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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2000
w00 3/1 पेज 3-4

प्रार्थना की ताकत

शाम का वक्‍त है और सूरज ढल रहा है। अराम देश का एलीएजेर मसोपोटामिया के नाहोर शहर में आता है। उसके साथ दस ऊँटों का कारवाँ भी है। वह आकर शहर के बाहर के कुएँ पर रुकता है। काफी लंबे सफर की वज़ह से वह बहुत ही थका हुआ है और उसे बड़ी प्यास भी लगी है, मगर उसके स्वामी ने उसे जिस काम के लिए उस शहर में भेजा था, उसे उसकी ज़्यादा फिक्र है। इस शहर में एलीएजेर को अपने स्वामी के बेटे के लिए उसके रिश्‍तेदारों में से ही एक पत्नी की तलाश करनी है। यह काम तो बहुत ही मुश्‍किल जान पड़ता है, सो एलीएजेर अपने स्वामी की इच्छा कैसे पूरी कर पाएगा?

एलीएजेर को पूरा विश्‍वास है कि प्रार्थना में बहुत ताकत होती है। जिस तरह कोई बच्चा अपने पिता से कुछ माँगता है, और पूरा विश्‍वास रखता है कि वह उसकी बिनती सुनेगा, उसी तरह का विश्‍वास दिखाते हुए एलीएजेर अपने पिता से यह बिनती करता है: “हे मेरे स्वामी इब्राहीम के परमेश्‍वर, यहोवा, आज मेरे कार्य को सिद्ध कर, और मेरे स्वामी इब्राहीम पर करुणा कर। देख, मैं जल के इस सोते के पास खड़ा हूं; और नगरवासियों की बेटियां जल भरने के लिये निकली आती हैं: सो ऐसा होने दे, कि जिस कन्या से मैं कहूं, कि अपना घड़ा मेरी ओर झुका, कि मैं पीऊं: और वह कहे, कि ले, पी ले, पीछे मैं तेरे ऊंटों को भी पिलाऊंगी: सो वही हो जिसे तू ने अपने दास इसहाक के लिये ठहराया हो; इसी रीति मैं जान लूंगा कि तू ने मेरे स्वामी पर करुणा की है।”—उत्पत्ति 24:12-14.

एलीएजेर को अपनी प्रार्थना का जवाब ज़रूर मिला, क्योंकि उस कुएँ पर जो पहली लड़की आती है, वह उसके स्वामी के रिश्‍तेदारों में से ही है। उसका नाम रिबका है जो इब्राहीम के भाई की पोती है! हैरत की बात तो यह है कि वह न सिर्फ एलीएजेर को पीने के लिए पानी देती है, मगर खुशी-खुशी उसके सभी ऊँटों को भी पानी पिलाती है। रिबका कुँवारी है और उसका चालचलन भी बहुत अच्छा है। इतना ही नहीं, वह बहुत खूबसूरत भी है। फिर एलीएजेर और उसके परिवारवालों से बात करने के बाद, रिबका अपना घर छोड़कर दूर देश जाने और इब्राहीम के बेटे इसहाक की पत्नी बनने के लिए राज़ी हो जाती है। एलीएजेर को अपनी प्रार्थना का कितनी अच्छी तरह जवाब मिला, और यह बहुत ही अद्‌भुत बात थी क्योंकि उस ज़माने में परमेश्‍वर अपना उद्देश्‍य पूरा करने के लिए ही इंसानों के साथ सीधा-सीधा व्यवहार करता था!

एलीएजेर ने जिस तरह से प्रार्थना की, उससे हम बहुत कुछ सीख सकते हैं। एलीएजेर का विश्‍वास पक्का था, वह नम्र था और तन-मन से अपने स्वामी की इच्छाओं को पूरा करना चाहता था। एलीएजेर जानता था कि परमेश्‍वर को इब्राहीम से खास लगाव है और उसने इब्राहीम के वंश के ज़रिए ही सभी मानवजाति को आशीष देने का वादा किया है। (उत्पत्ति 12:3) सो अगर एलीएजेर चाहता था कि परमेश्‍वर उसकी प्रार्थना का जवाब दे, तो उसे कबूल करना था कि मानवजाति के संबंध में अपना उद्देश्‍य पूरा करने के लिए यहोवा ने इब्राहीम को चुना है। और उसने इस बात को कबूल किया, जो उसकी प्रार्थना से ज़ाहिर होता है: “हे मेरे स्वामी इब्राहीम के परमेश्‍वर, यहोवा।”

इब्राहीम का वह वंश था यीशु मसीह और यहोवा उसी के ज़रिए सभी वफादार लोगों को आशीषें देगा। (उत्पत्ति 22:18) सो, अगर हम चाहते हैं कि यहोवा हमारी प्रार्थनाओं का जवाब दे, तो हमें यह कबूल करना होगा कि यहोवा ने इंसानों को आशीष देने के लिए यीशु मसीह को चुना है। खुद यीशु मसीह ने कहा: “यदि तुम मुझ में बने रहो, और मेरी बातें तुम में बनी रहें तो जो चाहो मांगो और वह तुम्हारे लिये हो जाएगा।”—यूहन्‍ना 15:7.

मसीह के एक चेले, प्रेरित पौलुस ने खुद अनुभव किया कि यीशु ने जो कहा वह सच है। वह जानता था कि परमेश्‍वर प्रार्थनाओं का जवाब देता है, क्योंकि उसकी प्रार्थना के जवाब में परमेश्‍वर ने उसे ताकत दी थी। इसी वज़ह से वह कह सका: “जो मुझे शक्‍ति देता है, उसके द्वारा मैं सभी परिस्थितियों का सामना कर सकता हूँ।” (फिलिप्पियों 4:6, 7, 13, ईज़ी टू रीड वर्शन) इसी बिनाह पर उसने दूसरे मसीहियों से कहा कि वे भी प्रार्थना में अपनी तमाम चिंताएँ परमेश्‍वर पर डाल दें। लेकिन क्या इसका यह मतलब है कि परमेश्‍वर ने पौलुस की हर प्रार्थना का जवाब दिया था? आइए देखते हैं।

हर प्रार्थना का जवाब नहीं दिया गया

हालाँकि पौलुस तन-मन से यहोवा की सेवा करता था, मगर उसे एक तकलीफ भी सहनी पड़ती थी जिसे उसने “शरीर में एक कांटा” कहा। (2 कुरिन्थियों 12:7) यह शरीर का काँटा क्या था? शायद यह उसके विरोधियों और “झूठे भाइयों” की वज़ह से होनेवाली व्याकुलता और परेशानी थी। (2 कुरिन्थियों 11:26; गलतियों 2:4) या फिर शायद उसे काफी समय से आँखों की कोई बीमारी रही हो जिसकी वज़ह से उसे तकलीफ होती थी। (गलतियों 4:15) पौलुस के ‘शरीर का यह कांटा’ चाहे जो भी रहा हो, एक बात साफ है कि इसकी वज़ह से वह काफी परेशान था। इसीलिए उसने लिखा, “इस के विषय में मैं ने प्रभु से तीन बार बिनती की, कि मुझ से यह दूर हो जाए।” मगर परमेश्‍वर ने पौलुस की तकलीफ को दूर नहीं किया। इसके बजाय उसने पौलुस को यह कहकर समझाया कि उसने उसे जो आशीषें दी थीं, वह काफी थीं, जैसे कि उसने उसे सेवकाई में आनेवाली परीक्षाओं को सहने की शक्‍ति दी थी। इसलिए परमेश्‍वर ने उससे कहा: “मेरी सामर्थ निर्बलता में सिद्ध होती है।”—2 कुरिन्थियों 12:8, 9.

हम एलीएजेर और पौलुस की मिसाल से क्या सीख सकते हैं? यही कि यहोवा परमेश्‍वर उन लोगों की प्रार्थनाओं को ज़रूर सुनता है जो नम्रता से उसकी उपासना करते हैं। मगर इसका मतलब यह नहीं कि वह उनकी हर प्रार्थना का जवाब देता है। क्यों? क्योंकि परमेश्‍वर सिर्फ अभी की नहीं बल्कि दूर की सोचता है। हमारे लिए क्या अच्छा है और क्या नहीं, यह हमसे बेहतर वही जानता है। सबसे बढ़कर, वह हमेशा वही काम करता है जो बाइबल में लिखे गए उसके उद्देश्‍य के मुताबिक है।

एक अलग तरह की चंगाई

परमेश्‍वर ने वादा किया है कि उसके बेटे के हज़ार साल के राज के दौरान किसी भी व्यक्‍ति को किसी भी तरह की तकलीफ नहीं होगी। वह उनके तन और उनके मन को पूरी तरह से चंगा कर देगा। (प्रकाशितवाक्य 20:1-3; 21:3-5) परमेश्‍वर से सच्चे दिल से प्यार करनेवाले मसीहियों को पूरा-पूरा विश्‍वास है कि उसके पास अपने वादे को पूरा करने की ताकत है और वह जल्द ही ऐसा करेगा जिसका उन्हें बेसब्री से इंतज़ार है। वे जानते हैं कि आज परमेश्‍वर चमत्कार करके किसी को चंगा नहीं करेगा। सो वे परमेश्‍वर से यह प्रार्थना करते हैं कि वे आज जिन परीक्षाओं से गुज़र रहे हैं, उनका सामना करने के लिए उन्हें हौसला और हिम्मत दे। (भजन 55:22) और बीमार पड़ जाने पर वे शायद परमेश्‍वर से प्रार्थना करें और उससे मार्गदर्शन माँगें ताकि वे अपनी हैसियत के मुताबिक सही इलाज करा पाएँ।

कुछ धर्मों में बीमार लोगों से कहा जाता है कि अगर वे ठीक होना चाहते हैं तो प्रार्थना करें, और जैसे यीशु और उसके प्रेरितों ने चमत्कार करके लोगों को ठीक किया, वैसे वे भी ठीक हो जाएँगे। मगर यीशु और उसके चेलों ने जो चमत्कार किए थे, उनका एक खास मकसद था। वह यह था कि यीशु को सच्चा मसीहा साबित करें और लोगों को यह दिखाएँ कि परमेश्‍वर ने यहूदी जाति को ठुकराकर नयी मसीही कलीसिया को चुन लिया है। क्योंकि उस वक्‍त यह मसीही कलीसिया नई-नई थी, इसलिए उनके विश्‍वास को मज़बूत करने के लिए इन चमत्कारों की ज़रूरत थी। जब यह कलीसिया विश्‍वास में मज़बूत हो गयी, तो ये चमत्कार भी ‘समाप्त हो गए।’—1 कुरिन्थियों 13:8, 11.

जैसे हमने देखा, आज चमत्कार के ज़रिए लोगों को चंगा नहीं किया जा रहा, बल्कि परमेश्‍वर अपने सेवकों के ज़रिए एक लाक्षणिक अर्थ में लोगों को चंगा कर रहा है। लोगों को अब भी मौका दिया जा रहा है कि वे इस पुकार को सुनें और इसके अनुसार फौरन ज़रूरी कदम उठाएँ: “जब तक यहोवा मिल सकता है तब तक उसकी खोज में रहो, जब तक वह निकट है तब तक उसे पुकारो; दुष्ट अपनी चालचलन और अनर्थकारी अपने सोच विचार छोड़कर यहोवा ही की ओर फिरे, वह उस पर दया करेगा, वह हमारे परमेश्‍वर की ओर फिरे और वह पूरी रीति से उसको क्षमा करेगा।”—यशायाह 55:6, 7.

परमेश्‍वर के राज्य के सुसमाचार का प्रचार हो रहा है जिसके द्वारा मन फिरानेवाले लोगों को आध्यात्मिक रूप से चंगा किया जा रहा है। (मत्ती 24:14) और जान बचानेवाले इस काम को करने के लिए परमेश्‍वर अपने सेवकों को ताकत देता है, जिससे कि वे सभी जाति के लाखों लोगों को मन फिराने में मदद करें। और इस दुनिया का नाश होने से पहले परमेश्‍वर के साथ एक अच्छा रिश्‍ता कायम करने में उनकी मदद करें। जो लोग इस तरह की लाक्षणिक चंगाई पाने के लिए प्रार्थना करते हैं और जो ऐसी चंगाई करने में मदद के लिए प्रार्थना करते हैं, परमेश्‍वर उन सब की प्रार्थनाओं का जवाब ज़रूर देता है।

[पेज 3 पर चित्र का श्रेय]

एलीएजेर और रिबका/The Doré Bible Illustrations/Dover Publications

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