दूसरों को शुद्ध भाषा सिखाइए
दुनिया-भर में यहोवा के साक्षी अलग-अलग “जाति, और कुल, और लोग और भाषा में से” आए हैं, मगर फिर भी उनके बीच एकता और सच्चा भाईचारा है। (प्रका. 7:9) आज की इस दुनिया में जहाँ चारों तरफ फूट पड़ी हुई है, ऐसे भाईचारे और एकता का वाकई जवाब नहीं! मगर यह कैसे संभव हुआ है? इसकी वजह यह है कि हमें “शुद्ध भाषा” सिखायी गयी है।—सप. 3:9.
2 बढ़िया असर: यह शुद्ध भाषा है क्या? शुद्ध भाषा का मतलब है, यहोवा और उसके उद्देश्य के बारे में सच्चाई की सही समझ जो उसके वचन में पायी जाती है, खासकर परमेश्वर के राज्य के बारे में। जैसा कि यीशु ने पहले से बताया था, आज यह सच्चाई धरती पर ठहराए गए एक इंतज़ाम के ज़रिए फैलायी जा रही है, और वह इंतज़ाम है “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास।” इसका नतीजा यह हुआ है कि “भांति भांति की भाषा बोलनेवाली सब जातियों” के लोग सच्ची उपासना कर रहे हैं।—मत्ती 24:45; जक. 8:23.
3 जब लोग शुद्ध भाषा सीखते हैं तो वे यहोवा के स्तरों के मुताबिक अपनी ज़िंदगी को ढालने के लिए उभारे जाते हैं। और वे आपस में “एक ही मन और एक ही मत होकर मिले” रहना सीखते हैं। (1 कुरि. 1:10) जब वे परमेश्वर के वचन से शिक्षा हासिल करते हैं तो वे अच्छा चालचलन बनाए रखते हैं, हमेशा सच बोलते हैं। खास तौर पर वे ऐसा दूसरों को सुसमाचार सुनाते वक्त करते हैं। (तीतु. 2:7, 8; इब्रा. 13:15) लोगों में होनेवाले ऐसे अनोखे बदलाव से वाकई यहोवा की महिमा होती है।
4 उदाहरण के लिए, एक आदमी को जब सुसमाचार बताया गया तो उसने बहुत-से सवाल पूछे। जब उसे अपने हर सवाल का जवाब मिला, तो वह इस कदर प्रभावित हो गया कि वह हफ्ते में दो बार अध्ययन करने लगा और सभाओं में हाज़िर होने लगा। किंगडम हॉल में जब उसका प्यार से स्वागत किया गया, तो वह हैरान रह गया क्योंकि वहाँ हाज़िर बहुत-से लोग अलग-अलग जाति के थे। कुछ ही समय में उसने और उसकी पत्नी ने ज़िंदगी में कुछ बदलाव किए और बपतिस्मा ले लिया। तब से उसने करीब 40 लोगों को यहोवा के सेवक बनने में मदद दी है, जिनमें बहुत-से लोग उसके नाते-रिश्तेदार हैं। हाल ही में उसने पायनियर सेवा भी शुरू की, जबकि वह अपंग है।
5 दूसरों को सिखाना: आज दुनिया में होनेवाली घटनाओं ने बहुत-से नेकदिल लोगों को अपने सोच-विचार और जीने के तरीके के बारे में दोबारा गौर करने पर मजबूर किया है। यीशु की तरह हमें भी उनकी मदद करनी चाहिए। सच्चे मन के लोगों को शुद्ध भाषा सिखाने का अहम तरीका यह है कि हम वापसी भेंट और बाइबल अध्ययन में उन्हें कुशलता से सिखाएँ।
6 जो लोग बहुत व्यस्त होते हैं, उनके साथ दरवाज़े पर ही चंद मिनटों में बाइबल अध्ययन करने पर अच्छे नतीजे मिले हैं। (km 5/02-HI पेज 1) क्या आपने कभी यह तरीका आज़माया है? जब आप किसी से वापसी भेंट करने की तैयारी कर रहे हों, तो जनवरी 2002 की हमारी राज्य सेवकाई के इंसर्ट में से एक सुझाव चुनिए जो आपके घर-मालिक के मुताबिक हो। इस इंसर्ट में कई सुझावों को इस तरह तैयार किया गया है कि उनका इस्तेमाल करके आप सीधे ही माँग ब्रोशर या ज्ञान किताब से चर्चा शुरू कर सकते हैं। उस सुझाव को चुनने के बाद उसका अभ्यास कीजिए। तब आप घर-मालिक से बातचीत शुरू करके सीधे किसी एक पैराग्राफ पर आराम से चर्चा कर सकेंगे। पैराग्राफ से एकाध आयतों को चुनिए, उन्हें पढ़िए और उन पर चर्चा कीजिए। आखिर में पूछने के लिए एक सवाल तैयार कीजिए। इससे आप अगली भेंट में सीधे उस पैराग्राफ से चर्चा कर सकते हैं जिसमें यह जवाब दिया गया है।
7 यहोवा के लोगों को शुद्ध भाषा सीखने से ढेरों आशीषें मिल रही हैं। आइए हम जी-जान से दूसरों की मदद करें ताकि वे भी हमारे साथ मिलकर “यहोवा से प्रार्थना करें, और एक मन से कन्धे से कन्धा मिलाए हुए उसकी सेवा करें।”—सप. 3:9.