“सब बातें जो मैं ने तुम्हें आज्ञा दी है, . . . सिखाओ”
चेला बनाने में सिखाना सम्मिलित है। मसीह का एक चेला बनने से पहले, एक व्यक्ति को यीशु द्वारा आज्ञा दी गयी ‘सब बातें मानने’ के लिए सिखाना आवश्यक है। (मत्ती २८:१९, २०) इसे पूरा करने का उत्तम तरीक़ा गृह बाइबल अध्ययन के ज़रिये है।
२ बाइबल अध्ययन आरंभ करना हमेशा आसान नहीं होता है। अगर आपको एक बाइबल अध्ययन पाने में कठिनाई हो रही है, तो निराश न होइए। बाइबल अध्ययन आरंभ करने में सफ़लता के लिए संकल्प और दूसरों को सच्चाई प्रदान करने की निष्कपट चाह की आवश्यकता होती है।—गल. ६:९.
३ दिलचस्पी विकसित करना: आपका प्रारंभिक विचार-विमर्श शायद सिर्फ़ सीमित दिलचस्पी उत्पन्न करेगा। हालात पर निर्भर करते हुए, शायद गृहस्थ के पास एक ट्रैक्ट, एक ब्रोशर, या पत्रिकाएं छोड़ी जा सकती हैं। शायद आप इन्हीं में से किसी एक को गृह बाइबल अध्ययन आरंभ करने के लिए इस्तेमाल कर सकें। अगर गृहस्थ संदेश में अधिक दिलचस्पी दिखाता है, तो किसी एक और भेंट पर उसे एक अन्य उचित प्रकाशन की ओर निर्दिष्ट किया जा सकता है।
४ तैयारी सफ़लता की कुंजी है। क्यों न पहले से ही एक शास्त्रवचन को चुन लें जो उस ट्रैक्ट, ब्रोशर, या पत्रिका में उद्धृत किया गया है और जिसे आप अपनी पुनःभेंट में इस्तेमाल करने की योजना कर रहे हैं? इस प्रकार आप प्रकाशन से टिप्पणियों को अपने विचार-विमर्श से जोड़ सकेंगे। आप शायद उस प्रकाशन में से एक या दो परिच्छेद भी सीधा पढ़ सकते हैं।
५ आप शायद यह कहेंगे:
▪ “अब पूरी हो रही एक अद्भुत भविष्यवाणी के बारे में हम कुछ जानकारी बांट रहे थे।” मत्ती २४:३ पढ़िए, फिर “हमारी समस्याएँ” ब्रोशर के पृष्ठ १३ से १५ पर दी गयी टिप्पणियों और तसवीरों को जोड़ दीजिए। एक शांतिपूर्ण नए संसार में जीवन ट्रैक्ट को प्रस्तुत करते समय एक इसी प्रकार का प्रस्ताव इस्तेमाल किया जा सकता है।
६ सच्ची दिलचस्पी पहचाने जाने पर, तुरन्त वहां वापस जाना चाहिए। एक सप्ताह के भीतर ही लौटने की कोशिश कीजिए ताकि पिछला वार्तालाप अब तक गृहस्थ के मन में ताज़ा रहे। हर बार जब आप भेंट करते हैं, उस प्रकाशन से कुछ परिच्छेदों पर चर्चा कीजिए जिसे आपने उसके पास छोड़ा था। फिर, उचित समय पर, आप सर्वदा जीवित रहना किताब पेश करके इसी पद्धति को जारी रखिए।
७ यीशु द्वारा पूर्वबतलायी गयी महान फ़सल में अभी भी काफ़ी कार्य करना बाक़ी है। (मत्ती ९:३७, ३८) जैसे हम ईमानदार दिलवालों को सिखाते हैं, हमें यीशु का यह शक्तिप्रद आश्वासन है कि वह ‘जगत के अन्त तक सदैव हमारे संग है।’