क्या आप परमेश्वर के वचन की पैरवी करते हैं?
इस दुनिया में जहाँ एक तरफ बाइबल को अकसर झूठा साबित करने की कोशिश जाती है, वहीं दूसरी तरफ सच्चे मसीही पूरे जोश के साथ इसकी पैरवी करते हैं। मसीहियों को पक्का यकीन है कि “हर एक पवित्रशास्त्र परमेश्वर की प्रेरणा से रचा गया है।” इसलिए वे यीशु की इस बात से पूरी तरह सहमत हैं, जो उसने यहोवा से प्रार्थना में कही थी: “तेरा वचन सत्य है।” (2 तीमु. 3:16; यूह. 17:17) हम कैसे बढ़िया तरीके से परमेश्वर के वचन की पैरवी कर सकते हैं?
2 बाइबल की आयतों का अध्ययन कीजिए: इसमें कोई दो राय नहीं कि यीशु जी-जान से परमेश्वर के वचन का अध्ययन करता था। इसलिए अपनी सेवा के दौरान, वह लोगों को शास्त्र से सिखा सका। (लूका 4:16-21; 24:44-46) हम ज़्यादा-से-ज़्यादा बाइबल की आयतें कैसे याद रख सकते हैं? इसके लिए हमें रोज़ बाइबल का एक भाग पढ़ना चाहिए। फिर उसमें से एक ऐसी आयत पर मनन करना चाहिए, जिससे खासकर हमें हौसला मिला है या जिसका हम प्रचार में इस्तेमाल कर सकते हैं। सभाओं की तैयारी करते वक्त, हमें लेख में दी उन सभी आयतों को बाइबल में खोलकर पढ़ना चाहिए जिनका सिर्फ हवाला दिया होता है। और हो सके तो हमें उनके बारे में कुछ बताने की भी तैयारी करनी चाहिए। इसके अलावा, सभाओं में जब भाषण देनेवाला भाई बाइबल से आयतें पढ़ता है, तो हमें भी अपनी बाइबल खोलकर साथ-साथ पढ़ना चाहिए। इस तरह, बाइबल की आयतों का अध्ययन करने से हम ‘सत्य के वचन को ठीक रीति से काम में लाने’ के लिए तैयार होंगे।—2 तीमु. 2:15.
3 बाइबल का इस्तेमाल कीजिए: प्रचार में हमें बाइबल का अच्छा इस्तेमाल करना चाहिए। मिसाल के लिए, अगर हालात इजाज़त देते हैं, तो हमें घर-मालिक को एक आयत पढ़कर सुनानी चाहिए और उस पर चर्चा करनी चाहिए। अगर वह कोई सवाल पूछता है या किसी बात पर एतराज़ करता है, तो ऐसे में उसे बाइबल से जवाब देना सबसे अच्छा होगा। और अगर किसी घर-मालिक को फुरसत नहीं, तब भी हम बाइबल का इस्तेमाल कर सकते हैं। हम उससे कह सकते हैं: “जाने से पहले मैं आपको शास्त्र से एक बात बताना चाहता हूँ।” फिर हम बाइबल की कोई आयत पढ़कर उसे सुना सकते हैं या अपने शब्दों में बता सकते हैं। जब भी मुमकिन हो, घर-मालिक को सीधे बाइबल से पढ़कर सुनाइए और बाइबल को इस तरह पकड़िए की वह भी आपके साथ-साथ आयत देख सके। मगर कभी-कभी ऐसे हालात पैदा हो सकते हैं जिनमें अपने बैग से बाइबल निकालने के बजाय, आयत को मुँह-ज़बानी सुनाना बेहतर होगा।
4 एक बार, जब एक घर-मालिक को कई आयतें दिखाकर साबित किया गया कि त्रियेक की शिक्षा गलत है, तो उसने कहा: “मैं अपनी सारी ज़िंदगी चर्च जाता रहा, मगर मुझे आज तक पता नहीं चला कि बाइबल यह बताती है!” वह फौरन बाइबल अध्ययन के लिए राज़ी हो गया। यीशु ने कहा था कि उसकी भेड़ें उसकी आवाज़ सुनेंगी। (यूह. 10:16, 27) नेकदिल लोगों के लिए सच्चाई को पहचानने का सबसे बढ़िया तरीका है कि वे इसे सीधे बाइबल से देखें। इसलिए आइए हम परमेश्वर के सत्य वचन की पैरवी करते रहें!