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  • क्या ऐसी दुनिया मुमकिन है, जहाँ हिंसा न हो?

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  • क्या ऐसी दुनिया मुमकिन है, जहाँ हिंसा न हो?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2016
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2016
wp16 अंक 3 पेज 11-13
एक आदमी एक स्त्री को मारने के लिए अपनी मुट्ठी उसकी तरफ ताने हुए है

क्या ऐसी दुनिया मुमकिन है, जहाँ हिंसा न हो?

क्या आप या आपके परिवार के सदस्य कभी हिंसा के शिकार हुए हैं? क्या आपको इस बात का डर है कि कहीं आपके साथ किसी तरह की हिंसा न हो जाए। कहा जाता है कि आज हिंसा लोगों के लिए एक ऐसी समस्या बन गयी है, जिसका “दुनिया-भर में लोगों की सेहत पर बड़े पैमाने पर असर हो रहा है ।” आइए, कुछ उदाहरणों पर ध्यान दें।

घरेलु हिंसा और लैंगिक दुर्व्यवहार: संयुक्‍त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में बताया गया है, ‘हर तीन में से एक स्त्री के साथी ने कभी-न-कभी उसे ज़रूर मारा-पीटा है या उसके साथ ज़बरदस्ती की है। ऐसा अनुमान लगाया गया है कि पूरी दुनिया में पाँच में से एक स्त्री का बलात्कार किया जाएगा या फिर ऐसा करने की कोशिश की जाएगी।’

गुंडागर्दी: एक रिपोर्ट के मुताबिक अमरीका में 30,000 से भी ज़्यादा गिरोह हैं, जो अपराध और हिंसा करते हैं। लैटिन अमरीका में करीब-करीब तीन में से एक व्यक्‍ति इस तरह की हिंसा का शिकार हुआ है।

हत्या: यह अनुमान लगाया गया है कि 2012 में करीब-करीब पाँच लाख लोगों की हत्या की गयी। यह गिनती युद्धों की वजह से मारे गए लोगों की गिनती से कहीं ज़्यादा है। दक्षिण अफ्रीका और मध्य अमरीका में हत्या का अनुपात सबसे ज़्यादा था, पूरी दुनिया के अनुपात के मुकाबले चार गुना ज़्यादा। लैटिन अमरीका में एक साल में 1,00,000 से भी ज़्यादा लोगों की हत्या की गयी, जिसमें से करीब 50,000 लोगों की हत्या तो ब्राज़ील में ही हुई। तो सवाल उठता है कि क्या हिंसा कभी हमेशा के लिए खत्म हो सकती है?

क्या हिंसा को रोका जा सकता है?

आज हर जगह इतनी हिंसा क्यों है? इसकी बहुत-सी वजह हैं। आज समाज में जाति-भेद है, ऊपर से कोई अमीर है तो कोई गरीब। इस तरह की ऊँच-नीच होने की वजह से लोगों के बीच एक तनाव-सा बना रहता है। इसके अलावा बच्चों के सामने भी बड़े लोग मार-पीट करते हैं। शराब पीना और नशा करना भी आज आम बात हो गयी है। लोग दूसरों की जान की परवाह नहीं करते हैं और अपराधी भी हिंसा करना नहीं छोड़ते, क्योंकि उन्हें पता है कि सज़ा नहीं मिलनेवाली है।

कई देशों में हिंसा को रोकने की कोशिश की गयी है और इसके कुछ अच्छे नतीजे भी देखने को मिले हैं। इसकी एक मिसाल है, साउं पाउलो नाम का शहर जो ब्राज़ील देश में है। यह घनी आबादीवाला शहर है। पिछले दस सालों में यहाँ हत्या में 80 प्रतिशत गिरावट आयी है। लेकिन यहाँ बाकी तरह के अपराध और जुर्म दिन-ब-दिन बढ़ते ही जा रहे हैं और अब भी 1,00,000 लोगों में 10 लोगों की हत्या हो ही जाती है। तो फिर हिंसा को पूरी तरह खत्म करने के लिए क्या किया जा सकता है?

हिंसा को पूरी तरह खत्म करने का सिर्फ एक रास्ता है, वह है कि लोग अपना रवैया और अपना व्यवहार बदलें। जो हिंसा करते हैं, उन्हें अपने अंदर से घमंड, लालच और स्वार्थ जैसी बुरी बातें निकालनी होंगी और दूसरों के लिए अपने मन में प्यार और आदर बढ़ाना होगा।

क्या बात एक व्यक्‍ति को ऐसे बदलाव करने के लिए उभारेगी? ध्यान दीजिए कि शास्त्र क्या सिखाता है:

  • “परमेश्‍वर से प्यार करने का मतलब यही है कि हम उसकी आज्ञाओं पर चलें।”—1 यूहन्‍ना 5:3.

  • “यहोवा का भय मानना बुराई से बैर रखना है।”—नीतिवचन 8:13.

परमेश्‍वर से प्यार करने और उसे नाखुश करने का डर होने से हिंसा करनेवाले लोग भी बदल सकते हैं, न सिर्फ ऊपरी तौर पर, बल्कि अपने सोचने और जीने के तरीके में भी। पर क्या ऐसा सचमुच हो सकता है?

ऐलेक्सa नाम के एक व्यक्‍ति पर ध्यान दीजिए। उसने अलग-अलग अपराध के मामलों में ब्राज़ील की जेल में 19 साल काटे हैं। यहोवा के साक्षियों से परमेश्‍वर के बारे में सीखने के बाद सन्‌ 2000 में वह यहोवा का साक्षी बन गया। क्या उसने सच में मार-पीट करना छोड़ दिया है? बिलकुल और उसे अपने इस तरह के कामों का दिल से पछतावा है। वह कहता है, “मैं यहोवा से प्यार करता हूँ क्योंकि मैं समझ गया हूँ कि उसने मुझे सच में माफ कर दिया है। मैं यहोवा का बहुत शुक्रगुज़ार हूँ और उससे बहुत प्यार करता हूँ। यही वजह है कि मैं खुद को बदल पाया।”

सीज़र भी ब्राज़ील का ही रहनेवाला है। उसने अपनी ज़िंदगी के पंद्रह साल चोरी और डकैती करने में बिताए। किस बात ने उसे बदलने के लिए उभारा? जब वह जेल में था, तब उसकी यहोवा के साक्षियों से मुलाकात हुई और उसने भी उनसे परमेश्‍वर के बारे में सीखा। सीज़र कहता है, “पहली बार मुझे अपने जीने का मकसद मिला। मैंने परमेश्‍वर को प्यार करना सीखा। मैंने यह भी जाना कि उससे डरने का मतलब क्या है, यानी बुरे काम नहीं करना, जिससे यहोवा को दुख हो। मैं एहसान फरामोश नहीं बनना चाहता हूँ। यहोवा ने मुझ पर बहुत दया की है। उसके लिए प्यार और डर होने की वजह से मैं खुद को बदल पाया।”

एक पति-पत्नी और उनका बच्चा

जानिए कि आप कैसे एक ऐसी दुनिया में जी सकते हैं, जहाँ हिंसा नहीं होगी

इन उदाहरणों से हमें क्या पता चलता है? यही कि पवित्र शास्त्र में लोगों की ज़िंदगी पूरी तरह बदलने की ताकत है, उनकी सोच को बदलने की ताकत है। (इफिसियों 4:23) ऐलेक्स जिसका पहले ज़िक्र किया गया है, कहता है, “जब मैं शास्त्र से सीख रहा था, तो मुझे ऐसा लग रहा था जैसे मुझ पर साफ पानी डाला जा रहा हो, जिससे धीरे-धीरे मेरे सारे हिंसक सोच-विचार धुल गए। मैंने कभी सोचा भी नहीं था कि मैं ऐसे काम करना छोड़ सकता हूँ।” जब हम शास्त्र में दी अच्छी बातों से अपने मन को भरते हैं, तो ये हमारे मन से बुरी बातें निकाल या धो सकती हैं। परमेश्‍वर के वचन में लोगों का मन साफ करने की ताकत है। (इफिसियों 5:26) इस वजह से क्रूर और स्वार्थी लोग भी गलत राह छोड़ सकते हैं। वे शांत स्वभाव के और दयालु बन सकते हैं। (रोमियों 12:18) जब वे शास्त्र में दी बातों पर चलते हैं, तो इससे उनकी ज़िंदगी में शांति आती है।—यशायाह 48:18.

240 देशों में फैले 80 लाख से भी ज़्यादा यहोवा के साक्षी यह जान गए हैं कि हिंसा कैसे खत्म हो सकती है। चाहे वे काले हों या गोरे, अमीर हों या गरीब, उन सभी ने यहोवा से प्यार करना सीखा है और उससे डरना भी। उन्होंने एक-दूसरे से भी प्यार करना सीखा है और वे पूरी दुनिया में एक परिवार की तरह शांति से रहते हैं। (1 पतरस 4:8) वे इस बात को साबित करते हैं कि ऐसी दुनिया मुमकिन है, जहाँ पर हिंसा नहीं होगी।

बहुत जल्द इस दुनिया में हिंसा का नामो-निशान नहीं रहेगा!

पवित्र शास्त्र में लिखा है कि परमेश्‍वर वादा करता है कि जल्द ही वह इस धरती पर से हिंसा का नामो-निशान मिटा देगा। हिंसा से भरी यह दुनिया परमेश्‍वर के “न्याय के दिन” की तरफ आगे बढ़ रही है। (2 पतरस 3:5-7) उसके बाद हिंसा करनेवाला कोई नहीं होगा। हम कैसे यकीन कर सकते हैं कि परमेश्‍वर इस धरती पर से हिंसा को पूरी तरह खत्म करना चाहता है?

पवित्र शास्त्र में लिखा है, परमेश्‍वर ‘उपद्रव से प्रीति रखनेवालों से घृणा करता है।’ (भजन 11:5) हमारा बनानेवाला शांति और न्याय से प्रीति रखता है। (भजन 33:5; 37:28) इसलिए वह हिंसा करनेवालों को हमेशा के लिए बरदाश्‍त नहीं करेगा।

बहुत जल्द इस दुनिया पर शांति होगी। (भजन 37:11; 72:14) क्यों न आप इस बारे में और जानकारी लें कि ऐसी शांति-भरी दुनिया में जीने के लिए आपको क्या करना होगा? ▪ (w16-E No. 4)

a नाम बदल दिए गए हैं।

मैं कभी-भी बिना बंदूक के कहीं नहीं जाता था

एक आदमी ने अपने जीवन की कहानी www.pr2711.com के एक लेख में बतायी, जिसका शीर्षक है, “मैं कभी-भी बिना बंदूक के कहीं नहीं जाता था”। (प्रकाशन > पत्रिकाएँ > प्रहरीदुर्ग अक्टूबर 2014 में जाइए)

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