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  • हमेशा यहोवा की स्तुति कीजिए
  • हमारी राज-सेवा—1995
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हमेशा यहोवा की स्तुति कीजिए

कुछ गतिविधियाँ हैं जो इतनी महत्त्वपूर्ण होती हैं कि वे हमेशा हमारे ध्यान के योग्य हैं। उनमें हम भोजन करना, साँस लेना, और सोना शामिल करते हैं। यदि हमें अपने आपको शारीरिक रूप से बनाए रखना है तो ये अत्यावश्‍यक हैं। प्रेरित पौलुस ने सुसमाचार के प्रचार को समान वर्ग में डाला जब उसने आग्रह किया: ‘हम स्तुतिरूपी बलिदान परमेश्‍वर के लिये सर्वदा चढ़ाया करें।’ (इब्रा. १३:१५) सो, यहोवा की स्तुति करना भी हमारे निरन्तर ध्यान के योग्य है। हमारे स्वर्गीय पिता की हमेशा स्तुति करना एक ऐसी बात है जिसे हमें रोज़ करने की कोशिश करनी चाहिए।

२ जब अन्य लोगों ने यीशु का ध्यान कहीं और विकर्षित करने की कोशिश की, तब उसने जवाब दिया: “मुझे . . . राज्य का सुसमाचार सुनाना अवश्‍य है।” (लूका ४:४३) उसकी साढ़े-तीन-साल की सेवकाई के दौरान, हर रोज़ जो कुछ उसने किया वह किसी-न-किसी तरीक़े से परमेश्‍वर की महिमा करने से सीधे जुड़ा हुआ था। पहला कुरिन्थियों ९:१६ में जो विचार उसने व्यक्‍त किया उसको देखते हुए हम जानते हैं कि पौलुस ने इस तरह महसूस किया: “यदि मैं सुसमाचार न सुनाऊं, तो मुझ पर हाय।” अन्य विश्‍वासी मसीहियों को प्रोत्साहित किया गया था कि वे अपनी आशा के विषय में दूसरों को उत्तर देने के लिए हमेशा तैयार रहें। (१ पत. ३:१५) आज हज़ारों उत्साही पायनियर और लाखों कलीसिया प्रकाशक ऐसे उत्तम उदाहरणों का अनुकरण करने का प्रयत्न करते हैं।

३ जब हम अपने आदर्श, यीशु मसीह द्वारा प्रकट किए गए हार्दिक उत्साह पर विचार करते हैं, तब हम नज़दीकी से उसके पदचिन्हों पर चलने के लिए प्रेरित होते हैं। (१ पत. २:२१) कभी-कभी हम शायद निरुत्साहित हो जाते हैं जब हमें दैनिक जीवन की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। जब हमारे पास पूर्ण-समय की लौकिक नौकरी है, तब हम यहोवा की स्तुति करने के अवसरों का रोज़ फ़ायदा कैसे उठा सकते हैं? ना ही हम ऐसी पारिवारिक बाध्यताओं को छोड़ सकते हैं जो हमारे काफ़ी समय की माँग करती हैं। अधिकांश युवा लोग आवश्‍यक दैनिक शिक्षा प्राप्त करने में व्यस्त हैं। कुछ लोग शायद महसूस करें कि सार्वजनिक रूप से हर दिन यहोवा की स्तुति करना संभव नहीं है। कभी-कभी, कुछ लोग किसी-भी तरीक़े से सुसमाचार को बाँटे बग़ैर पूरा महीना गुज़रने देते हैं।

४ यिर्मयाह एक ऐसा व्यक्‍ति था जो सुसमाचार बताने से अपने आपको नहीं रोक सकता था। जब वह कुछ समय के लिए यहोवा के नाम के बारे में बात करने से चूक गया, तब उसने अपने भीतर एक धधकती हुई असहनीय आग महसूस की। (यिर्म. २०:९) प्रतीयमानतः अभिभूत करनेवाले संकट का सामना करते वक़्त, यिर्मयाह दूसरों को यहोवा का संदेश सुनाने के लिए हमेशा कोई-न-कोई तरीक़ा ढूँढ लेता था। क्या हम साहस के उसके उदाहरण की नक़ल कर सकते हैं और हर रोज़ अपने सृष्टिकर्ता की स्तुति करने के अवसरों को खोज निकालने में लगे रह सकते हैं?

५ यहोवा के बारे में हमारा बात करना कलीसिया के क्षेत्र में अन्य प्रकाशकों के साथ साक्षी कार्य के लिए औपचारिक, पूर्व-निर्धारित समय तक सीमित नहीं होना चाहिए। हमें केवल एक सुननेवाले व्यक्‍ति की ज़रूरत है। हम हर रोज़ निरन्तर लोगों से मुलाक़ात करते हैं—वे हमारे घर आते हैं, हम नौकरी पर उनके साथ काम करते हैं, हम दुकानों में उनकी बग़ल में खड़े होते हैं, या हम बस में उनके साथ यात्रा करते हैं। केवल एक दोस्ताना अभिवादन और एक विचारोत्पादक सवाल या टिप्पणी की ज़रूरत होती है जो एक वार्तालाप शुरू कर सकती है। अनेक लोगों ने पाया है कि यह साक्षी देने का उनका सबसे फलदायक तरीक़ा है। सुसमाचार के बारे में दूसरों से बात करने के लिए जब हमारे पास अनेक अवसर हैं, तो यह हमारे लिए अविचारणीय होगा कि हम राज्य साक्षी दिए बग़ैर एक पूरा महीना गुज़र जाने दें।

६ यहोवा की स्तुति करने का विशेषाधिकार कभी रुकेगा नहीं। जैसा भजनहार ने सूचित किया, हर साँस लेनेवाले प्राणी को यहोवा की स्तुति करते रहना चाहिए, और निश्‍चय ही हम भी सम्मिलित होना चाहते हैं। (भज. १५०:६) यदि हमारा हृदय हमेशा ऐसा करने के लिए हमें प्रेरित करता है, तो हम रोज़ यहोवा और उसके वचन के बारे में बात करने के अवसरों का फ़ायदा उठाएँगे।

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