तैयारी—सफलता की कुँजी
सेवकाई के लिए पूर्व तैयारी ऐसी किसी भी तरह की झिझक पर, विजय पाने में मदद करेगी, जो एक व्यक्ति क्षेत्र सेवा में भाग लेने के बारे में शायद महसूस करे। जब आप दरवाज़ों पर पहुँचते हैं, आप को मालूम होगा कि आप गृहस्वामियों से क्या कहना चाहते हैं। आपको उन कठिन परिस्थितियों से आशंकित नहीं होना पड़ेगा जिनका शायद सामना करना पड़े। सेवा से वापस घर आने पर आप यह जानकर कि आपने सेवकाई में अच्छा प्रयास किया है, प्रोत्साहित महसूस करेंगे। जी हाँ, पूर्ण तैयारी हमारे प्रचार करने और सिखाने के कौशल को तेज़ करने की कुँजी है।
२ पौलुस ने हमसे यह आग्रह करते हुए तैयारी पर ज़ोर दिया कि हम “पांवों में मेल के सुसमाचार की तैयारी के जूते पहिन” लें। (इफि. ६:१५) इसमें हमारे मन और हृदय को तैयार करना, साथ ही साथ एक सकारात्मक दृष्टिकोण और एक इच्छुक मनोवृत्ति रखना शामिल है। जब हम दूसरों के साथ सच्चाइयाँ बाँटने के लिए तैयार हैं, तो हमारी मेहनत का फल राज्य के प्रतिफल के रूप में मिलेगा, जिससे हमें ख़ुशी होगी।—प्रेरि. २०:३५.
३ प्रचार कार्य के लिए कैसे तैयारी करें: हमें एक प्रस्तुति चुन लेनी चाहिए जो हमारे लिए सुविधाजनक हो, सम्भवतः रीज़निंग (अंग्रेज़ी) पुस्तक, अथवा हमारी राज्य सेवकाई के अन्तिम पृष्ठ पर पाई जानेवाली प्रस्तुतियों में से एक। उन शास्त्रवचनों पर जिन्हें आप इस्तेमाल करने का विचार कर रहे हैं ध्यानपूर्वक विचार कीजिए, यह तय करते हुए कि किन शब्दों अथवा वाक्यांशों पर आप अपने मुख्य मुद्दे को विशिष्ट करने के लिए ज़ोर देंगे। प्रस्तुति को रटने की कोई ज़रूरत नहीं है; इसके बजाय, यह सर्वोत्तम होगा कि विचार को मन में रखें, अपने शब्दों में डालें, और ऐसे तरीक़े से कहें जो आप सोचते हैं कि आपके सुननेवाले को आकर्षक लगेगा।
४ जिस प्रकाशन को आप पेश करने का इरादा रखते हैं उसे जाँचिए, और कुछ दिलचस्प बातचीत के मुद्दे चुनिए। ऐसी कोई बात चुनिए जिसे आप महसूस करते हैं कि आपके क्षेत्र में लोगों को दिलचस्प लगेगी। इस बात पर विचार कीजिए कि आप कैसे अपने प्रस्तुतिकरण को—एक पुरुष, एक स्त्री, एक बुज़ुर्ग, अथवा एक युवा जैसे विभिन्न गृहस्वामियों के लिए शायद अनुकूल बना सकें।
५ क्या आपने अभ्यास सत्र रखने की कोशिश की है? पारिवारिक सदस्यों अथवा अन्य प्रकाशकों के साथ उन प्रस्तुतियों की चर्चा करने के लिए इकट्ठे होइए जो शायद प्रभावकारी हों, और तब ऊँची आवाज़ से उनका पूर्वाभ्यास कीजिए जिससे सभी उनको अच्छी तरह याद रख सकें। वास्तविक परिस्थितियों को और आपत्तियों को नक़ल करने की कोशिश कीजिए, जिनका सामना क्षेत्र में किया जा सकता है। ऐसा अभ्यास आपकी वाक्पटुता को सुधारेगा, प्रचार में आपकी प्रभावकारिता को, और आपके आत्म-विश्वास को बढ़ाएगा।
६ अपनी प्रस्तुति की तैयारी करने और अभ्यास करने के अलावा, आपको ख़ुद से यह भी पूछना चाहिए, ‘जो कपड़े मैं पहनना चाहता हूँ क्या वे सेवकाई के लिए उचित हैं? जिस साहित्य को मैं इस्तेमाल करने जा रहा हूँ उसके साथ-साथ, क्या मेरे पास बैग में वह है जिसकी मुझे ज़रूरत है? क्या वह अच्छी हालत में है? क्या मेरे पास मेरी रीज़निंग पुस्तक, ट्रैक्ट, घर-घर का रिकार्ड, और एक पॆन है?’ पहले से सोच-समझकर योजना बनाना सेवा में एक ज़्यादा फलदायक दिन में योगदान देगा।
७ ख़ुद को तैयार करने के लिए जब हम जितना कर सकते हैं कर चुके, तो, हमें सफल होने में मदद के लिए यहोवा की आत्मा के लिए प्रार्थना करनी चाहिए। (१ यूह. ५:१४, १५) जब हम ‘अपनी सेवा को पूरा करते हैं’ तो, तैयारी पर सुविचारित ध्यान देना, हमारे कार्य में हमें ज़्यादा आनन्द पाने में परिणित होगा।—२ तीमु. ४:५.