घर-घर की सेवा में हमारी पत्रिकाएँ इस्तेमाल करना
अवेक! का उद्देश्य प्रत्येक अंक के पृष्ठ ४ पर स्पष्ट रूप से बताया गया है: “यह पत्रिका १९१४ की घटनाएँ देखनेवाली पीढ़ी के गुज़र जाने से पहले, एक शान्तिपूर्ण और सुरक्षित नए संसार के बारे में सृष्टिकर्ता की प्रतिज्ञा में विश्वास पैदा करती है।” निश्चय ही हमारी घर-घर की सेवकाई में ऐसी पत्रिका यथासम्भव विस्तृत वितरण के योग्य है!
२ जो लोग आध्यात्मिकता की तरफ प्रवृत्त नहीं हैं, अवेक! ऐसे लोगों की दिलचस्पी को बढ़ाने के लिए एक अत्युत्तम तरीक़ा है। हरेक अंक पढ़ते समय, दूसरों के साथ बाँटने के लिए उचित मुद्दों को ढूँढ़िए। कुछ प्रकाशक अपने निजी अंक में नोटस् बनाते हैं, और उस ख़ास अंक को लेकर क्षेत्र सेवकाई में जाने से पहले, वे लिखी हुई बातों पर पुनर्विचार करते हैं ताकि गृहस्वामियों से बाँटने के लिए उनके मन में विशिष्ट मुद्दे हों।
३ हम अवेक! के जिस अंक का उपयोग करते हैं उसी में चर्चा किए गए एक विषय पर एक सुस्पष्ट टिप्पणी करते हुए अपनी प्रस्तुति की शुरूआत कर सकते हैं।
यदि गृहस्वामी दिलचस्पी दिखाता है, हम शायद ऐसा कहकर पत्रिका प्रस्तुत कर सकते हैं:
▪“अवेक! का यह लेख इस विषय में और भी विस्तृत जानकारी देता है।” फिर पहले से ही चुने हुए एक या दो वाक्यों को पढ़िए, और आगे कहिए: “क्योंकि ऐसा लगता है कि आप इस विषय में दिलचस्पी रखते हैं, क्या आप इस लेख को और अवेक! के इस अंक में अन्य समयोचित लेखों को पढ़ना पसन्द करेंगे? यदि हाँ, तो इसे और इसकी सह पत्रिका, प्रहरीदुर्ग को ६ रुपए के चन्दे के लिए आपके पास छोड़ने में मुझे ख़ुशी होगी।”
४ यदि गृहस्वामी आध्यात्मिक बातों में स्पष्ट रूप से दिलचस्पी व्यक्त करता है, तो हम एक वचन का ज़िक्र कर सकते हैं, जैसे कि अन्तिम दिनों के बारे में २ तीमुथियुस ३:१-५। उसके बाद, हमारी पत्रिकाओं में उसकी दिलचस्पी पैदा करने के लिए, हम प्रहरीदुर्ग के सामयिक अंक के पृष्ठ २ से सीधे उस भाग को पढ़ सकते हैं जो ऐसे शुरू होता है: “प्रहरीदुर्ग का उद्देश्य।” बाद में, प्रहरीदुर्ग और अवेक! के सामयिक अंक उसे पेश कीजिए।
५ कुछ क्षेत्रों में जहाँ लोग धर्मों में दिलचस्पी रखनेवाले प्रतीत होते हैं, पत्रिकाएँ प्रस्तुत करने के बजाय, आप कह सकते हैं:
▪“इस समुदाय में, हम ऐसे लोगों से मिलते हैं जो हमारे अपने धर्म से काफ़ी भिन्न अनेक धर्मों का अभ्यास करते हैं। परमेश्वर के लिए मानवजाति की खोज ने कई भिन्न दिशाएँ ली हैं। [प्रेरितों १७:२६, २७ पढ़िए.] क्या आप मानते हैं कि स्वयं परमेश्वर की खोज करने के बजाय, सामान्य तौर से लोग अपने माता-पिता के धर्म का अनुकरण करते हैं? [टिप्पणी के लिए समय दीजिए.] मैनकाइन्डस् सर्च फॉर गॉड, इस पुस्तक के पहले अध्याय में इसी मुद्दे को ज़ाहिर किया गया है। [पृष्ट ८ पर दिए अनुच्छेद १२ की जानकारी को विशिष्ट कीजिए.] अन्य धर्मों के बारे में सीखना प्रबुद्धकारी और शिक्षाप्रद दोनों है। यह पुस्तक दुनिया के मुख्य धर्मों की शुरूआत, उनके अभ्यास, और शिक्षाओं को समझाती है।” जैसे समय अनुमति दे, गृहस्वामी को अध्यायों की सूची और पुस्तक में एक या दो चित्र दिखाइए।
६ जैसे-जैसे हम घर-घर जाते हैं, आइए हम हमेशा यह याद रखें कि लोगों को आध्यात्मिक प्रगति करने में सहायता देने के लिए दुनिया में सबसे बढ़िया दो उपकरण हमारे पास हैं, प्रहरीदुर्ग और अवेक! ऐसा हो कि हम इन पत्रिकाओं में गृहस्वामियों की दिलचस्पी बढ़ाने के लिए और इन्हें हर अवसर पर देने के लिए प्रयास करें।