अध्याय 47
दिखायी जानेवाली चीज़ों का अच्छा इस्तेमाल
सिखाते वक्त समझाने के लिए दिखायी जानेवाली चीज़ों का इस्तेमाल क्यों करना चाहिए? क्योंकि इससे आपके सिखाने का ज़्यादा अच्छा असर पड़ेगा। यहोवा परमेश्वर और यीशु मसीह ने सिखाते वक्त दृश्य और चीज़ों का इस्तेमाल किया और हम उनसे यह कला सीख सकते हैं। कुछ समझाने के लिए बोलने के अलावा, अगर कोई चीज़ दिखायी जाए, तो सुननेवाले अपनी दो इंद्रियों का इस्तेमाल करते हैं। कोई चीज़ दिखाकर आप सुननेवालों का ध्यान खींच सकते हैं और अपनी बात उनके दिमाग में और भी गहराई तक बिठा सकते हैं। दिखायी जानेवाली चीज़ों से आप सुसमाचार सुनाते वक्त कैसे सिखा सकते हैं? आप कैसे पता लगा सकते हैं कि आप उनका अच्छा इस्तेमाल कर रहे हैं या नहीं?
सबसे महान शिक्षकों ने दृश्यों का कैसे इस्तेमाल किया। यहोवा ने कुछ ज़रूरी सबक सिखाने के लिए कई यादगार दृश्य दिखाए। एक बार, रात को उसने इब्राहीम को खुले आसमान के नीचे लाकर उससे कहा: “आकाश की ओर दृष्टि करके तारागण को गिन, क्या तू उनको गिन सकता है? . . . तेरा वंश ऐसा ही होगा।” (उत्प. 15:5) यहोवा ने इब्राहीम से जो वादा किया, इंसानी नज़रिए से उसका पूरा होना नामुमकिन लग सकता था, लेकिन जब यहोवा ने तारों की मिसाल देकर उसे समझाया, तो बात उसके दिल को छू गयी और उसने यहोवा पर विश्वास किया। एक और मौके पर, यहोवा ने यिर्मयाह को एक कुम्हार के घर भेजा कि जाकर देखे कि वह मिट्टी को कैसा आकार देकर बर्तन बनाता है। इंसानों पर सिरजनहार के अधिकार के बारे में, यह क्या ही बढ़िया और यादगार सबक था! (यिर्म. 18:1-6) और योना को दया के बारे में सबक सिखाने के लिए यहोवा ने एक रेंड़ का पौधा इस्तेमाल किया। योना इस सबक को कैसे भूल सकता था? (योना 4:6-11) कभी-कभी यहोवा ने अपने भविष्यवक्ताओं को बताया कि उन्हें अभिनय करके भविष्यवाणी करनी है और इसके लिए वे कुछ चीज़ों का भी इस्तेमाल कर सकते थे। (1 राजा 11:29-32; यिर्म. 27:1-8; यहे. 4:1-17) तंबू और मंदिर की कई चीज़ें और उसकी कई खासियतें, स्वर्ग के बारे में कुछ सच्चाइयों को समझने में हमारी मदद करती हैं। (इब्रा. 9:9, 23, 24) इसके अलावा, परमेश्वर ने ज़रूरी जानकारी देने के लिए अपने भक्तों को बहुत-से दर्शन भी दिखाए।—यहे. 1:4-28; 8:2-18; प्रेरि. 10:9-16; 16:9, 10; प्रका. 1:1.
यीशु ने सिखाते वक्त, दृश्य और चीज़ों का इस्तेमाल कैसे किया? जब फरीसी और हेरोदेस के दल के लोग यीशु को उसी की बातों में फँसाने की कोशिश कर रहे थे, तो यीशु ने उन्हें जवाब देने के लिए एक दीनार माँगी और उस पर कैसर का चित्र उन्हें दिखाया। फिर उसने समझाया कि जो कैसर का है वह कैसर को, लेकिन जो परमेश्वर का है वह परमेश्वर को दिया जाना चाहिए। (मत्ती 22:19-21) हमारे पास जो कुछ है, उन सब चीज़ों को यहोवा की महिमा में लगा देने का सबक सिखाने के लिए, यीशु ने एक गरीब विधवा की तरफ इशारा किया जिसने दो छोटे सिक्के दान में दिए जो कि उसकी सारी जमा पूँजी थी। (लूका 21:1-4) एक और मौके पर, यीशु ने नम्रता और ऊँची पदवी हासिल करने के लालच से दूर रहने का सबक सिखाने के लिए एक छोटे बच्चे को लोगों के सामने खड़ा करके उसकी मिसाल दी। (मत्ती 18:2-6) इतना ही नहीं, उसने खुद अपने चेलों के पाँव धोकर नम्रता का अर्थ समझाया।—यूह. 13:14.
दिखायी जानेवाली चीज़ों को इस्तेमाल करने के तरीके। हम इंसान, यहोवा की तरह अपनी बात समझाने के लिए दर्शन नहीं दिखा सकते। लेकिन हम, यहोवा के साक्षियों के साहित्य में छपनेवाली तसवीरों का इस्तेमाल कर सकते हैं, जो लोगों को सोचने पर मजबूर कर देती हैं। ये तसवीरें दिखाकर, दिलचस्पी रखनेवालों को आप समझा सकते हैं कि परमेश्वर के वचन में दिए वादे के मुताबिक धरती पर फिरदौस कैसा होगा। किसी को बाइबल का अध्ययन कराते वक्त, आप अपने विषय से मेल खानेवाली एक तसवीर दिखाकर उनसे पूछ सकते हैं कि वह उस तसवीर में क्या देख रहा है। यह बात गौर करने लायक है कि यहोवा ने भविष्यवक्ता आमोस को कुछ दर्शन दिखाने के बाद उससे पूछा: “हे आमोस, तुझे क्या देख पड़ता है?” (आमो. 7:7, 8; 8:1, 2) उसी तरह आप भी ऐसी तसवीरें दिखाकर सवाल पूछ सकते हैं, जो सिखाने में हमारी मदद करने के लिए तैयार की गयी हैं।
अगर आप किसी को कुछ अहम घटनाओं का सिलसिला समझाना चाहते हैं, तो आप संख्याएँ लिखकर दिखा सकते हैं या फिर समय का ब्यौरा देनेवाला कोई चार्ट इस्तेमाल कर सकते हैं। ये तरीके अपनाने से दानिय्येल 4:16 में बताए “सात काल” और दानिय्येल 9:24 में बताए ‘सत्तर सप्ताहों’ की भविष्यवाणियाँ आसानी से समझ आ सकती हैं। इस तरह के चार्ट, हमारी बहुत-सी अध्ययन की किताबों-पत्रिकाओं में दिए गए हैं।
परिवार के साथ बाइबल अध्ययन करते वक्त जब आप निवासस्थान, यरूशलेम के मंदिर और यहेजकेल के दर्शन में बताए मंदिर की चर्चा करते हैं, तो उन्हें आसानी से समझने के लिए आप उनकी एक तसवीर या एक रेखाचित्र इस्तेमाल कर सकते हैं। ये तसवीरें आपको इंसाइट ऑन द स्क्रिप्चर्स्, न्यू वर्ल्ड ट्रांस्लेशन ऑफ द होली स्क्रिप्चर्स्—विड रॆफ्रॆंसॆज़ के अपेंडिक्स में और बहुत-सी प्रहरीदुर्ग पत्रिकाओं में मिल सकती हैं।
अपने परिवार के साथ मिलकर बाइबल पढ़ते वक्त, नक्शों का अच्छा इस्तेमाल कीजिए। इब्राहीम की यात्रा के बारे में नक्शा देखिए कि ऊर से लेकर हारान तक और फिर हारान से लेकर बेतेल तक का उसका सफर कैसा था। इस्राएल जाति ने मिस्र छोड़कर वादा किए गए देश में पहुँचने के लिए जो मार्ग चुना, उसे जाँचिए। इस्राएल के हर कुल को विरासत में कौन-सी ज़मीन मिली, यह देखिए। गौर कीजिए कि सुलैमान का राज्य, कहाँ से कहाँ तक फैला हुआ था। पता कीजिए कि जब ईज़ेबेल रानी ने एलिय्याह को मरवाने की धमकी दी, तब एलिय्याह, यिज्रेल से किस रास्ते होकर, बेर्शेबा से आगे जंगल की तरफ भागा। (1 राजा 18:46–19:4) उन नगरों और कस्बों को पहचानिए जहाँ यीशु ने प्रचार किया था। प्रेरितों की किताब में दिए ब्यौरे के मुताबिक देखिए कि पौलुस ने कहाँ-कहाँ यात्रा की।
जब हम अपने बाइबल विद्यार्थियों को कलीसिया में कामकाज की व्यवस्था के बारे में बताते हैं, तब कुछ चीज़ें दिखाने से समझाने में आसानी होती है। आप अपने विद्यार्थी को सम्मेलन या अधिवेशन के छपे हुए कार्यक्रम से दिखा सकते हैं कि सम्मेलनों या अधिवेशनों में किस तरह की जानकारी पर चर्चा की जाती है। कई लोगों पर यहोवा के साक्षियों के किंगडम हॉल या शाखा दफ्तर का दौरा करने का काफी अच्छा असर हुआ है। ऐसा करना, अपने काम और मकसद के बारे में उनकी गलतफहमियाँ दूर करने का एक बढ़िया तरीका हो सकता है। जब आप अपने विद्यार्थी को किंगडम हॉल दिखाते हैं, तो बताइए कि यह दूसरे धर्मों के उपासना-घरों से कैसे अलग है। इस बात की तरफ खासकर उनका ध्यान दिलाइए कि हमारे किंगडम हॉल सादा किस्म की इमारतें होती हैं और इससे सीखने का माहौल पैदा होता है। बताइए कि खासकर प्रचार काम के संबंध में क्या-क्या इंतज़ाम किए गए हैं जैसे साहित्य बाँटने की जगह, प्रचार के इलाके बतानेवाले नक्शे और दान की पेटियाँ (जो चर्च में चंदा जमा करने के लिए, थाली घुमाने के रिवाज़ से एकदम अलग है)।
अगर शासी निकाय के निर्देशन में तैयार किए गए विडियो-कैसेट उपलब्ध हैं, तो इन्हें दिखाकर लोगों का बाइबल पर भरोसा बढ़ाइए, विद्यार्थियों को यहोवा के साक्षियों के काम से वाकिफ कराइए और देखनेवालों को बाइबल के सिद्धांतों के मुताबिक चलने का बढ़ावा दीजिए।
बड़े समूहों के लिए दिखायी जानेवाली चीज़ों का इस्तेमाल। अगर सिखाने में दिखायी जानेवाली चीज़ों को इस्तेमाल करने की अच्छी तैयारी की जाए और इन्हें सही ढंग से पेश किया जाए, तो लोगों के बड़े समूह को सिखाने में भी ये असरदार हो सकती हैं। विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास वर्ग ने ऐसी कई तरह की चीज़ें हमारे लिए तैयार की हैं।
प्रहरीदुर्ग पत्रिका में अकसर चित्र या तसवीरें दी जाती हैं जिनका इस्तेमाल करके प्रहरीदुर्ग अध्ययन चलानेवाला भाई मुख्य मुद्दों पर ज़ोर दे सकता है। कलीसिया के पुस्तक अध्ययन में इस्तेमाल होनेवाले साहित्य में भी ऐसी तसवीरें होती हैं।
कुछ जन-भाषणों की आउटलाइन में ऐसी जानकारी होती है जिसे देखकर लग सकता है कि उसके कुछ मुद्दे समझाने के लिए दृश्य, तसवीरें या चीज़ें दिखाना सही होगा। लेकिन अगर आप लोगों का ध्यान बाइबल की तरफ दिलाए, तो इसका अकसर ज़्यादा असर होता है, क्योंकि ज़्यादातर सुननेवालों के हाथ में बाइबल होती है। अगर कभी आपको लगता है कि कोई तसवीर दिखाना या भाषण के किसी एक या कई मुख्य मुद्दों को थोड़े में लिखकर दिखाना ज़रूरी है, तो सभा से पहले इस बात का ध्यान रखिए कि वह तसवीर या लिखाई हॉल में बिलकुल पीछे बैठे लोगों को साफ दिखायी देती है या नहीं। लेकिन ऐसे साधनों का कम-से-कम इस्तेमाल किया जाना चाहिए।
बात करते या सिखाते वक्त, दृश्य और चीज़ों का इस्तेमाल करने का मकसद, सुननेवालों का मन बहलाना नहीं है। सिखाने के लिए इस्तेमाल की गयी चीज़ें मौके की गरिमा के हिसाब से होनी चाहिए, और इन्हें देखकर जिन बातों पर खास ज़ोर दिया जाना है, उनकी अहमियत और अच्छी तरह समझ में आनी चाहिए। ऐसे साधन बहुत फायदेमंद होते हैं, जब ये कही गयी बात को स्पष्ट करने में मदद देते हैं जिससे समझना आसान होता है। या फिर वे किसी बात की सच्चाई का ठोस सबूत देते हैं। अगर एक सही तसवीर या किसी और चीज़ का ठीक ढंग से इस्तेमाल किया जाए, तो वह लोगों के दिमाग पर इतना गहरा असर करेगी कि वह तसवीर और उसके ज़रिए सिखायी गयी बात भी उन्हें बरसों याद रहेगी।
सुनने और देखने की इंद्रियाँ, दोनों सीखने के लिए ज़रूरी है। याद रखिए कि सबसे महान शिक्षकों, यहोवा और यीशु ने लोगों की इन इंद्रियों का इस्तेमाल करके उन्हें सिखाया, इसलिए आप भी दूसरों को सिखाने की कोशिश करते वक्त उनके नक्शेकदम पर चलिए।