यहोवा के करीब आओ के अध्ययन से फायदा पाइए
“राज्य के जोशीले प्रचारक” ज़िला अधिवेशन में जब हमें यहोवा के करीब आओ किताब मिली, तो हम फूले न समाए। कई भाई-बहनों ने यह किताब मिलते ही उसे पढ़ना शुरू कर दिया। और कइयों को ज़रूर सन् 2003 के इस सालाना वचन ने उस किताब को पढ़ने के लिए उकसाया होगा: “परमेश्वर के निकट आओ, तो वह भी तुम्हारे निकट आएगा।”—याकू. 4:8.
2 मार्च के महीने में हम कलीसिया के पुस्तक अध्ययन में यहोवा के करीब आओ किताब पर चर्चा शुरू करेंगे। अपने अध्ययन से पूरा-पूरा फायदा पाने के लिए हमें क्या करना चाहिए? अच्छी तैयारी बहुत ज़रूरी है। हर हफ्ते, चर्चा के लिए पैराग्राफ कम होंगे क्योंकि दो हफ्ते में सिर्फ एक अध्याय पर गौर किया जाएगा। इसलिए अध्ययन की तैयारी और जानकारी पर मनन करते वक्त जो बातें आपका दिल छू जाती हैं, उन्हें अपने जवाबों में बताने के लिए आपको काफी मौके मिलेंगे। इतना ही नहीं, जिन हफ्तों में अध्याय के दूसरे हिस्से पर चर्चा होगी, उसके लिए और भी कम पैराग्राफ दिए गए हैं, ताकि इस किताब के एक खास भाग पर चर्चा के लिए काफी समय मिले।
3 अध्याय 2 से लेकर सभी अध्यायों के आखिर में एक बक्स दिया गया है जिसका शीर्षक है, “मनन के लिए सवाल।” अध्याय के आखिरी पैराग्राफ पर सवाल-जवाब करने के बाद, पुस्तक अध्ययन ओवरसियर, अपने समूह के साथ उस बक्स पर चर्चा करेगा। वह सभी के मन के विचार निकालने की कोशिश करेगा ताकि वे बता सकें कि उन्होंने दी गयी आयतों पर मनन करके कौन-से बढ़िया मुद्दे सीखे हैं। (नीति. 20:5) बक्स में दिए सवालों के अलावा, कभी-कभार वह ऐसे सवाल भी पूछ सकता है: “इस जानकारी से आप यहोवा के बारे में क्या सीखते हैं? यह आपकी ज़िंदगी के लिए क्या मतलब रखती है? आप इस जानकारी का इस्तेमाल करके कैसे दूसरों की मदद कर सकते हैं?” उसका मकसद होगा समूह के भाई-बहनों को अपने मन के विचार बताने के लिए उकसाना, न कि छोटी-छोटी बातों में उनका ज्ञान परखना।
4 यहोवा के करीब आओ किताब, अध्ययन की दूसरी सभी किताबों से बेजोड़ है। वैसे तो “विश्वासयोग्य और बुद्धिमान दास” के सारे प्रकाशन यहोवा की महिमा करते हैं, मगर यह किताब खास तौर से यहोवा के गुणों पर चर्चा करती है। (मत्ती 24:45-47) वाकई, हम उस समय के बारे में सोचकर कितने रोमांचित हैं जब हम इस किताब से अध्ययन करेंगे! यहोवा के गुणों के बारे में अध्ययन करने से हमें जो फायदे मिलेंगे, उनका हिसाब नहीं! हम यही दुआ करते हैं कि इस अध्ययन से हम सभी अपने स्वर्गीय पिता के और भी करीब आएँ, साथ ही दूसरों को उसके करीब आने में और अच्छी तरह मदद कर पाएँ।