उन्होंने यहोवा की इच्छा पूरी की
अय्यूब की खराई का प्रतिफल मिला
अय्यूब एक दयालु व्यक्ति था और विधवाओं, अनाथों तथा दुःखियों का सहारा था। (अय्यूब २९:१२-१७; ३१:१६-२१) फिर, अचानक ही कष्टकर विपत्तियों ने उसे घेर लिया और वह अपने स्वास्थ्य, अपने बच्चों और अपनी संपत्ति से हाथ धो बैठा। दुःख की बात है, यही रईस जो कभी पीड़ितों का हिमायती था, उसके आड़े वक्त पर किसी ने उसकी मदद नहीं की। यहाँ तक कि खुद उसकी पत्नी ने उससे कहा, “परमेश्वर की निन्दा कर, और चाहे मर जाए तो मर जा।” उसके “मित्र” एलीपज, बिलदद और सोपर ने भी उसे कोई आश्वासन नहीं दिया। इसके बजाय उन्होंने उस पर आक्षेप लगाया कि अय्यूब ने पाप किया है तो उसे इसका अंजाम भुगतना ही पड़ेगा।—अय्यूब २:९; ४:७, ८; ८:५, ६; ११:१३-१५.
बेहद तकलीफों के बावजूद अय्यूब वफादार बना रहा। इसी कारण, आखिरकार यहोवा ने अय्यूब पर दया की और उसे आशीष दी। उसने यह कैसे किया, इसका विवरण परमेश्वर के उन सभी सेवकों को आश्वस्त करता है जो खराई रखते हैं कि समय आने पर उन्हें भी प्रतिफल मिलेगा।
दोषमुक्ति और पुनःप्रतिष्ठा
सबसे पहले यहोवा ने एलीपज, बिलदद और सोपर को फटकारा। उसने एलीपज को संबोधित करते हुए जो प्रत्यक्षतः सबसे बड़ा था, कहा: “मेरा क्रोध तेरे और तेरे दोनों मित्रों पर भड़का है, क्योंकि जैसी ठीक बात मेरे दास अय्यूब ने मेरे विषय कही है, वैसी तुम लोगों ने नहीं कही। इसलिये अब तुम सात बैल और सात मेढ़े छांटकर मेरे दास अय्यूब के पास जाकर अपने निमित्त होमबलि चढ़ाओ, तब मेरा दास अय्यूब तुम्हारे लिये प्रार्थना करेगा।” (अय्यूब ४२:७, ८) ज़रा सोचिए यह किस बात का संकेत देता है!
यहोवा ने एलीपज, बिलदद और सोपर से जो इतने बलि की माँग की, संभवतः इसलिए की उन पर उनके पाप की गंभीरता प्रकट हो। चाहे समझ-बूझकर चाहे अनजाने में, उन्होंने वाकई परमेश्वर की यह कहकर निंदा की थी कि वह “अपने सेवकों पर भरोसा नहीं रखता” और कि उसे इससे कोई फर्क नहीं पड़ता है कि अय्यूब वफादार था या नहीं। एलीपज ने यहाँ तक कहा कि परमेश्वर की नज़रों में अय्यूब की औकात किसी पतंगे से ज़्यादा नहीं! (अय्यूब ४:१८, १९; २२:२, ३) इसमें कोई अचरज नहीं कि यहोवा ने कहा: “ठीक बात . . . मेरे विषय . . . तुम लोगों ने नहीं कही”!
लेकिन बात यहीं खत्म नहीं होती। एलीपज, बिलदद और सोपर ने यह कहकर व्यक्तिगत रूप से अय्यूब के विरुद्ध पाप किया कि अपनी समस्याओं के लिए वह स्वयं ही कारण है। इनके बेबुनियादी आरोप और सहानुभूति की अपार कमी ने अय्यूब को इतना कटु और हताश कर दिया कि वह बिलखकर बोला: “तुम कब तक मेरे प्राण को दुःख देते रहोगे; और बातों से मुझे चूर चूर करोगे?” (अय्यूब १०:१; १९:२) उस समय उन तीनों पुरुषों की लज्जा की कल्पना कीजिए जब खुद उन्हें ही अपने पापों के निमित्त अय्यूब को होमबलि पेश करना पड़ा!
लेकिन अय्यूब को उनके इस अपमान पर खुश नहीं होना था। असल में, यहोवा ने उसे अपने आरोपियों की खातिर प्रार्थना करने के लिए कहा। अय्यूब ने ठीक निर्देशानुसार ही किया और इसके लिए उसे आशीष भी मिली। सबसे पहले, यहोवा ने उसकी भयंकर बीमारी दूर की। फिर अय्यूब के भाइयों, बहनों और पहले के साथियों ने आकर उसे आश्वासन दिया “और उसे एक एक सिक्का और सोने की एक एक बाली दी।”a इसके अलावा, अय्यूब की “चौदह हजार भेंड़ बकरियां, छः हजार ऊंट, हजार जोड़ी बैल, और हजार गदहियां हो गईं।”b और ज़ाहिर है कि अय्यूब का अपनी पत्नी के साथ भी मेल हो गया। समय बीतते अय्यूब को सात बेटे और तीन बेटियाँ भी उत्पन्न हुईं और चार पीढ़ी तक अपना वंश देखने के लिए वह जीवित रहा।—अय्यूब ४२:१०-१७.
हमारे लिए सीख
अय्यूब ने आधुनिक दिन सेवकों के लिए एक बेहतरीन उदाहरण रखा। वह “खरा और सीधा” था, एक ऐसा व्यक्ति जिसके विषय यहोवा गर्व से कह सका ‘मेरा दास।’ (अय्यूब १:८; ४२:७, ८) फिर भी, इसका अर्थ यह नहीं कि अय्यूब परिपूर्ण था। एक समय पर अपनी परीक्षा के दौरान उसने गलत अनुमान लगाया था कि उस पर की विपत्ति का कारण परमेश्वर है। उसने मनुष्यों के साथ किए परमेश्वर के व्यवहार की भी आलोचना की। (अय्यूब २७:२; ३०:२०, २१) और उसने परमेश्वर को नहीं, वरन् अपने को ही धर्मी घोषित किया। (अय्यूब ३२:२) फिर भी, अय्यूब ने अपने सृष्टिकर्ता से कभी मुँह नहीं फेरा और उसने नम्रतापूर्वक परमेश्वर की ओर से मिली सुधार को कबूल किया। उसने यह स्वीकार किया: “परन्तु मैं ने तो जो नहीं समझता था वही कहा, . . . इसलिये मुझे अपने ऊपर घृणा आती है, और मैं धूलि और राख में पश्चात्ताप करता हूं।”—अय्यूब ४२:३, ६.
परीक्षाओं के दौरान शायद हम भी ऐसा सोचें, बोलें या व्यवहार करें जो ठीक नहीं। (सभोपदेशक ७:७ से तुलना कीजिए।) फिर भी, अगर परमेश्वर के लिए हमारा प्यार गहरा है तो क्योंकि उसने हम पर कठिनाइयाँ रहने दी हैं इसलिए हम उसके विरुद्ध न ही बगावत करेंगे न ही कटु होंगे। इसके बजाय हम अपनी खराई बनाए रखेंगे और अंत में बड़ी आशीष का आनंद उठाएँगे। भजनहार ने यहोवा से कहा: “खरे पुरुष के साथ तू अपने को खरा दिखाता है।”—भजन १८:२५.
इसके पहले कि अय्यूब स्वस्थ किया गया, यहोवा ने उससे माँग की कि वह उनकी खातिर प्रार्थना करे जिन्होंने उसके विरुद्ध पाप किया था। हमारे लिए क्या ही उत्तम उदाहरण! यहोवा चाहता है कि हम उन्हें क्षमा करें जिन्होंने हमारे विरुद्ध पाप किया है, इससे पहले की हमारे पाप क्षमा किए जाएँ। (मत्ती ६:१२; इफिसियों ४:३२) जब क्षमा करने का ठोस कारण होता है और फिर भी हम दूसरों को क्षमा करने के इच्छुक नहीं होते, तो क्या यहोवा से अपने लिए दया की अपेक्षा करना हमारे लिए उचित होगा?—मत्ती १८:२१-३५.
समय-समय पर हम सभी परीक्षाओं का सामना करते हैं। (२ तीमुथियुस ३:१२) फिर भी, अय्यूब की तरह हम खराई बनाए रख सकते हैं। ऐसा करने से हम बड़े प्रतिफल के हकदार होंगे। याकूब ने लिखा: “देखो, हम धीरज धरनेवालों को धन्य कहते हैं: तुम ने ऐयूब के धीरज के विषय में तो सुना ही है, और प्रभु की ओर से जो उसका प्रतिफल हुआ उसे भी जान लिया है, जिस से प्रभु की अत्यन्त करुणा और दया प्रगट होती है।”—याकूब ५:११.
[फुटनोट]
a ‘एक सिक्के’ (इब्रानी में केसीताह) की कीमत क्या है यह निश्चित कहा नहीं जा सकता। लेकिन “सौ चांदी के सिक्कों” से याकूब के दिनों में काफी मात्रा में भूमि खरीदी जा सकती थी। (यहोशू २४:३२) इसलिए भेंट करनेवाले हरेक से “एक सिक्का” पाना भी कुछ कम नहीं था।
b यहाँ गदहियाँ संभवतः इसलिए कहा गया है क्योंकि अपनी प्रजनन शक्ति के कारण ये बहुत उपयोगी थीं।