प्रहरीदुर्ग के साथ सुसमाचार का घोषणा करना
सचमुच प्रहरीदुर्ग अनोखा है क्योंकि यह सुसमाचार का एक वाहक है। तुलना में, अधिकांश सांसारिक प्रकाशन बुरी और हताश करनेवाली ख़बरें प्रस्तुत करते हैं। हम दूसरों को कैसे दिखा सकते हैं कि प्रहरीदुर्ग भिन्न है, जिस में एक सचमुच ताज़ा संदेश है?
२ पत्रिका के पृष्ठ २ पर पाए “प्रहरीदुर्ग का उद्देश्य” के तरफ हम उनका ध्यान आकर्षित कर सकते हैं। यह बताएँ कि इसका लक्ष्य यहोवा को सर्वश्रेष्ठ शासक के रूप में ऊँचा उठाना है, बाइबल भविष्यवाणी पूरा करनेवाले संसार की घटनाओं पर निगरानी रखना, सताए हुओं को सांत्वना देनेवाली संदेश देना, और हमारे उद्धार के ख़ातिर परमेश्वर के प्रबंधों पर विश्वास दृढ़ करना है।
३ क्या प्रहरीदुर्ग के प्रति हमारे टिप्पणियाँ ऐसे ख़यालों को एक प्रत्ययकारी तरीक़े से व्यक्त करते हैं? हम जो कुछ कहते हैं सिर्फ़ क्षणिक दिलचस्पी जगानेवाले कोई आकर्षक वाक्यांश होना नहीं चाहिए; उस में ठोसपन होना चाहिए, जो विश्वास प्रेरित करता है जिससे ज़्यादा सीखने की चाह उत्पन्न होती है।
४ तैयारी ज़रूरी है: हमारे क्षेत्र को अपने मन में रखते हुए हमें विभिन्न प्रस्तुतीकरणों को जाँचते हुए हर पत्रिका ध्यानपूर्वक पढ़ने की ज़रूरत है। हवाला दिए गए शास्त्र पदों को खोजना हमारे समझ को बढ़ाता है। यह सच्चाई के प्रति हमारी क़दर को गहरा और दूसरों के साथ इसे बाँटने में हमें प्रेरित कर सकता है। अगर सच्चाई हमारे दिल में नहीं है, तो हमें बोलने के लिए थोड़ासा प्रेरणा होगा।
५ आम तौर पर सकारात्मक होना अच्छा है, और अगर मुमकिन हो, अभिदान को पेश करें। इस बात पर ज़ोर दें कि यह पत्रिका बेहतर संसार के लिए देखनेवाले लोगों की एक बड़ी ज़रूरत पूरा करती है। पैसे की तात्कालिक कमी के कारण अगर अभिदान स्वीकार नहीं किया जाता, तो बताएँ कि आप दोबारा आने इच्छुक हैं और अभिदान के लिए प्रबंध किसी सुविधाजनक वक़्त पर करेंगे। लेकिन, अगर भेंट स्वीकार नहीं किया जाता तो फिर दो पत्रिका और एक ब्रोशर ९ रुपए में पेश करें।
६ जब आप प्रहरीदुर्ग का नवीनतम अंक का लेख पढ़ते हैं, गृहस्थों के साथ हुए पिछले चर्चों को याद करें जहाँ इन विषयों ने दिलचस्पी उत्पन्न किया। अतिरिक्त विचार-विमर्श के लिए उस अंक के साथ वापस जाने का ख़ास प्रयास करें।
७ हम यह नहीं जानते कि सुसमाचार किस हद तक और कितने समय के लिए घोषित किया जाएगा। लेकिन, हम यक़ीन कर सकते हैं कि जो कुछ पूरा किया जाता है उस में प्रहरीदुर्ग का एक अहम भूमिका होगा। इस प्रबंध को इस्तेमाल करते हुए, हम ने अध्यवसायी होकर “यहोवा के वचन का उपदेश करने और सुसमाचार सुनाने” में प्रेरितों का अनुकरण करना चाहिए।—प्रेरित १५:३५, NW.