शुद्ध भाषा से उपासकों की एक बड़ी भीड़ एक कर दी जाती है
ईश्वर-प्रदत्त शुद्ध भाषा मसीही एकता के लिए एक प्रभाव है। उस बात का सबूत उन सब पर प्रकट था, जो मंगलवार, जुलाई २४ से लेकर शुक्रवार, जुलाई २७, १९९०, तक पश्चिम बर्लिन में आयोजित यहोवा के गवाहों के सम्मेलन में उपस्थित हुए थे, चूँकि वहाँ ६४ अलग-अलग देशों से गवाह मौजूद थे।
जब १९८९ की गरमी के मौसम में पोलैंड में “ईश्वरीय भक्ति” ज़िला सम्मेलन आयोजित किए गए थे, तब रूस और चेकोस्लोवाकिया से हज़ारों प्रतिनिधि आए थे, परन्तु पूर्वी जर्मनी से कुछ ही लोग मौजूद थे। उस समय से दुनिया की राजनीतिक स्थिति कितनी बदल चुकी है! इस बार, अनुमान के अनुसार, पूर्वी जर्मनी से ३०,००० प्रतिनिधि पश्चिम बर्लिन के ऑलिम्पिया स्टेडियम में उपस्थित गवाहों के साथ एकत्रित हुए। यह सम्मेलन उन सैंकड़ों सम्मेलनों के ही जैसा था जो दुनिया के दूसरे भागों में आयोजित किए गए थे, लेकिन जो आम तौर से गुरुवार से इतवार तक थे।
मंगलवार को सभापति ने अपने आरंभिक स्वागत संबोधन में, शुद्ध भाषा बोलने में प्रगति करने के लिए, १९१९ से लेकर यहोवा के गवाहों की मदद करने में सम्मेलनों ने जो भूमिका निभायी है, उसका वर्णन किया। उसी तरह यह सम्मेलन भी उपस्थित सभी लोगों को शुद्ध भाषा बोलने और अपनी ज़िन्दगी में उसका अनुप्रयोग करने की उनकी क्षमता में सुधार लाने की मदद करता। उन्होंने प्रतिनिधियों को याद दिलाया कि उनके बनाव-श्रृंगार और आचरण के ज़रिए, यहोवा के लोग उस प्रगति को प्रगट करते हैं जो उन्होंने शुद्ध भाषा बोलने में की है।
“देश-देश के लोगों के लिए एक शुद्ध भाषा”
उचित रूप से, मूलविचार संबोधन में ऊपरोक्त विषय विशिष्ट किया गया। यह सपन्याह ३:९ पर आधारित था, जहाँ परमेश्वर ने वादा किया है: “उस समय मैं देश-देश के लोगों से एक नयी और शुद्ध भाषा बुलवाऊँगा, कि वे सब के सब यहोवा से प्रार्थना करें, और एक मन से कन्धे से कन्धा मिलाए हुए उसकी सेवा करें।” शुद्ध भाषा में परमेश्वर और उनके उद्देश्यों के बारे में सच्चाई की एक उचित समझ और क़दर सम्मिलित है। सिर्फ़ यहोवा ही अपनी पवित्र आत्मा के द्वारा यह दे सकते हैं। सच्चाई के लिए प्रेम ही शुद्ध भाषा सीखने की प्रेरणा होनी चाहिए, जो कि हर प्रकार की नैतिक अशुद्धता से मुक्त है।
इसके अलावा, शुद्ध भाषा बोलना सिर्फ़ कुछेक शब्द इस्तेमाल करने की बात नहीं है। उलटा, हमारा जीवन-क्रम उन बातों से सहमत होना चाहिए जो हमारे मुँह से निकलती हैं। दरअसल, हमारे बोलने का ढंग, मुखीय भावाभिव्यक्ति, और इशारे भी महत्त्वपूर्ण हैं, इसलिए कि ये सब उस अवस्था को प्रतिबिंबित करते हैं, जो हम अन्दर से हैं। बढ़ती हुई शुद्ध भाषा से क़दम मिलाकर चलने के लिए, हमारा एक संगत अध्ययन कार्यक्रम होना चाहिए और हमें मण्डली की सभी सभाओं में नियमित रूप से उपस्थित रहना चाहिए।
शुद्ध भाषा सीखना
जैसे मंगलवार दोपहर के एक भाषण में बल दिया गया, शुद्ध भाषा सीखने का मतलब है “मौलिकताओं से प्रौढ़ता तक उन्नति करना।” उन्नति अत्यावश्यक है अगर हमें आध्यात्मिक रूप से बढ़ते रहना है। उसका मतलब है कि हमें आध्यात्मिक उन्नति के लिए सारे प्रबंधों का फ़ायदा लेना चाहिए और बाइबल सिद्धान्तों पर प्रतिदिन अमल करना चाहिए।
शुद्ध भाषा बोलने में निपुण होने के लिए, हमें “यहोवा द्वारा सिखलाया जाना” चाहिए, जो कि गुरुवार सुबह दी गयी एक विचारगोष्ठी का शीर्षक था। पहले वक्ता ने दिखाया कि यह किस तरह ‘यीशु के उदाहरण’ से दर्शाया गया था। यीशु यहोवा का सिखलाया हुआ था, यह उसकी बातों और कार्यों से ज़ाहिर था। इसीलिए उसने किस तरीक़े से सिखाया, उस में हम उसका अनुसरण करना चाहते हैं। और जैसे यीशु ने हमेशा ही अपने पिता की इच्छा का आज्ञापालन किया, वैसे हमें भी करना चाहिए।
अगले तीन वक्ताओं ने दिखाया कि किस रीति से यहोवा सभाओं और सम्मेलनों के ज़रिए सिखाते हैं। मण्डली की पाँचों सभाओं से हमें फ़ायदा होता है और हमें उन में से किसी एक की भी उपेक्षा नहीं करनी चाहिए। हर सभा हमारी आध्यात्मिक उन्नति के लिए अत्यावश्यक है। यहोवा हमें अपनी सर्किट सभाओं, ज़िला सम्मेलन, और ख़ास सभा दिन कार्यक्रमों के ज़रिए भी सिखाते हैं। इन सब से लाभ प्राप्त करने के लिए, हमें कान लगाकर सुनना चाहिए और फिर सीखी हुई बातों पर अमल करना चाहिए।
इस विचारगोष्ठी के बाद भाषण “वैयक्तिक अध्ययन के लिए परित्याग” था। इसके वास्ते समय ढूँढ निकालने के लिए, हमें इफिसियों ५:१५, १६ में दिए गए उपदेश की ओर ध्यान देना पड़ेगा कि कम महत्त्वपूर्ण कार्यों के लिए बिताए जानेवाले समय से वक़्त निकालें।
हमारा शुद्ध भाषा सीखने का एक तर्कसंगत लक्ष्य समर्पण और बपतिस्मा है। यह सच्चाई “शुद्ध भाषा सीखनेवालों का बपतिस्मा” भाषण में विशिष्ट की गयी। यह भाषा अनेक लोगों को समर्पण और बपतिस्मा की ओर ले जा रही है। बहरहाल, उसके बाद एक व्यक्ति को उत्साह से सुसमाचार प्रचार करने, नया व्यक्तित्व पहन लेने, और दुनिया से अलग रहने के द्वारा यीशु के दिए प्रतिमान पर चलते रहना चाहिए।
ठोस आध्यात्मिक आहार
भविष्यसूचक नाटकीय घटना चक्रों की पूर्ति पर आधारित ठोस आध्यात्मिक आहार पाकर सम्मेलन में उपस्थित होनेवाले लोग बहुत ही आनन्दित हुए। गुरुवार दोपहर में, दो भाषण यहेज़केल की भविष्यवाणी से लिए गए विषयों पर आधारित थे। पहले भाषण में, जिसका शीर्षक था “यहोवा का स्वर्गीय रथ गतिशील है,” बिजली की गति से चलनेवाले, एक अति-विशाल, शानदार, विस्मयकारी, स्वर्गीय वाहन का वर्णन किया गया। यह यहोवा के स्वर्गीय संघटन को चित्रित करता है, जिस पर परमेश्वर इस अर्थ से सवारी करते हैं, कि वह इसकी हर कार्रवाई को प्रेमपूर्ण रूप से निर्देशित करते हैं, और इसे अपने उद्देश्यों को पूरा करने के लिए इस्तेमाल करते हैं। यहेज़केल शेष आत्मा से अभिषिक्त जनों को चित्रित करता है, विशेषतः १९१९ से। ख़ासकर १९३५ से “बड़ी भीड़” उनके साथ मिल गयी है।—प्रकाशितवाक्य ७:९.
उसके बाद वाले भाषण का शीर्षक था “दृश्य संघटन के साथ क़दम मिलाकर चलो।” इस बात पर कोई सन्देह नहीं कि परमेश्वर का दृश्य संघटन उनके रथ-समान स्वर्गीय संघटन से क़दम मिलाकर चल रहा है। जैसे यहेज़केल ने किया, उसी तरह आज यहोवा के सेवकों को उदासीनता, उपहास, या विरोध के बावजूद, आज्ञाकारी रूप से अपने भविष्यसूचक नियत कार्य को पूरा करना पड़ता है। क़दम मिलाकर चलने से इस वक़्त अनेक आशीर्वाद मिलेंगे, और परमेश्वर की जल्द-निकट आनेवाली नयी दुनिया में अनन्त जीवन प्राप्त होगा।
शुक्रवार सुबह, यशायाह के अध्याय २८ पर आधारित तीन भाषणों के ज़रिए भी ठोस आध्यात्मिक आहार दिया गया। इन के पहले भाषण में ज़ोरदार शब्दों में दिखाया गया कि प्राचीन इस्राएल और यहूदा के आत्मिक पियक्कड ईसाईजगत् के आत्मिक पियक्कडों को चित्रित करते थे। और जिस तरह पूर्वोक्त लोगों ने यहोवा के प्रतिकूल न्यायदण्ड का अनुभव किया, उसी तरह ईसाईजगत् के पियक्कड भी करेंगे।
इसके बाद आनेवाले भाषण में, जिसका शीर्षक था “उनका शरण—एक झूठ है!,” एक सख़्त चेतावनी दी गयी: जिस तरह प्राचीन यहूदा का मिस्र पर भरोसा रखना एक बेकार शरण साबित हुआ, उसी तरह हमारे समय की राजनीतिक सत्ताओं के साथ ईसाईजगत् की सन्धि भी व्यर्थ साबित होगी। यशायाह, अध्याय २८ पर आधारित तीसरा भाषण, “यहोवा के अनोखे कार्य की चेतावनी देते रहो,” परमेश्वर के लोगों की ओर निर्दिष्ट था। यहोवा ईसाईजगत् के साथ जो करेंगे, उसे सही-सही अनोखा कहा जा सकता है, इसलिए कि यह उसके लिए एक संपूर्णतया अप्रत्याशित घटना होगी। आज, यहोवा अभिषिक्त मसीहियों की एक छोटी टोली और ‘अन्य भेड़ों’ की महिमा का मुकुट हैं। (यूहन्ना १०:१६) वक्ता ने इन उत्तेजक शब्दों से समाप्त किया: “ऐसा हो कि हमारा उत्साह, दृढ़निश्चय, और वफ़ादारी हमारे परमेश्वर, यहोवा के अनन्त स्तुति में सहायक हो!”
शुद्ध भाषा बोलने का मतलब है भाइयों-जैसा प्रेम दिखाना
बुधवार दोपहर को सम्मेलन में उपस्थित होनेवालों के मन में यह बात बैठा दी गयी कि शुद्ध भाषा बोलने का अर्थ यह भी है कि हम “अनाथों और विधवाओं के क्लेश में उनकी सुधि लें।” बिन बाप के बच्चों को व्यक्तिगत प्रशिक्षण देकर उनकी मदद की जा सकती है। विधवाओं के साथ प्रोत्साहित करनेवाली कृपालु बातें करने के द्वारा, अपनी मसीही गतिविधियों और पार्टियों में उन्हें शामिल करने के द्वारा, और अगर वे योग्य हैं और सचमुच ज़रूरतमंद हैं, तो उन्हें भौतिक रूप से सहायता देने के द्वारा हम उनके प्रति लिहाज़ दिखा सकते हैं। ये बातें किस तरह की जानी चाहिए, यह कुछेक भेंटवार्ताओं के द्वारा दिखाया गया।
गुरुवार दोपहर को, एक और मर्मस्पर्शी भाषण में दिखाया गया “कैसे मसीही एक दूसरे की चिन्ता करते हैं।” यहोवा के गवाहों ने एक दूसरे की चिन्ता करने में एक बढ़िया रिकार्ड क़ायम किया है, ख़ास तौर से जब आँधी और भूकंप जैसी विपत्तियाँ टूट पड़ती हैं, जब अधिकारियों को लिखने की ज़रूरत होती है, या जब कोई स्थानीय आवश्यकताएँ उत्पन्न होती हैं। लेकिन जब मानवीय अपरिपूर्णता की वजह से कठिनाइयाँ उत्पन्न होती हैं, तो हमें मत्ती ५:२३, २४ और १८:१५-१७ में यीशु के उपदेश में संबद्ध सिद्धान्तों पर अमल करना चाहिए। ख़ास तौर से जब भाइयों के बीच व्यापार के प्रबंध किए जाते हैं, तब परस्पर आदर दिखाने और सावधानी बरतने की ज़रूरत है ताकि न मालिक और ना ही नौकर आध्यात्मिक रिश्ते का स्वार्थी फ़ायदा उठाए।
शुद्ध भाषा बोलने का मतलब है अपने आचरण में सावधानी बरतना
अपने आचरण के विषय में सावधानी बरतने की आवश्यकता पर बार-बार ज़ोर दिया गया। इस प्रकार, मंगलवार दोपहर के पहले वक्ता ने “परमेश्वर के वचन को सुनना और उसको मानना,” इस विषय पर बात की। उसने दिखाया कि हमारा सम्मेलनों में आने के दो कारण थे: यथार्थ ज्ञान लेना और उस ज्ञान पर अमल करने के लिए प्रेरित होना।
बुधवार सुबह के पहले भाषण में एक मर्मभेदी सवाल पूछा गया “मसीह ने ‘अधर्म से बैर’ रखा—क्या आप भी करते हैं?” धार्मिकता से प्रेम रखना ही काफ़ी नहीं है। हमें अधर्म से भी बैर रखना चाहिए ताकि हम एक अच्छे अन्तःकरण के मालिक हो सकें, यहोवा के साथ एक अच्छा संबंध बनाए रख सकें, उनके नाम पर निन्दा लाने से, और अधर्म के फल—दुराचरण और मौत—काटने से बचे रह सकें।
अगला भाषण उस विषय से निकट रूप से संबंधित था, और इसका शीर्षक था “संसारी कल्पनाओं को त्याग दो, राज्य वास्तविकताओं का पीछा करो।” शैतान, हव्वा, और गिरे हुए स्वर्गदूत, सभी ने कल्पनाओं का पीछा किया और उसी से उनकी तबाही हुई। संसारी कल्पनाओं के परिणामस्वरूप, जिनमें भौतिकवादी सपने शामिल हैं या वे सपने, जो नाजायज़ प्रेम-संबंधों से संबंधित हैं, अगर घोर अपराध न हुआ तो कम से कम निराशा तो उत्पन्न होती ही है। इन कल्पनाओं को प्रभावहीन कर देने के लिए, हमें अध्ययन, प्रार्थना, सभाओं में उपस्थिति, और क्षेत्र सेवकाई के ज़रिए राज्य की वास्तविकताओं का पीछा करना पड़ेगा।
सीधी मसीही ज़िन्दगी बिताने के लिए, हमें बुधवार दोपहर को “मसीही—अपने वित्तीय साधन के अन्दर जीवन व्यतीत करें,” इस शीर्षक के भाषण में दिए गए उपदेश की ओर भी ध्यान देना होगा। इस तरह करना चूक जाने से निश्चय ही दोनों शारीरिक और आध्यात्मिक रूप से हानिकारक परिणाम होंगे। अक्लमन्दी का रास्ता यही है कि निरर्थक कर्ज़ में न पड़ने के द्वारा तथा एक यथार्थवादी बजट बनाने और फिर उससे लगा रहने के द्वारा हम अपनी स्वार्थी लालसाओं पर क़ाबू रख सकते हैं। हमें हर समय ईश्वरीय भक्ति विकसित करनी चाहिए। आत्म-निर्भरता के साथ-साथ, यह बड़े लाभ का ज़रिया है।—१ तीमुथियुस ६:६-८.
हमारी संगति में सावधानी बरतने का महत्त्व मंगलवार के भाषण “क्या आप के मित्र यहोवा के मित्र हैं?” में विशिष्ट किया गया। हमारे दोस्त ऐसे मसीही होने चाहिए जिन्होंने मसीह-जैसा व्यक्तित्व पहन लिया है और जो प्रचार कार्य में उत्साही हैं। संसारी परिचित व्यक्ति परमेश्वर के मित्र नहीं हैं, और हम अपने आप को हानि पहुँचाए बग़ैर उनके साथ मैत्री नहीं कर सकते। मण्डली में भी, अगर हमारी संगति को सचमुच ही हमारी उन्नति के लिए होना है, तो हमें चयनात्मक होना चाहिए।
आधुनिक समय के नाटक में सजीव रूप से आचरण से संबंधित ऊपरोक्त सलाह पर ज़ोर दिया गया। इसका शीर्षक था “शैतान की धूर्त युक्तियों का सामना करना।”
परिवारों के लिए शुद्ध भाषा में सलाह
बुधवार के भाषण “माता-पिताओं—अपने कर्तव्यों का पालन करो!” की बहुत ही ज़रूरत थी। माता-पिताओं को खुद परमेश्वर की इच्छा जाननी चाहिए और यथाशक्ति उसके अनुसार करते रहना चाहिए। उन्हें परमेश्वर का वचन अपने बच्चों के मन में भी बैठा देना चाहिए। इसके अलावा, बच्चों को मसीही सभाओं में और क्षेत्र सेवकाई में साथ ले जाना ही काफ़ी नहीं। उन्हें यहोवा से प्रेम करने और ईश्वरीय बातों के अनुसार करने की प्रयोगात्मक अक्लमन्दी समझने के लिए सिखाया जाना चाहिए।
इसके बाद “हमारे दिन में परिवार,” इस विषय पर एक विचारगोष्ठी हुई। पहले वक्ता ने दिखाया कि परमेश्वर ने परिवार को बनाया। पिताओं को आध्यात्मिक बातों से संबंधित विचारों को अच्छी तरह से बताना चाहिए। माताओं को अच्छी गृहणी, और बच्चों को अपने माता-पिताओं को सहयोग देकर यहोवा के लिए आदर दिखाना चाहिए।
अगले वक्ता ने दिखाया कि परिवार “विरोधियों के द्वारा आक्रमण” का सामना कर रहा है। आर्थिक दबावों से लोगों को हानि पहुँचायी जा रही है। नौकरी के स्थल पर ग़लत काम करने के प्रलोभन बहुत हैं, और जनसंचार माध्यम की प्रस्तुतियाँ हिंसा, नाजायज़ काम-भावना, और भौतिकवाद के आकर्षणों से सराबोर हैं। शिक्षण को यथासमय शुरु किया जाना चाहिए, और सांसारिक प्रभावों को अभिभूत करने के लिए बहुत अधिक परिश्रमिता की ज़रूरत है। वॉच टावर सोसाइटी द्वारा दिए गए ईश्वरशासित साधन का अच्छा प्रयोग किया जाना चाहिए।
अगले भाषण में, जो परिवार के ‘नए संसार में सुरक्षित पहुँचने’ के बारे में था, माता-पिताओं की गंभीर ज़िम्मेदारी पर और अधिक ज़ोर दिया गया। बच्चों का प्रशिक्षण सबसे अधिक उत्सुकता से किया जाना चाहिए। बच्चों के दिलों तक पहुँचने के उद्देश्य से, पारिवारिक बाइबल अध्ययनों के संबंध में, और क्या-क्या पढ़ना चाहिए, इसके बारे में बढ़िया सलाह दी गयी। सिर्फ़ तभी माता-पिता और बच्चें, एक परिवार के रूप में नए संसार में प्रवेश करने के लिए सुरक्षित रखे जाने की आशा कर सकते हैं।
“विभाजित परिवारों में समस्याओं का सामना करना,” इस भाषण में एक ऐसी पारिवारिक स्थिति के लिए, जिस में अनेक गवाह अपने आप को पाते हैं, उत्तम सलाह दी गयी। ऐसी परिस्थितियों में जीनेवाले लोगों को सलाह दी गयी कि वे कभी यह आशा करना छोड़ न दें कि अविश्वासी साथी किसी दिन शायद विश्वासी बन जाएगा। अविश्वासी साथी के साथ समय बिताइए और यह निश्चित कर लीजिए कि आप वह सब कर रही हैं जो एक मसीही साथी से आवश्यक होता है। आपको प्राचीनों से या शायद विभाजित घरों में रहनेवाले अन्य लोगों से मदद मिल सकती है।
दूसरों को शुद्ध भाषा बताना
बिल्कुल ही उचित रूप से, हमारा दूसरों को शुद्ध भाषा सिखाने के मौक़ों का फ़ायदा उठाने पर बहुत ध्यान दिया गया। इस प्रकार, बुधवार सुबह को सम्मेलन में उपस्थित होनेवालों ने “अपना क़ीमती समय बुद्धिमानी से उपयोग करें,” भाषण सुना। ऐसा करने के लिए हमें मत्ती ६:३३ के अनुरूप प्राथमिकताओं को निर्धारित करना चाहिए, जहाँ कहा गया है: “इसलिए, पहले तुम उसके राज्य और धर्म की खोज करते रहो।” इस में वैयक्तिक बाइबल अध्ययन, सभी सभाओं में उपस्थित होना, और क्षेत्र सेवकाई में नियमित होना सम्मिलित है। इस से आवश्यक होता है कि हम कम महत्त्वपूर्ण, किन्तु मनोरंजक गतिविधियों में से समय निकाल लें। यह दिखाने के लिए कि कुछ लोग ऐसा किस तरह कर रहे हैं, अनेक मुलाक़ातें ली गयीं।
हमें कभी भूलना नहीं चाहिए कि हम यहोवा के गवाह हैं। गुरुवार दोपहर को, “हर अवसर पर शुद्ध भाषा बोलते रहो,” विषय के अंतर्गत कई प्रदर्शनों के द्वारा इस बात पर ज़ोर दिया गया। इन प्रदर्शनों में दिखाया गया कि यह सड़क पर किए गए प्रचार कार्य में, अनौपचारिक गवाही देने में, और टेलीफोन के प्रयोग से किस तरह किया जा सकता है। यहोवा परमेश्वर और हमारे पड़ोसी के लिए निस्स्वार्थ प्रेम हमें हर अवसर पर शुद्ध भाषा बोलने के लिए प्रेरित करेगा।
अगला प्रस्तुतिकरण इस विषय से निकट रूप से संबंधित था, “मुँह न मोड़नेवालों की आशिषें।” यहोवा के गवाहों का विश्वव्यापी शिक्षण देनेवाला संघटन उल्लेखनीय रूप से ईसाईजगत् से विपरित खड़ा है। वैयक्तिक रूप से, हमें सभी दबावों का प्रतिरोध करना चाहिए, जैसे कि सरकारी विरोध, व्यापक उदासीनता, और आर्थिक समसयाएँ। रीज़निंग फ्रॉम द स्क्रिप्चर्स किताब पर आधारित प्रदर्शनों में दिखाया गया कि इन दबावों को किस तरह अभिभूत किया जा सकता है।
परमेश्वर की इच्छा जोश से पूरी करना बाइबल नाटक में भी उत्साही प्रचार करना प्रोत्साहित किया गया था। इस में दिखाया गया कि यहोवा के नाम के लिए येहू कितना उत्साही था और हमारे लिए यह कितना महत्त्वपूर्ण है कि हम परमेश्वर के कार्य के लिए समान साहस और उत्साह प्रदर्शित करें।
सम्मेलन प्रकाशन
सम्मेलन के दौरान अँग्रेज़ी और जर्मन भाषाओं में दो विशिष्ट प्रकाशन दिए गए। पहले प्रकाशन का परिचय इस भाषण के संबंध में दिया गया, जिसका शीर्षक था “लहू से अपने जीवन को बचाना—कैसे?” वक्ता ने पहले रक्त-आधान से संबद्ध ख़तरों के बारे में बताया। खून की हानि की पूर्ति करने के लिए खून के अलावा अन्य कई विकल्प हैं। लेकिन यहोवा के गवाह खून से परहेज़ इसलिए नहीं करते कि यह अस्वास्थ्यकर है परन्तु इसलिए करते हैं कि यह अपवित्र है। वे परहेज़ इसलिए नहीं करते कि खून शायद दूषित होगा, लेकिन इसलिए कि यह परमेश्वर की नज़रों में क़ीमती है। वह एकमात्र खून जो सचमुच ही जीवन-रक्षक है, यीशु का छुड़ाई देनेवाला खून है। समाप्ति में वक्ता ने ३२-पृष्ठ का ब्रोशर आपके जीवन को लहू कैसे बचा सकता है? को प्रदर्शित करके अपने सभी सुननेवालों को आनन्दित किया।
दूसरा मूल्यवान् प्रकाशन इस भाषण के संबंध में दिया गया, “हे लोगों, यहोवा की खोज करो।” सामान्यतया, लोग परमेश्वर की खोज में नहीं हैं। कई विभिन्न धर्मों का अस्तित्व इस बात को दर्शाता है कि परमेश्वर के लिए मनुष्यजाति की खोज अपनिदेशित रही है, इसलिए कि उस ने परमेश्वर के वचन को नज़रंदाज़ किया है। जैसे हमारे हर साल के स्मरण समारोह की रिपोर्टों से देखा गया है, करोड़ों लोगों को यहोवा की तरफ़ अपना पक्ष लेने की मदद करना ज़रूरी है। यशायाह ५५:६, ७ में दिखाया गया है कि यहोवा सचमुच ही एक प्रेमपूर्ण और कृपालु परमेश्वर हैं, जो “पूरी रीति से . . . क्षमा” करने के लिए तैयार हैं। उनके गवाह होने के नाते, हमें शुद्ध भाषा दी गयी है ताकि हम दूसरों को हमारे साथ कन्धे से कन्धा मिलाकर यहोवा की सेवा करने के लिए मदद कर सकें।
आज, पूरे जनसमुदायों के निवास-परिवर्तन के कारण यहोवा के लोगों के सम्मुख एक चुनौती है। इसके परिणामस्वरूप, हमारे क्षेत्र में रहनेवाले लोग हर तरह के धर्मों में मानते होंगे। इस उद्देश्य से कि हम हिन्दु, बौद्ध, शिन्टो, और अन्य कई धर्मों में माननेवाले लोगों की मदद कर सकें, सोसाइटी ने एक बढ़िया ३८४-पृष्ठ की किताब मॅनकाईंडस् सर्च फ़ॉर गॉड तैयार करके दिया है। इस में ईसाईजगत् के बाहर के मुख्य धर्मों के बुनियादी उपदेशों को अधिकारपूर्वक पेश किया गया है। लेकिन इस में ईसाईजगत् के अन्दर झूठे धर्म के इतिहास की जाँच भी की गयी है। यह किताब कई विभिन्न धर्मों में माननेवाले लोगों के साथ बाइबल अध्ययन शुरू करने का रास्ता खोल सकता है।
आम भाषण और समाप्ति की टिप्पणी
शुक्रवार के आम भाषण का शीर्षक था, “शुद्ध भाषा के ज़रिए एक बनो।” वक्ता ने दिखाया कि हालाँकि अब तीन हज़ार अलग-अलग भाषाएँ एकता के रास्ते में बाधाओं के रूप में काम करती हैं, फिर भी शुद्ध भाषा एक कर देनेवाली प्रभावशाली शक्ति है। इस ने यहोवा के गवाहों को बाबेलोनी ग़लतियों से सुरक्षित रखा है, उन्हें जीवन और लहू की पवित्रता के लिए आदर सिखाया है, और उन्हें बाइबल सिद्धान्तों के अनुरूप जीने की मदद की है, जिन से वे आध्यात्मिक और शारीरिक रूप से लाभ प्राप्त करते हैं। हर किसी को शुद्ध भाषा सीखने और बोलने में संलग्न होना चाहिए, इसलिए कि सिर्फ़ वही लोग जो ऐसा करते हैं, आरमागेडोन से बच निकलेंगे। सपन्याह २:१-३ में दी गयी सलाह पर अमल करने के लिए अब और देर नहीं की जा सकती।
“प्रार्थना के लिए सचेत” रहने की आवश्यकता पर कुछ उत्तम धर्मशास्त्रीय सलाह के बाद, “शुद्ध भाषा के अनुरूप चलना,” इस विषय पर आख़री टिप्पणी दी गयी। इस समय शुद्ध भाषा के अनुरूप चलनेवालों की संख्या सचमुच ही बढ़ती जा रही है। और इन सम्मेलनों में उपस्थित होनेवालों ने अपने साफ़-सुथरेपन, क्रमबद्धता और संघटनात्मक सुव्यवस्था से शुद्ध भाषा के लिए आदर दर्शाया। नव-मुद्रित प्रकाशनों से यहोवा के सभी गवाहों को अधिक प्रभावकारी रूप से शुद्ध भाषा फैलाने में मदद होगी।
सम्मेलन के आख़री वक्ता ने हर किसी को धीरज धरने की ज़रूरत के बारे में याद दिलाया। उन्होंने सूचित किया कि इस सम्मेलन के परिणामस्वरूप, हर एक को आगे बढ़ने के लिए अपने दृढ़-निश्चय में शक्तिशाली बनना चाहिए। फिर उन्होंने इन शब्दों से समाप्त किया: “हम परमेश्वर-प्रदत्त शुद्ध भाषा के अनुरूप चलते रहें ताकि हम अपने स्वर्ग के प्रेममय पिता, यहोवा परमेश्वर की स्तुति अब और अनन्तकाल तक कर सकें!”
[पेज 22, 23 पर तसवीरें]
१. ऑलिम्पिया स्टेडियम, पश्चिम बर्लिन
२. सम्मेलन का मुद्रित कार्यक्रम
३. दो सौ बसों में पूर्वी जर्मनी के सम्मेलन प्रतिनिधियों को लाया गया
४. मुद्रित प्रकाशन प्राप्त होने पर पोलैंड के प्रतिनिधि खुश हुए
५. फूलों की सजावट से सम्मेलन-स्थल सुंदर लग रहा था
६. पश्चिम बर्लिन के कार्यक्रम में भाषण देते हुए शासी वर्ग के एक सदस्य, ए. डी. शोडर
[पेज 24 पर बक्स]
पश्चिम बर्लिन की शिखर उपस्थिति ४४,५३२ थी और १,०१८ लोगों ने बपतिस्मा लिया। ऑलिम्पिया स्टेडियम से निकलने के लिए बपतिस्मा लेनेवालों को १९ मिनट लग गए, और इस दौरान तालियाँ सतत बजती रहीं। अँग्रेज़ी बोलनेवाले प्रतिनिधियों के बैठने का एक ख़ास भाग था। इन में से क़रीब ६,००० लोगों ने संपूर्ण कार्यक्रम अपनी ही भाषा में सुना। इस सम्मेलन में, पोलैंड से ४,५०० लोग भी आए थे; दोपहर के दो घंटों में, शासी वर्ग के सदस्यों ने उनके फ़ायदे के लिए संक्षिप्त भाषण दिए।