क्या आप “मकिदुनिया” जा सकते हैं?
1. पौलुस और उसके साथियों को मकिदुनिया क्यों जाना पड़ा?
करीब ईसवी सन् 49 की बात है। सीरिया के अंताकिया से पौलुस अपने दूसरे मिशनरी दौरे पर निकला। वह इफिसुस शहर और एशिया माइनर के दूसरे शहरों में जाना चाहता था। लेकिन उसे पवित्र शक्ति के ज़रिए न्यौता मिला: “मकिदुनिया आकर हमारी मदद कर।” पौलुस और उसके साथियों ने खुशी-खुशी इस न्यौते को कबूल किया और उन्हें इस इलाके की सबसे पहली मसीही मंडली शुरू करने का सम्मान मिला। (प्रेषि. 16:9, 10; 17:1, 2, 4) आज दुनिया के कई इलाकों में कटाई के लिए और मज़दूरों की ज़रूरत है। (मत्ती 9:37, 38) क्या आप इस मामले में मदद कर सकते हैं?
2. कुछ लोग शायद किन वजहों से दूसरे इलाके में जाने से हिचकिचाते हैं?
2 हो सकता है आपमें भी पौलुस की तरह मिशनरी जज़्बा हो, लेकिन प्रचार करने के लिए कहीं और बसने के बारे में आपने इतना न सोचा हो। इसकी वजह शायद यह हो कि आप एक मिशनरी बनने के लिए गिलियड का या कोई और खास प्रशिक्षण ना ले पाएँ क्योंकि आपकी उम्र निकल चुकी है या आप अविवाहित बहन हैं या आपके छोटे बच्चे हैं। या फिर आपको लगता हो कि आप एक नयी भाषा नहीं सीख पाएँगे और इस वजह से शायद आपने इस खयाल को अपने मन से निकाल दिया हो। हो सकता है कि आप किसी और देश में नौकरी करने के लिए आए हों और इस वजह से कहीं और जाना आपको मुश्किल लगता हो। अगर आप परमेश्वर से प्रार्थना करके अपने हालात पर दोबारा नज़र डालें तो शायद आप पाएँगे कि ऐसे हालात के बावजूद भी आप उन इलाकों में जाकर बस सकते हैं, जहाँ राज प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है।
3. किसी और जगह जाकर प्रचार करने के लिए खास प्रशिक्षण की ज़रूरी क्यों नहीं है?
3 क्या खास प्रशिक्षण ज़रूरी है? पौलुस और उसके साथी क्यों अपनी सेवा में कामयाब हो सके? क्योंकि उनका भरोसा यहोवा और उसकी पवित्र शक्ति पर था। (2 कुरिं. 3:1-5) अगर अपने हालात की वजह से आप कोई खास प्रशिक्षण नहीं पा सकते तब भी आप किसी और जगह जाकर प्रचार करने में सफल हो सकते हैं। यह भी याद रखिए कि परमेश्वर की सेवा स्कूल और सेवा सभा से आपको लगातार तालीम मिलती है। अगर आपकी ख्वाहिश किसी खास स्कूल से प्रशिक्षण पाने की है तो दूसरी जगह जाकर सेवा करने से आपको ऐसा अनुभव मिलेगा, जिससे आप काफी कुछ सीख पाएँगे। और अगर आपको किसी स्कूल में हाज़िर होने का न्यौता मिला तब भी यह अनुभव आपके काम आएगा।
4. बुज़ुर्गों को क्यों ऐसा नहीं सोचना चाहिए कि वे कहीं और जाकर प्रचार नहीं कर सकते?
4 बुज़ुर्ग: जिन बुज़ुर्ग भाई-बहनों की सेहत ठीक-ठाक है और जिन्हें आध्यात्मिक तौर पर काफी तजुरबा है, वे ऐसे इलाकों में बड़ी मदद साबित हो सकते हैं, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है। क्या आप रिटायर हो गए हैं? पेंशन की छोटी रकम पर भी कई लोग ऐसे इलाकों में बढ़िया गुज़ारा कर लेते हैं, जहाँ उनके अपने इलाके के मुकाबले इलाज, किराए, खाने-पीने या दूसरी चीज़ों में कम खर्चा होता है।
5. एक भाई का अनुभव बताइए जो रिटायर होने के बाद ऐसे इलाके में गया जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है।
5 एक प्राचीन जो रिटायर हो चुका है, वह ऐसे देश का रहनेवाला है जहाँ अँग्रेज़ी बोली जाती है। वह पायनियर है जो दक्षिण-पूर्वी एशिया के ऐसे इलाके में जाकर बस गया जहाँ काफी सैलानी आते-जाते थे। वहाँ अँग्रेज़ी बोलनेवाला एक समूह था जिसमें सिर्फ नौ प्रचारक थे। इस समूह ने उस इलाके में ऐसे 30,000 लोगों को प्रचार किया जो दूसरे देशों से वहाँ आकर बस गए थे। सिर्फ दो साल में करीब 50 लोग सभाओं में आने लगे। भाई लिखता है: “यहाँ आने से मुझे ऐसी आशीषें मिली हैं जिनके बारे में मैं पहले सोच भी नहीं सकता था। अगर मैं सिर्फ कुछ ही आशीषों के बारे में बताने लगूँ तब भी वक्त कम पड़ेगा।”
6. एक अविवाहित बहन का अनुभव बताइए जो ऐसे देश में गयी जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी।
6 अविवाहित बहनें: जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है वहाँ खुशखबरी फैलाने के लिए यहोवा ने असरदार तरीके से बहनों का इस्तेमाल किया है। (भज. 68:11) एक जवान बहन किसी और देश में प्रचार करके और ज़्यादा सेवा करना चाहती थी लेकिन उसके माँ-बाप को उसकी सुरक्षा की फिक्र थी। इसलिए उसने एक ऐसा देश चुना जहाँ राजनैतिक और आर्थिक माहौल शांत था। फिर उसने वहाँ के शाखा दफ्तर को खत लिखा और इसके जवाब में उसे काफी मददगार जानकारी मिली। बहन वहाँ छ: साल रही और उसे कई आशीषें मिलीं। वह कहती है: “अपने देश में मुझे बाइबल अध्ययन कराने के बहुत कम मौके मिलते थे। लेकिन ऐसी जगह प्रचार करने से जहाँ ज़्यादा ज़रूरत है, मुझे बहुत-से बाइबल अध्ययन चलाने और सिखाने की अपनी कला को निखारने का अच्छा मौका मिला।”
7. एक परिवार की मिसाल दीजिए जो ऐसे इलाके में गए, जहाँ राज प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है।
7 परिवार: अगर परिवार में बच्चे हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि आप किसी और जगह जाकर प्रचार नहीं कर सकते। एक जोड़े ने इसे आज़माकर देखने की सोची। उनके आठ और दस साल के दो बच्चे थे। अपने अनुभव के बारे उनकी माँ लिखती है: “हम बहुत शुक्रगुज़ार हैं कि हम अपने बच्चों की परवरिश यहाँ कर सके। क्योंकि उनका काफी वक्त खास पायनियरों और मिशनरियों के साथ गुज़रता था। जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ जाकर सेवा करने से हमारी ज़िंदगी खुशियों से भर गयी।”
8. क्या नयी भाषा सीखे बगैर आप किसी और इलाके में सेवा कर सकते हैं? समझाइए।
8 नयी भाषा सीखने की चिंता: क्या आप इस वजह से पीछे हट रहे हैं क्योंकि आपको लगता है कि आप एक नयी भाषा नहीं सीख पाएँगे? हो सकता है जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है, वहाँ आप ही की भाषा बोली जाती हो। अँग्रेज़ी बोलनेवाला एक जोड़ा एक स्पैनिश बोलनेवाली जगह गया। वहाँ काफी लोग ऐसी जगहों से आए थे जहाँ अँग्रेज़ी बोली जाती है। उन्हें शाखा दफ्तर से ऐसी कई अँग्रेज़ी मंडलियों का पता लगा जहाँ प्रचारकों की ज़रूरत थी। उन्होंने उनमें से एक मंडली को चुना और दो बार उस इलाके में कुछ समय के लिए गए और घर लौट आए। घर आकर उन्होंने अपने खर्चों में कटौती की और एक साल तक पैसे बचाए। आखिरकार, जब वे उस देश में जाने के लिए तैयार हो गए, तो वहाँ के भाइयों ने उन्हें सस्ता मकान ढूँढ़ने में मदद दी।
9, 10. जो भाई-बहन अपने शहर को छोड़कर दूसरी जगहों में बस गए हैं, वे किस बारे में सोच सकते हैं और क्यों?
9 नौकरी के लिए किसी और जगह में रहनेवाले: क्या आप नौकरी-पेशे के लिए किसी दूसरे देश में या अपने ही देश में किसी दूसरी जगह बस गए हैं? शायद आपने सच्चाई सीखने से पहले ऐसा किया हो। आपके अपने शहर या गाँव में शायद कटाई के लिए मज़दूरों की बहुत ज़रूरत हो। क्या आप अपने इलाके में लौटने की सोच सकते हैं? परदेसियों के मुकाबले आपके लिए अपने देश में नौकरी ढूँढ़ना ज़्यादा आसान होगा। और आपको वहाँ की भाषा भी आती होगी। इसके अलावा मुमकिन है कि आपके देश के लोगों को किसी परदेसी के बजाय आपकी बात कबूल करना ज़्यादा आसान लगे।
10 एक व्यक्ति शरणार्थी बनकर अल्बेनिया से इटली गया। वहाँ उसकी एक अच्छी नौकरी लग गयी और वह अल्बेनिया में अपने परिवार को लगातार पैसे भेजता था। सच्चाई में आने के बाद वह कुछ इतालवी खास पायनियरों को अल्बेनियाई भाषा सिखाने लगा। ये इतालवी पायनियर अल्बेनिया जाकर प्रचार करना चाहते थे क्योंकि वहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत थी। भाई लिखता है: “वे उस जगह जा रहे थे, जिसे मैं छोड़ आया था। उन्हें वहाँ की भाषा भी नहीं आती थी फिर भी वे अल्बेनिया जाकर प्रचार करना चाहते थे। मेरी भाषा और संस्कृति अल्बेनियाई थी। मैं सोचने लगा कि मैं इटली में क्या कर रहा हूँ?” इस भाई ने प्रचार करने के लिए वापस अल्बेनिया जाने का फैसला किया। भाई आगे कहता है: “क्या मुझे ज़रा भी अफसोस है कि मैंने इटली में अच्छा काम और पैसे कमाने के मौके छोड़ दिए? बिलकुल नहीं! मुझे अल्बेनिया में असली काम मिल गया। मेरा मानना है कि आपके पास जो कुछ है उससे यहोवा की सेवा करना ही सबसे ज़्यादा मायने रखता है और उसी से सच्ची खुशी मिलती है।”
11, 12. जो लोग ऐसी जगह जाने की सोच रहे हैं जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है उन्हें क्या करना चाहिए?
11 कैसे करें: मकिदुनिया जाने से पहले पौलुस और उसके साथी पश्चिम की ओर सफर करना चाहते थे, मगर “पवित्र शक्ति ने उन्हें . . . मना किया था।” (प्रेषि. 16:6) इसलिए वे अब उत्तर की ओर जाने लगे। जब वे बितूनिया के करीब पहुँचे तो यीशु ने उन्हें रोक दिया। (प्रेषि. 16:7) आज भी यहोवा यीशु के ज़रिए ही प्रचार काम की देख-रेख कर रहा है। (मत्ती 28:20) इसलिए अगर आप ऐसी जगह बसने की सोच रहे हैं, जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है तो प्रार्थना में यहोवा से निर्देश माँगिए।—लूका 14:28-30; याकू. 1:5. बक्स—“कैसे जानें कि जहाँ आप जाना चाहते हैं, वहाँ ज़रूरत है या नहीं” देखिए।
12 अपनी मंडली के प्राचीनों और दूसरे तजुरबेकार मसीहियों से सलाह लीजिए कि उनकी राय में क्या आप किसी दूसरी जगह जाकर अच्छी तरह सेवा कर पाएँगे? (नीति. 11:14; 15:22) जहाँ प्रचारकों की ज़रूरत ज़्यादा हो वहाँ जाकर प्रचार करने के बारे में हमारे साहित्य में दी गयी जानकारी पढ़िए। जिस इलाके में आप जाना चाहते हैं उसके बारे में खोजबीन कीजिए। क्या आप कुछ समय वहाँ रहकर देख सकते हैं? अगर आप कहीं और सेवा करने के बारे में गंभीरता से सोच रहे हैं तो आप ज़्यादा जानकारी के लिए शाखा दफ्तर को लिख सकते हैं। लेकिन अच्छा होगा कि आप यह चिट्ठी पहले अपनी मंडली के प्राचीनों को दें, जो अपनी सिफारिश के साथ इसे शाखा दफ्तर को भेज देंगे।—यहोवा की इच्छा पूरी करने के लिए संगठित किताब के पेज 111-112 देखिए।
13. शाखा दफ्तर आपकी कैसे मदद कर सकता है और आप खुद किन चीज़ों के लिए ज़िम्मेदार होंगे?
13 शाखा दफ्तर आपको ऐसी जानकारी दे सकता है जो फैसले लेने में मददगार साबित हो, लेकिन वह आपको ऐसे कानूनी कागज़ात या दूसरे दस्तावेज़ नहीं दे पाएगा, ना ही आपको वहाँ रहने के लिए जगह ढूँढ़ने में मदद दे पाएगा। कहीं जाने से पहले इन मामलों के बारे में आपको खुद ही जानकारी हासिल करनी होगी। जो ऐसे इलाकों में जाना चाहते हैं उन्हें अपनी ज़रूरतों और कानूनी माँगों को खुद ही पूरा करना चाहिए।—गला. 6:5.
14. जब आप किसी ऐसे देश में जाना चाहते हैं जहाँ हमारे काम पर पाबंदी है तो आपको क्या करना चाहिए?
14 ऐसे देश जहाँ हमारे काम पर पाबंदी हो: कुछ देशों में भाई-बहनों को उपासना के मामले में बहुत सावधानी बरतनी पड़ती है। (मत्ती 10:16) बाहर देश से आए प्रचारक कई बार बेवजह दूसरों का ध्यान खींच सकते हैं और इस तरह वहाँ के भाई-बहनों की सुरक्षा खतरे में पड़ सकती है। अगर आप किसी ऐसे देश में जाने की सोच रहे हैं, जहाँ हमारे काम पर पाबंदी है तो कृपया पहले अपनी मंडली के प्राचीनों के निकाय के ज़रिए अपने देश के शाखा दफ्तर को लिखें।
15. जिनके हालात कहीं और जगह जाने की इजाज़त नहीं देते, वे अपनी सेवा को में और ज़्यादा करने के लिए क्या कर सकते हैं?
15 अगर आप कहीं और नहीं बस सकते: अगर आप किसी दूर जगह जाकर नहीं बस सकते तो हिम्मत मत हारिए। शायद आपके लिए ‘मौके का एक बड़ा दरवाज़ा खोला गया है, ताकि आप और भी सरगर्मी के साथ सेवा कर सकें।’ (1 कुरिं. 16:8, 9) आपके सर्किट निगरान शायद आपको ऐसे इलाकों के बारे में बताएँ जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत हो और जो आपके घर से ज़्यादा दूर न हों। शायद आप पास की किसी मंडली या समूह की मदद कर सकते हैं। या फिर आप अपनी ही मंडली में रहकर अपनी सेवा में और ज़्यादा कर सकते हैं। आपके हालात चाहे जैसे भी हों, अहम बात यह है कि आप जी-जान से परमेश्वर की उपासना करें।—कुलु. 3:23.
16. जब कोई ऐसी जगह जाना चाहता है जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है तो हमें कैसा रवैया दिखाना चाहिए?
16 क्या आप किसी ऐसे मसीही को जानते हैं जो आध्यात्मिक तौर पर मज़बूत है और वहाँ प्रचार करना चाहता है जहाँ प्रचारकों की ज़्यादा ज़रूरत है? अगर हाँ, तो उसे सहारा दीजिए और उसकी हिम्मत बढ़ाइए। जब पौलुस सीरिया के अंताकिया को छोड़कर जा रहा था, तो वह रोमी साम्राज्य का तीसरा सबसे बड़ा शहर था (रोम और सिकंदरिया के बाद)। इस मंडली का इलाका काफी बड़ा था और उन्हें पौलुस की मदद की ज़रूरत थी। अगर वह वहाँ से चला जाता तो उन्हें उसकी कमी ज़रूर महसूस होती। मगर बाइबल यह नहीं बताती कि इन भाइयों ने पौलुस को रोकने की कोशिश की। उन्होंने सिर्फ अपनी मंडली की ज़रूरतों के बारे में ही नहीं सोचा बल्कि यह याद रखा कि “खेत, दुनिया है।”—मत्ती 13:38.
17. आपको क्यों ‘मकिदुनिया जाने’ के बारे में सोचना चाहिए?
17 मकिदुनिया जाने के न्यौते को कबूल करने से पौलुस और उसके साथियों को बहुत-सी आशीषें मिलीं। मकिदुनिया के एक शहर फिलिप्पी में उनकी मुलाकात लुदिया से हुई और “यहोवा ने उसके दिल के द्वार पूरी तरह खोल दिए कि वह पौलुस की कही बातों पर ध्यान दे।” (प्रेषि. 16:14) ज़रा सोचिए कि पौलुस और उसके संगी मिशनरियों को कितनी खुशी हुई होगी, जब लुदिया और उसके पूरे परिवार ने बपतिस्मा लिया। कई देशों में लुदिया जैसे नेक-दिल लोग हैं जिन्हें अब तक राज का संदेश नहीं मिला है। अगर आप ‘मकिदुनिया जाएँ’ तो आप भी ऐसे लोगों को ढूँढ़कर उनकी मदद कर पाएँगे जिससे आपको खुशी मिलेगी।
[पेज ५ पर बाक्स]
कैसे जानें कि जहाँ आप जाना चाहते हैं, वहाँ ज़रूरत है या नहीं
• अपनी मंडली के प्राचीनों और अपने सर्किट निगरान से बात कीजिए।
• उन प्रचारकों से बात कीजिए जो उस इलाके में जा चुके हैं या वहाँ रह चुके हैं।
• अगर आप किसी ऐसी जगह जाना चाहते हैं, जहाँ आपकी भाषा बोली जाती है तो इंटरनेट या किसी और ज़रिए से पता कीजिए कि उस इलाके में आपकी भाषा बोलनेवालों की आबादी कितनी है।