वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w98 2/1 पेज 24-28
  • “तेरी करुणा जीवन से भी उत्तम है”

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • “तेरी करुणा जीवन से भी उत्तम है”
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • सेवकाई के लिए प्रशिक्षण
  • जीवन भर के काम की शुरूआत करना
  • सेवा के ख़ास विशेषाधिकार
  • कनाडा और फिर बॆलजियम
  • युद्ध के बाद गतिविधि की बढ़-चढ़कर तैयारी
  • हालात के मुताबिक़ ढलना
  • यहोवा बचपन से मुझे सिखाता आया है
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2003
  • हमें परमेश्‍वर से प्यार करना, हमारे पापा-मम्मी ने सिखाया
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1999
  • अपने माता-पिता के पदचिन्हों पर चलना
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1995
  • मेरे फैसले पर यहोवा की ढेरों आशीषें
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2018
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—1998
w98 2/1 पेज 24-28

“तेरी करुणा जीवन से भी उत्तम है”

कैलविन एच. होम्स द्वारा बताया गया

बात दिसंबर १९३० की है, अभी मैंने गायों का दूध दुहना ख़त्म किया ही था कि पिताजी एक पड़ोसी के घर से वापस लौटे। अपनी जेब से एक नीली किताब निकालते हुए उन्होंने कहा, “यह किताब मुझे वाईमन ने पढ़ने को दी है।” उस किताब का नाम छुटकारा (अंग्रेज़ी) था, जिसे वॉच टावर बाइबल एण्ड ट्रैक्ट सोसाइटी ने छापा था। पिताजी ने, जो शायद ही कभी कुछ पढ़ते थे, देर रात तक जागकर उस किताब को पढ़ा।

बाद में, पिताजी और भी किताबें लाए, जिनके शीर्षक थे ज्योति और मेल-मिलाप (दोनों अंग्रेज़ी), ये भी उन्हीं प्रकाशकों द्वारा छापी गयी थीं। उन्हें माँ की पुरानी बाइबल मिल गई और वे उसे देर रात तक मिट्टी के तेल से जलनेवाले एक लैंप की रोशनी में पढ़ते रहे। पिताजी बहुत बदल गए। उन सर्दियों में उन्होंने हमसे घंटों बातें कीं मेरी माँ से, मेरी तीन बहनों से और मुझसे। हम लकड़ी जलाने के पुराने चूल्हे के पास सिकुड़कर बैठे थे।

पिताजी ने कहा कि इन किताबों को छापनेवाले लोग बाइबल विद्यार्थी कहलाते हैं और यह भी बताया कि इन लोगों के अनुसार हम “अन्तिम दिनों” में जी रहे हैं। (२ तीमुथियुस ३:१-५) पिताजी ने समझाया कि दुनिया के अंत होने पर पृथ्वी नष्ट नहीं होगी बल्कि परमेश्‍वर के राज्य के अधीन यह एक परादीस बन जाएगी। (२ पतरस ३:५-७, १३; प्रकाशितवाक्य २१:३, ४) मुझे यह बात वाक़ई दिलचस्प लगी।

जब हम मिलकर काम करने लगे तो पिताजी ने मुझसे बात की। मुझे आज भी याद है कि जब हम भुट्टे के छिलके निकाल रहे थे तब पिताजी ने मुझे समझाया कि परमेश्‍वर का नाम यहोवा है। (भजन ८३:१८) इस तरह, १९३१ की बसंत में जब मैं सिर्फ़ १४ साल का था, मैंने यहोवा और उसके राज्य के लिए काम करने का फ़ैसला कर लिया। घर के पीछे सेब के एक पुराने बग़ीचे में, मैंने यहोवा से प्रार्थना की और हमेशा के लिए उसकी सेवा करने का गंभीरता से वायदा किया। हमारे अद्‌भुत परमेश्‍वर की करुणा मेरे दिल को पहले ही छू चुकी थी।—भजन ६३:३.

हम सॆंट जोसेफ़, मिज़ूरी, अमरीका से क़रीब ३० किलोमीटर दूर और कानसास शहर से ६५ किलोमीटर से कम दूरी पर एक फार्म में रहते थे। पिताजी लकड़ी की एक कुटिया में पैदा हुए थे जिसे मेरे परदादा ने फार्म पर १९वीं सदी के शुरू में बनाया था।

सेवकाई के लिए प्रशिक्षण

वर्ष १९३१ की गर्मियों में, हमारे परिवार ने रेडियो पर जन भाषण “राज्य, संसार की आशा” सुना, जिसे उस समय के वॉच टावर सोसाइटी के अध्यक्ष, जोसॆफ रदरफ़र्ड ने कोलम्बस, ओहायो में एक अधिवेशन में दिया था। इसने मेरे दिल में जोश भर दिया और पिताजी के साथ मैंने उस पुस्तिका को जिसमें यह महत्त्वपूर्ण जन भाषण था, अपने परिचितों में बाँटने का आनंद लिया।

वर्ष १९३२ की बसंत में, मैं पहली बार यहोवा के साक्षियों की सभा में हाज़िर हुआ। हमारे पड़ोसी ने मुझे और पिताजी को यहोवा के साक्षियों के एक सफ़री ओवरसियर, जॉर्ज ड्रेपर द्वारा दिए जानेवाले भाषण को सुनने के लिए सॆंट जोसेफ में आमंत्रित किया। जब हम वहाँ पहुँचे तो आधी सभा ख़त्म हो चुकी थी और मुझे हट्टे-कट्टे जे. डी. ड्राइयर के पीछे बैठने की जगह मिल गयी जिसने आगे चलकर मेरी ज़िंदगी में अहम भूमिका निभायी।

सितंबर १९३३ में, मैं पिताजी के साथ कानसास शहर में एक सम्मेलन में हाज़िर हुआ, जहाँ मैंने पहली बार जन प्रचार कार्य में हिस्सा लिया। पिताजी ने मुझे तीन पुस्तिकाएँ दीं और मुझे यह कहने को कहा: “मैं यहोवा का साक्षी हूँ और परमेश्‍वर के राज्य सुसमाचार का प्रचार कर रहा हूँ। आपने बेशक जज रदरफ़र्ड को रेडियो पर सुना होगा। उनके भाषण ३०० से ज्यादा स्टेशनों से हर हफ़्ते प्रसारित किए जाते हैं।” फिर मुझे पुस्तिका दे देनी थी। वापस जाकर, उस शाम जब मैं फार्म पर गायों का दूध दुह रहा था, तब मैं सोच रहा था कि यह दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे यादगार दिन है।

जल्द ही सर्दियाँ शुरू हो गयीं और आना-जाना मुश्‍किल होने लगा। लेकिन तब भाई ड्राइयर और उनकी पत्नी हमारे यहाँ आए और मुझसे पूछा कि क्या मैं शनिवार की रात उनके घर पर रुकना पसंद करूँगा। ड्राइयर के घर पैदल चलकर दस-किलोमीटर जाने का फ़ायदा हुआ क्योंकि मैं अगले दिन उनके साथ सेवकाई में जा सका और सॆंट जोसेफ में प्रहरीदुर्ग अध्ययन में हाज़िर हो सका। तब से, शायद ही मैं कभी रविवार सेवकाई में भाग लेने से चूका होऊँगा। भाई ड्राइयर का प्रशिक्षण और सलाह मेरे लिए बहुमूल्य साबित हुए।

सितंबर २, १९३५ में, कानसस शहर में हुए एक सम्मेलन में मैं अपने समर्पण को पानी के बपतिस्मे द्वारा चिन्हित कर सका।

जीवन भर के काम की शुरूआत करना

वर्ष १९३६ की शुरूआत में, मैंने पायनियर, या पूर्ण समय के सेवक के रूप में सेवा करने की अर्ज़ी दी और मुझे उन लोगों की लिस्ट में डाल दिया गया जो पायनियर साथी की तलाश में थे। उसके कुछ समय बाद मुझे आरवाडा, वाईयोमिंग के एडवर्ड स्टेड की चिट्ठी मिली। उसने लिखा था कि वह व्हीलचेयर में है और पायनियर कार्य करने के लिए उसे मदद चाहिए। मैं तुरंत राज़ी हो गया और अप्रैल १८, १९३६ में पायनियर बन गया।

भाई स्टेड के पास जाने से पहले मेरी माँ ने मुझसे अकेले में बात की। “बेटा, क्या तुम सचमुच यही करना चाहते हो?” माँ ने पूछा।

मैंने जवाब में कहा, “इसके सिवाय ज़िंदगी बेमाने होगी।” मैं इस बात को जानने लगा था कि यहोवा की करुणा सब बातों से ज़्यादा महत्त्वपूर्ण है।

हम भाई स्टेड को टॆड कहकर बुलाते थे, और उनके साथ पायनियर-कार्य करने से मैंने बेहतरीन प्रशिक्षण पाया। वे जोशीले थे और बहुत ही दिलकश तरीक़े से राज्य संदेश पेश करते थे। लेकिन टॆड लिखने और बात करने के सिवाय और कुछ नहीं कर सकते थे; गठिया की वज़ह से उनके सारे जोड़ सूज गए थे। मैं जल्दी उठकर उन्हें नहलाता और उनकी दाढ़ी बनाता, फिर नाश्‍ता बनाकर उन्हें खिलाता। फिर मैं उन्हें कपड़े पहनाकर सेवा के लिए तैयार करता। उन गर्मियों में हमने वाइयोमिंग और मॉनटाना में पायनियर कार्य किया और हम रात को बाहर कैंप लगाकर सोते थे। टॆड अपने पिक-अप ट्रक के पीछे बने एक ख़ास क़िस्म के कॆबिन में सोता था और मैं ज़मीन पर। बाद में उस साल, मैं टॆनेसी, अरकंसास और मिसिसिप्पी में पायनियर कार्य करने चला गया।

मैं सितंबर १९३७ में पहली बार कोलम्बस, ओहायो में हुए बड़े अधिवेशन में हाज़िर हुआ। वहाँ फोनोग्राफ के इस्तेमाल द्वारा प्रचार कार्य में तेज़ी लाने के लिए प्रबंध किए गए थे। जब भी हम फोनोग्राफ को इस्तेमाल करते तो उसे एक सेटअप कहते थे। एक महीने में मैंने ५०० से ज़्यादा सेटअप किए और ८०० से ज़्यादा लोगों ने सुना। पूर्वी टॆनेसी, वर्जीनिया और पश्‍चिमी वर्जीनिया के अनेक नगरों में साक्षी देने के बाद, मुझे एक नए ओहदे पर ख़ास पायनियर के तौर पर ज़ोन सरवेंट के साथ काम करने के लिए बुलाया गया, तब सफ़री ओवरसियरों को ज़ोन सरवेंट के नाम से पुकारा जाता था।

मैं पश्‍चिमी वर्जीनिया की कलीसियाओं और अलग-थलग समूहों में गया—हरेक के साथ दो से चार हफ़्ते बिताता—और क्षेत्र सेवकाई में अगुवाई करता। फिर जनवरी १९४१ में मुझे ज़ोन सरवेंट बना दिया गया। उस वक़्त तक माँ और मेरी तीन बहनों—क्लैरा, लोइस और रूथ—ने राज्य के पक्ष में काम करने का फ़ैसला कर लिया था। इस तरह उन गर्मियों में मेरा पूरा परिवार सॆंट लूइस में बड़े अधिवेशन में हाज़िर हुआ।

अधिवेशन के कुछ ही समय बाद, ज़ोन सरवेंटों को सूचित किया गया कि नवंबर १९४१ के अंत में उनकी सेवा समाप्त हो जाएगी। उसके अगले महीने अमरीका दूसरे विश्‍वयुद्ध में शामिल हो गया। मुझे ख़ास पायनियर बना दिया गया जिसमें हर महीने सेवकाई में १७५ घंटे बिताने की माँग की गई थी।

सेवा के ख़ास विशेषाधिकार

जुलाई १९४२ में, मुझे एक चिट्ठी मिली जिसमें पूछा गया था कि क्या मैं विदेश में सेवा करने का इच्छुक हूँ। मैंने हाँ कह दिया और बाद में मुझे बेथेल यानी ब्रुकलिन, न्यू यॉर्क में यहोवा के साक्षियों के मुख्यालय आने का निमंत्रण दिया गया। एक ही समय पर लगभग २० कुँवारे भाइयों को ख़ास प्रशिक्षण के लिए बुलाया गया था।

नेथन एच. नॉर ने, जो उस वक़्त वॉच टावर सोसाइटी के अध्यक्ष थे, समझाया कि प्रचार कार्य कम हो गया है और कलीसियाओं को आध्यात्मिक रूप से मज़बूत करने के लिए हमें प्रशिक्षित किया जाएगा। उन्होंने कहा, “हम सिर्फ़ यही नहीं जानना चाहते कि कलीसिया में क्या गड़बड़ है, बल्कि यह भी कि आपने उसके बारे में क्या किया।”

जब हम बेथेल में थे, फ्रेड फ्राँज़ ने, जो १९७७ में भाई नॉर के बाद अध्यक्ष बने, एक भाषण दिया जिसमें उन्होंने कहा: “दूसरा विश्‍व युद्ध समाप्त हो जाएगा और बड़े प्रचार कार्य का रास्ता खुल जाएगा। इसमें कोई शक नहीं कि अभी-भी लाखों लोग यहोवा के संगठन में इकट्ठे किए जाएँगे!” उस भाषण ने मेरे नज़रिए को पूरी तरह बदल दिया। जब काम सौंपा जा रहा था, तब मुझे मालूम पड़ा कि मुझे टॆनेस्सी और कॆनटकी राज्य की सभी कलीसियाओं का दौरा करना होगा। हमें भाइयों का सेवक कहा जाता था, यह पहचान सर्किट ओवरसियर कहलाने से पहले थी।

मैंने अक्‍तूबर १, १९४२ में जब कलीसियाओं का दौरा शुरू किया उस वक़्त मैं सिर्फ़ २५ साल का था। उन दिनों कुछ कलीसियाओं तक पहुँचने के लिए या तो पैदल या फिर घोड़े पर ही जाना पड़ता था। कभी-कभी मुझे अपने मेज़बान परिवार के साथ एक ही कमरे में सोना पड़ता था।

जुलाई १९४३ में जब मैं टेनेसी की ग्रीनविले कलीसिया में सेवा कर रहा था तब मुझे गिलियड नामक वॉचटावर बाइबल स्कूल की दूसरी क्लास में हाज़िर होने का निमंत्रण मिला। गिलियड में, मैंने सीखा कि सही मायनों में जो बातें हमने सुनी हैं, ‘उन पर सामान्य से ज़्यादा ध्यान देने’ और ‘प्रभु के काम में हमेशा काफ़ी कुछ करते रहने’ का क्या मतलब है। (इब्रानियों २:१, NW; १ कुरिन्थियों १५:५८, NW) स्कूल का पाँच महीने का कोर्स पलक झपकते ही ख़त्म हो गया और जनवरी ३१, १९४४ को स्नातकता दिन आ पहुँचा।

कनाडा और फिर बॆलजियम

हममें से अनेक को कनाडा भेजा गया, जहाँ हाल ही में यहोवा के साक्षियों पर लगाया हुआ प्रतिबंध हटाया गया था। मुझे सफ़री कार्य दिया गया, जिसमें कुछ कलीसियाओं तक पहुँचने में लंबी-लंबी दूरी तय करनी पड़ती थीं। अपनी यात्रा के दौरान मुझे उन अनुभवों को सुनने में बहुत आनंद मिलता था कि कैसे कनाडा में प्रतिबंध के दौरान प्रचार कार्य किया गया था। (प्रेरितों ५:२९) अनेक लोगों ने उस मशहूर छापामारी के बारे में बताया जिसमें कनाडा के एक कोने से लेकर दूसरे कोने तक एक ही रात में, एक पुस्तिका बाँटी गई थी। मई १९४५ में यह ख़ुशख़बरी सुनना क्या ही आनंद की बात थी कि यूरोप में युद्ध समाप्त हो गया था!

उन गर्मियों में, ओसेज, सासकैचेवान के एक छोटे शहर की कलीसिया में सेवा के दौरान मुझे भाई नॉर की चिट्ठी मिली, जिसमें लिखा था: “मैं आपको बॆलजियम जाने का विशेषाधिकार दे रहा हूँ . . . उस देश में बहुत काम किया जाना बाक़ी है। यह देश युद्ध से तबाह हुआ है और हमारे भाइयों को मदद चाहिए और हमें यह ठीक लगा कि ऐसे आदमी को भेजें जो अमरीकी हो ताकि उन्हें ठीक-ठीक मदद और सांत्वना दे सके जिसकी उन्हें ज़रूरत है।” मैंने तुरंत जवाब भेजा और यह काम स्वीकार कर लिया।

नवंबर १९४५ को, मैं ब्रुकलिन बेथेल में अलशेशिया के एक बुज़ुर्ग चार्ल्स आइकर से फ्रैंच सीख रहा था। मैंने ब्राँच प्रोसीज़र्स में जल्दी-जल्दी थोड़ी ट्रेनिंग भी पायी। यूरोप जाने से पहले मैं अपने परिवार और दोस्तों से मिलने सॆंट जोसेफ, मिज़ूरी गया।

दिसंबर ११ को मैंने न्यू यॉर्क छोड़ दिया और क्वीन इलेज़बथ नामक जहाज़ पर सवार हो चौथे दिन साउथएम्पटन, इंग्लैंड पहुँच गया। मैंने ब्रिटॆन ब्राँच में एक महीना बिताया जहाँ मैंने और ट्रेनिंग पायी। उसके बाद जनवरी १५, १९४६ को, मैंने इंग्लिश चैनल पार किया और ओस्टेंड, बॆलजियम के बंदरगाह पर आ गया। वहाँ से मैं ट्रेन से ब्रस्सल्स गया जहाँ पर पूरा बेथेल परिवार मुझसे मिलने रेल्वे स्टेशन पर आया था।

युद्ध के बाद गतिविधि की बढ़-चढ़कर तैयारी

मेरा काम बॆलजियम में राज्य कार्य का निरीक्षण करना था, हालाँकि मैं वहाँ कि भाषा बोल भी नहीं पाता था। लगभग छः महीनों में, मैं काम चलाऊ फ्रैंच बोलने लगा। उन लोगों के साथ काम करना एक विशेषाधिकार था जिन्होंने नात्सी राज्य के पाँच सालों के दौरान अपनी जान हथेली पर लेकर प्रचार कार्य किया था। उनमें से कुछ अभी-अभी नज़रबंदी शिविरों से छूटे थे।

भाई, काम को संगठित करने और बाइबल सच्चाई के लिए भूखे लोगों को भोजन देने के लिए बेताब थे। इसलिए सम्मेलन आयोजित करने और कलीसियाओं में जाने के लिए सफ़री ओवरसियरों के दौरों का इंतज़ाम किया गया। हमें ब्रुकलिन मुख्यालय के प्रतिनिधियों जैसे नेथन नॉर, मिलटन हेनशेल, फ्रेड फ्राँज़, ग्रांट सूटर और जॉन बूथ से प्रोत्साहक भेंटों का भी अवसर मिला। उन शुरूआती दिनों में, मैंने सर्किट ओवरसियर, ज़िला ओवरसियर और शाखा ओवरसियर की हैसियत से सेवा की। बॆलजियम में लगभग सात साल सेवा करने के बाद दिसंबर ६, १९५२ में मैंने एमिलिया वानोप्सलाफ से शादी कर ली जो बॆलजियम ब्राँच में ही काम करती थी।

कुछ महीने बाद, अप्रैल ११, १९५३ को मुझे पास के पुलिस स्टेशन बुलाया गया और बताया गया कि बॆलजियम में मेरा रहना वहाँ की सुरक्षा के लिए ख़तरनाक है। मैं इंतज़ार करने लक्समबर्ग चला गया जबकि मेरे मुक़दमे की अपील काउंसल ऑफ़ स्टेट से की जा रही थी।

फरवरी १९५४ को, बॆलजियम की काउंसल ऑफ़ स्टेट ने इस फ़ैसले को मान्यता दे दी कि मेरी उपस्थिति देश के लिए एक ख़तरा है। जो सबूत पेश किया गया था वो यह था कि जब से मैं बॆलजियम आया हूँ, तब से देश में साक्षियों की गिनती बड़ी तेज़ी से बढ़ी है—यानी १९४६ में ८०४ से १९५३ में ३,३०४ तक—और इसकी वज़ह से बॆलजियम की सुरक्षा ख़तरे में पड़ गयी है क्योंकि अनेक युवा साक्षी मसीही तटस्थता के लिए मज़बूती से स्थिति ले रहे थे। इस तरह, एमिलिया और मुझे स्विट्‌ज़रलैंड भेज दिया गया जहाँ मैंने फ्रैंच बोलनेवाले इलाक़े में सर्किट कार्य किया।

किंगडम मिनिस्टरी स्कूल—ऐसा स्कूल जो मसीही प्राचीनों को नवीनतम ट्रेनिंग देता है—साउथ लेनसिंग, न्यू यॉर्क में १९५९ में शुरू किया गया। मुझे वहाँ ट्रेनिंग लेने के लिए बुलाया गया ताकि यूरोप में इस स्कूल की क्लासों को पढ़ा सकूँ। जब मैं अमरीका में था तब मैं अपने परिवार से मिलने सॆंट जोसफ, मिज़ूरी गया। उस वक़्त मैंने अपनी प्यारी माँ को आख़िरी बार देखा। जनवरी १९६२ को उसका देहांत हो गया; पिताजी पहले ही जून १९५५ में गुज़र गए थे।

पैरिस, फ्रांस में किंगडम मिनिस्टरी स्कूल मार्च १९६१ को शुरू हुआ और एमिलिया वहाँ मेरे साथ थी। फ्रांस, बॆलजियम और स्विट्‌ज़रलैंड से ज़िला ओवरसियर, सर्किट ओवरसियर, कलीसिया ओवरसियर और ख़ास पायनियर वहाँ स्कूल के लिए आए। अगले १४ महीनों में मैंने १२ क्लासों को पढ़ाया, यह कोर्स चार हफ़्ते का था। बाद में अप्रैल १९६२ में हमें पता चला कि एमिलिया माँ बननेवाली है।

हालात के मुताबिक़ ढलना

हम जिनेवा, स्विट्‌ज़रलैंड लौट गए जहाँ हमें रहने के पक्के परमिट मिले हुए थे। लेकिन रहने के लिए घर ढूँढ़ना आसान नहीं था, क्योंकि वहाँ खाली मकानों का मानो अकाल पड़ा हुआ था। नौकरियों के भी लाले पड़े थे। आख़िरकार मुझे मध्य जिनेवा में एक बड़े डिपार्टमेंटल स्टोर में नौकरी मिल गयी।

मैंने पूर्ण समय सेवकाई में २६ साल बिताए थे, इसलिए अब बदले हालात में हमें काफ़ी ढलने की ज़रूरत थी। जिस दौरान मैंने इस डिपार्टमेंटल स्टोर में २२ साल काम किया और अपनी दो बेटियों, लोइस और यूनिस का पालन-पोषण किया, मेरे परिवार ने राज्य हितों को हमेशा पहला दर्जा दिया है। (मत्ती ६:३३) सन्‌ १९८५ में नौकरी से रिटायर होने के बाद मैंने एक सबस्टीट्यूट सर्किट ओवरसियर के नाते काम करना शुरू किया।

एमिलिया की सेहत काफ़ी ख़राब रही है लेकिन सेवकाई में वह जितना कर सकती है उतना कर रही है। लोइस ने लगभग १० साल पायनियर के नाते सेवा की। १९९३ की गर्मियों के दौरान उसके साथ मॉस्को के सबसे अदभुत्‌ अंतर्राष्ट्रीय अधिवेशन का आनंद उठाना क्या ही आध्यात्मिक यादगार थी! क्योंकि लोइस कुछ ही समय बाद सेनिगल, अफ्रीका में छुट्टियाँ बिताते वक़्त, समुद्र में तैरते वक़्त डूब गयी। जब मैं उसके दफ़न के लिए सेनिगल गया तो वहाँ के अफ्रीकी भाइयों और मिशनरियों के प्यार और कृपा ने मुझे बहुत सांत्वना दी। मैं लोइस को पुनरुत्थान में देखने के लिए कितना बेताब हूँ!—यूहन्‍ना ५:२८, २९.

मैं अपने वफ़ादार साथी के साथ चालीस साल से भी ज़्यादा समय का आनंद उठाने के लिए बहुत एहसानमंद हूँ। सचमुच, मेरी दुख-तकलीफ़ों के बावजूद, यहोवा की करुणा ख़ुशनुमा रही है और ज़िंदगी को जीने लायक़ बनाया है। मेरा दिल अपने परमेश्‍वर, यहोवा के बारे में वैसा ही कहने के लिए मजबूर होता है जैसा कि भजनहार ने अपने शब्दों में कहा था: “क्योंकि तेरी करुणा जीवन से भी उत्तम है, मैं तेरी प्रशंसा करूंगा।”—भजन ६३:३.

[पेज 26 पर तसवीर]

फोनोग्राफ से हमने प्रचार कार्य में तेज़ी ला दी थी

[पेज 26 पर तसवीर]

वर्ष १९३६ में मेरे माता-पिता

[पेज 26 पर तसवीर]

बॆलजियम में १९४८ में सड़क गवाही देते हुए

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें