प्रेरित करनेवाली प्रस्तावना विकसित कीजिए
पाठकों के मन और दिल में सच्चाई के बीज बोने के लिए प्रहरीदुर्ग और अवेक! दोनों ही उपयोगी हैं। इसलिए हम इन पत्रिकाओं को लोगों के घरों तक पहुँचाने के लिए असरदार तरीक़े विकसित करना चाहते हैं, जिससे वे इन में दिये गये आध्यात्मिक रत्नों का फ़ायदा उठा सकें।
२ गृहस्वामियों को किस तरह प्रेरित किया जा सकता है कि वे हमारी पत्रिकाओं को स्वीकार करें और उन्हें पढ़ें। काफ़ी कुछ इस पर निर्भर करता है कि हम उन्हें किस प्रकार प्रस्तुत करते हैं। असरदार प्रस्तावनाओं को तैयार करने के अत्युत्म सुझाव रीज़निंग किताब के पृष्ठ ९-१५ में पाये जाते हैं।
३ नवम्बर १ प्रहरीदुर्ग को प्रस्तुत करते समय, आप शायद रीज़निंग किताब के पृष्ठ १४ पर “बुढ़ापा/मृत्यु” शीर्षक के नीचे दिये गये पहले सुझाव को इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकते हैं।
अपना परिचय देने के बाद, आप कह सकते हैं:
▪ “यदि आप चुन सकते थे तो, आज दुनिया में जितनी समस्याएँ हैं उनमें से आप पहले किसका समाधान देखना चाहेंगे?” गृहस्वामी की अनुक्रिया को सुनिये, और उसकी चिन्ता को स्वीकार कीजिए। उसके बाद, आप आगे कुछ ऐसा बोल सकते हैं: “ध्यान दीजिए कि बाइबल ऐसी समस्याओं का क्या समाधान प्रस्तुत करती है। [यशायाह ९:६, ७ पढ़िये.] अतः मानवजाति की समस्याओं का असली समाधान एक धर्मी और खरे शासक में है जो अनंतकाल तक जीवित रहकर शासन करेगा। बाइबल यह भी प्रतिज्ञा करती है कि परमेश्वर बुढ़ापा और मृत्यु मिटा देगा और मनुष्यों को अनंतकाल तक परादीस पृथ्वी पर रहने का मौक़ा देगा।” फिर प्रहरीदुर्ग में पृष्ठ ६ को खोलिए और उपशीर्षक “परमेश्वर का अनन्त जीवन का प्रस्ताव” दिखाइये।
४ दो और प्रस्तावनाएँ जो आप नवम्बर १ के प्रहरीदुर्ग के साथ इस्तेमाल कर सकते हैं, रीज़निंग किताब के पृष्ठ १३ पर “जीवन/आनंद” शीर्षक के नीचे पाई जानेवाली पहली दो हैं। आप इन विचारों और प्रश्नों को अपने शब्दों में अभिव्यक्त कर सकते हैं या फिर जैसा रीज़निंग किताब में कहा गया है, उसे वैसा ही दोहरा सकते हैं। व्यक्ति की अनुक्रिया को स्वीकार करने के बाद, प्रहरीदुर्ग के पृष्ठ ७ पर दी गयी जानकारी बताकर आगे बढ़िये। फिर यशायाह ६५:२१-२३ पढ़ने के द्वारा, यह दिखाइये कि अनंत जीवन की आशिष पाने का मौक़ा सभी के लिए खुला है।
५ यदि आप नवम्बर ८ अवेक! इस्तेमाल कर रहे हैं, जो “जनसंख्या विस्फोट” पर है, तो आप शायद “जीवन/आनंद” शीर्षक के नीचे तीसरी प्रस्तावना को इस्तेमाल करने की कोशिश कर सकते हैं। भजन १:१, २ को इस के साथ जोड़ने के बाद, आप अवेक! के पृष्ठ २० पर दिए बॉक्स “यहोवा द्वारा धर्मशासन क्या करेगा” की तरफ़ ध्यान आकर्षित कर सकते हैं।
६ संभवतः आपको ऐसे गृहस्वामी मिलेंगे जो कहते हैं कि उनके पास उनका ख़ुद का धार्मिक साहित्य है। आप समझा सकते हैं कि हमारे पास भी हमारे अपने इस्तेमाल के लिए प्रकाशन हैं (जैसे हमारी राज्य सेवा); फिर भी, हमारी पत्रिकाएँ लोखों लोग पढ़ते हैं जो यहोवा के गवाह नहीं हैं।
७ पौलुस ने १ कुरिन्थियों ३:६ में कहा: “मैं ने लगाया, अपुल्लोस ने सींचा, परन्तु परमेश्वर ने बढ़ाया।” यदि हम चाहते हैं कि यहोवा रुचि रखने वालों के दिल में सत्य के बीज बढ़ाए, तो हमें प्रेरित करने वाली प्रस्तावनाओं का इस्तेमाल करके इन बीजों को प्रभावी ढंग से लगाने की ओर ध्यान देना चाहिए।