गीत 28
एक नया गीत
(भजन 98)
1. गा, स्तु-ति के गीत, य-हो-वा की ता-रीफ़ में गा।
हर दि-शा, हर को-ना, उस-के क-रम बत-ला।
याह ब-ड़ा ही वीर, उ-सी की हर-दम जीत हो-ती।
है इं-साफ़ प-संद वो, कर-ता है न्याय स-ही।
(कोरस)
गूँज उ-ठे
मज-मे में गीत न-या
ना को-ई
है याह तुझ-सा बाद-शाह।
2. सुर से सुर मि-ला, य-हो-वा की शान में तू गा।
गा के नग़्-मे उस-के, उस-का मान तू ब-ढ़ा।
जा-ति-याँ स-भी, ब-जा-ए सा-रे साज़ लय में
वी-णा, सा-रं-गी, डफ, तुर्-ही और नर-सिं-गे!
(कोरस)
गूँज उ-ठे
मज-मे में गीत न-या
ना को-ई
है याह तुझ-सा बाद-शाह।
3. गा-ती ये ज़-मीं, स-मं-दर की लह-रें ना-चें।
गीत सु-री-ले झर-ने, मस्-ती में हैं गा-ते।
झू-मे आ-स-माँ, फ़ि-ज़ा में हर डा-ली झू-ले
वा-दी और पर-बत में, ता-रीफ़ याह की गूँ-जे।
(कोरस)
गूँज उ-ठे
मज-मे में गीत न-या
ना को-ई
है याह तुझ-सा बाद-शाह।
(भज. 96:1; 149:1; यशा. 42:10 भी देखिए।)