युवाओं को बताना कि वे कैसे “आनन्द कर” सकते हैं
हम एक ऐसे समय में जी रहे हैं जब संकटपूर्ण परिस्थितियों को सूचित करनेवाली बाइबल भविष्यवाणियाँ पूरी हो रही हैं। अनेक लोग, जिसमें युवा लोग भी शामिल हैं, दुखःदायी समस्याओं को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि वे शांत जीवन जी सकें। वे बाइबल की इस सलाह से फ़ायदा प्राप्त कर सकते हैं कि कैसे ‘अपने मन से खेद और अपनी देह से दुःख दूर करें।’ (सभो. ११:९, १०) मार्च के महीने के दौरान, युवाओं के प्रश्न (अंग्रेज़ी) पुस्तक पेश करने के द्वारा ‘आनन्द करने’ में उनकी मदद करने का अवसर हमारे पास है। इसे पेश करते वक़्त हमें याद रखना चाहिए कि जिन समस्याओं का सामना आज युवा और आम मानवजाति कर रही है वे बाइबल में पूर्वबताई गई थीं और कि बाइबल हल प्रस्तुत करती है। तो फिर, हम क्या कह सकते हैं?
२ यह प्रस्तुति शायद प्रभावकारी हो:
▪“पारिवारिक फूट, तलाक़, अकेलापन, लैंगिक रूप से फैलनेवाली बीमारियों, नशीली दवा और मदिरा-संबन्धित समस्याओं, और कई और समस्याओं ने इस २०वीं शताब्दी के युवा लोगों को पीड़ित किया है। क्या आप सोचते हैं कि इन समस्याओं का कोई हल है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] अनेक लोग यह जानकर चकित होते हैं कि इन सब समस्याओं को बाइबल में संबोधित किया गया है। उदाहरण के लिए, मित्र बनाने और उन्हें बनाए रखने के विषय पर, आपने शायद एक प्रसिद्ध उपदेश में यीशु द्वारा दिए गए स्वर्ण नियम के बारे में सुना होगा। [वाओं के प्रश्न पुस्तक को खोलिए और पृष्ठ १६३ पर अनुच्छेद १ से स्वर्ण नियम पढ़िए।] एक और सिद्धांत जो परिवार में और दूसरों के साथ शांति और एकता बनाए रखने में मदद करता है वह रोमियों १२:१७, १८ में दिया गया है। [इसे उसी पृष्ठ पर अनुच्छेद ३ से पढ़िए।] क्या आप जानना चाहेंगे कि इन और अन्य सिद्धांतों को कैसे लागू किया जा सकता है ताकि आप अपना दैनिक जीवन अधिक सरल और आनन्ददायक बना सकें?” पृष्ठ ८ और ९ पर विषय सूची में से चर्चा किए गए कुछ विषयों को दिखाइए और फिर पुस्तक पेश कीजिए।
३ शायद यह सवाल एक दिलचस्प चच प्रेरित करेगा:
▪“क्या आपको लगता है कि युवा लोगों को अपनी समस्याओं का सफलतापूर्वक सामना करने में मदद देने के लिए कुछ किया जा सकता है? [प्रतिक्रिया के लिए रुकिए।] अनेक लोग जानते हैं कि लौकिक शिक्षा आज बहुतायत में उपलब्ध है। लेकिन नैतिक शिक्षा—जीवन के लिए शिक्षा—के बारे में क्या? क्या युवा लोगों और बुज़ुर्ग लोगों को बेहतर, ज़्यादा सुखद जीवन जीने में मदद देने के लिए सलाह का कोई विश्वसनीय स्रोत है?” यशायाह ४८:१७, १८ पढ़िए और युवाओं के प्रश्न पुस्तक के पृष्ठ ६ पर अनुच्छेद २ के दूसरे भाग पर टिप्पणी कीजिए। समझाइए कि कैसे गृहस्वामी इस पुस्तक में दी गई बाइबल-आधारित सलाह से व्यक्तिगत तौर पर फ़ायदा प्राप्त कर सकता है।
४ आप शायद ऐसा कुछ कहना आसान पाएँगे:
▪“अनेक युवा लोग अपने भविष्य के बारे में हताश हैं और उनके माता-पिता भी अपने बच्चों के कल्याण के बारे में उतने ही चिन्तित हैं। यह पुस्तक, युवाओं के प्रश्न—व्यावहारिक उत्तर, युवा लोगों को अभी संतोषप्रद, अर्थपूर्ण जीवन जीने के लिए समर्थ करती है, साथ ही उनको भविष्य के लिए एक आशा भी प्रदान करती है।” अध्याय ३८ जैसे कुछ अध्यायों के शीर्षक दिखाइए, फिर पृष्ठ ३०६ खोलिए और भविष्य के लिए यहोवा के उद्देश्य के बारे में बताइए। गृहस्वामी को पुस्तक की एक प्रति प्राप्त करने के लिए आमंत्रित कीजिए और दिखाइए कि कैसे इसकी व्यावहारिक जानकारी को परिवार में पढ़ा जा सकता है और उस पर चर्चा की जा सकती है। इससे सब को फ़ायदा प्राप्त होगा और उन्हें मदद मिलेगी कि वे उन अनेक समस्याओं से दूर रह सकें जिनका आज युवा लोग सामना करते हैं।
५ परमेश्वर के वचन में पाई गई सलाह पूरी मनुष्यजाति के लिए व्यावहारिक है। प्रत्येक व्यक्ति को बाइबल के शब्द सुनने की ज़रूरत है। आनन्द के इस स्रोत के बारे में युवाओं और दूसरों को बताने में हम जितना कर सकते हैं उतना करें।