पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग मई 15
“क्या आपने कभी सोचा है कि धरती पर इंसानों के कामों का परमेश्वर पर असर होता है या नहीं? [जवाब के लिए रुकिए।] ध्यान दीजिए कि हमारे कामों का परमेश्वर की भावनाओं पर कैसा असर पड़ता है। [नीतिवचन 27:11 पढ़िए।] इस पत्रिका में कुछ ऐसे लोगों की मिसालें दी गयी हैं जिन्होंने अपने कामों से परमेश्वर का दिल खुश किया। इसमें यह भी समझाया गया है कि हम उन लोगों की तरह कैसे बन सकते हैं।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“हालाँकि माँ और पिता, दोनों को बच्चे से प्यार होता है, लेकिन बच्चे की देखभाल करने का काम ज़्यादातर माँ पर छोड़ दिया जाता है। आपके खयाल से, एक बच्चे की परवरिश करने में पिता की क्या ज़िम्मेदारी बनती है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका समझाती है कि अगर माँ और पिता दोनों खुशी-खुशी एक-दूसरे का साथ दें, तो वे बच्चे की ज़रूरतें कैसे अच्छी तरह पूरी कर सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग जून 1
“कुछ लोगों को लगता है कि परमेश्वर की उपासना करने के लिए किसी संगठित धर्म का सदस्य होना ज़रूरी नहीं। क्या आपने कभी इस बारे में सोचा है? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका बताती है कि गुज़रे ज़माने में परमेश्वर ने लोगों के साथ कैसा व्यवहार किया था। इसमें यह भी समझाया गया है कि परमेश्वर की उपासना सच्चाई से करने का मतलब क्या है।” यूहन्ना 4:24 पढ़िए।
सजग होइए! अप्रै.-जून
“आज कई लोगों को लगता है कि उन्हें अपना काम पूरा करने के लिए काफी समय नहीं मिलता। क्या आपकी भी यही समस्या है? [जवाब के लिए रुकिए। फिर पेज 21 पर दिया लेख दिखाइए।] सजग होइए! के इस अंक में ऐसे कारगर सुझाव दिए गए हैं, जिन पर अमल करने से, जो समय हमारे पास है उसी में हम ज़्यादा-से-ज़्यादा काम निपटा सकते हैं।”