रोपना और सींचना—शिष्य बनाने के लिए चरण
“मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्वर ने बढ़ाया।” (१ कुरि. ३:६) इस प्रकार प्रेरित पौलुस ने मसीह के लिए शिष्य बनाने की प्रक्रिया में तीन चरणों की पहचान दी। पहले दो चरणों, रोपने और सींचने में, एक ख़ास अनुग्रह और ज़िम्मेदारी सम्मिलित है, जो परमेश्वर के समर्पित, बपतिस्मा-प्राप्त सेवकों पर टिका हुआ है।
२ इस से खुले आम और घर-घर, अनौपचारिक रूप से, और अन्य रीतियों से प्रचार करना आवश्यक होता है। इस में लोगों को प्रगतिशील रूप से उन सभी बातों को सिखाना भी शामिल है, जिसकी आज्ञा यीशु ने दी थी। (मत्ती २८:१९, २०) यह अवरोक्त चरण दिलचस्पी दिखानेवालों से पुनःभेंट करने, और उनके साथ बाइबल आधारित विचार-विमर्श करने तथा बाइबल अध्ययन संचालित करने के द्वारा ही पूरा किया जा सकता है। क्या आप सच्चाई के बीज लगाकर और उसके बाद आवश्यक सिंचाई तथा खेती करके यहोवा को सहयोग देते हुए अपने आप को एक वफ़ादार सह-कर्मी साबित कर रहे हैं?—१ कुरि. ३:९.
संभावना और ज़रूरत को पहचानिए
३ १९९० के सेवा वर्ष के दौरान भारत में हम ने लगभग ४,१४,००० किताबें और लघु पुस्तिकाएँ तथा क़रीब-क़रीब ८,९४,००० पत्रिकाएँ वितरित कीं! स्मरण समारोह में २८,००० लोग भी उपस्थित हुए थे, जो वर्ष के लिए प्रचारकों की ९,७२५ औसत संख्या से कहीं अधिक था। साहित्य वितरण हमारे काम के बीज लगाने के पहलु का एक अहम हिस्सा है। इस प्रकार लगाए गए बीजों में नए शिष्य उत्पन्न करने की एक ज़बरदस्त संभावना है, पर क्या, परमेश्वर के सह-कर्मी होने के नाते, हम इन लोगों से पुनःभेंट करने और बाइबल विषयों में उनकी दिलचस्पी विकसित करने के लिए प्रेरित महसूस करते हैं? भारत में मण्डली के प्रचारक अब औसतन ०.४ बाइबल अध्ययन संचालित करते हैं। हमें यक़ीन है कि अगर हर प्रचारक ने सच्चाई के बीज लगाने के प्रारंभिक चरण के आगे जाने की अपनी व्यक्तिगत ज़िम्मेदारी को ज़्यादा यथार्थ रूप से आँका, और प्रगतिशील गृह बाइबल अध्ययन संचालित करने के लिए हाथ बढ़ाया, तो यह औसत संख्या सुधरेगी। हालाँकि कुछ लोग, विभिन्न कमियों के कारण, एक या उस से ज़्यादा गृह बाइबल अध्ययनों को संचालित नहीं कर सकते, फिर भी हर एक को अपनी निजी परिस्थितियों की नज़रसानी करना फ़ायदेमन्द होगा।
४ कुछ इलाकों में क्या हो रहा है, यह देखना रोचक है। मण्डलियों के क्षेत्र फलोत्पादक हैं और वे औसतन एक से लेकर दो बाइबल अध्ययन प्रति प्रचारक की रिपोर्ट करते हैं। जैसे नए शिष्यों में वृद्धि हो रही है वैसे ही संचालित किए जानेवाले बाइबल अध्ययनों में भी वृद्धि हो रही है। यह विविध देशों में बाइबल अध्ययनों की संख्या से प्रचारकों की औसत संख्या की तुलना करने से देखा जा सकता है, जैसे १९९१ यरबुक में रिपोर्ट किया जा चुका है।
५ बाइबल अध्ययन संचालित करने की हमारी प्रेरणा उन लोगों के लिए हमारा प्रेम होना चाहिए, जो हमारे द्वारा प्रचार किए जा रहे राज्य संदेश के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया दिखाते हैं। हमें निष्कपट रूप से लोगों के लिए यहोवा की प्रेममय परवाह में हिस्सेदार होना चाहिए और यह समझना चाहिए कि उनका उद्धार आध्यात्मिक वृद्धि से जुड़ा हुआ है। (१ पत. २:२) असली पौधों की तरह, जिनके पोषण के लिए पानी की ज़रूरत है, जो लोग राज्य के संदेश में एक प्रारंभिक दिलचस्पी दिखाते हैं, वे आम तौर से उस वक़्त तक सभाओं में आने नहीं लगेंगे, जब तक गृह बाइबल अध्ययनों के ज़रिए उन्हें नियमित रूप से परमेश्वर के संघटन की ओर निर्दिष्ट नहीं किया जाता।
६ हमारी तरफ़ से आज्ञापालन भी इस बात से संबंध रखता है। यीशु ने कहा कि जो लोग सत्य के पक्ष में हैं, वह उसकी सुनते हैं। (यूहन्ना १८:३७) उसने अपने शिष्यों को प्रचार करने और सिखाने का आदेश दिया, और उन्हें वह काम पूरा करने के लिए तैयार किया। एक शिक्षक के रूप में उसके बढ़िया मिसाल से और लोगों के लिए उसकी गहरी परवाह से, यीशु ने दूसरों की मदद करने में एक प्रतिमान स्थापित किया, जिसका हमें अनुकरण करना चाहिए। (लूका ६:४०; यूहन्ना १३:१३; १४:१२) हमारी कोशिशें दोनों अपने और, जिन लोगों को हम सिखाते हैं, उनके उद्धार के लिए सहायक हो सकती हैं।—१ तीमु. ४:१६.
बाइबल अध्ययन शुरु करने के लिए साधन
७ अपने काम को परिपूर्ण करने के लिए, एक निपुण शिल्पकार उन विविध औज़ारों में से अपने औज़ार चुनता है, जो उसके उपयोग के लिए उसके पास हैं। शिक्षक होने के नाते, हमारे उपयोग के लिए कई प्रकाशन मौजूद हैं, जिन में ब्रोशर और ट्रैक्ट भी शामिल हैं। इन्हें ऐसे औज़ारों के तौर से रचा गया है, जो विविध पृष्ठिकाओं और दृष्टिकोण रखनेवाले लोगों के दिलों तक पहुँचने में हमारी मदद करते हैं।
८ कुछ प्रचारकों को बाइबल आधारित विचार-विमर्श आरंभ करने के लिए ट्रैक्टों और ब्रोशरों के इस्तेमाल से अच्छे परिणाम प्राप्त हुए हैं। मिसाल के तौर पर, एक शांतिपूर्ण नए संसार में जीवन नामक ट्रैक्ट में इस बहुत बढ़िया आशा की रूपरेखा देनेवाले २० से अधिक विभिन्न शास्त्रपदों का उल्लेख या उद्धरण किया गया है। इन शास्त्रपदों को अनेक उत्तेजक बाइबल आधारित विचार-विमर्शों को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है। एक आकर्षक और सरल रीति से, हमारे ब्रोशर लोगों को बुनियादी बाइबल सच्चाइयों से वाक़िफ़ करा सकते हैं और उन्हें अधिक जाँच करने के लिए प्रेरित करा सकते हैं।
९ क्या आप ऐसे किसी व्यक्ति को जानते हैं जिसका शिक्षण सीमित रहा है या जिसकी आँखें दुर्बल हैं? क्या आपने ऐसे व्यक्ति के साथ एक प्रगतिशील बाइबल आधारित विचार-विमर्श स्थापित करने के लिए अनन्त काल तक पृथ्वी पर जीवन का आनन्द लीजिए! नामक ब्रोशर को इस्तेमाल करने की कोशिश की है? “देख!” ब्रोशर एक और बढ़िया औज़ार है जिसके आरंभिक परिच्छेद निपुणता से गृहस्थ को भविष्य के लिए परमेश्वर के वादों के बारे में सीखने में उलझा देते हैं। और निश्चय ही आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं नामक किताब, जो १९८२ में प्रकाशित की गयी थी, उन १७,००,००० से अधिक लोगों के एक बड़े हिस्से को सहायता देने में प्रभावकारी रही है, जिन्होंने इस दौरान बपतिस्मा लिया है।
दिलचस्पी रखनेवालों के प्रति ज़िम्मेदारी से कार्य करना
१० आप शायद अपनी मण्डली के प्रचारक रिकार्ड कार्ड को देखके, पिछले १२ महिनों में भेंट की गयी किताबों, लघु पुस्तिकाओं (जिन में ब्रोशर भी शामिल हैं), और पत्रिकाओं की संख्या पर ग़ौर करना फ़ायदेमन्द पाएँगे। क्या ये प्रकाशन-भेंट सिर्फ़ उसी लक्ष्य से दिए गए थे? या क्या आप बीज लगाने के चरण से आगे गए? उन लोगों में से, जिन्होंने इतनी दिलचस्पी दिखायी थी कि हमारा कुछ साहित्य लें, आप कितनों को एक बार फिर अविलम्ब से जाकर मिले? क्या आप यह देखने के लिए वापस गए कि आपने जो बीज लगाया था, उस में अंकुर आया था या नहीं? क्या उसके बाद आपने आवश्यक सिंचाई की और फिर उसे बढ़ाने के लिए यहोवा से प्रार्थना की?—प्रेरितों १६:१४ और २ थिस्स. ३:१ से तुलना करें।
११ शायद आप इसलिए पुनःभेंट नहीं कर रहे हैं या एक बाइबल अध्ययन संचालित नहीं कर रहे हैं, कि आप अपर्याप्त महसूस करते हैं। संभवतः, यह क्षमता की कमी से ज़्यादा आपकी मनोवृत्ति की वजह से है। यहोवा ने अपने लोगों को पर्याप्त मात्रा में तैयार किए और योग्य बनाए बग़ैर उन्हें एक काम करने के लिए बाहर नहीं भेजा है। उनके पवित्र वचन और संघटन के ज़रिए, वह हमें “हर एक भले काम के लिए” तैयार करते हैं। (२ तीमु. ३:१६, १७; २ कुरि. ३:५, ६) निपुण और निष्ठावान् सेवकों की जीती-जागती मिसालों के अलावा, जो हमारी मदद करने के लिए तैयार हैं, वह हमें पवित्र आत्मा, प्रकाशनों, और मंच पर से दिए गए मौखिक उपदेश तथा प्रदर्शनों के ज़रिए सब कुछ देते हैं, जिसकी हमें आवश्यकता हो। एक बाइबल अध्ययन संचालित करने के लिए हमें दुनिया के उच्च शिक्षण की ज़रूरत नहीं। पर हमें यहोवा के संघटन के ज़रिए दिए गए उच्च आध्यात्मिक शिक्षण के प्रति अनुकूल प्रतिक्रिया अवश्य दिखानी चाहिए।—प्रेरितों ४:१३ से तुलना करें।
१२ हमारी राज्य सेवा, थियोक्रॅटिक मिनिस्ट्री स्कूल, सेवा सभा, और उपदेश देने के अन्य साधन में दी गयी बातों का निजी अनुप्रयोग ज़रूरी है। प्रेरित पौलुस ने इब्रानी मसीहियों से सीधे-सीधे कहा: “समय के विचार से तो तुम्हें गुरु हो जाना चाहिए था, तौभी क्या यह आवश्यक है, कि कोई तुम्हें परमेश्वर के वचनों की आदि शिक्षा फिर से सिखाए?” (इब्रा. ५:१२) जो व्यक्ति अपनी दस्तकारी कई सालों से करता आ रहा है, उस से यह उम्मीद की जाती है कि उसने अपनी औज़ारों के प्रयोग में कुछ तो निपुणता हासिल की होगी। बाइबल आधारित विचार-विमर्श को किस तरह जारी रखना है, यह सीखने में प्रगति तब ज़ाहिर होगी जब हम निष्कपट दिलचस्पी दिखाते हैं और अध्यवसायी प्रयास करते हैं।—नीति. १२:२४; २२:२९.
१३ राज्य के संदेश में दिलचस्पी दिखानेवालों के पास वापस जाने और बाइबल विषयों पर और अधिक विचार-विमर्श करने में समय और कोशिश ख़र्च होते हैं। लेकिन हमें इस बात की क़दर करनी चाहिए कि हमारा सच्चाई में होना यहोवा के प्रेम और अनर्जित कृपा की एक अभिव्यक्ति है। यह ऐसे किसी व्यक्ति के ज़रिए व्यक्त किया गया जिसने सहनशीलता से हमें सच्चाई सिखाने में कई घंटे बिताए। उसी तरह, प्रेम से हमें आवश्यक समय निकालने और इसे शिष्य बनाने के इस अधिक महत्त्वपूर्ण कार्य के वास्ते अर्पित करने के लिए प्रेरित होना चाहिए।—२ कुरि. ५:१४, १५; इफि. ५:१५, १६.
१४ अनेक मण्डलियों ने संध्या के प्रचार कार्य का प्रबंध करने के लिए सोसाइटी के सुझाव पर अमल किया है। जिन लोगों ने दिलचस्पी दिखायी है, उनसे पुनःभेंट करने के लिए संध्या का प्रारंभिक हिस्सा एक अच्छा समय है। प्रभावकारी पुनःभेंट करने और बाइबल-आधारित विचार-विमर्श शुरु करने के लिए, जिन व्यक्तियों को हम ने गवाही दी है, उनके बारे में उचित जानकारी सम्मिलित करनेवाले घर-घर के रिकार्ड अत्यावश्यक हैं। ऐसे रिकार्डों को किसी किताब में या बाइबल में रखकर भूल न जाइए। हफ़्तों बाद, जब आप उस पड़ोस में होंगे और आपको याद आ जाए, उस वक़्त तक पुनःभेंट करने के लिए भूल जाने से, वह व्यक्ति शैतान के प्रतिनिधियों द्वारा भेंट किए जाने के लिए खुला छोड़ दिया जाता है। और ये लोग उस व्यक्ति के दिल में शायद जो भी बीज लग गया था, उसे छीन लेने में अति आनन्द लेते हैं। (लूका ८:१२) क्या आप तत्परता से वापस जाकर शैतान की युक्तियों को व्यर्थ कर देंगे? अगर आपको अपनी ज़िम्मेदारी का अहसास है और आप अपने ख़ास अनुग्रह की क़दर करते हैं, तो जब भी संभव होगा, तब आप तत्परता से वापस जाएँगे।—१ कुरि. ९:१६, २३.
किस तरह एक बाइबल अध्ययन शुरु किया जा सकता है
१५ एक बाइबल अध्ययन को शुरु करने में कोई मुश्किल, जटिल कार्यविधि सम्मिलित नहीं। कुछ लोग उनके साथ बाइबल अध्ययन करने के आपके सीधे प्रस्ताव को आसानी से स्वीकार करेंगे। बहरहाल, अनेक प्रचारक अध्ययन का ज़िक्र करना पसन्द नहीं करते, पर सिर्फ़ बाइबल आधारित विचार-विमर्श को उस लक्ष्य की ओर निर्दिष्ट करना पसन्द करते हैं।
१६ लोगों के लिए प्रेम और उनकी मदद करने की एक निष्कपट इच्छा ज़रूरी है। अच्छी तैयारी भी ज़रूरी है। इस में आपके उस व्यक्ति से पहले ही विचार-विमर्श किए गए विषयों पर लिखे हुए विवरण का पुनरीक्षण, और साथ ही उस तरीक़े को तै करना शामिल होना चाहिए, जो आप बाइबल आधारित विचार-विमर्श को आगे बढ़ाने में इस्तेमाल करेंगे। अपनी टिप्पणी की सामान्य प्रवाह भी मन में रखिए। क्या आप पहले ही विचार-विमर्श किए गए विषय पर कुछेक अतिरिक्त शास्त्रपद चुनेंगे? या क्या आप उस ट्रैक्ट या किताब को खोलेंगे, जो व्यक्ति के पास है और उसके साथ एक-दो आरंभिक परिच्छेदों पर ग़ौर करेंगे? आप एक ऐसे विषय को चुन सकते हैं, जिस में उस ने दिलचस्पी व्यक्त की है। पहले-पहले, सिर्फ़ १० या १५ मिनट ही लीजिए। दिखायी गयी दिलचस्पी की गहराई के आधार पर, समय को धीरे-धीरे बढ़ाया जा सकता है। आपके अच्छे विवेक से आपको यह पहचानने की मदद होगी, कि आपको किस तरह आगे बढ़ना है और कितनी देर तक वहाँ रुकना है।
१७ कई सालों से बहुत अधिक मददपूर्ण सुझाव दिए जा चुके हैं जिन से आपको शिष्य बनाने के लिए प्रगतिशील चरण अपनाने में मदद होगी। एक श्रृंखला के एक हिस्से के तौर से, हमारी राज्य सेवा के नवम्बर और दिसम्बर १९९० अंकों में ऐसे मददपूर्ण लेख प्रकाशित किए गए थे, जिनका शीर्षक था, “प्रभावकारी बाइबल अध्ययनों के ज़रिए हृदय तक पहुँचें” और “बाइबल विद्यार्थियों को यहोवा के संघटन की ओर निर्दिष्ट करें।” मार्च १९८७ की हमारी राज्य सेवा में यह लेख था, “गृह बाइबल अध्ययनों के लिए तैयारी करना और उनको संचालित करना।” इंडेक्स में “बाइबल स्टडीज़” शीर्षक के नीचे एक सरसरी जाँच से आप अतिरिक्त मददपूर्ण जानकारी की ओर निर्दिष्ट होंगे।
१८ एक अध्ययन को किस तरह संचालित करना है, इसके एक आदर्श के तौर से, मण्डली के पुस्तक अध्ययन में क्या किया जाता है, इसकी ओर ध्यान दीजिए। निश्चय ही, एक गृह बाइबल अध्ययन में आपको पूर्व-नियत अध्ययन-विषय को नहीं पढ़ना है। इसलिए आपको विद्यार्थी की क्षमता और ज़रूरतों के अनुसार विषय के अध्ययन की गति निर्धारित करनी चाहिए। इसके अलावा, सेवा ओवरसियर और अन्य अनुभवी प्रचारकों तथा पायनियरों को आपके साथ जाने और प्रभावकारी बाइबल अध्ययन संचालित करने के विषय में प्रयोगात्मक सुझाव देने में बहुत ही खुशी होगी।
१९ चूँकि हम जानते हैं कि लोगों की मदद करने की हमारी कोशिशों में यहोवा एक मुख्य भूमिका अदा करते हैं, हमें न सिर्फ़ ऐसे किसी व्यक्ति का पता लगाने के बारे में प्रार्थना करनी चाहिए, जिसके साथ हम अध्ययन कर सकते हैं, परन्तु पता लगाए गए दिलचस्पी रखनेवालों की प्रगति के बारे में भी प्रार्थना करनी चाहिए। हमारी मनोवृत्ति और भावनाएँ प्रेरित पौलुस की जैसी होनी चाहिए, जब वह राजा अग्रिप्पा को गवाही दे रहा था: “परमेश्वर से मेरी प्रार्थना यह है कि क्या थोड़े में, क्या बहुत में, केवल तू ही नहीं, परन्तु जितने लोग आज मेरी सुनते हैं, इन बन्धनों को छोड़ वे मेरे समान हो जाएँ।” (प्रेरितों २६:२९) पौलुस चाहता था कि उसके सुननेवाले मसीह के असली शिष्य बन जाएँ, चाहे इस से व्यक्तिगत सहायता की एक छोटी अवधि या एक अधिक विस्तृत समय ही क्यों न आवश्यक हो जाए।
२० बाइबल अध्ययनों को संचालित करने से हम “परमेश्वर के अनुग्रह के सुसमाचार के बारे में पूर्ण रूप से गवाही” दे सकते हैं। (प्रेरितों २०:२४, न्यू.व.) अनगिनत लोग शायद अब भी अन्धकार से ज्योति की ओर और शैतान के अधिकार से परमेश्वर की ओर फिरा दिए जाएँगे। (प्रेरितों २६:१८) आप, यहोवा के वैयक्तिक समर्पित, बपतिस्मा-प्राप्त सेवक को सच्चाई के बीज लगाकर और फिर बाइबल आधारित विचार-विमर्शों तथा नियमित गृह बाइबल अध्ययनों के ज़रिए आवश्यक सिंचाई करके, अपना भाग पूरा करना चाहिए। इस प्रकार लोगों को शिष्य बनते और फिर उनको आपके साथ मिलकर और भी अन्यों को यीशु मसीह के शिष्य बनने की मदद करते देखकर आप बड़ा हर्ष पा सकते हैं।