लोभ के बिना एक संसार की कल्पना करें
क्या आप एक ऐसी दुनिया की कल्पना कर सकते हैं, जहाँ लोग एक दूसरे से मुक़ाबला करने के बजाय एक दूसरे को सहयोग देते हैं? जहाँ मानव दूसरों से ऐसा बरताव करते हैं जो वे खुद दूसरों से चाहते हैं? ये एक लोभरहित संसार की विशेषताएँ हैं। वह कैसी ही दुनिया होगी! क्या वह कभी आएगी? जी हाँ, ज़रूर आएगी। लेकिन लोभ का—जो मानव जाति के नस-नस में इतना बसा है—उन्मूलन कैसे किया जा सकता है?
उत्तर प्राप्त करने के लिए, हमें पहले लोभ की शुरुआत को समझना चाहिए। बाइबल यह सूचित करती है कि यह हमेशा से मानव-जाति की विशेषता नहीं थी। भविष्यवक्ता मूसा हमें याद दिलाता है कि लोभ जैसी कमी प्रथम पुरुष में पहले नहीं थी, जो कि एक लोभ-मुक्त सृष्टिकर्ता की परिपूर्ण सृष्टि थी: “वह चट्टान है, उसका काम खरा है, और उसकी सारी गति न्याय की है।” तो फिर, यह लोभ कहाँ से आया? पहले मानव दम्पति ने—परमेश्वर ने जिस फल को निषिद्ध किया था उसे खाने से जो भी प्राप्त होगा, उसकी लालची प्रत्याशा से हव्वा ने, और अपनी सुन्दर पत्नी को न खोने की लालसा से आदम ने, इसे अपने आप में विकसित होने दिया। मूसा ने आगे कहा, जो कि आदम और हव्वा के बारे में भी सच था: “परन्तु इसी जाति के लोग टेढ़े और तिर्छे हैं; ये बिगड़ गए, ये उसके पुत्र नहीं; यह उन्हीं का कलंक है।”—व्यवस्थाविवरण ३२:४, ५, न्यू.व.; १ तीमुथियुस २:१४.
नूह के दिन के विश्व व्यापी जल-प्रलय के समय तक, लोभ और कामुकता इतनी बढ़ चुकी थीं कि “मनुष्यों की बुराई पृथ्वी पर बढ़ गई, और उनके मन के विचार में जो कुछ उत्पन्न होता है सो निरन्तर बुरा ही होता है।”—उत्पत्ति ६:५.
लोभ की यह प्रबल मनोवृत्ति मानव में आज तक जारी है, और आज के कृतघ्न और लोभी समाज में वह प्रत्यक्षतः अपनी पराकाष्ठा पर पहुँच गया है।
शिक्षण के द्वारा लोभ हटाना
जैसे लोभ मनुष्यों के बीच बढ़ गया है, ठीक वैसे ही विपरीत भी संभव है। लोभ पर विजय प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन ऐसा घटित होने के लिए, सही शिक्षण और अभ्यास ज़रूरी हैं, और साथ ही कड़ा निर्देशक तत्व या आचरण के नियम जिनका पालन हो रहा है। यह युक्तियुक्त प्रतीत हो सकता है, लेकिन कौन इस प्रकार का शिक्षण प्रदान कर सकता है और यह सुनिश्चित कर सकता है कि जो सीखा गया है, वह कार्यान्वित होगा—और अगर ज़रूरी हो, तो मजबूरन लागू किया जाएगा?
ऐसा शिक्षण एक ऐसे स्रोत से निकलना चाहिए जो खुद लोभ से मुक्त है। ऐसे प्रशिक्षिण में कोई गुप्त उद्देश्य या वापसी में कुछ मिलने की प्रतीक्षा नहीं होनी चाहिए। इसके अतिरिक्त, निःस्वार्थता की व्यवहार्यता और उसका मूल्य सिखाया और प्रदर्शित किया जाना चाहिए। सीखनेवाले को इस बात का यक़ीन दिलाया जाना चाहिए कि जीवन का ऐसा एक मार्ग न केवल संभव है बल्कि वही एकमात्र बेहतर मार्ग है, जिसमें खुद उसके लिए और उसके आस-पास के दूसरों के लिए लाभ है।
केवल स्वर्ग के परमेश्वर ही ऐसा शिक्षण प्रदान कर सकते हैं, क्योंकि पृथ्वी के कौनसे मनुष्य या संघटन के पास ऐसी योग्यताएँ और पृष्ठभूमि हो सकती है? बाइबल की इस सच्चाई के आधार पर सभी मनुष्यों को अयोग्य ठहराया गया है: “सब ने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं।”—रोमियों ३:२३.
खुशी की बात है कि यहोवा, स्वर्ग के परमेश्वर, ऐसा शिक्षण अपनी लिखित पाठ्य पुस्तक या नियमावली, पवित्र बाइबल, में प्रदान करते हैं। उनके पुत्र, यीशु मसीह ने, जब वह इस पृथ्वी पर एक मनुष्य था, इस प्रकार के शिक्षण का समर्थन किया। यीशु के विख़्यात पर्वत-उपदेश के बीचोबीच उसने एक ऐसे जीवन-मार्ग के बारे में बताया जो सुननेवालों में से अधिकांश को आश्चर्यजनक लगा क्योंकि यह एक व्यक्ति के शत्रुओं या विरोधियों की ओर तक निःस्वार्थता प्रदर्शित करता था। यीशु ने कहा: “अपने बैरियों से प्रेम रखो और अपने सतानेवालों के लिए प्रार्थना करो। जिस से तुम अपने स्वर्गीय पिता की सन्तान ठहरोगे क्योंकि वह भलों और बुरों दोनों पर अपना सूर्य उदय करता है, और धर्मियों और अधर्मियों दोनों पर मेंह बरसाता है। क्योंकि यदि तुम अपने प्रेम रखनेवालों ही से प्रेम रखो, तो तुम्हारे लिए क्या फल होगा? क्या महसूल लेनेवाले भी ऐसा ही नहीं करते?”—मत्ती ५:४४-४६.
पृथ्वी पर यीशु के कार्य का एक भाग निःस्वार्थ प्रशिक्षकों को प्रशिक्षण देना था ताकि वे दूसरों को इस लोभ-मुक्त जीवन-मार्ग के बारे में सिखा सके। यीशु की मृत्यु और पुनरुत्थान के कुछ समय बाद प्रेरित पौलुस ऐसे प्रशिक्षकों में से एक बना। उनकी कई प्रेरित चिट्ठियों में पौलुस ने लोभ के उन्मूलन पर ज़ोर दिया। उदाहरणार्थ, उसने इफिसियों को लिखा: “और जैसा पवित्र लोगों के योग्य है, वैसा तुम में व्यभिचार, और किसी प्रकार अशुद्ध काम, या लोभ की चर्चा तक न हो।”—इफिसियों ५:३.
इसी प्रकार आज भी, यहोवा के गवाह स्त्रियों और पुरुषों को लालची प्रवृत्तियों पर प्रतिबन्ध लगाने की शिक्षा दे रहे हैं। समय आने पर ये भी बाहर जाकर दूसरों को ऐसे ईश्वरीय मार्गों के बारे में सिखाने के योग्य बनते हैं।
बाइबल सच्चाइयाँ कार्य में
लेकिन आप पूछ सकते हैं: ‘क्या असम्पूर्ण लोग, जिनमें लोभ बसा हुआ है, अपने व्यक्तित्व से सचमुच उसका उन्मूलन कर सकते हैं?’ जी हाँ, वे कर सकते हैं। अवश्य, परिपूर्ण रूप से नहीं, किन्तु उस हद तक जो काफ़ी उल्लेखनीय है। चलो, इसके एक उदाहरण पर ध्यान देते हैं।
स्पेन में एक पक्का चोर रहता था। उसका घर चोरी की गई वस्तुओं से भरा हुआ था। फिर उसने यहोवा के गवाहों के साथ बाइबल का अध्ययन आरम्भ किया। इसके परिणामस्वरूप, उसका अन्तःकरण उसे परेशान करने लगा, इसलिए उसने चोरी की गई वस्तुओं को उनके मालिकों को लौटा देने का निश्चय लिया। उसने अपने पुराने मालिक के पास जाकर क़बूल किया कि उसी ने उनकी एक नयी वॉशिंग मशीन की चोरी की थी। वह मालिक, उसकी बदली हुई मनोवृत्ति से इतना प्रभावित हुआ कि उन्होंने पुलिस को न बताने का निश्चय लिया, बल्कि उस भूतपूर्व चोर को उस वॉशिंग मशीन की क़ीमत चुकाने दिया।
इसके बाद, उस सुधरे हुए चोर ने यह निर्णय लिया कि वह उन सभों की भेंट करेगा, जिन्हें वह स्मरण कर सकता था, कि उसने उन से चोरी की थी, और चोरी की गयी वस्तुओं को लौटा देगा। जिन लोगों की उसने भेंट की, उन सभों ने आश्चर्य व्यक्त किया कि उसका बाइबल सिद्धान्तों का विनियोग करने से, उसकी मनोवृत्ति में इतना बड़ा परिवर्तन हुआ था।
अब एक वास्तविक समस्या उसके सामने आयी। उसके पास अब भी कुछ ऐसी वस्तुएँ थीं, जिनके मालिकों को वह जानता नहीं था। इसलिए, यहोवा से प्रार्थना करने के बाद, वह पुलिस मुख्यालय गया और कारों से चोरी की गई छः स्टीरियो रेडियो सौंप दिए। पुलिस आश्चर्यचकित हो गयी क्योंकि उनके पास उसका एक साफ़ प्रलेख था। उन्होंने निश्चय लिया कि उसे केवल एक जुर्माना देना चाहिए और जेल में एक छोटी क़ैद काटनी चाहिए।
इस भूतपूर्व चोर का अन्तःकरण अब साफ़ है, क्योंकि यहोवा के गवाहों की विश्व व्यापी मण्डली का भाग बनने के लिए उसने अपराध और लोभ की अपनी ज़िन्दगी का त्याग किया था।
ऐसे कई उदाहरण आसानी से दिए जा सकते हैं। यद्यपि अपने जीवन में ऐसे परिवर्तन लानेवाले लोग पृथ्वी के निवासियों में एक अल्पसंख्या है, यह बात कि बहुतों ने ऐसे किया है, भलाई की शक्ति को प्रदर्शित करता है जो बाइबल सिद्धान्तों को जानने और उसका विनियोग करने से आती है।
जैसे हर वर्ष बीतता है, अधिकाधिक लोग जीवन के इस मार्ग को स्वीकार करते हैं। सारी पृथ्वी पर, यहोवा के गवाहों का ६०,००० से अधिक मण्डलियों में बाइबल प्रशिक्षण दिया जा रहा है। गवाहों में आज यह अपेक्षा नहीं, कि वे आज जीनेवाले हज़ारों, लाखों लोगों में से लोभ का उन्मूलन करने के द्वारा, सम्पूर्ण विश्व को बदल सकेंगे। फिर भी, बाइबल भविष्यवाणी यह सूचित करती है कि अब जल्द ही विश्व भर में एक लोभ मुक्त जीवन-मार्ग सफ़ल होगा!
एक लोभ-मुक्त नई दुनिया
आनेवाली नई दुनिया में लोभ और स्वार्थता के लिए कोई जगह नहीं होगी। प्रेरित पतरस हमें आश्वासन देता है कि धार्मिकता केवल “नए स्वर्ग” का ही प्रमाण-चिह्न नहीं बल्कि “नई पृथ्वी” का भी प्रमाण चिह्न होगा। (२ पतरस ३:१३) लोभ भी उन “पहली बातों” में होगा जो बीमारी, दुःख और मृत्यु के साथ समाप्त हो चुकी होंगी।—प्रकाशितवाक्य २१:४.
इसलिए, अगर आप बढ़ते हुए लोभ और हमारी चारों ओर देखी जानेवाली स्वार्थी जीवन-चर्य्या से परेशान हैं, तो धीरज धरें! अभी से, उस आनेवाली नई दुनिया के लिए जीना आरम्भ करें जो जल्द ही एक वास्तविकता बन जाएगी। परमेश्वर की सहायता से, अपने खुद की ज़िन्दगी से लोभ का उन्मूलन करने की कोशिश करें। दूसरों को, मसीही जीवन-चर्य्या के द्वारा जिन लाभों का आनन्द उठाया जा सकता है, उन्हें समझने में सहायता देने के लिए साथ मिल जाएँ। यहोवा परमेश्वर की उस प्रतिज्ञा पर अपना विश्वास और भरोसा रखें कि जल्द ही लोभ उन कई अप्रिय बातों में से एक होगा ‘जो स्मरण न रहेंगी और सोच-विचार में भी न आएँगी।’—यशायाह ६५:१७.
[पेज 5 पर तसवीरें]
यीशु ने जीवन के एक ऐसे मार्ग के बारे में बताया जो लोभ नहीं, बल्कि निःस्वार्थता को बढ़ावा देता है
[पेज 7 पर तसवीरें]
जल्द ही—लोभ के बिना एक संसार