (आप इसका उलटा भी कर सकते हैं। मसलन, आप अभी के हालात यानी अंजाम पहले बता सकते हैं और फिर इनका कारण बता सकते हैं।) चौथा तरीका है, विपरीत बातें बताना। (आप चाहे तो अच्छे और बुरे या सही और गलत के बीच का फर्क बता सकते हैं।) कभी-कभी एक भाषण में कई तरीके एक-साथ अपनाए जाते हैं।

जब स्तिफनुस पर यहूदी महासभा के सामने झूठा इलज़ाम लगाया गया, तब उसने एक ज़बरदस्त भाषण दिया। उसने भाषण में घटनाओं के समय के हिसाब से उनके बारे में बताने का तरीका अपनाया। प्रेरितों 7:2-53 में उस भाषण को पढ़ते वक्‍त, गौर कीजिए कि उसने एक मकसद को ध्यान में रखते हुए हर मुद्दे का चुनाव किया। सबसे पहले, स्तिफनुस ने अपने सुननेवालों को साफ बता दिया कि वह उन्हें ऐसा इतिहास सुना रहा है जिससे वे इनकार नहीं कर सकते। उसने इस बात पर ज़ोर दिया कि यूसुफ को उसके भाइयों ने हालाँकि ठुकरा दिया था, फिर भी परमेश्‍वर ने उसे छुटकारा दिलाने के लिए इस्तेमाल किया। फिर उसने कहा कि यहूदियों ने कैसे परमेश्‍वर के भेजे हुए मूसा की बात नहीं मानी। और आखिर में, उसने ज़ोर देकर कहा कि इन पिछली पीढ़ियों के यहूदियों ने जैसा रवैया दिखाया, वही रवैया उन यहूदियों ने भी दिखाया जिन्होंने यीशु मसीह को मरवा डाला।

ढेर सारे मुख्य मुद्दे इस्तेमाल न करें। किसी भी विषय को खोलकर समझाने के लिए चंद मुख्य मुद्दे ही काफी होते हैं। ज़्यादातर मामलों में इन मुद्दों की गिनती पाँच से ज़्यादा नहीं होती। यह बात हर भाषण पर लागू होती, फिर चाहे वह भाषण 5 मिनट, 10 मिनट, 30 मिनट या ज़्यादा समय का क्यों न हो। ढेर सारे मुद्दों को उभारने की कोशिश मत कीजिए। क्योंकि आपके सुननेवाले एक भाषण से सिर्फ कुछेक विचार ही समझ और याद रख पाते हैं। और भाषण जितना ज़्यादा लंबा होगा, उसके मुख्य मुद्दे उतने ही साफ होने चाहिए और उन पर उतना ही ज़ोर दिया जाना चाहिए।

आप चाहे जितने भी मुख्य मुद्दों का इस्तेमाल करें, इस बात का ध्यान रखें कि आप हर मुद्दे को अच्छी तरह खोलकर समझाएँ। अपने सुननेवालों को हर मुख्य मुद्दे की जाँच करने का समय दीजिए ताकि उनके मन में ये मुद्दे अच्छी तरह बैठ जाएँ।

आपका भाषण, सरल होना चाहिए। मगर भाषण सरल होने का मतलब यह नहीं कि आपकी जानकारी कम होनी चाहिए। अपने विचारों को अगर आप कुछेक मुख्य मुद्दों में बाँट देंगे और एक-एक करके ये मुद्दे समझाएँगे, तो भाषण न सिर्फ समझने में बल्कि याद रखने में भी आसान होगा।

मुख्य मुद्दों को उभारिए। अगर आप जानकारी को सही क्रम में रखेंगे, तो भाषण पेश करते वक्‍त आपको मुख्य मुद्दों की अहमियत पर ज़ोर देने में कोई परेशानी नहीं होगी।

मुख्य मुद्दों को उभारने का सबसे खास तरीका है कि सबूतों, आयतों और दूसरी जानकारी को इस तरह पेश कीजिए कि ये सब मुख्य मुद्दों की तरफ ध्यान खींचें और उन्हें विस्तार से समझाएँ। हर छोटे मुद्दे से, मुख्य मुद्दे को साफ-साफ समझने, उसे साबित करने या खोलकर समझाने में मदद मिलनी चाहिए। गैर-ज़रूरी बातों को भाषण में बस इसलिए शामिल मत कीजिए, क्योंकि वे मज़ेदार हैं। हर मुख्य मुद्दे के नीचे छोटे-छोटे मुद्दे समझाते वक्‍त साफ दिखाइए कि उनका उस मुख्य मुद्दे से क्या संबंध है। यह मत सोचिए कि सुननेवाले अपने आप इस संबंध को समझ लेंगे। मुख्य और छोटे-छोटे मुद्दों के बीच का संबंध दिखाने के लिए समय-समय पर मुख्य मुद्दे के खास शब्द या उनका सार दोहराया जा सकता है।

कुछ भाषण देनेवाले, मुख्य मुद्दों को नंबर देते हैं। हालाँकि मुख्य मुद्दों को उभारने का यह एक और तरीका है, मगर यह जानकारी का ध्यान से चुनाव करने और उसे तर्क के मुताबिक सिलसिलेवार ढंग से समझाने की जगह नहीं ले सकता।

आप चाहें तो पहले सीधे-सीधे मुख्य मुद्दा बता सकते हैं और उसके बाद उसे समझाने के लिए दलीलें दे सकते हैं। इस तरह सुननेवाले बाद में दी गयी दलीलों की अहमियत समझ पाएँगे और इससे मुख्य मुद्दे पर ज़ोर भी पड़ेगा। किसी मुख्य मुद्दे को अच्छी तरह समझाने के बाद, उसका सार बताकर आप उस पर ज़ोर दे सकते हैं।

प्रचार में। ऊपर बताए गए सिद्धांत ना सिर्फ स्टेज से दिए जानेवाले भाषणों पर बल्कि प्रचार में होनेवाली बातचीत पर भी लागू होते हैं। प्रचार के लिए तैयारी करते वक्‍त, ध्यान दें कि उस इलाके के लोग किस बात को लेकर परेशान हैं। ऐसा शीर्षक चुनिए जो आपको यह दिखाने का मौका दे कि बाइबल, इस समस्या के हल के बारे में क्या आशा देती है। उस शीर्षक को विकसित करने के लिए आप दो मुख्य मुद्दे चुन सकते हैं। तय कीजिए कि इन मुद्दों को समझाने के लिए आप किन आयतों का इस्तेमाल करेंगे। फिर सोचिए कि आप अपनी बातचीत कैसे शुरू करेंगे। इस तरह तैयारी करने से आप अपनी बातचीत में हालात के मुताबिक फेरबदल कर सकते हैं। यही नहीं, ऐसी तैयारी करने से आप घर-मालिक को कुछ ऐसी बातें बताएँगे जिसे वह भूल नहीं पाएगा।

यह कैसे करें

  • मुख्य मुद्दों को चुनने से पहले, ध्यान दें कि आपके सुननेवाले विषय के बारे में कितना जानते हैं और आपका मकसद क्या है। इन बातों को मन में रखते हुए जानकारी को क्रम में बिठाइए।

  • साफ बताइए कि मुख्य मुद्दे और उसे समझाने के लिए पेश किए गए सबूतों, आयतों और दूसरी जानकारी के बीच क्या संबंध है।

  • हर मुख्य मुद्दे पर सुननेवालों का ध्यान दिलाइए। ऐसा करने के लिए हर मुद्दे को नंबर दिया जा सकता है, या पहले सीधे-सीधे मुद्दा बता सकते हैं और उसके बाद उसे समझाने के लिए दलीलें दी जा सकती हैं, या फिर उसे अच्छी तरह समझाने के बाद उसे फिर से दोहराया जा सकता है।

अभ्यास: इस हफ्ते के प्रहरीदुर्ग अध्ययन लेख पर एक नज़र डालिए। मोटे अक्षरों में दिए उपशीर्षकों और सीखी बातों को याद करने के लिए बक्स में दिए सवालों की मदद से यह जानने की कोशिश कीजिए कि मुख्य मुद्दे क्या हैं। हर हफ्ते ऐसा करना, फायदेमंद साबित हो सकता है।

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