पुनःभेंटों में सर्वदा जीवित रहना किताब का इस्तेमाल करना
सच्चाई में दिलचस्पी दिखानेवालों की देख-रेख करने में परिश्रमी होने के महत्त्व को प्रेरित पौलुस जानते थे। उन्होंने इनकी तुलना नाजुक पौधों से की, जिन्हें नियमित सिंचाई और जुताई की आवश्यकता है। (१ कुरि. ३:६-९) उसी तरह आज भी, दिलचस्पी दिखानेवालों को उस कोमल परवाह की ज़रूरत है जो हम उन्हें तब देते हैं जब हम उनकी आध्यात्मिक वृद्धि को विकसित करने के लिए पुनःभेंट करते हैं।
२ यह याद रखना अच्छा है कि जिन व्यक्तियों से हम मुलाक़ात करते हें, उन्हें तकाज़ों की अक़सर ज़रूरत होती है, जो कि पिछली चर्चा के मुद्दों को याद दिलाने में मदद करेंगे। इसलिए, हर पुनःभेंट में पिछली भेंट में किए गए विचार-विमर्श के विषय पर संक्षिप्त रूप से पुनर्विचार करना उचित होगा। उन मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें जिनकी गृहस्थ ने ख़ास तौर से क़दर की। विचार-विमर्श में गृहस्थ को शामिल करें और उसकी रुचियों और ज़रूरतों को तुरन्त पहचानें।
३ चाहे “सर्वदा जीवित रहना” किताब दी गयी हो या नहीं, पुनःभेंट करते समय आप एक अध्ययन आरंभ करने के लिए शायद यह सीधी प्रस्तावना इस्तेमाल करना चाहेंगे:
▪“अनेक लोगों को, जिनके साथ हम ने बात की है, अपने बाइबल-संबंधी सवालों के जवाब इस किताब को पढ़ने के ज़रिये प्राप्त हुए हैं।” फिर सर्वदा जीवित रहना किताब की विषय-सूची को खोलकर आप पूछ सकते हैं: “यहाँ कौनसा विषय आपको सबसे ज़्यादा दिलचस्प लगता है?” उस अध्याय को खोल दें जिस में गृहस्थ ने दिलचस्पी दिखायी और उसे दिखाएँ कि कैसे क्रमांकित परिच्छेद हर पृष्ठ के निचले हिस्से में दिए गए सवालों से मिलते हैं ताकि वह हर परिच्छेद के सबसे अहम मुद्दों को समझ सकें। सिर्फ़ कुछ ही मुद्दों पर चर्चा करें और दोबारा आने का निश्चित इंतज़ाम करें।
४ एक और प्रस्तावना ऐसी हो सकती है:
▪“गए हफ़्ते के विचार-विमर्श से मुझे सचमुच आनंद प्राप्त हुआ। हम क्यों उनके घरों को भेंट देते रहते हैं, इस पर अनेक लोगों ने चिन्ता व्यक्त की है। मैं ने सोचा कि आप पृथ्वी पर परादीस में सर्वदा जीवित रह सकते हैं किताब के पृष्ठ २९ में दी गयी टिप्पणी आपको दिलचस्प लगेगी। [परिच्छेद ११ पढ़ें.] यहाँ पढ़ी हुई बातों के आधार पर, आप की राय में अगर परमेश्वर को हमारी उपासना स्वीकार करनी हो तो क्या आवश्यक होगा? [जवाब के लिए समय दें और फिर गृहस्थ की सराहना करें.] यीशु के दिनों में, ऐसे भी लोग थे जो समझते थे कि उनका धर्म परमेश्वर को स्वीकार्य है। ग़ौर करें कि इस अध्याय के परिच्छेद २ में उन के बारे में क्या कहा गया है।” दी गयी उक्तियों को पढ़ें और उन पर टिप्पणी करें।
५ जहाँ “सर्वदा जीवित रहना” किताब दी गयी थी, आप वापस जाकर कह सकते हैं:
▪“गयी बार, हम ने दुनिया की उन परिस्थितियों पर विचार-विमर्श किया जिन में परिवर्तन होना ज़रूरी है। क्या आपने कभी सोचा है कि क्यों परमेश्वर ने दुष्टता की अनुमति दी है?” जवाब के लिए समय दें और फिर पृष्ठ ९९, परिच्छेद २ खोलकर वहाँ के अध्ययन सवालों पर ग़ौर करें। इस परिच्छेद को पढ़ें और शास्त्रवचनों को पढ़कर उस पर चर्चा करें। किताब में दिए कुछ चुने हुए चित्रों को खोलकर आप विचार-विमर्श को बढ़ा सकते हैं, उदाहरणार्थ, पृष्ठ ७८, ८४-५, ११९, १४७, १४९-५३, और १५६-८.
६ जहाँ एक ट्रैक्ट छोड़ा गया: कभी-कभी प्रारंभिक भेंट में एक ट्रैक्ट छोड़ा जाता है। पुनःभेंट करते समय, आप उल्लेख किए गए शास्त्रवचनों के साथ-साथ ट्रैक्ट में से एक या दो परिच्छेदों पर विचार-विमर्श कर सकेंगे। फिर दिखाएँ कि कैसे ट्रैक्ट में उल्लेख किए गए एक शास्त्रवचन पर सर्वदा जीवित रहना किताब में ज़्यादा तफ़सीलवार विचार-विमर्श किया गया है। अगर गृहस्थ दिलचस्पी ज़ाहिर करता है, तो आप शायद सर्वदा जीवित रहना किताब पेश करने और अपनी अगली भेंट में विचार-विमर्श का इंतज़ाम करना चाहेंगे।
७ जैसे-जैसे हम अपनी ज़िम्मेवारी में दिए गए मसीही विश्वास के नाजुक पौधों की सिंचाई निष्ठापूर्वक सँभालते हैं, परमेश्वर इन्हें ख़ुद अपनी स्तुति और महिमा की ख़ातिर बढ़ाएँगे।—१ कुरि. ३:७.