अध्याय 4
मंडलियाँ कैसे संगठित हैं?
कुरिंथ की मंडली के नाम अपनी पहली चिट्ठी में प्रेषित पौलुस ने परमेश्वर के बारे में एक अहम सच्चाई बतायी: “परमेश्वर गड़बड़ी का नहीं, बल्कि शांति का परमेश्वर है।” इसके बाद उसने मंडली की सभाओं के बारे में कहा, “सब बातें कायदे से और अच्छे इंतज़ाम के मुताबिक हों।”—1 कुरिं. 14:33, 40.
2 उस चिट्ठी की शुरूआत में ही पौलुस ने कुरिंथ की मंडली को सलाह दी, क्योंकि मंडली में फूट पड़ गयी थी। पौलुस ने वहाँ के भाइयों को बढ़ावा दिया कि वे ‘एक ही बात कहें’ और उन सबके ‘विचार और सोचने का तरीका एक जैसा हो ताकि उनके बीच एकता हो।’ (1 कुरिं. 1:10, 11) इसके बाद उसने दूसरे मामलों पर सलाह दी, जिनकी वजह से मंडली की एकता खतरे में थी। उसने मंडली की तुलना इंसान के शरीर से की और समझाया कि मंडली में एकता होना और एक-दूसरे को सहयोग देना बहुत ज़रूरी है। उसने मंडली के सभी मसीहियों से गुज़ारिश की कि मंडली में उनका काम चाहे जो भी हो, वे एक-दूसरे के लिए प्यार और परवाह ज़ाहिर करें। (1 कुरिं. 12:12-26) इस तरह मिल-जुलकर काम करने के लिए बेहद ज़रूरी था कि मंडली अच्छी तरह संगठित हो।
3 मगर सवाल यह था कि मसीही मंडली को कैसे संगठित किया जाता? कौन उसे संगठित करता? यह मंडली कैसे काम करती है? कौन उसमें ज़िम्मेदारियाँ सँभालते? बाइबल की जाँच करने से हमें इन सवालों के सही-सही जवाब मिलते हैं।—1 कुरिं. 4:6.
परमेश्वर के तरीके से संगठित मंडली
4 मसीही मंडली की शुरूआत ईसवी सन् 33 में पिन्तेकुस्त के दिन हुई थी। पहली सदी की मंडली के बारे में हम क्या जानते हैं? यही कि यह मंडली परमेश्वर के कायदे-कानूनों और तरीकों से चलायी जाती थी, यानी यह परमेश्वर (यूनानी में, थियॉस ) के शासन (क्राटोज़ ) के अधीन काम करती थी। यूनानी के ये दोनों शब्द 1 पतरस 5:10, 11 में मिलते हैं। आज से करीब 2,000 साल पहले, पिन्तेकुस्त के दिन यरूशलेम में जो घटना हुई, उसका ब्यौरा बाइबल में दिया गया है। इस ब्यौरे से एक बात साफ हो जाती है कि अभिषिक्त मसीहियों की मंडली की शुरूआत परमेश्वर ने ही की थी। (प्रेषि. 2:1-47) मंडली परमेश्वर की इमारत और उसका घराना थी। (1 कुरिं. 3:9; इफि. 2:19) पहली सदी में मंडली जिस तरह संगठित थी और जिस तरीके से काम करती थी, आज मसीही मंडली ठीक उसी नमूने पर चलती है।
पहली सदी में मंडली जिस तरह संगठित थी और जिस तरीके से काम करती थी, आज मसीही मंडली ठीक उसी नमूने पर चलती है
5 मसीही मंडली की शुरूआत करीब 120 चेलों से हुई थी। इन पर सबसे पहले पवित्र शक्ति उँडेली गयी, ठीक जैसे योएल 2:28, 29 में भविष्यवाणी की गयी थी। (प्रेषि. 2:16-18) मगर उसी दिन करीब 3,000 और लोगों ने पानी में बपतिस्मा लिया, पवित्र शक्ति से उनका अभिषेक किया गया और वे मसीही मंडली का हिस्सा बने। उन्होंने मसीह के बारे में वचन कबूल किया और “वे सब प्रेषितों से लगातार सीखते रहे।” इसके बाद, “यहोवा हर दिन ऐसे और भी लोगों को उनमें शामिल करता गया, जिन्हें वह उद्धार दिला रहा था।”—प्रेषि. 2:41, 42, 47.
6 यरूशलेम की मंडली में लोगों की गिनती इतनी तेज़ी से बढ़ने लगी कि यहूदी महायाजक ने शिकायत की कि यीशु के चेलों ने पूरे यरूशलेम को अपनी शिक्षाओं से भर दिया है। यरूशलेम में मसीह के नए चेलों में बहुत-से यहूदी याजक भी थे, जो मंडली का हिस्सा बन गए थे।—प्रेषि. 5:27, 28; 6:7.
7 यीशु ने कहा था, “तुम . . . यरूशलेम और सारे यहूदिया और सामरिया में, यहाँ तक कि दुनिया के सबसे दूर के इलाकों में मेरे बारे में गवाही दोगे।” (प्रेषि. 1:8) यीशु ने जैसा कहा था, वैसा ही हुआ। स्तिफनुस की मौत के बाद, जब यरूशलेम में चेलों पर बहुत ज़ुल्म ढाए गए, तो वे यहूदिया और सामरिया में तितर-बितर हो गए। लेकिन वे जहाँ कहीं गए, खुशखबरी सुनाते रहे। उन्होंने लोगों को चेला बनाया, जिनमें कुछ सामरी भी थे। (प्रेषि. 8:1-13) बाद में उन्होंने खतनारहित लोगों को, यानी गैर-यहूदियों को खुशखबरी सुनायी और उन्हें अच्छे नतीजे मिले। (प्रेषि. 10:1-48) इस तरह जगह-जगह बहुत-से लोग मसीह के चेले बने और यरूशलेम के बाहर नयी मंडलियाँ बनने लगीं।—प्रेषि. 11:19-21; 14:21-23.
8 हर नयी मंडली को परमेश्वर के तरीके से संगठित करने और उसे चलाने के लिए क्या इंतज़ाम किया गया? झुंड की देखभाल के लिए प्राचीनों को नियुक्त किया गया और यह परमेश्वर की पवित्र शक्ति के मार्गदर्शन में किया गया। पौलुस और बरनबास ने अपने पहले मिशनरी सफर में जिन मंडलियों का दौरा किया, वहाँ उन्होंने प्राचीनों को नियुक्त किया। (प्रेषि. 14:23) बाइबल का एक लेखक लूका बताता है कि जब पौलुस इफिसुस की मंडली के प्राचीनों से मिला, तो क्या हुआ। पौलुस ने उनसे कहा, “तुम अपनी और पूरे झुंड की चौकसी करो जिसके बीच पवित्र शक्ति ने तुम्हें निगरानी करनेवाले ठहराया है ताकि तुम चरवाहों की तरह परमेश्वर की मंडली की देखभाल करो जिसे उसने अपने बेटे के खून से खरीदा है।” (प्रेषि. 20:17, 28) इफिसुस के प्राचीन बाइबल में प्राचीनों के लिए बतायी योग्यताओं पर खरे उतरे थे, इसलिए वे प्राचीन बनने के योग्य थे। (1 तीमु. 3:1-7) पौलुस के साथी तीतुस को अधिकार दिया गया था कि वह क्रेते की मंडलियों में प्राचीन नियुक्त करे।—तीतु. 1:5.
9 जब और भी मंडलियाँ बनती गयीं तो यरूशलेम के प्रेषितों और प्राचीनों ने जगह-जगह मंडलियों की निगरानी करने में खास भूमिका निभायी। उन्होंने शासी निकाय के तौर पर मंडलियों की सेवा की।
10 प्रेषित पौलुस ने इफिसुस की मंडली को लिखी चिट्ठी में समझाया कि मसीही मंडली को पवित्र शक्ति के मुताबिक काम करना चाहिए। इस तरह मंडली अपने मुखिया यीशु की वफादार रह सकेगी और अपनी एकता बरकरार रख सकेगी। पौलुस ने वहाँ के मसीहियों से गुज़ारिश की कि वे नम्रता का गुण बढ़ाएँ, मंडली में सबके साथ शांति से रहें और “एकता” बनाए रखें, जो सिर्फ “पवित्र शक्ति से हासिल” की जा सकती है। (इफि. 4:1-6) इसके बाद उसने भजन 68:18 के शब्द दोहराए और बताया कि इसमें कही बात परमेश्वर के इंतज़ाम पर कैसे लागू होती है। परमेश्वर ने मंडली की ज़रूरतें पूरी करने के लिए प्रौढ़ और योग्य भाइयों को प्रेषित, भविष्यवक्ता, प्रचारक, चरवाहे और शिक्षक नियुक्त किया। ये भाई यहोवा की तरफ से मानो तोहफे थे। उन्होंने मंडलियों को मज़बूत किया और इससे परमेश्वर खुश हुआ।—इफि. 4:7-16.
आज मंडलियाँ प्रेषितों के दिखाए नमूने पर चलती हैं
11 आज यहोवा के साक्षियों की सभी मंडलियाँ, पहली सदी की मसीही मंडलियों की तरह ही संगठित की जाती हैं। इन सभी मंडलियों से मिलकर एक बड़ी मंडली बनती है, एक ऐसी मंडली जो पूरी दुनिया में है और एकता की डोर में बँधी है। इस पूरी मंडली का मुख्य भाग अभिषिक्त मसीही हैं। (जक. 8:23) यह सब यीशु मसीह की बदौलत मुमकिन हुआ है। वह अपने वादे के मुताबिक “दुनिया की व्यवस्था के आखिरी वक्त तक” अभिषिक्त चेलों का साथ निभाता आया है। यह मंडली दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। आज जो लोग इस मंडली का हिस्सा बनते हैं, वे परमेश्वर की खुशखबरी कबूल करते हैं और बिना किसी शर्त के यहोवा को अपनी ज़िंदगी समर्पित करते हैं और बपतिस्मा लेकर यीशु के चेले बनते हैं। (मत्ती 28:19, 20; मर. 1:14; प्रेषि. 2:41) वे मानते हैं कि यीशु मसीह उनका “अच्छा चरवाहा” है और पूरे झुंड का मुखिया है। यह झुंड अभिषिक्त मसीहियों और ‘दूसरी भेड़ों’ से मिलकर बना है। (यूह. 10:14, 16; इफि. 1:22, 23) दोनों समूह के लोग “एक झुंड” होकर मसीह को अपना मुखिया मानते हैं और उसके वफादार रहते हैं। इतना ही नहीं, वे “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के भी अधीन रहते हैं, जिसे मसीह ने संगठन को चलाने के लिए नियुक्त किया है। आइए हम हमेशा विश्वासयोग्य दास पर पूरा भरोसा रखें।—मत्ती 24:45.
धार्मिक निगमों की भूमिका
12 सभी को सही वक्त पर बाइबल की सच्चाइयों की समझ मिले और अंत आने से पहले पूरी दुनिया में खुशखबरी का ऐलान हो, इसके लिए कुछ निगम बनाए गए हैं। अलग-अलग देशों में मौजूद ये निगम कानूनी तौर पर मान्यता प्राप्त हैं और एक-दूसरे के सहयोग से काम करते हैं। इनकी मदद से पूरी दुनिया में राज की खुशखबरी सुनायी जा रही है।
शाखा क्या है और कैसे काम करती है?
13 जब किसी देश में शाखा दफ्तर बनाया जाता है, तो एक शाखा-समिति (ब्राँच कमिटी) ठहरायी जाती है, जिसमें तीन या उससे ज़्यादा प्राचीन होते हैं। ये भाई उस देश में होनेवाले काम की और उनकी शाखा की निगरानी में आनेवाले दूसरे देशों के काम की देखरेख करते हैं। समिति का एक सदस्य, शाखा-समिति प्रबंधक (ब्राँच कमिटी कोऑर्डिनेटर) होता है।
14 शाखा की निगरानी में आनेवाली कुछ मंडलियों को सर्किट में संगठित किया जाता है। एक सर्किट कितना बड़ा होगा, यह इस बात पर निर्भर करता है कि इलाका कैसा है, मंडलियाँ कौन-सी भाषाएँ बोलती हैं और उस शाखा की निगरानी में आनेवाले इलाके में कितनी मंडलियाँ हैं। हर सर्किट की मंडलियों का दौरा करने के लिए एक सर्किट निगरान नियुक्त किया जाता है। शाखा दफ्तर सर्किट निगरानों को निर्देश देता है कि वे किस तरह अपनी ज़िम्मेदारियाँ निभा सकते हैं।
15 संगठन में सभी के फायदे के लिए जो इंतज़ाम किए जाते हैं, उन्हें मंडलियाँ कबूल करती हैं। शाखा दफ्तरों, सर्किटों और मंडलियों में काम की देखरेख के लिए जिन प्राचीनों को चुना जाता है, उनके बारे में सभी भाई-बहन कबूल करते हैं कि उन्हें यह ज़िम्मेदारी परमेश्वर ने दी है। मंडलियाँ सही वक्त पर बाइबल की समझ पाने के लिए विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास पर निर्भर रहती हैं। विश्वासयोग्य दास भी हर बात में अपने मुखिया मसीह के अधीन रहता है, बाइबल के सिद्धांतों का सख्ती से पालन करता है और पवित्र शक्ति के निर्देशन में काम करता है। जब हम सभी एकता में रहकर काम करते हैं, तो हमें भी पहली सदी की मंडलियों की तरह बढ़िया नतीजे मिलते हैं। बाइबल बताती है कि उन “मंडलियों का विश्वास मज़बूत होता गया और उनकी तादाद दिनों-दिन बढ़ती गयी।”—प्रेषि. 16:5.