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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1996
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आँखें और हृदय इनाम पर जमाए रखना

ईडिथ माइकल द्वारा बताया गया

दशक १९३० के आरंभ में हम सेंट लूइस के पास, मज़ुएरी, अमरीका में रहते थे, जब एक यहोवा की साक्षी आयी। तभी अलगनी टूट गयी, और मम्मी के चमकते सफ़ेद कपड़े मिट्टी में गिर गए। उन्होंने दी गयी पुस्तकें स्वीकार कर लीं, सिर्फ़ इसलिए कि वह स्त्री चली जाए, और उन्हें ताक़ पर रख कर उनके बारे में भूल गयीं।

वेमन्दी के साल थे, और पापा को काम पर से निकाल दिया गया था। एक दिन उन्होंने पूछा कि क्या घर में कुछ पढ़ने को है। मम्मी ने उन्हें पुस्तकों के बारे में बताया। वह उन्हें पढ़ने लगे, और कुछ समय बाद बोले: “माँ, यही सत्य है!”

“ओह, बाक़ी सब धर्मों के जैसा ही कोई धर्म है जिसे पैसा चाहिए,” उन्होंने उत्तर दिया। लेकिन, पापा ने उनसे आग्रह किया कि बैठें और उनके साथ शास्त्रवचन खोलकर देखें। जब उन्होंने ऐसा किया, तब वह भी विश्‍वस्त हो गयीं। उसके बाद वे साक्षियों को ढूँढने लगे और पाया कि वे सेंट लूइस के केंद्र के पास एक किराये के हॉल में मिलते थे, जो नृत्य और अन्य कार्यक्रमों के लिए भी प्रयोग होता था।

पापा-मम्मी मुझे साथ ले गए—मैं लगभग तीन साल की थी—और हॉल ढूँढ निकाला, लेकिन एक नृत्य चल रहा था। पापा ने पता लगाया कि सभाएँ कब होती हैं, और हम वापस आए। जहाँ हम रहते थे वहीं पास में हमने साप्ताहिक बाइबल अध्ययन में भी जाना शुरू किया। यह उस स्त्री के घर में होता था जो पहली बार हमारे घर आयी थी। “आप अपने लड़कों को भी क्यों नहीं लाते?” उसने पूछा। माँ यह कहने में लज्जित थीं कि उनके पास जूते नहीं थे। अन्त में जब उन्होंने कह दिया, तो जूते प्रदान किए गए, और मेरे भाई हमारे साथ सभाओं में आने लगे।

माँ को हमारे घर के पास प्रचार क्षेत्र दिया गया, और उन्होंने घर-घर की सेवकाई शुरू कर दी। मैं उनके पीछे छिपकर, साथ-साथ जाती। उनके गाड़ी चलाना सीखने से पहले, हम एक बस पकड़ने के लिए जो हमें सेंट लूइस में सभाओं तक ले जाती, लगभग एक मील चलते। चाहे बर्फ़ पड़ रही होती, तब भी हम सभाओं से कभी नहीं चूकते थे।

१९३४ में, मम्मी और पापा का बपतिस्मा हुआ। मैं भी बपतिस्मा लेना चाहती थी, और मैं तब तक हठ करती रही जब तक कि माँ ने एक वृद्ध साक्षी से कहा नहीं कि इस विषय में मेरे साथ बात करें। उन्होंने एक ऐसे ढंग से मुझसे अनेक प्रश्‍न पूछे जो मैं समझ सकती थी। तब उन्होंने मेरे माता-पिता से कहा कि मुझे बपतिस्मा लेने से नहीं रोका जाना चाहिए; उससे मेरी आध्यात्मिक वृद्धि को हानि पहुँच सकती है। सो अगली गर्मियों में मेरा बपतिस्मा हो गया, जब मैं छः साल की ही थी।

मुझे पुस्तिका घर और सुख (अंग्रेज़ी) प्रिय थी, जिसे मैं हर समय अपने साथ रखती थी, सोते समय भी उसे अपने तकिए के नीचे रखती थी। जब तक कि वह मुझे रट नहीं गयी, बार-बार, मैं माँ से बिनती करती थी कि उसे मेरे लिए पढ़ें। उसके पीछे के कवर पर परादीस में शेर के साथ एक छोटी लड़की का चित्र था। मैं कहा करती कि मैं ही वह छोटी लड़की हूँ। उस चित्र ने मुझे परमेश्‍वर के नए संसार में जीवन के इनाम पर अपनी आँखें लगाए रखने में मदद दी है।

मैं बहुत शर्मीली थी, लेकिन चाहे मैं काँप रही होती तो भी, मैं कलीसिया के प्रहरीदुर्ग अध्ययन में हमेशा प्रश्‍नों के उत्तर देती।

दुःख की बात है, पापा को डर था कि कहीं उनकी नौकरी न छूट जाए, सो उन्होंने साक्षियों के साथ संगति करना छोड़ दिया। मेरे भाइयों ने भी वही किया।

पूर्ण-समय की सेवकाई

माँ ने पायनियरों, या पूर्ण-समय के सेवकों को हमारे पिछवाड़े में अपनी ट्रेलर-गाड़ी खड़ी करने दी थी, और मैं स्कूल के बाद उनके साथ सेवकाई में जाती। जल्द ही मैं पायनियर कार्य करना चाहती थी, लेकिन पापा ने यह मानकर इसका विरोध किया कि मुझे और लौकिक शिक्षा लेनी चाहिए। माँ ने अंततः उन्हें राज़ी करवा लिया कि मुझे पायनियर कार्य करने की अनुमति दें। सो जून १९४३ में, जब मैं १४ साल की थी, मैं ने पूर्ण-समय की सेवकाई शुरू कर दी। घर के ख़र्चों में मदद देने के लिए, मैं अंशकालिक नौकरी करती थी, और कभी-कभी पूर्ण-समय काम करती थी। फिर भी मैं प्रचार कार्य में १५० घंटों का मासिक लक्ष्य प्राप्त कर लेती थी।

कुछ समय बाद मुझे एक पायनियर साथी मिल गयी, डॉरथी क्रेडन, जिसने जनवरी १९४३ में पायनियर कार्य शुरू किया था, जब वह १७ साल की थी। वह पहले एक श्रद्धालु कैथोलिक थी, लेकिन छः महीने के बाइबल अध्ययन के बाद, उसका बपतिस्मा हो गया। कई सालों तक वह मेरे लिए प्रोत्साहन और शक्‍ति का स्रोत थी, और मैं उसके लिए। हम सगी बहनों से भी ज़्यादा क़रीब हो गए।

१९४५ से शुरू करके, हमने एकसाथ मज़ुएरी के छोटे नगरों में पायनियर कार्य किया जहाँ कोई कलीसियाएँ नहीं थीं। बोलिंग ग्रीन में हमने एक सभागृह व्यवस्थित किया; माँ ने आकर हमारी मदद की। तब हम नगर में हर सप्ताह सब लोगों के घर जाते और उन्हें एक जन भाषण के लिए आमंत्रित करते। हम सेंट लूइस के भाइयों के साथ प्रबन्ध करते कि वे आकर यह भाषण दें। हमारी साप्ताहिक उपस्थिति ४० और ५० के बीच होती। बाद में हमने लूइज़ीआना में भी यही किया, जहाँ हमने एक मेसोनिक मंदिर किराये पर लिया था। सभागृह किराये पर लेने का ख़र्च पूरा करने के लिए, हम अंशदान बक्स बाहर रखते, और हर सप्ताह सभी ख़र्च चुकता कर दिए जाते।

फिर हम मॆक्सिको, मज़ुएरी गए, जहाँ हमने एक दुकान-परिसर का अग्रभाग किराये पर लिया। हमने वहाँ की छोटी-सी कलीसिया के प्रयोग के लिए उसे व्यवस्थित किया। उस भवन में ही जुड़े हुए कमरे थे, जिनमें हम रहते थे। हमने मॆक्सिको में जन भाषणों का प्रबन्ध करने में भी मदद दी। फिर हम राज्य की राजधानी, जॆफ़रसन शहर गए, जहाँ हर कार्यदिवस की सुबह हम जन अधिकारियों से उनके कार्यालयों में संपर्क करते। हम राज्यगृह के ऊपर एक कमरे में स्टॆला विली के साथ रहते थे, जो हमारे लिए माँ के समान थी।

वहाँ से हम तीनों फॆसटस और क्रिसटल सिटी के नगरों में जाते, जो एक दूसरे के पास ही थे। हम एक दिलचस्पी दिखानेवाले परिवार के घर के पीछे एक घर में रहते थे जो पहले मुर्गी-दरबा हुआ करता था। क्योंकि कोई बपतिस्मा-प्राप्त पुरुष नहीं था, सभी सभाएँ हम संचालित करते थे। अंशकालिक काम के लिए, हम सौंदर्य-प्रसाधन बेचते थे। भौतिक रूप से हमारे पास शायद ही कुछ था। असल में, हमारी इतनी औक़ात नहीं थी कि अपनी जूतियों में हुए छेद सिलवा लें, सो हर सुबह हम उनमें नया गत्ता डालते, और रात को हम अपनी-अपनी एकमात्र पोशाक धोते।

१९४८ के आरंभ में, जब मैं १९ साल की थी, डॉरथी को और मुझे मिशनरियों के लिए गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल की १२वीं क्लास के लिए निमंत्रण मिला। पाँच-माह के कोर्स के बाद, एक सौ विद्यार्थियों ने फरवरी ६, १९४९ में स्नातकता प्राप्त की। वह एक अति आनन्दमय समय था। मेरे माता-पिता कैलिफोर्निया में बस गए थे, और माँ उपस्थित होने के लिए उतनी दूर से आयीं।

अपनी कार्य-नियुक्‍ति में

अट्ठाइस स्नातकों को इटली में नियुक्‍त किया गया—डॉरथी को और मुझे मिलाकर, छः जनों को मिलान शहर में। मार्च ४, १९४९ में, हम इतालवी जहाज़ वुलकानीआ पर न्यू यॉर्क से रवाना हुए। यात्रा में ११ दिन लगे, और अशांत समुद्र के कारण हम में से अधिकतर को जहाज़ी-मतली आने लगी। भाई बेनानती जिनोवा बन्दरगाह पर हमसे मिलने और हमें रेल से वापस मिलान ले जाने के लिए आए।

जब हम मिलान में मिशनरी घर पहुँचे, तब हमें फूल मिले जो एक युवा इतालवी लड़की ने हम में से हरेक के कमरे में रखे थे। सालों बाद यह लड़की, मारीया मेराफ़ीना गिलियड गयी, वापस इटली आयी, और उसने और मैंने एकसाथ मिशनरी घर में सेवा की!

हमारे मिलान पहुँचने की अगली सुबह, हमने स्नानघर की खिड़की से बाहर देखा। हमारे घर के पीछेवाली सड़क पर बम से ध्वस्त एक बड़ा आवासीय-भवन था। एक अमरीकी बमवर्षक ने ग़लती से एक बम गिरा दिया था जिससे वहाँ रह रहे सभी ८० परिवार मारे गए। एक और समय बम एक कारख़ाने के निशाने से चूककर एक स्कूल पर गिरे और ५०० बच्चे मारे गए। सो लोग अमरीकियों को पसन्द नहीं करते थे।

लोग युद्ध से परेशान थे। अनेकों ने कहा कि यदि एक और युद्ध शुरू हुआ तो वे बम से बचने के स्थानों पर नहीं जाएँगे बल्कि घर में रहकर गैस खोल देंगे और वहीं मर जाएँगे। हमने उन्हें आश्‍वस्त किया कि हम वहाँ अमरीका या किसी दूसरी मानव-निर्मित सरकार का नहीं, बल्कि परमेश्‍वर के राज्य का प्रतिनिधित्व करने के लिए थे, जो सभी युद्धों का और उनके साथ आए कष्टों का अन्त करेगा।

बड़े शहर मिलान में, लगभग २० की एकमात्र कलीसिया मिशनरी घर में मिलती थी। अब तक प्रचार क्षेत्र नहीं बनाए गए थे, सो हमने एक बड़े आवासीय-भवन में साक्षी देना शुरू कर दिया। पहले दरवाज़े पर, हम श्री. जानदीनॉती से मिले, जो चाहता था कि उसकी पत्नी गिरजा छोड़ दे, सो उसने हमारा एक प्रकाशन स्वीकार कर लिया। श्रीमती. जानदीनॉती एक निष्कपट स्त्री थी, जिसके पास ढेर सारे प्रश्‍न थे। “आपके इतालवी सीख लेने पर मैं ख़ुश होंगी,” उसने कहा, “ताकि आप मुझे बाइबल सिखा सकें।”

उनके मकान की छत ऊँची थी और रोशनी कम थी, सो रात को वह बाइबल पढ़ने के लिए अपनी कुर्सी मेज़ के ऊपर रखती ताकि रोशनी के पास हो। “यदि मैं आपके साथ बाइबल का अध्ययन करूँ,” उसने पूछा, “क्या मैं तब भी गिरजे जा सकती हूँ?” हमने उससे कहा कि यह उसके ऊपर था। वह रविवार सुबह गिरजे जाती और दोपहर को हमारी सभाओं में आती। फिर एक दिन उसने कहा, “अब से मैं गिरजे नहीं जाऊँगी।”

“क्यों?” हमने पूछा।

“क्योंकि वे बाइबल नहीं सिखा रहे हैं, और मैं ने आपके साथ बाइबल का अध्ययन करने के द्वारा सत्य पा लिया है।” उसका बपतिस्मा हो गया और उसने अनेक स्त्रियों के साथ अध्ययन किया जो हर दिन गिरजे जाती थीं। बाद में उसने हमसे कहा कि यदि हमने उससे कहा होता कि गिरजे न जाए, तो उसने अध्ययन करना बन्द कर दिया होता और संभवतः सत्य कभी न सीखा होता।

नयी कार्य-नियुक्‍तियाँ

कुछ समय बाद अन्य चार मिशनरियों के साथ, डॉरथी को और मुझे इटली के ट्रीएस्टी शहर में नियुक्‍त किया गया, जो उस समय ब्रिटिश और अमरीकी टुकड़ियों के क़ब्ज़े में था। वहाँ केवल लगभग दस साक्षी थे, लेकिन यह संख्या बढ़ गयी। हमने ट्रीएस्टी में तीन साल प्रचार किया, और जब हम वहाँ से गए, तब वहाँ ४० राज्य प्रकाशक थे, जिनमें से १० पायनियर थे।

हमारी अगली कार्य-नियुक्‍ति थी वरोना शहर, जहाँ कोई कलीसिया नहीं थी। लेकिन जब गिरजे ने लौकिक अधिकारियों पर दबाव डाला, तब हमें छोड़ने पर मजबूर किया गया। डॉरथी को और मुझे रोम में नियुक्‍त किया गया। वहाँ हमने एक सुसज्जित कमरा किराये पर लिया, और हमने वैटिकन के निकट क्षेत्र में कार्य किया। जब हम वहाँ थे तब डॉरथी जॉन चिमिकलिस से विवाह करने के लिए लॆबनॉन चली गयी। हम लगभग १२ साल एकसाथ थे, और मैं ने सचमुच उसकी कमी महसूस की।

१९५५ में रोम के एक और भाग में न्यू एपीएन वे नामक सड़क पर एक नया मिशनरी घर खोला गया। घर के चार लोगों में से एक थी मारीया मेराफ़ीना, वह लड़की जिसने हमारे कमरों में फूल रखे थे जिस रात हम मिलान पहुँचे थे। शहर के इस क्षेत्र में एक नयी कलीसिया बनायी गयी। उस गर्मियों रोम में अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन के बाद, मुझे न्युरॆमबर्ग, जर्मनी में अधिवेशन में उपस्थित होने का सुअवसर मिला। उन लोगों से मिलना कितना आनन्ददायी था जिन्होंने हिटलर के राज्य में इतना कुछ सहा था!

वापस अमरीका

१९५६ में, स्वास्थ्य समस्याओं के कारण, मैं बीमारी की छुट्टी पर अमरीका लौटी। लेकिन मैं ने अभी और उसके नए संसार में हमेशा के लिए यहोवा की सेवा करने के इनाम से अपनी आँखें कभी नहीं हटायीं। मैं ने इटली लौटने की योजना बनायी। लेकिन, मेरी भेंट ऑरवॆल माइकल से हुई, जो ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में यहोवा के साक्षियों के मुख्यालय में सेवा करता था। न्यू यॉर्क शहर में १९५८ अंतरराष्ट्रीय अधिवेशन के बाद हमारा विवाह हो गया।

उसके कुछ ही समय बाद हम फ्रन्ट रॉयल, वर्जीनिया में बस गए, जहाँ हमने एक छोटी-सी कलीसिया के साथ सेवा करने का आनन्द लिया। हम राज्यगृह के पीछे एक छोटे-से मकान में रहते थे। अंततः, मार्च १९६० में यह ज़रूरी हो गया कि हम अपने ख़र्च उठाने के लिए नौकरी ढूँढने ब्रुकलिन लौटें। हम रात को अलग-अलग बैंकों में काम करते ताकि हम पूर्ण-समय की सेवकाई में रह सकें।

जब हम ब्रुकलिन में थे, तब मेरे पापा मर गए, और मेरी सास को हलका-सा दौरा पड़ा। सो हमने अपनी माताओं के पास होने के लिए ऑरिजन में बसने का फ़ैसला किया। हम दोनों को अंशकालिक नौकरी मिल गयी और हमने वहाँ पायनियर सेवकाई जारी रखी। १९६४ की शरत्‌ में, हम और हमारी माताएँ देश के उस भाग से गाड़ी चलाकर पिट्‌सबर्ग, पॆनसिलवेनिया में वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी की वार्षिक सभा में उपस्थित होने के लिए आए।

रोडाइलॆंड की हमारी भेंट के दौरान, हमें एक सर्किट ओवरसियर, आरलॆन मायर और उसकी पत्नी ने प्रोत्साहित किया कि राज्य की राजधानी, प्रॉविडॆन्स में बस जाएँ, जहाँ राज्य प्रकाशकों की ज़रूरत और अधिक थी। हमारी माताओं ने हमसे यह नयी कार्य-नियुक्‍ति स्वीकार करने का आग्रह किया, सो ऑरिजन लौटने पर हमने अपना अधिकतर घरेलू सामान बेच दिया और वहाँ चले गए।

फिर से गिलियड स्कूल

१९६५ की गर्मियों में, हम यैन्की स्टेडियम में एक अधिवेशन में उपस्थित हुए। वहाँ हमने एक विवाहित दम्पति के रूप में गिलियड स्कूल के लिए आवेदन किया। लगभग एक महीने बाद, हम आवेदन-पत्र पाकर चकित हो गए, जिन्हें ३० दिन में लौटाना था। मैं सुदूर देश जाने के बारे में चिन्तित थी क्योंकि माँ का स्वास्थ्य अच्छा नहीं था। लेकिन उन्होंने मुझे प्रोत्साहित किया: “इन आवेदन-पत्रों को भर दो। जानती हो यहोवा से मिले सेवा के किसी भी विशेषाधिकार को हमेशा स्वीकार करना चाहिए!”

बात तय हो गयी। हमने आवेदन-पत्र भरकर भेज दिए। ४२वीं क्लास के लिए निमंत्रण पाना क्या ही आश्‍चर्य की बात थी, जो अप्रैल २५, १९६६ में शुरू हुई! उस समय गिलियड स्कूल ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में स्थित था। पाँच महीने से कम समय बाद, हम १०६ जनों ने ११ सितम्बर, १९६६ में स्नातकता प्राप्त की।

अर्जॆन्टीना में नियुक्‍त

स्नातकता के दो दिन बाद, हम पॆरुवियन एयरलाइन्स पर अर्जॆन्टीना को रवाना हुए। जब हम ब्वेनस एरीज़ पहुँचे, तब शाखा ओवरसियर चार्ल्स आइसॆनहोवर हमें हवाई अड्डे पर मिले। उन्होंने हमें सीमाशुल्क विभाग से निकलने में मदद दी और फिर हमें शाखा ले गए। हमारे पास सामान निकालने और व्यवस्थित होने के लिए एक दिन था; फिर हमारी स्पैनिश क्लास शुरू हो गयी। हमने पहले महीने दिन में ११ घंटे स्पैनिश का अध्ययन किया। दूसरे महीने, हमने दिन में चार घंटे भाषा का अध्ययन किया और क्षेत्र सेवकाई में भाग लेना शुरू कर दिया।

हम ब्वेनस एरीज़ में पाँच महीने रहे और फिर हमें रोज़ारीओ नियुक्‍त किया गया, जो एक बड़ा शहर है रेल से लगभग चार घंटे उत्तर की ओर। वहाँ १५ महीने सेवा करने के बाद, हमें और भी उत्तर में सान्टीआगो डॆल एसटिअरो भेजा गया, यह शहर एक गर्म रेगिस्तानी क्षेत्र में है। जब हम वहाँ थे, तब जनवरी १९७३ में मेरी माँ की मृत्यु हो गयी। मैं ने उन्हें चार साल से नहीं देखा था। मेरे शोक में जिस बात ने मुझे संभाला वह थी पुनरुत्थान की पक्की आशा, साथ ही यह जानने की संतुष्टि कि माँ यही चाहतीं कि मैं अपनी कार्य-नियुक्‍ति में रहूँ।—यूहन्‍ना ५:२८, २९; प्रेरितों २४:१५.

सान्टीआगो डॆल एसटिअरो के लोग मिलनसार थे, बाइबल अध्ययन शुरू करना आसान था। जब हम १९६८ में यहाँ पहुँचे, तब लगभग २० या ३० जन सभाओं में आ रहे थे, लेकिन आठ साल बाद हमारी कलीसिया में सौ से अधिक जन थे। इसके साथ-साथ, पास के नगरों में दो नयी कलीसियाएँ थीं, जिनमें २५ और ५० के बीच प्रकाशक थे।

एक बार फिर अमरीका लौटना

स्वास्थ्य समस्याओं के कारण, १९७६ में हमें ख़ास पायनियरों के रूप में वापस अमरीका में नियुक्‍त कर दिया गया—फ़ेएटविल, उत्तर कैरोलीना में। वहाँ केंद्रीय और दक्षिण अमरीका, डॉमिनिकन गणराज्य, पोर्टा रीको, और स्पेन से भी अनेक स्पैनिश-भाषी लोग थे। हमारे पास अनेक बाइबल अध्ययन थे, और कुछ समय बाद एक स्पैनिश कलीसिया शुरू की गयी। हमने उस कार्य-नियुक्‍ति में लगभग आठ साल बिताए।

लेकिन, हमें मेरी सास के थोड़ा पास होने की ज़रूरत थी, जो काफ़ी बुज़ुर्ग और अशक्‍त थीं। वह पोर्टलॆंड, ऑरिजन में रहती थीं, सो हमें वैनकूवर, वॉशिंगटन में स्पैनिश कलीसिया में एक नयी कार्य-नियुक्‍ति मिल गयी, जो पोर्टलॆंड से दूर नहीं है। जब हम दिसम्बर १९८३ में वहाँ पहुँचे तब कलीसिया छोटी थी, लेकिन हम अनेक नए लोगों को देख रहे हैं।

जून १९९६ में, मैं ने पूर्ण-समय की सेवा में ५३ साल पूरे किए हैं, और मेरे पति ने जनवरी १, १९९६ में ५५ साल पूरे किए हैं। इन अनेक सालों के दौरान, मुझे सैकड़ों लोगों को परमेश्‍वर के वचन की सच्चाई का ज्ञान पाने और अपना जीवन यहोवा को समर्पित करने में मदद देने का विशेषाधिकार मिला है। इनमें से अनेक अभी प्राचीनों और पूर्ण-समय के सेवकों के रूप में सेवा कर रहे हैं।

कभी-कभी मुझसे पूछा जाता है कि क्या मुझे बच्चे न पैदा करने का खेद है। सच तो यह है कि यहोवा ने मुझे अनेक आध्यात्मिक बच्चों और नाती-पोतों की आशिष दी है। जी हाँ, यहोवा की सेवा में मेरा जीवन अर्थपूर्ण और फलदायी रहा है। मैं अपनी तुलना यिप्तह की पुत्री के साथ कर सकती हूँ, जिसने मंदिर की सेवा में अपना जीवन बिताया और सेवा के अपने बड़े विशेषाधिकार के कारण कभी बच्चे नहीं पैदा किए।—न्यायियों ११:३८-४०.

मुझे अभी-भी याद है जब मैं छोटी-सी लड़की थी और मैंने यहोवा को अपना समर्पण किया था। परादीस का चित्र मेरे मन में अब भी उतना ही स्पष्ट है जितना कि तब था। मेरी आँखें और हृदय अब भी परमेश्‍वर के नए संसार में अन्तहीन जीवन के इनाम पर जमे हुए हैं। जी हाँ, मेरी अभिलाषा है यहोवा की सेवा करना, मात्र कुछ ५० साल नहीं, बल्कि उसके राज्य शासन के अधीन—सर्वदा।

[पेज 23 पर तसवीरें]

१९४३ में डॉरथी क्रेडन, मेरे कन्धे पर हाथ रखे हुए, और संगी पायनियर

१९५३ में रोम, इटली में संगी मिशनरियों के साथ

[पेज 25 पर तसवीरें]

अपने पति के साथ

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