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  • प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2018
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प्रहरीदुर्ग यहोवा के राज्य की घोषणा करता है (जनता के लिए)—2018
wp18 अंक 1 पेज 12-13

3 समस्याओं का सामना कैसे करें?

कुछ समस्याएँ ऐसी भी होती हैं, जिनसे हम न तो बच सकते हैं और न ही उनका हल कर सकते हैं। जैसे, अगर हमारे परिवार में किसी की मौत हो गयी है या हम किसी लाइलाज बीमारी के शिकार हैं, तो इस दर्द को सहने के सिवा शायद हमारे पास कोई और रास्ता न हो। बाइबल की सलाह मानने से हम ऐसे हालात का अच्छी तरह सामना कर सकते हैं। आइए देखें कैसे।

लाइलाज बीमारी

रूबी कहती है, “मुझे ऐसी बीमारी है, जिससे मेरे शरीर में बहुत दर्द रहता है और कभी कम होने का नाम नहीं लेता। अब मुझसे कोई काम ढंग से नहीं होता।” उसे सबसे ज़्यादा इस बात का बुरा लगता था कि वह बाइबल पढ़ने या उपासना से जुड़े दूसरे काम करने में ध्यान नहीं लगा पाती थी। मगर मत्ती 19:26 में लिखी इस बात से उसे बहुत हिम्मत मिली, “परमेश्‍वर के लिए सबकुछ मुमकिन है।” रूबी को पता चला कि उसके लिए भी बाइबल पढ़ना मुमकिन है। इसका एक तरीका है, बाइबल और उस पर आधारित लेखों की रिकॉर्डिंग सुनना।a दर्द के मारे उससे कुछ पढ़ा नहीं जाता था, इसलिए वह रिकॉर्डिंग सुनने लगी। वह कहती है, “अगर ये रिकॉर्डिंग न होतीं, तो न जाने मैं परमेश्‍वर के साथ अपना रिश्‍ता कैसे मज़बूत कर पाती।”

जब भी रूबी यह सोचकर उदास हो जाती है कि अब वह यहोवा की सेवा पहले जितनी नहीं कर पा रही है, तो वह 2 कुरिंथियों 8:12 में लिखे इन शब्दों से दिलासा पाती है, “अगर एक इंसान कुछ देने की इच्छा रखता है, तो उसके पास देने के लिए जो कुछ है उसे स्वीकार किया जाता है। उससे कुछ ऐसा देने की उम्मीद नहीं की जाती, जो उसके पास नहीं है।” रूबी को इस बात से सांत्वना मिलती है कि परमेश्‍वर उससे खुश है, क्योंकि उससे जितना हो सकता है उतना वह कर रही है।

अपनों को खोने का गम

डायना कहती है, “मेरी बेटी सिर्फ 18 साल की थी। उसकी मौत से मुझे इतना गहरा सदमा लगा कि अब मेरे अंदर जीने की इच्छा नहीं रही। ज़िंदगी अब पहले जैसी नहीं रही।” इस गम से उबरने में डायना को भजन 94:19 से काफी हिम्मत मिली। वहाँ परमेश्‍वर के एक सेवक की यह प्रार्थना लिखी है: “जब चिंताएँ मुझ पर हावी हो गयीं, तब तूने मुझे दिलासा दिया, सुकून दिया।” वह कहती है, “मैंने यहोवा से बिनती की कि वह मुझे ऐसे काम करने की शक्‍ति दे, जिससे मुझे थोड़ा सुकून मिले।”

डायना स्वयं-सेवा करने लगी। वह लोगों को बाइबल सिखाने में व्यस्त रहने लगी। तब उसे एहसास हुआ कि वह दूसरों के कितने काम आ सकती है। उसे लगा कि वह बच्चों के टूटे-फूटे रंगीन चॉक की तरह है, जो टूटे होने पर भी रंग भरने के काम आते हैं। डायना भी अंदर से बिलकुल टूट चुकी थी, फिर भी वह दूसरों की मदद कर पा रही थी। वह कहती है, “मैं जिन लोगों को बाइबल सिखाती थी, वे जब कभी तकलीफ में होते, तो मैं उन्हें बाइबल के सिद्धांत बताकर दिलासा देती थी। अचानक मुझे एहसास हुआ कि यह एक तरीका है, जिससे यहोवा मुझे दिलासा दे रहा है क्योंकि जब मैं दूसरों की हिम्मत बँधाती हूँ, तो मेरी भी हिम्मत बँधती है।” डायना ने बाइबल में बताए कुछ ऐसे लोगों के बारे में पढ़ा, जिन्होंने जीवन में काफी वेदना सही थी। उसने जाना कि “वे सब-के-सब गिड़गिड़ाकर प्रार्थना किया करते थे।” डायना ने यह भी सीखा कि दुख से उबरने के लिए बाइबल पढ़ना बहुत ज़रूरी है।

बाइबल पढ़ने से डायना ने एक और बात सीखी। वह यह कि जो हो चुका है, उसके बारे में सोचते रहने के बजाय भविष्य में होनेवाली अच्छी बातों पर ध्यान लगाना चाहिए। उसे प्रेषितों 24:15 में बतायी इस बात से दिलासा मिलता है, “अच्छे और बुरे, दोनों तरह के लोगों को मरे हुओं में से ज़िंदा किया जाएगा।” उसे पूरा यकीन है कि यहोवा उसकी बेटी को ज़िंदा करेगा। वह कहती है, “मैं अपने मन की आँखों से देख सकती हूँ कि मेरी बच्ची मुझे वापस मिल गयी है। यहोवा ने उसे ज़िंदा करने के लिए जो दिन सोचा है, वह आ गया है और मैं अपनी बच्ची के साथ घर के बगीचे में बैठी उसे प्यार से निहार रही हूँ, दुलार रही हूँ, ठीक जैसे उसके पैदा होने के दिन मैंने किया था।”

a इस तरह की कई रिकॉर्डिंग jw.org वेबसाइट पर उपलब्ध हैं।

बाइबल बड़े-से-बड़े सदमे से उबरने में भी आपकी मदद कर सकती है

परमेश्‍वर हमारी मदद कैसे करता है?

बाइबल कहती है, “यहोवा उन सबके करीब रहता है जो उसे पुकारते हैं, जो सच्चे दिल से उसे पुकारते हैं। वह उन सबकी इच्छा पूरी करता है जो उसका डर मानते हैं, वह उनकी मदद की पुकार सुनता है और उन्हें छुड़ाता है।” (भजन 145:18, 19) इस बात से हमें कितना सुकून मिलता है! पर सवाल है कि परमेश्‍वर हमारी प्रार्थना का जवाब कैसे देता है, वह हमारी मदद कैसे करता है?

हमें हिम्मत देता है।

समस्याओं से जूझते-जूझते हम कई बार पस्त हो जाते हैं और हिम्मत हार जाते हैं। (नीतिवचन 24:10) मगर यहोवा परमेश्‍वर “थके हुओं में दम भर देता है, कमज़ोरों को गज़ब की ताकत देता है।” (यशायाह 40:29) परमेश्‍वर के एक सेवक पौलुस ने बड़ी-बड़ी तकलीफें झेली थीं। उसने कहा, “जो मुझे ताकत देता है, उसी से मुझे सब बातों के लिए शक्‍ति मिलती है।” (फिलिप्पियों 4:13) परमेश्‍वर ने पौलुस को पवित्र शक्‍ति देकर तकलीफें सहने की हिम्मत दी। आप भी परमेश्‍वर से पवित्र शक्‍ति के लिए बिनती कर सकते हैं।—लूका 11:13.

हमें बुद्धि देता है।

अगर आप यह जानना चाहते हैं कि बाइबल में क्या सलाह दी गयी है और उसे कैसे लागू करना है, तो आप क्या कर सकते हैं? आप परमेश्‍वर से प्रार्थना कर सकते हैं। परमेश्‍वर के एक सेवक ने कहा, “अगर तुममें से किसी को बुद्धि की कमी हो तो वह परमेश्‍वर से माँगता रहे और वह उसे दी जाएगी, क्योंकि परमेश्‍वर सबको उदारता से और बिना डाँटे-फटकारे देता है।” (याकूब 1:5) आपने प्रार्थना में जो बुद्धि माँगी, उसे पाने के लिए बाइबल पढ़िए और उसकी सलाह को आज़माइए। (याकूब 1:23-25) तब आपको यकीन हो जाएगा कि बाइबल की सलाह मानने में कितनी बुद्धिमानी है।

हमें मन की शांति देता है।

जब आप किसी बात को लेकर दिन-रात परेशान रहते हैं, तो ऐसे में यहोवा आपको मन की शांति दे सकता है। बाइबल में लिखा है, “किसी भी बात को लेकर चिंता मत करो, मगर हर बात के बारे में प्रार्थना और मिन्‍नतों और धन्यवाद के साथ परमेश्‍वर से बिनतियाँ करो। तब परमेश्‍वर की वह शांति जो समझ से परे है, मसीह यीशु के ज़रिए तुम्हारे दिल की और तुम्हारे दिमाग के सोचने की ताकत की हिफाज़त करेगी।” (फिलिप्पियों 4:6, 7) क्यों न आप यहोवा से बिनती करें कि वह आपको मन की शांति दे?

लेकिन अगर आपकी समस्याओं का तुरंत समाधान नहीं होता, तो भी हिम्मत मत हारिए। यह मत सोचिए कि परमेश्‍वर ने आपको छोड़ दिया है। वह आपको तकलीफें सहने की ताकत और हिम्मत दे सकता है। (1 कुरिंथियों 10:13) बाइबल में यह भी लिखा है कि भविष्य में हमारी समस्याओं का हमेशा के लिए हल हो जाएगा!

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