पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग जून 15
“आप ज़रूर इस बात से सहमत होंगे कि आज के ज़माने में बच्चों को सही तालीम देना एक चुनौती है, है ना? [जवाब के लिए रुकिए।] गौर कीजिए कि यहाँ माता-पिताओं को यकीन दिलाया गया है कि वे इस काम में कामयाब हो सकते हैं। [नीतिवचन 22:6 पढ़िए।] प्रहरीदुर्ग के इस अंक में माता-पिताओं के लिए कारगर सुझाव दिए गए हैं जिन्हें मानने से वे इस मुश्किल काम को पूरा कर सकते हैं।”
सजग होइए! अप्रै.-जून
“हर कोई मानता है कि बच्चों की परवरिश करना एक मुश्किल काम है। हम यह काम खुशी-खुशी कैसे कर सकते हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] सजग होइए! का यह अंक ऐसे कुछ तरीके बताता है जिनसे हम इस ज़िम्मेदारी को बेहतरीन ढंग से पूरा कर सकते हैं।”
प्रहरीदुर्ग जुला. 1
“जब कोई हादसा होता है, तो कई लोग पूछते हैं कि क्या परमेश्वर को वाकई इंसान की परवाह है और क्या वह उसकी दुःख-तकलीफें देखता है? क्या आपके मन में भी कभी ऐसे सवाल उठे हैं? [जवाब के लिए रुकिए।] यह पत्रिका इस बारे में चर्चा करती है कि आज परमेश्वर कैसे हमारा खयाल रखता है और उसने हर तरह के दुःख को मिटाने के लिए क्या इंतज़ाम किया है।” यूहन्ना 3:16 पढ़िए।
सजग होइए! अप्रै.-जून
“कई लोगों के मन में यह सवाल उठता है कि आज हम चारों तरफ जो युद्ध, अपराध और दिल-दहलानेवाले काम देखते हैं, क्या इन मुसीबतों का कभी अंत होगा। इस बारे में आपका क्या खयाल है? [जवाब के लिए रुकिए।] परमेश्वर के वचन में दिया गया यह वादा हमें बड़ी सांत्वना देता है। [भजन 46:8, 9 पढ़िए।] परमेश्वर, बहुत जल्द हमें जो उम्दा किस्म की शांति देनेवाला है, उसके कुछ और पहलुओं के बारे में यह पत्रिका बताती है।”