प्रचार में तरक्की करने में अपने बच्चों की मदद कीजिए
1 मसीही माता-पिता के कंधों पर एक गंभीर ज़िम्मेदारी है। वह है, अपने बच्चों को छुटपन से प्रचार करने की तालीम देना। यह ज़िम्मेदारी कई तरीकों से पूरी की जा सकती है। कई बच्चों को पढ़ना-लिखना सीखने से पहले ही बाइबल की कुछ आयतें मुँह-ज़बानी याद हो जाती हैं और वे दूसरों के सामने इन्हें सुना सकते हैं। इससे सुननेवालों पर ज़बरदस्त असर होता है। जैसे-जैसे वे और बड़े होते हैं, वे प्रचार में और भी ज़्यादा हिस्सा ले सकते हैं। माता-पिताओ, आप कैसे अपने बच्चों की गवाही देने में मदद कर सकते हैं? नीचे दिए गए सुझावों से शायद आपको और मदद मिले:
2 नमस्ते कहने का बाद, आप कह सकते हैं:
“मेरा बेटा [उसका नाम] आपको शास्त्र से एक बहुत बढ़िया वचन सुनाना चाहता है।” आपका बेटा शायद कहे: “भजन की किताब के इस वचन से मुझे परमेश्वर का नाम पता चला। [बच्चा भजन 83:18 पढ़कर या ज़बानी सुनाता है।] इन पत्रिकाओं में बताया है कि यहोवा परमेश्वर हमारे लिए क्या करनेवाला है। क्या मैं आपको ये पत्रिकाएँ दे सकता हूँ?” दुनिया-भर का काम कैसे दान के पैसे से चलाया जाता है, इस बारे में बताकर आप बातचीत खत्म कर सकते हैं।
3 या आप यह तरीका अपना सकते हैं:
“नमस्ते। मैं अपनी बेटी [उसका नाम] को सिखा रहा हूँ कि वह अपने आस-पास रहनेवालों की मदद कैसे कर सकती है। वह आपको बाइबल से एक छोटा-सा संदेश देना चाहती है।” आपकी बेटी कह सकती है: “मैं लोगों की मदद कर रही हूँ। मैं बाइबल से उन्हें बताना चाहती हूँ कि आगे क्या-क्या होगा। [आपकी बेटी प्रकाशितवाक्य 21:4 पढ़कर या ज़बानी सुनाती है।] इन पत्रिकाओं में बताया है कि परमेश्वर का राज्य हमारे लिए क्या-क्या करेगा। ये पत्रिकाएँ आपको अच्छी लगेंगी।”
4 एक आसान पेशकश देकर प्रचार करते रहने से बच्चों में आत्म-विश्वास बढ़ता है और वे राज्य का संदेश दूसरों को सुनाने के काबिल होते हैं। घर पर रिहर्सल के दौरान, बच्चों को साफ-साफ और ऊँची आवाज़ में बोलने की आदत डलवाइए। इससे वे हर तरह के हालात में साफ-साफ बोल सकेंगे। प्रचार में जाने से पहले, बच्चों को अच्छी तैयारी कराने और दिल से उन्हें शाबाशी देने से उनको अपना विश्वास दूसरों को बताने में मदद मिलेगी।
5 इस तरह हिम्मत बँधाए जाने पर, बहुत-से बच्चे बपतिस्मा-रहित प्रचारक बनने के काबिल हुए हैं। अपने बच्चों को मसीही प्रचार के काम में इस तरह तरक्की करते देखकर हमें कितनी खुशी मिलती है!—भज. 148:12, 13.