क्या आप वहाँ सेवा कर सकते हैं जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है?
“अमरीका में हमारी ज़िंदगी आराम से कट रही थी। मगर वहाँ लोग दौलत और ऐशो-आराम के पीछे भाग रहे थे। हमें डर था कि कहीं उनका बुरा असर हम पर और हमारे दो बेटों पर न हो जाए। मैं और मेरी पत्नी पहले मिशनरी रह चुके थे। और हम एक बार फिर उसी तरह की सीधी-सादी और खुशहाल ज़िंदगी जीना चाहते थे।”
इस इच्छा ने राल्फ और पैम को इस कदर उभारा कि उन्होंने सन् 1991 में कई शाखा दफ्तरों को चिट्ठी लिखी। उसमें उन्होंने अपनी यह ख्वाहिश ज़ाहिर की कि वे ऐसी जगह जाकर सेवा करना चाहते हैं, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। जवाब में मेक्सिको के शाखा दफ्तर ने लिखा कि उन्हें ऐसे प्रचारकों की सख्त ज़रूरत है जो अँग्रेज़ी बोलनेवाले लोगों को प्रचार कर सकें। उन्होंने लिखा कि उनका इलाका यानी खेत ‘कटनी के लिये पक चुका है।’ (यूह. 4:35) राल्फ और पैम ने फौरन यह न्यौता स्वीकार कर लिया। वे अपने 8 और 12 साल के बेटों के साथ एक नए देश में जाने की तैयारी करने लगे।
प्रचार का एक बड़ा इलाका
राल्फ याद करता है: “कुछ भाई-बहनों ने जब सुना कि हम अमरीका छोड़कर जा रहे हैं, तो वे हमसे कहने लगे: ‘दूसरे देश में जाकर रहना बहुत खतरनाक है!’ ‘अगर तुम बीमार पड़ गए, तो?’ ‘ऐसे इलाके में जाकर प्रचार करने का क्या फायदा जहाँ लोग अँग्रेज़ी बोलते हैं? वे लोग सच्चाई में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाएँगे!’ भले ही इन भाई-बहनों ने नेक इरादे से ऐसी बातें कही थीं, लेकिन हमने फैसला कर लिया था। और फिर हमने दूसरे देश में सेवा करने का फैसला जल्दबाज़ी में नहीं किया था, इसके लिए हम कई साल से योजना बना रहे थे। हमने ऐसा कोई कर्ज़ नहीं लिया था, जिसे चुकाने में सालों लग जाते। हमने पैसे जोड़कर रखे थे। और नए देश में कैसी मुश्किलें आ सकती हैं, इस बारे में भी हमने अपने परिवार के साथ कई बार चर्चा की थी।”
राल्फ अपने परिवार के साथ सबसे पहले मेक्सिको के शाखा दफ्तर गया। वहाँ भाइयों ने उन्हें पूरे देश का नक्शा दिखाते हुए कहा, “ये रहा आपके प्रचार का इलाका!” राल्फ का परिवार सैन मीगेल दे आयेन्दे नाम के एक नगर में रहने लगा, जो मेक्सिको सिटी के उत्तर-पश्चिम में करीब 240 किलोमीटर दूर है। यहाँ दूसरे देशों से आए कई लोग रहते हैं। राल्फ के परिवार के पहुँचने के तीन साल बाद यहाँ एक अँग्रेज़ी मंडली बनी, जिसमें 19 प्रचारक थे। यह मेक्सिको की पहली अँग्रेज़ी मंडली थी। लेकिन अभी बहुत काम बाकी था।
अनुमान लगाया गया है कि मेक्सिको में लगभग 10 लाख अमरीकी नागरिक रहते हैं। इसके अलावा, मेक्सिको के कई विद्यार्थी और नौकरी-पेशा लोग अपनी मातृभाषा के अलावा अँग्रेज़ी भी अच्छी तरह बोलते हैं। राल्फ बताता है: “हम परमेश्वर से प्रार्थना करते थे कि वह कटनी के लिए और मज़दूर भेजे। हमारे घर में एक कमरा उन भाई-बहनों के लिए हमेशा तैयार रहता था, जो एक तरह से मेक्सिको ‘देश का भेद लेने’ आते थे, यानी यह देखने के लिए आते थे कि वे यहाँ प्रचार कर पाएँगे या नहीं।”—गिन. 13:2.
प्रचार में ज़्यादा करने के लिए उन्होंने अपना जीवन सादा किया
देखते-ही-देखते और भी भाई-बहन आए, जो प्रचार में ज़्यादा-से-ज़्यादा करना चाहते थे। जैसे कि बिल और कैथी, जो अमरीका से थे। इससे पहले उन्होंने अपने 25 साल ऐसे इलाकों में प्रचार करने में बिताए थे, जहाँ प्रचारकों की बहुत ज़रूरत थी। वे स्पैनिश भाषा सीखने की सोच रहे थे। लेकिन जब वे चापाला झील के किनारे बसे आकीकीक नगर में आकर रहने लगे, जो अमरीका के रिटायर्ड लोगों के रहने की पसंदीदा जगह है, तो उन्होंने अपना इरादा बदल दिया। बिल बताता है: “आकीकीक में हम अँग्रेज़ी बोलनेवाले ऐसे लोगों को ढूँढ़ने में पूरी तरह जुट गए, जो सच्चाई सीखना चाहते थे।” बिल और कैथी की मेहनत रंग लायी। उनके वहाँ पहुँचने के दो साल बाद ही उस शहर में एक मंडली बन गयी, जो मेक्सिको में अँग्रेज़ी भाषा की दूसरी मंडली थी।
कनाडा के केन और जोएन अपनी ज़िंदगी को सादा बनाकर प्रचार में ज़्यादा-से-ज़्यादा समय बिताना चाहते थे। वे अपनी बेटी ब्रिटनी के साथ अपना देश छोड़कर मेक्सिको आ गए। केन कहता है: “इस नयी जगह में कई-कई दिनों तक गरम पानी, बिजली या टेलीफोन की सुविधा नहीं रहती थी। शुरू-शुरू में हमें दिक्कत तो हुई, लेकिन फिर धीरे-धीरे हमें आदत पड़ गयी।” इन मुश्किलों के बावजूद केन और उसके परिवार को प्रचार काम से बहुत खुशी मिली। जल्द ही केन को सहायक सेवक की ज़िम्मेदारी दी गयी और उसके दो साल बाद वह प्राचीन बन गया। उनकी बेटी को शुरू में वहाँ की छोटी-सी अँग्रेज़ी मंडली में लोगों के साथ घुलने-मिलने में थोड़ी मुश्किल हुई, क्योंकि वहाँ उसकी उम्र के बहुत कम भाई-बहन थे। लेकिन जब वह राज्य घर के निर्माण काम में हाथ बँटाने लगी, तब देश-भर के कई भाई-बहनों से उसकी अच्छी दोस्ती हो गयी।
जब अमरीका के टेक्सस राज्य के पैट्रिक और उसकी पत्नी रोक्सैन को पता चला कि उनके पड़ोसी देश, मेक्सिको में अँग्रेज़ी बोलनेवाले कई लोग रहते हैं और वे वहाँ जाकर प्रचार कर सकते हैं, तो वे बहुत खुश हुए। पैट्रिक कहता है, “मेक्सिको के उत्तर-पूर्व में बसे मोन्टेर्री शहर से आने के बाद, हमें लगा जैसे यहोवा हमसे कह रहा हो कि वहाँ लोगों को सच्चाई सीखने में मदद दो।” पाँच दिन के अंदर उन्होंने टेक्सस में अपना घर बेचा और मोन्टेर्री चले गए। यह ऐसा था मानो वे ‘इस पार मकिदुनिया’ आ गए हों। (प्रेषि. 16:9) मेक्सिको में गुज़ारा करना आसान नहीं है। लेकिन जब दो साल में उन्होंने 17 प्रचारकों के एक समूह को 40 प्रचारकों की मंडली बनते देखा, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
जेफ और उसकी पत्नी डेब ने भी अपनी सेवा बढ़ाने के लिए अपनी ज़िंदगी को सादा बनाया। उन्होंने अमरीका में अपना आलीशान मकान बेचा और मेक्सिको के पूर्वी तट पर कैनकुन शहर में एक छोटे-से अपार्टमेंट में रहने लगे। जब वे अमरीका में रहते थे, तो सम्मेलन के लिए उन्हें ज़्यादा लंबा सफर नहीं करना पड़ता था और वे एयर-कंडीशन हॉल में बैठकर सम्मेलन का लुत्फ उठाते थे। लेकिन अब यहाँ उन्हें अँग्रेज़ी के सबसे नज़दीकी सम्मेलन के लिए आठ घंटे का लंबा सफर करना पड़ता था और खुले स्टेडियम में बैठना पड़ता था। लेकिन जब उन्होंने कैनकुन में करीब 50 प्रचारकों की एक मंडली बनते देखा, तो उन्हें बहुत खुशी हुई।
मेक्सिको के कुछ भाई-बहन भी अँग्रेज़ी बोलनेवालों को प्रचार करने के लिए आगे आए। जब रुबेन और उसके परिवार को पता चला कि सैन मीगेल दे आयेन्दे में मेक्सिको की पहली अँग्रेज़ी मंडली बनी है और पूरा देश उस मंडली के इलाके में आता है, तो उन्होंने फौरन मदद करने का फैसला किया। इसके लिए उन्हें अँग्रेज़ी सीखनी थी, एक अलग संस्कृति को समझना था और सभाओं के लिए हर हफ्ते लगभग 800 किलोमीटर का लंबा सफर तय करना था। रुबेन कहता है: “हमें उन विदेशियों को प्रचार करने का मौका मिला जो सालों से मेक्सिको में रह रहे थे, लेकिन जिन्होंने इससे पहले कभी अपनी भाषा में खुशखबरी नहीं सुनी थी। जब हमने उन्हें प्रचार किया तो खुशी के मारे कुछ लोगों की आँखों से आँसू छलक पड़े और उन्होंने सच्चे दिल से हमारा धन्यवाद किया।” सैन मीगेल दे आयेन्दे की मंडली की मदद करने के बाद रुबेन अपने परिवार के साथ मध्य मेक्सिको के ग्वानावातो नगर में पायनियर सेवा करने लगा। वहाँ उन्होंने अँग्रेज़ी भाषा की एक मंडली बनने में हाथ बँटाया, जिसमें 30 से भी ज़्यादा प्रचारक थे। आज वे ग्वानावातो के पासवाले नगर ईराप्वाटो में अँग्रेज़ी भाषा बोलनेवाले एक समूह के साथ सेवा कर रहे हैं।
उन्हें प्रचार करना जिनसे मिलना मुश्किल होता है
विदेशियों के अलावा कई मेक्सिकोवासी भी अँग्रेज़ी बोलते हैं। लेकिन उन तक खुशखबरी पहुँचाना टेढ़ी खीर होती है, क्योंकि वे बड़े-बड़े घरों में रहते हैं और दरवाज़े पर दस्तक देने पर नौकरानी ही बाहर आती है। और अगर घर-मालिक दरवाज़े पर आ भी जाएँ, तो वे हमारा संदेश सुनना पसंद नहीं करते, क्योंकि उन्हें लगता है कि यहोवा के साक्षी उनके इलाके का ही एक छोटा-सा पंथ है। लेकिन जब ऐसे लोगों की मुलाकात विदेश से आए साक्षियों से होती है, तो कुछ लोग उनकी बात सुनना पसंद करते हैं।
ग्लोरीया की ही मिसाल लीजिए। वह मध्य मेक्सिको के क्वेरेटारो शहर में रहती है। वह बताती है: “स्पैनिश बोलनेवाले साक्षियों से मेरी मुलाकात पहले भी हो चुकी थी, लेकिन मैंने उनकी बात कभी नहीं सुनी। जब मेरे परिवार में और दोस्तों की ज़िंदगी में समस्याएँ उठने लगीं, तो मैं मायूस हो गयी। मैं मदद के लिए परमेश्वर से प्रार्थना करने लगी। कुछ ही समय बाद, अँग्रेज़ी बोलनेवाली एक स्त्री मेरे घर आयी। उसने पूछा कि क्या घर पर कोई अँग्रेज़ी बोलता है। क्योंकि वह एक विदेशी थी, मेरे मन में उसके बारे में जानने की इच्छा हुई। मैंने उससे कहा कि मैं अँग्रेज़ी बोलती हूँ। जब वह बात कर रही थी तो मैं सोचने लगी, ‘भला यह अमरीकी स्त्री यहाँ क्या कर रही है?’ लेकिन तभी मुझे याद आया कि मैंने परमेश्वर से मदद के लिए प्रार्थना की थी और शायद यह विदेशी स्त्री उसी प्रार्थना का जवाब हो।” ग्लोरीया बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी हो गयी और अपने परिवार के विरोध के बावजूद उसने बहुत जल्द तरक्की की और बपतिस्मा लिया। आज वह एक पायनियर है और उसका पति और बेटा भी यहोवा की सेवा कर रहे हैं।
सेवा बढ़ाने की आशीषें
यह सच है कि ऐसी जगह जाकर प्रचार करना आसान नहीं, जहाँ राज के प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। लेकिन ऐसी सेवा में बेशुमार आशीषें मिलती हैं। राल्फ, जिसका ज़िक्र लेख के शुरू में किया गया है, कहता है: “हमने ब्रिटेन, चीन, जमैका, स्वीडन से आए लोगों, यहाँ तक कि घाना के ऊँचे तबके के लोगों के साथ भी बाइबल अध्ययन चलाया है। इनमें से कुछ बाइबल विद्यार्थी पूरे समय की सेवा में लग गए हैं। पिछले सालों में हमारे परिवार ने सात नयी अँग्रेज़ी मंडलियाँ बनते देखी है। हमारे दोनों बेटों ने हमारे साथ पायनियर सेवा की और आज वे अमरीका के बेथेल में सेवा कर रहे हैं।”
फिलहाल मेक्सिको में अँग्रेज़ी भाषा की 88 मंडलियाँ और कई समूह हैं। किन वजहों से इतनी तेज़ी से बढ़ोतरी हुई है? एक वजह तो यह है कि मेक्सिको में अँग्रेज़ी बोलनेवाले कई लोगों की मुलाकात साक्षियों से पहले कभी नहीं हुई थी। दूसरी वजह है कि कुछ लोगों ने इसलिए खुशखबरी सुनी क्योंकि वे अपने घर से दूर थे और यहाँ उन पर घरवालों और दोस्तों का दबाव नहीं था, जो उन्हें सच्चाई में आगे बढ़ने से रोकता। ऐसे भी कुछ लोग थे जिन्होंने बाइबल अध्ययन इसलिए स्वीकार किया, क्योंकि वे रिटायर हो चुके थे और उनके पास अध्ययन के लिए काफी समय था। इसके अलावा, अँग्रेज़ी मंडलियों में एक-तिहाई से ज़्यादा प्रचारक पायनियर हैं और उनकी वजह से मंडली में काफी हद तक जोश बना रहता है और अच्छी बढ़ोतरी होती है।
आशीषें आपकी राह तक रही हैं
इसमें कोई दो राय नहीं कि दुनिया-भर में अपनी भाषा में राज का संदेश सुनने पर और भी लोग सच्चाई कबूल करेंगे। इसलिए यह देखकर दिल गद्गद् हो उठता है कि बहुत-से भाई-बहन चाहे वे जवान हों या बूढ़े, कुँवारे हों या शादीशुदा, ऐसी जगह जाकर प्रचार करना चाहते हैं, जहाँ प्रचारकों की बहुत ज़रूरत है। यह सच है कि उन्हें कुछ मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। लेकिन जब वे किसी नेकदिल इंसान को सच्चाई कबूल करते देखेंगे, तो उनकी खुशी का ठिकाना नहीं रहेगा। उस खुशी के आगे उन्हें अपनी मुश्किलें कुछ भी नहीं लगेंगी। क्या आप अपनी ज़िंदगी में फेरबदल करके अपने ही देश के किसी इलाके या दूसरे देश में जाकर प्रचार कर सकते हैं, जहाँ प्रचारकों की सख्त ज़रूरत है?a (लूका 14:28-30; 1 कुरिं. 16:9) ऐसा करने से आपको बेशुमार आशीषें मिलेंगी।
[फुटनोट]
a जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ जाकर सेवा करने के बारे में और जानकारी के लिए यहोवा की इच्छा पूरी करने के लिए संगठित किताब के पेज 111-112 देखिए।
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उनकी खुशी ने खींचा उसका ध्यान
बेरल ब्रिटेन में रहती थी, लेकिन बाद में वह कनाडा में बस गयी। वहाँ वह कई अंतर्राष्ट्रीय कंपनियों में मैनेजर रह चुकी थी। वह एक अच्छी घुड़सवार भी थी और उसे सन् 1980 के ओलंपिक खेलों में कनाडा की तरफ से भाग लेने के लिए चुना गया। रिटायर होने के बाद वह अपने पति के साथ मेक्सिको के चापाला नगर में रहने लगी। वहाँ वे अकसर बाहर होटलों में खाना खाते थे। और वह जब भी होटल में अँग्रेज़ी बोलनेवाले रिटायर्ड लोगों को खुश देखती, तो वह उनसे ज़रूर मिलती और बातों-बातों में पूछती कि वे मेक्सिको में क्या कर रहे हैं। लगभग हर बार वे लोग यहोवा के साक्षी निकलते थे। बेरल और उसके पति ने सोचा कि अगर परमेश्वर को जानने से ज़िंदगी में खुशी और एक मकसद मिलता है, तो वे भी उस परमेश्वर के बारे में सीखना चाहेंगे। कई महीनों तक मसीही सभाओं में आने के बाद बेरल बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी हुई और आगे चलकर एक साक्षी बन गयी। इसके बाद उसने कई साल तक पायनियर सेवा की।
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“ये विदेशी भाई-बहन हमारे लिए एक आशीष हैं”
जब राज के प्रचारक दूसरे देश में जाकर सेवा करते हैं, तो वहाँ के भाई-बहन तहेदिल से उनकी कदर करते हैं। केरिबियन के एक शाखा दफ्तर ने लिखा: “ये सैकड़ों विदेशी भाई-बहन अगर हमारा देश छोड़कर चले जाएँ, तो यहाँ की मंडलियों की मज़बूती पर असर पड़ सकता है। ये विदेशी भाई-बहन हमारे लिए एक आशीष हैं।”
परमेश्वर का वचन बताता है कि “शुभ संदेश सुनाने वाली स्त्रियों की एक बड़ी सेना है।” (भज. 68:11, NHT) इसलिए इसमें कोई ताज्जुब नहीं कि विदेश में जाकर सेवा करनेवालों में कई अविवाहित बहनें भी हैं। त्याग की भावना दिखानेवाली ये बहनें बहुत मददगार साबित हुई हैं। पूर्वी यूरोप के एक शाखा दफ्तर ने कहा: “हमारी बहुत-सी मंडलियों में बहनों की तादाद ज़्यादा है। कुछ मंडलियों में तो 70 प्रतिशत बहनें ही हैं। इनमें से ज़्यादातर सच्चाई में नयी हैं, मगर जो अविवाहित पायनियर बहनें दूसरे देशों से यहाँ आयी हैं, वे इन नयी बहनों को ट्रेनिंग देकर बढ़िया मदद दे रही हैं। ये विदेशी बहनें हमारे लिए सचमुच एक वरदान हैं!”
ये बहनें विदेश में सेवा करने के बारे में कैसा महसूस करती हैं? ऐन्जेलिका 35 साल की एक अविवाहित बहन है। उसने कई साल विदेश में पायनियर सेवा की है। वह कहती है: “मुश्किलें तो बहुत आती हैं। एक बार मुझे प्रचार के लिए ऐसी जगह भेजा गया, जहाँ मुझे रोज़ कीचड़-भरी सड़कों से पैदल जाना पड़ता था। वहाँ लोगों का दुख-दर्द देखकर मैं मायूस हो जाती थी। मगर जब मैं प्रचार में लोगों की मदद कर पाती, तो मुझे गहरी खुशी मिलती थी। जब वहाँ की बहनें मुझे धन्यवाद देतीं कि मैं अपना देश छोड़कर उनकी मदद करने आयी हूँ, तो उनकी बातें मेरे दिल को छू जाती। एक बहन ने मुझसे कहा कि आप अपने घर से दूर एक पराए देश में पायनियर सेवा करने आयी हो, यह देखकर मुझे भी पूरे समय की सेवा करने की प्रेरणा मिली है।”
सू एक पायनियर बहन है, जिसकी उम्र करीब 50-52 के बीच है। वह कहती है: “ऐसा नहीं है कि सेवा में चुनौतियाँ नहीं आएँगी, मगर हमें जो आशीषें मिलती हैं, उनके आगे ये सारी चुनौतियाँ फीकी पड़ जाती हैं। इस सेवा में जो मज़ा है, वह किसी और में नहीं! प्रचार में मेरा काफी वक्त जवान बहनों के साथ बीतता है। उस वक्त मैं उन्हें बताती हूँ कि अड़चनों को पार करने के मामले में मैंने बाइबल और हमारे साहित्य से क्या सीखा है। वे अकसर मुझसे कहती हैं कि मैं जिस तरह सालों से अविवाहित रहकर पायनियर सेवा कर रही हूँ और अपनी समस्याओं को सुलझाती हूँ, उससे उन्हें भी अपनी ज़िंदगी की चुनौतियों का सामना करने का हौसला मिलता है। इन बहनों की मदद करके मुझे बेइंतिहा खुशी मिलती है।”
[पेज 20 पर बक्स]
(भाग को असल रूप में देखने के लिए प्रकाशन देखिए)
मेक्सिको
ग्वानावातो
ईराप्वाटो
चापाला
अकीकीक
चापाला झील
मोन्टेर्री
सैन मीगेल दे आयेन्दे
क्वेरेटारो
मेक्सिको सिटी
कैनकुन
[पेज 23 पर तसवीर]
कुछ साक्षी उन विदेशियों को प्रचार कर पाए हैं, जिन्होंने पहली बार खुशखबरी सुनी