सच्ची परवाह दिखाइए—ध्यान से देखिए
यहोवा परमेश्वर और मसीह यीशु हर इंसान की खास ज़रूरतों को समझने और उनकी मदद करने में बेहतरीन मिसाल हैं। (2 इति. 16:9; मर. 6:34) उसी तरह प्रचार में, हमें भी यह समझने की ज़रूरत है कि लोगों को किन बातों में दिलचस्पी है और उनकी परेशानियाँ क्या हैं। क्योंकि तभी हम उनकी ज़रूरत के हिसाब से उन्हें खुशखबरी सुनाने का तरीका बदल पाएँगे।
2 छोटी-मोटी बातों पर ध्यान दीजिए: यीशु हमेशा ध्यान से देखता था कि आस-पास क्या हो रहा है। (मर. 12:41-43; लूका 19:1-6) उसी तरह, किसी घर का दरवाज़ा खटखटाने से पहले हमें आस-पास के माहौल को ध्यान से देखना चाहिए, जैसे धर्म से जुड़ी सजावट की चीज़ें, गाड़ियों पर लिखे नारे, या आँगन में पड़े खिलौने, वगैरह। फिर इन्हें ध्यान में रखते हुए हम घर-मालिक को सुसमाचार की अच्छी गवाही देने के मौके तैयार कर सकेंगे।
3 सामनेवाले के चेहरे के भाव और व्यवहार से भी उसकी भावनाओं के बारे में थोड़ा-बहुत अंदाज़ा लगाया जा सकता है। (नीति. 15:13) शायद किसी अज़ीज़ की मौत या फिर किसी और परेशानी की वजह से उसके चेहरे पर मायूसी छायी हो और उसे तसल्ली की सख्त ज़रूरत हो। अगर हम उसके हालात के मुताबिक, बाइबल की कुछ आयतें पढ़कर सुनाएँ, तो उसे अच्छा लग सकता है। (नीति. 16:24) क्या घर-मालिक को कहीं जाने की जल्दी है, या फिर उसके हाथ में रोता हुआ बच्चा है? ऐसे में अच्छा होगा अगर हम किसी और वक्त पर आकर उससे मिलने का इंतज़ाम करें। इस तरह अगर हम लोगों के लिए लिहाज़ दिखाएँगे और ‘हमदर्दी’ जताएँगे, तो शायद अगली मुलाकात में वे हमारी बात सुनना चाहेंगे।—1 पत. 3:8, हिन्दुस्तानी बाइबिल।
4 हालात के मुताबिक बात कीजिए: जब प्रेरित पौलुस अथेने शहर में था, तो उसने देखा कि वहाँ “अनजाने ईश्वर” के नाम पर एक वेदी समर्पित की गयी है। इसी बात को ध्यान में रखकर उसने वहाँ के लोगों को खुशखबरी सुनायी। उसने कहा: “जिसे तुम बिना जाने पूजते हो, मैं तुम्हें उसका समाचार सुनाता हूं।” पौलुस ने लोगों की भावनाओं को चोट पहुँचाए बिना जिस तरीके से बात की, उसकी वजह से उनमें से कुछ ने राज्य संदेश को ध्यान से सुना, कबूल किया और विश्वासी बन गए।—प्रेरि. 17:23, 34.
5 उसी तरह, अगर हम एक इंसान के आस-पास के माहौल को ध्यान से देखें, तो समझ पाएँगे कि उसे किन-किन बातों में दिलचस्पी है। फिर हम उसके हालात के हिसाब से अपनी पेशकश को बदल सकेंगे। घर-मालिक से ऐसे सवाल पूछिए जिससे कि उसे अपनी राय ज़ाहिर करने का बढ़ावा मिले। ऐसी आयतों के बारे में सोचिए जो उसकी दिलचस्पी को बढ़ाने के काम आ सकती हैं। (नीति. 20:5) आस-पास जो होता है अगर हम उस पर ध्यान दें और दूसरों के लिए सच्ची परवाह दिखाएँ, तो हम बड़ी कुशलता से उन्हें खुशखबरी सुना पाएँगे।