वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • w17 अप्रैल पेज 23-27
  • क्या आप यहोवा के न्याय के स्तरों पर चलेंगे?

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • क्या आप यहोवा के न्याय के स्तरों पर चलेंगे?
  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2017
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • घोर अन्याय हुआ
  • परमेश्‍वर का न्याय
  • नम्र रहने से हिफाज़त होती है
  • पतरस का ढोंग
  • दूसरों को माफ कीजिए
  • एक बुरी रानी को सज़ा मिली
    बाइबल से सीखें अनमोल सबक
  • दुष्ट रानी ईज़ेबेल
    बाइबल कहानियों की मेरी मनपसंद किताब
  • आखिर क्यों परमेश्‍वर ताकतवर लोगों को कमज़ोरों पर ज़ुल्म करने देता है?
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2014
  • “तुझे ऐसा ही करना मंज़ूर हुआ”
    प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है—2015
और देखिए
प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (अध्ययन)—2017
w17 अप्रैल पेज 23-27
अंताकिया में प्रेषित पतरस गैर-यहूदी मसीहियों को छोड़ यहूदी मसीहियों के साथ खाना खाता है

क्या आप यहोवा के न्याय के स्तरों पर चलेंगे?

“मैं यहोवा के नाम का ऐलान करूँगा . . .  वह विश्‍वासयोग्य परमेश्‍वर है जो कभी अन्याय नहीं करता।”—व्यव. 32:3, 4.

गीत: 15, 2

जब हमारे साथ अन्याय होता है, तो इन आयतों को याद रखने से कैसे हमें मदद मिलेगी?

  • व्यवस्थाविवरण 32:4

  • 1 पतरस 5:5

  • मत्ती 6:14

1, 2. (क) नाबोत और उसके बेटों के साथ क्या अन्याय हुआ था? (ख) इस लेख में किन दो गुणों पर चर्चा की जाएगी?

दो निकम्मे आदमी एक आदमी पर इलज़ाम लगाते हैं कि उसने एक घिनौना अपराध किया है। यह सरासर झूठा इलज़ाम है! लेकिन उस आदमी को दोषी ठहराया जाता है और मौत की सज़ा सुनायी जाती है। कल्पना कीजिए कि न्याय से प्यार करनेवालों को यह देखकर कैसा लगा होगा कि उस बेकसूर आदमी के साथ-साथ उसके बेटों को भी पत्थरों से मार डाला जा रहा है! यह कोई मनगढ़ंत कहानी नहीं है बल्कि एक सच्ची घटना थी। उस बेगुनाह आदमी का नाम नाबोत था। वह यहोवा का एक वफादार सेवक था और उस वक्‍त जीया था जब राजा अहाब इसराएल का राजा था।—1 राजा 21:11-13; 2 राजा 9:26.

2 इस लेख में हम गौर करेंगे कि नाबोत के साथ क्या हुआ। हम यह भी देखेंगे कि कैसे पहली सदी की मसीही मंडली में एक वफादार प्राचीन ने बड़ी गलती की। इन दोनों उदाहरणों से हम सीखेंगे कि अगर हम परमेश्‍वर के न्याय के स्तरों पर चलना चाहते हैं, तो हमें नम्र रहना चाहिए और माफ करने के लिए तैयार रहना चाहिए।

घोर अन्याय हुआ

3, 4. नाबोत कैसा इंसान था और उसने राजा अहाब को अपना अंगूरों का बाग बेचने से क्यों इनकार किया?

3 नाबोत के समय में ज़्यादातर इसराएली राजा अहाब और उसकी दुष्ट पत्नी इज़ेबेल की बुरी मिसाल पर चल रहे थे। वे झूठे देवता बाल की उपासना कर रहे थे और यहोवा और उसके कानूनों का बिलकुल भी आदर नहीं करते थे। लेकिन ऐसे माहौल में भी नाबोत यहोवा का वफादार बना रहा। नाबोत के लिए यहोवा के साथ उसका रिश्‍ता उसे अपनी जान से भी प्यारा था।

4 1 राजा 21:1-3 पढ़िए। जब अहाब ने नाबोत से उसका अंगूरों का बाग खरीदना चाहा या बदले में उससे भी बढ़िया बाग देना चाहा तो नाबोत ने साफ इनकार कर दिया। क्यों? उसने अहाब को आदर के साथ बताया, “मैं तुझे अपने पुरखों की विरासत की ज़मीन देने की बात सोच भी नहीं सकता, क्योंकि ऐसा करना यहोवा की नज़र में गलत होगा।” नाबोत ने इसलिए इनकार किया क्योंकि यहोवा ने एक नियम दिया था कि किसी भी इसराएली को अपने पुरखों की ज़मीन हमेशा के लिए नहीं बेचनी है। (लैव्य. 25:23; गिन. 36:7) इससे साफ पता चलता है कि नाबोत हर हाल में यहोवा की आज्ञा मानता था।

5. नाबोत का बाग हड़पने के लिए इज़ेबेल ने क्या किया?

5 जब नाबोत ने अपना अंगूरों का बाग बेचने से इनकार कर दिया तब राजा अहाब और उसकी पत्नी ने सारी हदें पार कर दीं। उसका बाग हड़पने के लिए रानी इज़ेबेल ने दो आदमियों से कहा कि वे नाबोत पर झूठा इलज़ाम लगाए। नतीजा यह हुआ कि नाबोत और उसके बेटों को मार डाला गया। अहाब और उसकी पत्नी ने कितना घिनौना काम किया! यह घोर अन्याय देखकर यहोवा ने क्या किया?

परमेश्‍वर का न्याय

6, 7. यहोवा ने कैसे दिखाया कि वह न्याय से प्यार करता है? इससे नाबोत के परिवार और उसके दोस्तों को क्यों दिलासा मिला होगा?

6 यहोवा ने फौरन एलियाह को भेजा ताकि वह अहाब को उसकी गलती बताए। एलियाह ने अहाब से कहा कि वह खूनी और चोर है। यहोवा ने क्या फैसला सुनाया? उसने कहा कि अहाब, उसकी पत्नी और उसके बेटों को मार डाला जाएगा ठीक जैसे अहाब ने नाबोत और उसके बेटों को मरवाया था।—1 राजा 21:17-25.

7 अहाब ने जो किया था उससे नाबोत के परिवारवालों और दोस्तों को बहुत दुख हुआ था। यहोवा ने उस अन्याय को देखा और फौरन कदम उठाया। इससे नाबोत के परिवारवालों और दोस्तों को कितना दिलासा मिला होगा। लेकिन इसके बाद जो हुआ उससे शायद उनकी परख हुई कि क्या वे नम्र बने रहेंगे और यहोवा पर भरोसा रखेंगे।

8. यहोवा का फैसला सुनकर अहाब ने क्या किया और इसका क्या नतीजा हुआ?

8 यहोवा का फैसला सुनकर अहाब ने ‘अपने कपड़े फाड़े और शरीर पर टाट ओढ़ लिया और उपवास करने लगा। वह टाट ओढ़े लेटा रहा और मायूस होकर इधर-उधर चलने लगा।’ अहाब ने खुद को नम्र किया! नतीजा? यहोवा ने एलियाह से कहा, “क्योंकि वह मेरे सामने नम्र बन गया है इसलिए मैं यह संकट उसके जीते-जी नहीं लाऊँगा। मैं उसके घराने पर यह संकट उसके बेटे के दिनों में लाऊँगा।” (1 राजा 21:27-29; 2 राजा 10:10, 11, 17) यहोवा “दिलों का जाँचनेवाला” परमेश्‍वर है और वह देख सकता है कि हम अंदर से कैसे इंसान हैं। उसने अहाब का दिल देखा और उस पर दया की।—नीति. 17:3.

नम्र रहने से हिफाज़त होती है

9. किस तरह नम्र रहने से नाबोत के परिवारवालों और दोस्तों की हिफाज़त होती?

9 जब नाबोत के परिवारवालों और दोस्तों ने सुना कि अहाब के घराने को उसके जीते-जी सज़ा नहीं मिलेगी, तो शायद परमेश्‍वर पर उनके विश्‍वास की परख हुई होगी। लेकिन नम्र रहने से उनके विश्‍वास की हिफाज़त होती। किस तरह? अगर वे नम्र रहते तो यहोवा की उपासना करना नहीं छोड़ते और पूरा भरोसा रखते कि परमेश्‍वर अन्याय नहीं कर सकता। (व्यवस्थाविवरण 32:3, 4 पढ़िए।) सोचिए भविष्य में जब मरे हुए ज़िंदा किए जाएँगे तब नाबोत और उसके बेटों से मिलकर उनके परिवारवालों को कितनी खुशी होगी। तब सही मायनों में नाबोत और उसके परिवार को सच्चा न्याय मिलेगा। (अय्यू. 14:14, 15; यूह. 5:28, 29) नम्र इंसान यह भी समझता है कि “सच्चा परमेश्‍वर सब कामों को परखेगा कि वे अच्छे हैं या बुरे, उन कामों को भी जो औरों से छिपे हुए हैं।” (सभो. 12:14) सच यहोवा न्याय करते वक्‍त उन बातों का भी ध्यान रखता है, जिन्हें हम नहीं जानते। इसलिए नम्र रहने से यहोवा पर हमारा विश्‍वास बना रहता है।

10, 11. (क) किन हालात में हमें लग सकता है कि अन्याय हुआ है? (ख) नम्र रहने से कैसे हमारी हिफाज़त होगी?

10 लेकिन तब क्या जब प्राचीन कोई ऐसा फैसला लेते हैं जिसे आप समझ नहीं पाते या जिससे आप सहमत नहीं? मिसाल के लिए, अगर आपसे या आपके किसी अज़ीज़ से कोई ज़िम्मेदारी या काम ले लिया जाता है तो आप क्या करेंगे? अगर आपके जीवन-साथी, बेटे या बेटी या फिर किसी करीबी दोस्त का बहिष्कार होता है और आप प्राचीनों के फैसले से खुश नहीं तो आप क्या करेंगे? या तब आप क्या करेंगे जब प्राचीन पाप करनेवाले किसी व्यक्‍ति पर दया करके उसे माफ करते हैं और आपको लगता है कि उन्होंने सही नहीं किया? इन हालात में आपकी परख हो सकती है कि आप यहोवा और मंडली के ठहराए उसके इंतज़ाम पर कितना विश्‍वास करते हैं। ऐसे हालात में नम्र रहने से कैसे आपकी हिफाज़त हो सकती है? कम-से-कम दो तरीकों से।

मंडली को प्राचीनों का एक फैसला सुनाया जाता है जिसे सुनकर एक भाई हैरान रह जाता है

जब प्राचीन कोई ऐसी घोषणा करते हैं जिससे आप सहमत नहीं तो आप क्या करेंगे? (पैराग्राफ 10, 11 देखिए)

11 एक, अगर हम नम्र रहेंगे तो हम इस बात को स्वीकार करेंगे कि हमें सारी बातें नहीं पता। हो सकता है, हमें पूरा यकीन हो कि किसी मामले के बारे में हम सबकुछ जानते हैं लेकिन सिर्फ यहोवा ही जानता है कि एक इंसान के दिल में क्या है। (1 शमू. 16:7) यह सच्चाई नम्र रहने, अपनी सीमाएँ पहचानने और अपनी सोच सुधारने में हमारी मदद करेगी। दो, जब हमारे साथ कोई अन्याय होता है या हम कोई अन्याय होता देखते हैं, तब नम्र रहने से हम यहोवा की आज्ञा मानेंगे, सब्र रखेंगे और उस पर भरोसा रखेंगे कि वह अन्याय को ठीक करेगा। बाइबल बताती है, “आखिर में सच्चे परमेश्‍वर का डर माननेवाले का ही भला होता है . . .  लेकिन दुष्ट का भला नहीं होगा, न ही वह अपनी ज़िंदगी के दिन बढ़ा पाएगा।” (सभो. 8:12, 13) नम्र बने रहने से हमारे साथ-साथ उन सबको फायदा होगा जो उस अन्याय में शामिल हैं।—1 पतरस 5:5 पढ़िए।

पतरस का ढोंग

12. हम किस घटना पर गौर करेंगे और क्यों?

12 पहली सदी में सीरिया के अंताकिया में रहनेवाले मसीहियों ने एक ऐसे हालात का सामना किया जिससे उनकी परख हुई कि वे नम्र रहेंगे या नहीं और माफ करने के लिए तैयार होंगे या नहीं। आइए उस घटना पर ध्यान दें और खुद को जाँचें कि अगर हमारे सामने ऐसे हालात उठते हैं तो माफ करने के बारे में हम कैसा रवैया दिखाएँगे। फिर हम समझ पाएँगे कि यहोवा कैसे अपरिपूर्ण लोगों का इस्तेमाल करता है, साथ ही न्याय के अपने स्तरों के साथ समझौता नहीं करता।

13, 14. प्रेषित पतरस को क्या ज़िम्मेदारियाँ मिलीं और उसने कैसे दिखाया कि वह निडर था?

13 प्रेषित पतरस एक प्राचीन था जिसे शुरू के ज़्यादातर मसीही अच्छी तरह जानते थे। वह यीशु का करीबी दोस्त था और उसे बड़ी-बड़ी ज़िम्मेदारियाँ दी गयी थीं। (मत्ती 16:19) मिसाल के लिए, ईसवी सन्‌ 36 में पतरस को कुरनेलियुस के घर भेजा गया ताकि वह उसे और उसके पूरे घराने को गवाही दे। यह क्यों एक खास मौका था? वह इसलिए कि कुरनेलियुस एक खतनारहित गैर-यहूदी था। जब कुरनेलियुस और उसके घराने पर पवित्र शक्‍ति उतरी तो पतरस ने कहा, “इन लोगों ने भी हमारी तरह पवित्र शक्‍ति पायी है, अब कौन इन्हें पानी में बपतिस्मा लेने से रोक सकता है?”—प्रेषि. 10:47.

14 ईसवी सन्‌ 49 में प्रेषित और प्राचीन यरूशलेम में यह चर्चा करने के लिए इकट्ठा हुए कि क्या गैर-यहूदी मसीहियों को खतना कराना चाहिए। इस सभा में पतरस ने निडर होकर भाइयों को याद दिलाया कि कुछ साल पहले उसने खुद खतनारहित गैर-यहूदियों पर पवित्र शक्‍ति उतरते देखी थी। पतरस की गवाही से शासी निकाय इस मामले पर सही फैसला ले पाया। (प्रेषि. 15:6-11, 13, 14, 28, 29) यहूदी और गैर-यहूदी मसीही इस बात के लिए पतरस के बहुत एहसानमंद थे कि उसने हिम्मत के साथ सारी बातें बतायीं। इस वजह से शुरू के मसीही इस वफादार और प्रौढ़ भाई पर भरोसा कर पाए।—इब्रा. 13:7.

15. सीरिया के अंताकिया में पतरस ने क्या गलती की? (लेख की शुरूआत में दी तसवीर देखिए।)

15 यरूशलेम में हुई उस सभा के फौरन बाद पतरस सीरिया के अंताकिया गया। वहाँ उसने गैर-यहूदी भाइयों के साथ समय बिताया। हम कल्पना कर सकते हैं कि पतरस के ज्ञान और तजुरबे से वहाँ के भाइयों ने कितना कुछ सीखा होगा। लेकिन फिर अचानक पतरस उनके साथ खाना-पीना छोड़ देता है। यह देखकर वे ज़रूर हैरान रह गए होंगे और उन्हें दुख हुआ होगा। पतरस की देखा-देखी बरनबास और दूसरे यहूदी मसीही भी गैर-यहूदियों से दूर-दूर रहने लगे। पतरस जैसे प्रौढ़ मसीही प्राचीन ने इतनी बड़ी गलती क्यों की जिससे मंडली में फूट पड़ सकती थी? इससे भी ज़रूरी सवाल यह है कि जब कोई प्राचीन अपनी बातों या कामों से हमें चोट पहुँचाता है तो हम इस घटना से क्या सीख सकते हैं?

16. पतरस की सोच कैसे सुधारी गयी और इससे क्या सवाल उठते हैं?

16 गलातियों 2:11-14 पढ़िए। पतरस जानता था कि यहोवा गैर-यहूदियों के बारे में कैसा महसूस करता है। फिर भी जब खतना किए गए कुछ यहूदी मसीही यरूशलेम से आए, तो पतरस पर इंसान का डर छा गया। (नीति. 29:25) वह सोचने लगा कि अगर इन यहूदी मसीहियों ने उसे गैर-यहूदियों के साथ मेल-जोल रखते देखा तो वे शायद उसे नीचा देखने लगे। इसलिए उसने गैर-यहूदियों से किनारा कर लिया। मगर जब प्रेषित पौलुस ने पतरस का यह व्यवहार देखा तो उसने उसे झिड़का और ढोंगी कहा। क्यों? वह इसलिए कि पौलुस ने खुद ईसवी सन्‌ 49 में पतरस को गैर-यहूदियों के पक्ष में गवाही देते सुना था। (प्रेषि. 15:12; गला. 2:13) अब वे गैर-यहूदी मसीही कैसा रवैया दिखाते जिन्हें पतरस ने चोट पहुँचायी थी? क्या वे पतरस की गलती से ठोकर खाते? क्या इस गलती की वजह से पतरस से उसकी ज़िम्मेदारियाँ ले ली जातीं?

दूसरों को माफ कीजिए

17. यहोवा से मिली माफी का पतरस को क्या फायदा हुआ?

17 पतरस नम्र था इसलिए जब पौलुस ने उसकी सोच सुधारी तो उसने इसे कबूल किया। बाइबल नहीं बताती कि पतरस से उसकी ज़िम्मेदारियाँ ले ली गयीं। दरअसल आगे चलकर उसे दो चिट्ठियाँ लिखने का सम्मान मिला जो बाइबल का हिस्सा बनीं। अपनी दूसरी चिट्ठी में उसने पौलुस को ‘हमारा प्यारा भाई’ कहा। (2 पत. 3:15) पतरस की गलती से गैर-यहूदी मसीहियों को ज़रूर चोट पहुँची होगी। लेकिन मंडली का मुखिया यीशु पतरस को परमेश्‍वर की सेवा में इस्तेमाल करता रहा। (इफि. 1:22) अंताकिया के भाई-बहनों के पास यह मौका था कि वे यीशु और उसके पिता की मिसाल पर चलते हुए पतरस को माफ करें। हम उम्मीद करते हैं कि किसी भी भाई-बहन ने पतरस की गलती से ठोकर नहीं खायी होगी।

18. किन हालात में हमारे लिए यहोवा के न्याय के स्तरों पर चलना ज़रूरी हो सकता है?

18 शुरू की मसीही मंडली में प्राचीन परिपूर्ण नहीं थे और न ही आज मंडलियों में प्राचीन परिपूर्ण हैं। बाइबल बताती है, “हम सब कई बार गलती करते हैं।” (याकू. 3:2) इस सच्चाई को मानना आसान है लेकिन अगर किसी भाई की गलती से आपको ठेस पहुँचे तब आप क्या करेंगे? क्या आप यहोवा के न्याय के स्तरों पर चलेंगे? मिसाल के लिए, जब कोई प्राचीन ऐसी बात कहता है जिसमें भेदभाव नज़र आता है, तब आप क्या करेंगे? अगर कोई प्राचीन बिना सोचे-समझे बात करता है और आपको ठेस पहुँचती तो क्या आप ठोकर खाएँगे? क्या आप फौरन सोचने लगेंगे कि उसे तो प्राचीन की ज़िम्मेदारी पर नहीं होना चाहिए या क्या आप मामले को मंडली के मुखिया यीशु के हाथ में छोड़ देंगे और सब्र रखेंगे? क्या आप उस भाई की गलती पर ध्यान देंगे या फिर इस बात पर कि वह सालों से पूरी वफादारी के साथ यहोवा की सेवा कर रहा है? अगर वह भाई, प्राचीन की अपनी ज़िम्मेदारी पर बना रहता है या फिर उसे और भी ज़िम्मेदारी मिलती है, तो क्या आपको खुशी होगी? अगर आप माफ करने के लिए तैयार होंगे तो आप दिखाएँगे कि आप यहोवा के न्याय के स्तरों पर चलते हैं।—मत्ती 6:14, 15 पढ़िए।

19. हमें क्या करने की ठान लेनी चाहिए?

19 हम न्याय से प्यार करते हैं इसलिए हमें उस दिन का बेसब्री से इंतज़ार है जब यहोवा उन सारे अन्यायों को मिटा देगा, जो शैतान और उसकी दुष्ट व्यवस्था ने हम इंसानों पर किए हैं। (यशा. 65:17) लेकिन इस दौरान अगर हमारे साथ कोई अन्याय होता है तो आइए हम नम्र रहें, इस बात को स्वीकार करें कि हमें सारी बातें नहीं पता और हमारे खिलाफ गलती करनेवालों को दिल से माफ करें। अगर हम ऐसा करेंगे तो हम कह पाएँगे कि न्याय के बारे में हमारी सोच यहोवा जैसी है।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें