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  • विधर्मी परम्पराओं का विरोध कीजिए!
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
w95 8/15 पेज 28-30

विधर्मी परम्पराओं का विरोध कीजिए!

“सत्य तुम्हें स्वतंत्र करेगा,” यीशु मसीह ने कहा। (यूहन्‍ना ८:३२) जी हाँ, मसीहियत लोगों को स्वतंत्र करती है—अंधविश्‍वासों के दासत्व से स्वतंत्र, झूठे धर्म-सिद्धान्तों और आशाओं में विश्‍वास से स्वतंत्र, अपभ्रष्ट अभ्यासों के दासत्व से स्वतंत्र।

लेकिन, जैसे प्राचीन समय में था, मसीही आज अकसर पिछली परम्पराओं को फिर से मानने के दबाव का सामना करते हैं। (गलतियों ४:९, १०) ऐसा नहीं कि सभी प्रचलित रिवाज़ हानिकारक हैं। असल में, एक मसीही शायद ऐसे स्थानीय रिवाज़ों को मानने का चुनाव करे जो हितकर और लाभकारी हैं। लेकिन जब रिवाज़ परमेश्‍वर के वचन के विरुद्ध होते हैं, मसीही समझौता नहीं करते। इस तरह यहोवा के साक्षी क्रिसमस के उत्सव, जन्मदिन और परमेश्‍वर के वचन के विरुद्ध अन्य रिवाज़ों में भाग लेने से इनकार करने के लिए सुप्रसिद्ध हैं।

इस साहसी स्थिति का परिणाम अकसर परिचितों, पड़ोसियों और अविश्‍वासी सगे-सम्बन्धियों से बहुत उपहास और विरोध हुआ है। ऐसा विशेषकर कुछ अफ्रीकी देशों में हुआ है, जहाँ अंत्येष्टि, शादी-ब्याह और जन्म के समय पर विभिन्‍न प्रकार की परम्पराओं का सामान्य रूप से पालन किया जाता है। अनुरूप होने का दबाव अत्यन्त तीव्र हो सकता है—जिनमें अकसर धमकियाँ और हिंसा के कार्य शामिल होते हैं। वहाँ मसीही कैसे दृढ़ रह सकते हैं? क्या समझौता किए बिना मुक़ाबले से दूर रहना संभव है? जवाब में, आइए जाँचें कि वफ़ादार मसीहियों ने कुछ ग़ैर-शास्त्रीय परम्पराओं के सम्बन्ध में कैसे व्यवहार किया है।

अंधविश्‍वासी अंत्येष्टि रिवाज़

दक्षिणी अफ्रीका में अंत्येष्टि और दफ़न से सम्बन्धित अनेक परम्पराएँ हैं। शोकित जन सामान्य रूप से पूरी रात—या अनेक रातें—मातम मनानेवाले घर में बिताते हैं जहाँ निरन्तर आग को जलाकर रखा जाता है। जब तक दफ़न-क्रिया पूरी न हो, तब तक शोकित जनों को पकाने, बाल कटवाने, या नहाने तक की मनाही होती है। उसके बाद, उन्हें जड़ी-बूटियों के ख़ास मिश्रण से नहाना होता है। क्या ऐसे रिवाज़ मसीहियों के लिए स्वीकार्य हैं? नहीं। वे सभी प्राण के अमरत्व में विश्‍वास और मृत लोगों का अहितकर भय व्यक्‍त करते हैं।

सभोपदेशक ९:५ कहता है: “जीवते तो इतना जानते हैं कि वे मरेंगे, परन्तु मरे हुए कुछ भी नहीं जानते।” इस सत्य को जानना एक व्यक्‍ति को ‘मृत लोगों की आत्माओं’ का भय होने से स्वतंत्र करता है। लेकिन एक मसीही को क्या करना चाहिए जब नेकनीयत रिश्‍तेदार माँग करते हैं कि वह ऐसी धर्म-विधियों में हिस्सा ले?

जेन नामक एक अफ्रीकी साक्षी के अनुभव पर विचार कीजिए, जिसके पिता की मृत्यु हुई। अंत्येष्टिवाले घर में पहुँचने पर, उससे तुरन्त कहा गया कि उसे और बाक़ी के परिवार को शव के चारों ओर रात भर नाचना था ताकि मृत जन की आत्मा को शान्ति पहुँचे। “मैं ने उनसे कहा कि यहोवा की एक साक्षी होने के नाते, मैं ऐसे अभ्यासों में शामिल नहीं हो सकती,” जेन कहती है। “लेकिन, दफ़न के दूसरे दिन, बुज़ुर्ग रिश्‍तेदारों ने कहा कि मृत जन की आत्मा से अतिरिक्‍त सुरक्षा के लिए वे शोकित परिवार के सदस्यों को नहलाने वाले थे। मैं ने फिर हिस्सा लेने से इनकार किया। उसी समय, माँ को एक मकान में अलग रखा गया था। कोई भी जो उसे देखना चाहता था उसे इस उद्देश्‍य के लिए बनायी गयी शराब को पहले पीना पड़ता था।

“मैं ने इन बातों में से किसी में भी शामिल होने से इनकार किया। इसके बजाय मैं कुछ भोजन तैयार करने के लिए घर गयी, जिसे मैं उस मकान में ले गयी जहाँ माँ रह रही थीं। इससे मेरा परिवार सचमुच निराश हुआ। मेरे रिश्‍तेदारों ने सोचा कि मैं सामान्य नहीं थी।” इससे ज़्यादा, वे उसकी खिल्ली उड़ाने लगे और उसे श्राप देने लगे, उन्होंने कहा: “क्योंकि तुमने अपने धर्म के कारण हमारी परम्परा को ठुकराया है, तुम्हें तुम्हारे पिता की आत्मा सताएगी। असल में, तुम्हें शायद बच्चे भी पैदा न हों।” तब भी, जेन डरी नहीं। इसका परिणाम? वह कहती है: “उस समय मेरे दो बच्चे थे। अब छः हैं! इस बात ने उन लोगों को लज्जित किया है जिन्होंने यह कहा कि मैं फिर कभी बच्चे पैदा नहीं कर पाऊँगी।”

लैंगिक “शुद्धीकरण”

एक और रिवाज़ में व्यक्‍ति के विवाह-साथी की मृत्यु के बाद आनुष्ठानिक शुद्धीकरण शामिल है। अगर एक पत्नी की मौत होती है, तो उसका परिवार विधुर के पास उसकी साली या किसी अन्य स्त्री को ले आता है जो उसकी मृत पत्नी की निकट-सम्बन्धी है। वह उस स्त्री के साथ मैथुन करने के लिए बाध्य होता है। उसके बाद ही वह जिससे चाहता है उससे विवाह कर सकता है। वही बात होती है जब एक स्त्री के पति की मौत होती है। ऐसा माना जाता है कि इस अभ्यास से जीवित साथी मृत साथी की “आत्मा” से शुद्ध हो जाता है।

कोई भी जो इस “शुद्धीकरण” से इनकार करता है वह अपने रिश्‍तेदारों के क्रोध का ख़तरा मोल लेता है। उस व्यक्‍ति को शायद अकेला छोड़ दिया जाए और उसकी खिल्ली उड़ायी जाए और उसे श्राप दिए जाएँ। फिर भी, मसीही इस रिवाज़ को पालन करने से इनकार करते हैं। वे जानते हैं कि किसी प्रकार के “शुद्धीकरण” के विपरीत, विवाह से बाहर मैथुन परमेश्‍वर की नज़रों में मलीनता है। (१ कुरिन्थियों ६:१८-२०) इसके अतिरिक्‍त, मसीहियों को “केवल प्रभु में” विवाह करना है।—१ कुरिन्थियों ७:३९.

ज़ाम्बिया की वायलट नामक एक मसीही स्त्री के पति की मृत्यु हो गयी। उसके बाद, रिश्‍तेदार उसके पास एक पुरुष को ले आए, और यह हठ किया कि वह उसके साथ लैंगिक सम्बन्ध रखे। वायलट ने इनकार किया, और सज़ा के तौर पर उसे सार्वजनिक कूएँ से पानी भरने से रोक दिया गया। उसे यह भी चेतावनी दी गयी कि वह मुख्य मार्ग पर न चले, नहीं तो उस पर विपत्ति आएगी। लेकिन, वह रिश्‍तेदारों से या साथी गाँववालों से भयभीत नहीं हुई।

बाद में वायलट को स्थानीय अदालत में बुलाया गया। वहाँ उसने अटल रूप से अनुचित मैथुन में भाग लेने से इनकार करने के लिए अपने शास्त्रीय कारण समझाए। अदालत ने उसके पक्ष में फ़ैसला सुनाया, और कहा कि वह उसे ऐसे स्थानीय रिवाज़ों और परम्पराओं को पालन करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती जो उसके विश्‍वासों के विरुद्ध थे। दिलचस्पी की बात है, समझौता करने के लिए उसके दृढ़ इनकार ने, गाँव में अन्य साक्षियों पर दबाव को कम किया जिन्होंने बाद में उसी समस्या का सामना किया।

मॉनिका नामक एक अफ्रीकी साक्षी ने समान दबाव को सहन किया जब उसके पति की मृत्यु हुई। उस पुरुष के परिवार ने उसे एक और पति देने का हठ किया। मॉनिका कहती है: “१ कुरिन्थियों ७:३९ की आज्ञा को मानने के लिए दृढ़संकल्प, मैं ने इनकार कर दिया।” लेकिन दबाव थमा नहीं। “उन्होंने मुझे धमकाया,” मॉनिका याद करती है। “उन्होंने कहा: ‘अगर तुमने इनकार किया, तो फिर कभी तुम्हारी शादी नहीं होगी।’ उन्होंने यह भी दावा किया कि गुप्त रूप से मेरे कुछ संगी मसीही भी इस तरीक़े से आनुष्ठानिक रीति से शुद्ध हुए थे।” फिर भी, मॉनिका दृढ़ रही। “मैं दो साल तक अविवाहित रही, उसके बाद मैं ने मसीही तरीक़े से पुनर्विवाह किया,” वह कहती है। मॉनिका अब एक नियमित पायनियर के तौर पर सेवा करती है।

गर्भ गिरना और मृत प्रसव

दक्षिणी अफ्रीका में मसीहियों को, गर्भ गिरने और मृत प्रसव से सम्बन्धित रिवाज़ों से भी निपटना पड़ता है। ऐसी दुःखद घटनाएँ मानव अपरिपूर्णता का परिणाम हैं—ईश्‍वरीय दण्ड का नहीं। (रोमियों ३:२३) लेकिन अगर एक स्त्री का गर्भ गिर जाता है, तो कुछ अफ्रीकी परम्पराएँ माँग करती हैं कि कुछ समय तक उसके साथ एक अछूत जैसा व्यवहार किया जाए।

इसलिए, एक स्त्री जिसका हाल ही में गर्भ गिर गया था, एक साक्षी को अपने घर की ओर आते देखकर चकित हो गयी। जैसे ही वह क़रीब आया, उस स्त्री ने ऊँची आवाज़ में उससे कहा: “यहाँ मत आइए! हमारे रिवाज़ के अनुसार, ऐसा माना जाता है कि एक स्त्री जिसका हाल ही में गर्भ गिरा है उससे भेंट नहीं की जानी चाहिए।” लेकिन, उस साक्षी ने उसे बताया कि यहोवा के साक्षी सब प्रकार के लोगों के पास बाइबल का संदेश ले जाते हैं और कि वे गर्भ गिरने के सम्बन्ध में स्थानीय रिवाज़ों का पालन नहीं करते। उसके बाद उसने उस स्त्री को यशायह ६५:२०, २३ पढ़कर सुनाया, और समझाया कि परमेश्‍वर के राज्य के अधीन गर्भ का गिरना और मृत प्रसव नहीं होंगे। इसके परिणामस्वरूप, उस स्त्री ने गृह बाइबल अध्ययन स्वीकार किया।

मृत पैदा होनेवाले शिशुओं के दफ़न के साथ भी अंधविश्‍वासी रिवाज़ हो सकते हैं। जब जोसफ़ नामक एक साक्षी ऐसे एक दफ़न में उपस्थित हुआ, तो उसे कहा गया कि सभी उपस्थित जनों को कुछ जड़ी-बूटियों से अपने हाथ धोने थे और अपनी छाती पर उस दवा को मलना था। कहा गया कि यह उस बालक की “आत्मा” को वापस आने से और उन पर हानि लाने से रोकेगा। बाइबल की शिक्षा जानते हुए कि मृत जीवितों की हानि नहीं कर सकते, जोसफ़ ने आदरपूर्वक इनकार किया। तब भी, कुछ लोगों ने दवा लगाने के लिए उस पर दबाव डालने की कोशिश की। जोसफ़ ने फिर इनकार किया। इस मसीही की निडर स्थिति देखकर, उपस्थित अन्य लोगों ने भी जड़ी-बूटियाँ लेने से इनकार किया।

मुक़ाबले से दूर, लेकिन दृढ़ रहिए

जीवित लोगों का डर और बिरादरी से बाहर निकाल दिए जाने का भय समझौते के लिए शक्‍तिशाली कारण हो सकते हैं। नीतिवचन २९:२५ कहता है: “मनुष्य का भय खाना फन्दा हो जाता है।” यहाँ दिए गए अनुभव इस आयत के दूसरे भाग की सच्चाई प्रदर्शित करते हैं: “परन्तु जो यहोवा पर भरोसा रखता है वह ऊंचे स्थान पर चढ़ाया जाता है।”

तथापि, अकसर मुक़ाबले से दूर रहा जा सकता है। उदाहरण के लिए, अगर एक मसीही को एक रिश्‍तेदार की अंत्येष्टि के लिए आमंत्रित किया गया है, उसे तब तक नहीं रुकना चाहिए जब तक वह अपने आप को एक संभाव्य समझौता करनेवाली स्थिति में नहीं पाता। “बुद्धिमान मनुष्य विपत्ति को आती देखकर छिप जाता है; परन्तु भोले लोग आगे बढ़े चले जाते और हानि उठाते हैं।”—नीतिवचन २७:१२.

व्यवहार-कुशलता से यह पूछना बुद्धिमानी होगी कि कौन-से रिवाज़ों का अनुपालन किया जाएगा। अगर ये आपत्तिजनक हैं, तो वह मसीही इस अवसर को यह समझाने के लिए प्रयोग कर सकता है कि वह आख़िर क्यों भाग नहीं ले सकता, और उसे ऐसा “नम्रता और भय के साथ” करना चाहिए। (१ पतरस ३:१५) जब एक मसीही आदरपूर्वक अपनी बाइबल-आधारित स्थिति को पहले से समझाता है, तो आम तौर पर उसके रिश्‍तेदार उसके विश्‍वासों का आदर करने के लिए ज़्यादा प्रवृत्त होते हैं और डराने-धमकाने की ओर कम प्रवृत्त होते हैं।

रिश्‍तेदारों की प्रतिक्रिया चाहे जो भी हो, एक मसीही परमेश्‍वर का अपमान करनेवाली परम्पराओं का अनुपालन करने के द्वारा समझौता कर ही नहीं सकता—चाहे कितनी ही धमकियाँ या गालियाँ उसे क्यों न दी जाएँ। हमें अंधविश्‍वासी डर से मुक्‍त किया गया है। प्रेरित पौलुस ने आग्रह किया: “मसीह ने स्वतंत्रता के लिये हमें स्वतंत्र किया है; सो इसी में स्थिर रहो, और दासत्व के जूए में फिर से न जुतो।”—गलतियों ५:१.

[पेज 29 पर तसवीरें]

अनेक विश्‍वास करते हैं कि एक व्यक्‍ति जिसकी अभी-अभी मौत हुई है एक माध्यम के तौर पर कार्य कर सकता है और काफ़ी समय पहले मरे रिश्‍तेदारों को संदेश पहुँचा सकता है

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