आउटलाइन तैयार करना
कुछ लोग अपने भाषण की तैयारी में बड़ी मेहनत करके वे सारी बातें लिख डालते हैं, जो उन्हें शुरू से लेकर आखिर तक बोलनी होती हैं। भाषण तैयार करते-करते, वे ढेरों पन्ने भर देते हैं और इसमें कई घंटे बीत जाते हैं।
क्या आप भी अपने भाषण की तैयारी ऐसे ही करते हैं? क्या आप एक आसान तरीका सीखना चाहेंगे? वह तरीका है, भाषण की एक आउटलाइन या रूपरेखा तैयार करना ताकि आपको भाषण का एक-एक शब्द लिखने की ज़रूरत न पड़े। इससे समय की बचत भी होगी और आपको भाषण का अभ्यास करने के लिए काफी वक्त भी मिलेगा। आपको भाषण पेश करने में ना सिर्फ आसानी होगी बल्कि वह दिलचस्प भी होगा और आपके सुननेवालों में सीखी हुई बातों पर अमल करने का जोश भर देगा।
कलीसिया में दिए जानेवाले जन-भाषणों के लिए आपको बनी-बनायी आउटलाइन दी जाती है, मगर ज़्यादातर भाषणों के लिए कोई आउटलाइन नहीं दी जाती। इसके बजाय आपको शायद सिर्फ एक विषय या शीर्षक दिया जाए, या फिर आपको किसी लेख के आधार पर भाषण तैयार करने को कहा जाए। कभी-कभी आपको शायद बस कुछ हिदायतें दी जाएँ। ऐसे सभी भाषणों के लिए आपको खुद एक आउटलाइन तैयार करनी होगी।
एक छोटी आउटलाइन कैसे तैयार की जा सकती है, इसका एक नमूना पेज 41 पर दिया गया है। ध्यान दीजिए कि उसमें भाषण का हर मुख्य मुद्दा, बायें हाशिए या मार्जिन से शुरू होता है और उसे बड़े अक्षरों में लिखा गया है। हर मुख्य मुद्दे के नीचे उसे खुलकर समझानेवाले कुछ विचार दिए गए हैं। इन विचारों को समझाने के लिए उनके नीचे, छोटे-छोटे मुद्दे दिए गए हैं और ये बायीं तरफ के हाशिए से थोड़ा और हटकर लिखे गए हैं। इस आउटलाइन की ध्यान से जाँच कीजिए। गौर कीजिए कि उसमें दिए गए दोनों मुख्य मुद्दों का शीर्षक से सीधा संबंध है। और यह भी गौर कीजिए कि हर मुख्य मुद्दे के नीचे दिए गए छोटे-छोटे मुद्दे बस दिलचस्प बातें नहीं हैं, बल्कि उस मुख्य मुद्दे का समर्थन करते हैं।
हो सकता है, आप जो आउटलाइन तैयार करें, वह हू-ब-हू इस नमूने जैसी ना हो। लेकिन अगर आप आउटलाइन तैयार करने के बुनियादी नियम समझ लेंगे, तो आप जानकारी को अच्छे क्रम में लिख सकेंगे और बिना वक्त ज़ाया किए, कुछ ही समय में आप एक बढ़िया भाषण तैयार कर पाएँगे। तो फिर आउटलाइन बनाना कैसे शुरू करें?
जाँच कीजिए, चुनिए और सही क्रम में लिखिए
सबसे पहले आपको भाषण के लिए मूल-विषय यानी एक शीर्षक की ज़रूरत है। मूल-विषय का मतलब कोई ऐसा विषय नहीं जिसमें बहुत-से पहलू शामिल हों और जिसे एक शब्द में लिखा जा सके, बल्कि यह आपके भाषण का मुख्य संदेश है जिससे ज़ाहिर होगा कि आप विषय के किस पहलू पर भाषण देने जा रहे हैं। अगर आपको पहले से एक शीर्षक दिया जाता है, तो उसके एक-एक खास शब्द पर ध्यान दीजिए। अगर आपको किसी लेख में छपी जानकारी के आधार पर शीर्षक दिया जाता है, तो उस शीर्षक को मन में रखकर लेख का अध्ययन कीजिए। लेकिन अगर आपको सिर्फ एक विषय दिया जाता है, तो फिर आपको खुद एक शीर्षक चुनना होगा। लेकिन शीर्षक चुनने से पहले अगर आप कुछ खोजबीन करेंगे, तो यह आपके लिए काफी मददगार साबित होगा। खुले दिमाग से सोचने पर आपको नए-नए विचार सूझेंगे।
जैसे-जैसे आप यह कदम उठाते हैं, खुद से ये सवाल पूछते रहिए: ‘यह जानकारी सुननेवालों के लिए क्या अहमियत रखती है? मेरे भाषण देने का मकसद क्या है?’ आपका मकसद सिर्फ जानकारी पेश करना या तरह-तरह की दिलचस्प बातें बताना नहीं है, बल्कि सुननेवालों को फायदा पहुँचाना है। एक बार जब आप तय कर लेते हैं कि आपका मकसद क्या है, तो उसे लिख लीजिए। और तैयारी के दौरान लगातार खुद को यह याद दिलाते रहिए।
जब आप अपना मकसद तय कर लेते हैं और उसके मुताबिक शीर्षक चुन लेते हैं (या जो शीर्षक आपको पहले से मिला है, उसकी जाँच करके जान लेते हैं कि यह आपके भाषण के मकसद से किस तरह मेल खाता है), तो आप उसे ध्यान में रखकर खोजबीन करना शुरू कर सकते हैं। ऐसी जानकारी पाने की कोशिश कीजिए जिससे सुननेवालों को खास फायदा पहुँचे। मोटी-मोटी जानकारी ढूँढ़ने के बजाय ऐसे खास मुद्दे ढूँढ़िए जिससे आपके सुननेवाले कुछ सीख सकें और उनको सचमुच फायदा हो। सिर्फ उतनी खोजबीन कीजिए जितनी आपको ज़रूरत है। अकसर आप पाएँगे कि खोजबीन करते-करते आपके पास इतनी ढेर सारी जानकारी इकट्ठी हो जाती है कि भाषण में यह सब बताना मुमकिन नहीं, इसलिए सोच-समझकर चुनिंदा जानकारी ही रखिए।
भाषण को आगे बढ़ाने और अपने मकसद तक पहुँचने के लिए, उन मुख्य मुद्दों को छाँटकर अलग कीजिए जिन पर आप चर्चा करना चाहते हैं। यही मुख्य मुद्दे आपकी बुनियादी आउटलाइन हैं। आपके भाषण में कितने मुख्य मुद्दे होने चाहिए? अगर भाषण छोटा है, तो बस दो मुख्य मुद्दे काफी हैं और अगर भाषण एक घंटे का है, तो पाँच मुद्दे काफी हैं। भाषण में मुख्य मुद्दे जितने कम होंगे, उतनी ही आसानी से वे याद रहेंगे।
जब एक बार आपके मन में आपका शीर्षक और मुख्य मुद्दे अच्छी तरह बैठ जाएँ, तब खोजबीन से मिली जानकारी को क्रम से लिखना शुरू कीजिए। देखिए कि कौन-सी जानकारी आपके मुख्य मुद्दों से सीधा ताल्लुक रखती है। ऐसी छोटी-मोटी जानकारी चुनिए जिससे आपके भाषण में नयापन आए। जब आप मुख्य मुद्दों को साबित करने के लिए आयतें चुनते हैं, तो साथ में ऐसे विचार भी नोट कीजिए जिनकी मदद से आप उन आयतों का मतलब अच्छी तरह समझा सकें। मुख्य मुद्दों से ताल्लुक रखनेवाले विचारों को उनके नीचे लिखिए। अगर खोजबीन से मिली कुछेक जानकारी आपके किसी भी मुख्य मुद्दे से ताल्लुक नहीं रखती, तो उसे भाषण में शामिल मत कीजिए, फिर चाहे वह कितनी ही दिलचस्प क्यों न हो। चाहे तो आप उसे अपनी फाइल में रख सकते हैं ताकि वह भविष्य में आपके काम आ सके। सिर्फ अच्छी-से-अच्छी जानकारी ही इस्तेमाल कीजिए। अगर आप ढेर सारी बातें बताने की कोशिश करेंगे, तो आपको बहुत तेज़ रफ्तार में बोलना पड़ेगा और आप विषय की सिर्फ ऊपरी जानकारी दे पाएँगे। इसलिए बेहतर यही होगा कि आप सिर्फ ऐसे चंद मुद्दे लें जिनसे सुननेवालों को सचमुच फायदा होगा और फिर उन्हीं मुद्दों को अच्छी तरह समझाएँ। जितने समय में आपको अपना भाग पेश करना है, उससे ज़्यादा समय न लें।
अगर आपने अब तक अपने भाषण की जानकारी को क्रम से नहीं लिखा है, तो अब आप ऐसा कर सकते हैं। सुसमाचार के लेखक, लूका ने ऐसा ही किया था। अपने विषय के बारे में ढेर सारी जानकारी इकट्ठा करने के बाद, उसने उसे ‘क्रमानुसार’ लिखना शुरू किया। (लूका 1:3) आप चाहें तो जानकारी को मुख्य शीर्षकों या घटनाओं के समय के हिसाब से लिख सकते हैं, यानी जो घटना पहले घटी उसे पहले बताइए और जो बाद में घटी उसे बाद में। आप ऐसा भी कर सकते हैं कि पहले आप कारण बताएँ, फिर उसके अंजाम को समझाएँ या इसका उलटा कर सकते हैं। या फिर पहले एक समस्या बताइए, उसके बाद उसका समाधान बताइए। भाषण के मकसद तक पहुँचने का सबसे बढ़िया तरीका क्या है, इससे तय होगा कि आप जानकारी को किस क्रम में रखेंगे। अचानक एक विचार से हटकर बिलकुल दूसरे विचार पर बात मत कीजिए। आपके सुननेवालों को यह आसानी से समझ आना चाहिए कि हर विचार का पिछले-दूसरे विचार से क्या नाता है और विचारों के बीच इतना बड़ा फर्क नहीं होना चाहिए कि ये आसानी से समझ में ना आएँ। आपको भाषण में ऐसे सबूत पेश करने चाहिए जिनकी मदद से सुननेवाले सही नतीजे पर पहुँच सकें। इसलिए जब आप मुद्दों को क्रम में लिखते हैं, तो सोचिए कि उन्हें इस क्रम से पेश करने से सुननेवालों पर कैसा असर पड़ेगा। भाषण सुनते वक्त क्या वे आपके विचारों को समझकर आपकी तरह ही सोचेंगे? क्या आपके भाषण का मकसद पूरा होगा यानी आप उन्हें जो कदम उठाने के लिए उकसा रहे हैं, क्या वे इन्हें उठाएँगे?
अब इसके बाद, अपने भाषण की शुरूआत के बारे में सोचिए। यह ऐसी होनी चाहिए जिससे आपके विषय में सुननेवालों की दिलचस्पी जागे और वे समझ सकें कि आप जो बताने जा रहे हैं, वह सचमुच उनके लिए बहुत मायने रखता है। आप शुरूआत में जो कहने जा रहे हैं, अगर उसके चंद वाक्य लिख लें, तो आपको काफी आसानी होगी। और फिर भाषण की समाप्ति तैयार कीजिए जो सुननेवालों के मन में जोश भर सके और आपके भाषण का मकसद पूरा हो।
अगर आप काफी पहले से अपनी आउटलाइन तैयार कर लेंगे, तो भाषण देने से पहले आपको उसमें कुछ सुधार करने का वक्त मिलेगा। उस पर दोबारा नज़र डालने पर शायद आपको लगे कि भाषण के कुछ मुद्दों को साबित करने के लिए कुछ आँकड़े, कोई उदाहरण या अनुभव बताने की ज़रूरत है। अगर आप हाल की किसी घटना का या किसी ऐसे किस्से का ज़िक्र करेंगे, जिसमें आपके इलाके के लोगों को दिलचस्पी है, तो सुननेवाले, जानकारी की अहमियत को आसानी से समझ सकेंगे। अपने भाषण की आउटलाइन को दोबारा पढ़ते वक्त, आपको शायद ऐसी कई जगह नज़र आएँगी जहाँ आप सुननेवालों के फायदे के लिए जानकारी में थोड़ी-बहुत फेर-बदल करके उसे ज़्यादा फायदेमंद बना सकते हैं। इस तरह जानकारी की जाँच करना और उसे निखारना ज़रूरी है ताकि एक असरदार भाषण तैयार हो।
भाषण के लिए कुछ लोगों को शायद और भी बड़े नोट्स् लिखने की ज़रूरत पड़ सकती है। लेकिन अगर आप भाषण की जानकारी को चंद मुख्य मुद्दों के नीचे क्रम से लिखेंगे, गैर-ज़रूरी बातों को निकाल देंगे और सारे विचारों को सिलसिलेवार ढंग से लिखेंगे, तो आप पाएँगे कि कुछ समय के बाद आपको भाषण की एक-एक बात लिखने की ज़रूरत नहीं है। इससे आपका कितना वक्त बचेगा! और आपके भाषण, दिन-ब-दिन बेहतरीन होते जाएँगे। इससे ज़ाहिर होगा कि आप परमेश्वर की सेवा स्कूल से सचमुच फायदा उठा रहे हैं।