आपकी मदद चाहिए
“आप हमारी खातिर जो भी करते हैं उसके लिए शुक्रिया। आपकी मदद हमारे लिए बहुत मायने रखती है।” यह बात अच्छी तरह बयान करती है कि हम अपने प्राचीनों और सहायक सेवकों का कितना एहसान मानते हैं। परमेश्वर के संगठन में लगातार बढ़ोतरी होने की वजह से, दुनिया-भर की तकरीबन 1,00,000 कलीसियाओं में सेवा करने के लिए प्रौढ़ भाइयों की ज़रूरत हमेशा रहती है। अगर आप एक बपतिस्मा-शुदा भाई हैं, तो हमें आपकी मदद चाहिए।
2 “काबिल बनना”: आप सेवा की ज़्यादा ज़िम्मेदारियाँ सँभालने के काबिल कैसे बन सकते हैं? (1 तीमु. 3:1, NW) अपनी ज़िंदगी के हर दायरे में एक उम्दा मिसाल कायम करने के ज़रिए। (1 तीमु. 4:12; तीतु. 2:6-8; 1 पत. 5:3) प्रचार में पूरी तरह हिस्सा लीजिए और दूसरों को भी ऐसा करने में मदद दीजिए। (2 तीमु. 4:5) भाई-बहनों का खयाल रखिए, उनमें सच्ची दिलचस्पी लीजिए। (रोमि. 12:13) परमेश्वर के वचन का दिल लगाकर अध्ययन कीजिए और अपने अंदर “सिखाने की कला” बढ़ाइए। (तीतु. 1:9, NW; 1 तीमु. 4:13) प्राचीन आपको जो भी काम सौंपते हैं, उसे जी-जान से कीजिए। (1 तीमु. 3:10) अगर आप परिवार के मुखिया हैं, तो “अपने घर का अच्छा प्रबन्ध” कीजिए।—1 तीमु. 3:4, 5, 12.
3 सहायक सेवकों या प्राचीनों के नाते सेवा करने के लिए मेहनत करना और त्याग की भावना होना ज़रूरी है। (1 तीमु. 5:17) इसलिए इन ज़िम्मेदारियों के काबिल बनने के साथ-साथ, नम्रता से दूसरों की सेवा करने पर भी ध्यान दीजिए। (मत्ती 20:25-28; यूह. 13:3-5, 12-17) तीमुथियुस के स्वभाव पर मनन कीजिए और उसके जैसा स्वभाव पैदा करने की कोशिश कीजिए। (फिलि. 2:20-22) तीमुथियुस की तरह अपने अच्छे चालचलन से दिखाइए कि आप ज़िम्मेदारी सँभालने के काबिल हैं। (प्रेरि. 16:1, 2) इन ज़िम्मेदारियों को सँभालने के लिए अगर आप अपने अंदर ज़रूरी आध्यात्मिक गुण पैदा करें और मिलनेवाली हर सलाह को मानें, तो ‘आपकी उन्नति सब पर प्रगट होगी।’—1 तीमु. 4:15.
4 माता-पिताओ, बच्चों को मदद करना सिखाइए: बच्चे, छोटी उम्र से ही मदद करना सीख सकते हैं। उन्हें सभाओं में ध्यान से सुनना, प्रचार में जाना, साथ ही स्कूल और किंगडम हॉल में अच्छा बर्ताव करना सिखाइए। दूसरों की सेवा करने और छोटे-मोटे काम करने में उन्हें शामिल कीजिए, जैसे किंगडम हॉल की साफ-सफाई करना, बुज़ुर्गों की मदद करना वगैरह। उन्हें भी यह महसूस करने का मौका दीजिए कि देने से कैसी खुशी मिलती है। (प्रेरि. 20:35) ऐसी तालीम पाकर आज के बच्चे, कल के पायनियर, सहायक सेवक और प्राचीन बन सकेंगे।