हर दिन अपनी मन्नतें पूरी करना
यहोवा को यह घोषित करने के लिए भजनहार दाऊद प्रेरित हुआ था: “मैं सर्वदा तेरे नाम का भजन गा गाकर अपनी मन्नतें हर दिन पूरी किया करूंगा।” (भज. ६१:८) दाऊद जानता था कि मन्नत मानना पूरी तरह से एक स्वैच्छिक विषय है। लेकिन, उसने मूल्यांकन भी किया कि यदि उसने मन्नत मानी, तो उसे पूरी करने के लिए वह बाध्य था। फिर भी, उसने हर दिन अपनी मन्नतों को पूरी करने के अवसर के लिए यहोवा की प्रशंसा की।
२ जब हमने यहोवा के प्रति अपना समर्पण किया, तब हमने उसकी इच्छा करने के लिए स्वेच्छापूर्वक मन्नत मानी। हमने अपने आपको त्याग दिया और यहोवा की सेवा करने को जीवन में अपना प्रमुख लक्ष्य बनाया। (लूका ९:२३) अतः, हमें भी हर दिन अपनी मन्नत पूरी करनी चाहिए। (सभो. ५:४-६) जो सार्वजनिक घोषणा हमने पानी में बपतिस्मा लेते समय की थी, उसे हमारी पूरी जीवनचर्या में प्रतिबिंबित होनी चाहिए, चूँकि हम जानते हैं कि “उद्धार के लिये मुंह से अंगीकार किया जाता है।” (रोमि. १०:१०) इसमें सुसमाचार प्रचार करना शामिल है। (इब्रा. १३:१५) व्यक्तिगत परिस्थितियाँ काफ़ी भिन्न होती हैं, लेकिन हर दिन हम सभी दूसरों के साथ सुसमाचार बाँटने के महत्त्व को ध्यान में रख सकते हैं।
३ रोज़ प्रचार करने के अवसर बनाइए: किसी और के साथ सुसमाचार बाँटना एक आनन्दप्रद अनुभव होता है। इसे रोज़ करने के लिए, हमें अपनी परिस्थितियाँ जब भी अनुमति देती हैं, तब प्रचार करने के अवसर बनाने पड़ते हैं। ऐसे लोगों ने अनेक सुखद अनुभवों का आनन्द उठाया है जिन्होंने कार्यस्थल पर या स्कूल में व्यक्तियों को और पड़ोसियों या अन्य लोगों को, जिनसे वे रोज़ मुलाक़ात करते हैं, अनौपचारिक रूप से साक्ष्य देने की पहल की है। यहाँ तक कि ख़त लिखना या टॆलिफ़ोन का इस्तेमाल करना दूसरों को साक्ष्य देने का एक ज़रिया हो सकता है। इन सभी ज़रियों का लाभ उठाना साथ ही साथ दर-दर साक्षी देने और पुनःभेंट करने के लिए नियमित रूप से समय अलग रखना, उस ख़ास आनन्द की ओर ले जा सकता है जो एक गृह बाइबल अध्ययन संचालित करने से मिलता है। जी हाँ, हर रोज़ हम शायद प्रचार करने के अवसरों को पैदा करने में समर्थ हों।
४ एक बहन ने अपने कार्य के अवकाश के दौरान प्रतिदिन शास्त्रवचनों की जाँच करना को पढ़ना शुरू किया। उसने दैनिक पाठ को अपने साथ पढ़ने के लिए एक सहकर्मी को आमंत्रित किया, और यह जल्द ही उस स्त्री के साथ एक बाइबल अध्ययन की ओर ले गया। वे हर रोज़, सप्ताह में पाँच दिन आधे घंटे के लिए अध्ययन करते। एक और सहकर्मी ने उनके दैनिक अध्ययन पर ध्यान दिया। उसने अंततः अपनी पहचान एक निष्क्रिय भाई के तौर पर कराई। इस बहन के जोश से प्रेरित होकर, उसने पुनःसक्रिय होने के लिए एक प्राचीन से संपर्क किया। इस बहन ने हर दिन अपनी मन्नत पूरी करने में लगे रहने के कारण दो अन्य लोगों के जीवन को एक सकारात्मक तरीक़े से प्रभावित किया।
५ यहोवा ने हमारे लिए जितने सब अच्छे काम किए हैं, उनके लिए जब हम मूल्यांकन-भरे हृदय से प्रेरित होते हैं, तब हर रोज़ अपने समर्पण की मन्नत को पूरा करने में जितना हम कर सकते हैं उतना करना हमें आनन्द और संतुष्टि लाएगा। भजनहार कि तरह, हम घोषित कर सकते हैं: “हे प्रभु हे मेरे परमेश्वर मैं अपने सम्पूर्ण मन से तेरा धन्यवाद करूंगा, और तेरे नाम की महिमा सदा करता रहूंगा।”—भज. ८६:१२.