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प्रश्‍न बक्स

▪ जो व्यक्‍ति लंबे अरसे तक कलीसिया से दूर रहा है, उसे फिर से सुसमाचार का प्रचारक बनने में मदद करने के लिए क्या किया जा सकता है?

सच्चाई से दूर हो चुका एक व्यक्‍ति जब इस बात का सबूत देता है कि वह फिर से यहोवा की सेवा सच्चे दिल से करना चाहता है, तो इससे सबको खुशी होती है। (लूका 15:4-6) हो सकता है कि इस व्यक्‍ति ने विरोध या जीवन में आनेवाले तनाव की वजह से खुद बाइबल का अध्ययन करना, सभाओं में हाज़िर होना और प्रचार काम में हिस्सा लेना छोड़ दिया था। तो फिर ऐसे व्यक्‍ति को परमेश्‍वर की सेवा में आगे बढ़ने के लिए मदद देने का सबसे अच्छा तरीका कौन-सा हो सकता है?

सबसे पहले हमें उसे यह भरोसा दिलाना चाहिए कि हम उसे सच्चे दिल से प्यार करते हैं। प्राचीन भी जल्द-से-जल्द यह पता लगाने की कोशिश करेंगे कि उसे आध्यात्मिक बातों में खासकर कैसी मदद की ज़रूरत है। (याकू. 5:14, 15) अगर वह कुछ ही समय के लिए सच्चाई से दूर रहा है, तो प्रचार काम में उसे फिर से सक्रिय करने के लिए शायद किसी अनुभवी प्रचारक की मदद काफी हो। लेकिन अगर वह लंबे अरसे तक कलीसिया से बाहर रहा है, तो शायद उसे और ज़्यादा मदद की ज़रूरत होगी। उस व्यक्‍ति का विश्‍वास मज़बूत करने और सच्चाई के लिए उसकी कदरदानी बढ़ाने के लिए, उसकी ज़रूरत के मुताबिक किसी किताब से उसके साथ अध्ययन किया जा सकता है। इस मामले में, कलीसिया का सर्विस ओवरसियर किसी काबिल प्रचारक को अध्ययन कराने का इंतज़ाम कर सकता है। (इब्रा. 5:12-14; हमारी राज्य सेवकाई के नवंबर 1998 अंक में प्रश्‍न बक्स देखिए।) अगर आप किसी ऐसे व्यक्‍ति को जानते हैं जिसे ऐसी मदद की ज़रूरत है, तो अपनी कलीसिया के सर्विस ओवरसियर को इस बारे में बताइए।

लंबे अरसे से निष्क्रिय रहे किसी व्यक्‍ति को फिर से प्रचार में आने के लिए कहने से पहले, अच्छा होगा कि दो प्राचीन उससे मिलकर यह देखें कि वह दोबारा प्रचारक बनने के काबिल है या नहीं। इसके लिए प्राचीन वही तरीका अपनाएँगे जो वे नए लोगों को प्रचारक बनाने के लिए अपनाते हैं। (अगस्त 1, 1989 की प्रहरीदुर्ग का पेज 20 देखिए।) प्राचीनों को देखना चाहिए कि क्या वह निष्क्रिय व्यक्‍ति दिल से चाहता है कि वह दूसरों को सुसमाचार सुनाए। इसके अलावा, यह ज़रूरी है कि वह आवर मिनिस्ट्री किताब के पेज 98-9 पर दी गयी बुनियादी माँगों को भी पूरा करे और लगातार सभाओं में हाज़िर रहे।

इस तरह, लगातार आध्यात्मिक कामों में हिस्सा लेने से कलीसिया में वापस आनेवाला व्यक्‍ति, यहोवा के साथ अपना अनमोल रिश्‍ता मज़बूत कर सकेगा और उसे कायम रख सकेगा और अनंत जीवन के मार्ग पर चलता रहेगा। (मत्ती 7:14; इब्रा. 10:23-25) और अगर वह “सब प्रकार का यत्न करके,” अपने अंदर ऐसे मसीही गुण पैदा करे जो सदा तक कायम रहते हैं, तो इनकी मदद से यीशु का एक चेला होने के नाते वह फिर कभी ‘निकम्मा और निष्फल’ न होगा।—2 पत. 1:5-8.

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