‘परमेश्वर का वचन प्रबल है’
प्रेरित पौलुस ने लिखा, “परमेश्वर का वचन जीवित, और प्रबल” है। (इब्रा. 4:12) ऐसा कहने का क्या मतलब था? बाइबल में बताया गया परमेश्वर का वचन या संदेश, लोगों पर ज़बरदस्त असर डाल सकता है। बाइबल में दी गयी बुद्धि-भरी सलाह में इतनी ताकत है कि इससे एक इंसान की ज़िंदगी सुधर सकती है। इसमें जो सांत्वना और आशा दी गयी है उससे इंसान जीवन देनेवाले परमेश्वर यहोवा की ओर खिंचे चले आते हैं। इसका संदेश नेकदिल इंसानों को अनंत जीवन की राह दिखा सकता है। मगर, ये सब होता देखने के लिए ज़रूरी है कि हम दूसरों को साक्षी देते वक्त बाइबल का इस्तेमाल करें।
2 हर मौके पर एक शास्त्रवचन पढ़िए: ऐसा देखा गया है कि बहुत-से प्रकाशक घर-घर प्रचार करते वक्त बाइबल का इस्तेमाल बहुत कम करते हैं। क्या आपके साथ भी ऐसा हो रहा है? ज़्यादातर लोगों को लंबी बातचीत करने की फुरसत नहीं होती, इसलिए शायद धीरे-धीरे आपको सिर्फ साहित्य पेश करने या अपने शब्दों में कोई शास्त्रवचन बता देने की आदत-सी पड़ गयी है। हम सभी प्रकाशकों को बढ़ावा देना चाहते हैं कि सुसमाचार सुनाते वक्त बाइबल से कम-से-कम एक आयत ज़रूर पढ़ें, इस तरह उस व्यक्ति को यह देखने का मौका दें कि हमारा संदेश वाकई परमेश्वर के वचन से है।
3 हालाँकि बहुत कम लोग बाइबल पढ़ते हैं, मगर आम तौर पर लोग इसकी बहुत इज़्ज़त करते हैं। व्यस्त लोग भी अकसर ऐसे संदेश के लिए एक-दो मिनट निकाल लेते हैं जो सीधे परमेश्वर के वचन से पढ़कर सुनाया जाता है। जब ज़रूरत के मुताबिक एक शास्त्रवचन को उत्साह से पढ़ा जाता है और चंद शब्दों में समझाया जाता है, तो यहोवा के वचन की ताकत का सुननेवाले पर बहुत अच्छा असर हो सकता है। अपनी बात शुरू करने के बाद आप क्या कहकर अपनी बातचीत को बाइबल की ओर मोड़ सकते हैं?
4 पत्रिकाएँ देते वक्त इसे आज़माइए: एक सफरी ओवरसियर, पत्रिकाएँ देते वक्त बाइबल का अच्छा इस्तेमाल करता है। वह अपनी जेब में एक छोटी बाइबल रखता है। पत्रिकाएँ देने के बाद और किसी लेख की खासियत बताने के बाद, वह बेझिझक बाइबल खोलकर एक आयत पढ़ता है जो लेख के साथ बहुत अच्छी तरह मेल खाती है। आयत पढ़ने से पहले बस आप एक सवाल पूछ सकते हैं कि “इस बढ़िया वादे के बारे में आपकी राय क्या है?” और फिर आप बाइबल से एक खास वचन पढ़कर सुना सकते हैं।
5 हर सुननेवाले को बाइबल से एक या दो आयत पढ़कर सुनाने का लक्ष्य रखिए। इसकी ज़बरदस्त ताकत से और ज़्यादा लोगों के लिए परमेश्वर की ओर आने का रास्ता खुल सकता है।—यूह. 6:44.