प्रचार में अपना हुनर बढ़ाना—निजी तौर पर सच्ची परवाह दिखाना
यह क्यों ज़रूरी है: यीशु ने हर एक इंसान पर ध्यान दिया और उसके लिए प्यार और परवाह दिखायी। मिसाल के लिए, एक मौके पर जब वह एक बहरे व्यक्ति को ठीक कर रहा था, तो उसने भाँप लिया कि वह सबके सामने घबरा रहा है। इसलिए यीशु ने उसे भीड़ से दूर अलग ले जाकर ठीक किया। (मर. 7:31-35) यीशु ने इस बात को समझा कि उसके चेलों में किस हद तक सोचने-समझने की काबिलीयत है। इसलिए उन्हें कभी-भी एक ही बार में ढेर सारी जानकारी नहीं दी। इस तरह उसने उनके लिए लिहाज़ दिखाया। (यूह. 16:12) स्वर्ग में अधिकार पाने के बाद भी यीशु लोगों में निजी दिलचस्पी दिखाता है। (2 तीमु. 4:17) उसके चेले होने के नाते, हम उसके नक्शे-कदम पर चलना चाहते हैं। (1 पत. 2:21; 1 यूह. 3:16, 18) इसके अलावा, अगर हम प्रचार में घर-मालिक के लिए लिहाज़ दिखाएँ, उसके हालात, उसकी चिंताओं और उसे किन बातों में दिलचस्पी है, इन सबका ध्यान रखें, तो प्रचार में हमें अच्छे नतीजे मिलेंगे। और अगर घर-मालिक को एहसास हो जाए कि हम लोगों को सिर्फ संदेश सुनाने या किताबें-पत्रिकाएँ देने नहीं आए, बल्कि हमें उसकी सच्ची परवाह है तो मुमकिन है वह हमारी बात ध्यान से सुनेगा।
कैसे कर सकते हैं:
• गवाही देने के लिए अच्छी तरह तैयार रहिए। मुस्कुराइए। आराम से और दोस्ताना अंदाज़ में बात कीजिए।
• आस-पास की चीज़ों पर गौर कीजिए। क्या आपको पता चलता है कि घर-मालिक के बच्चे हैं? या उसे बागबानी का शौक है? उसे जानवर या पंछी पालना अच्छा लगता है? या वह किसी खास धार्मिक विश्वास को मानता है? इस तरह की बातों पर गौर करने के बाद आप अपनी पेशकश ढाल सकते हैं।
• उसकी राय पूछिए और उसकी बात ध्यान से सुनिए, बीच में दखल मत दीजिए। नज़र मिलाकर बात कीजिए, ताकि घर-मालिक को लगे कि आप उसकी बात ध्यान से सुन रहे हैं। राय बताने के लिए उसका धन्यवाद कीजिए और हो सके तो दिल से उसकी तारीफ कीजिए। बहस मत कीजिए।
• अपनी पेशकश में फेरबदल करने के लिए तैयार रहिए। घर-मालिक जिस बात के लिए फिक्रमंद है, उसे ध्यान में रखकर बात कीजिए। ऐसा करना मुश्किल नहीं होगा, क्योंकि हमारे ट्रैक्ट, ब्रोशर और पत्रिकाओं में बहुत-से अलग-अलग विषयों पर चर्चा की जाती है। अगर आप ऐसे समय पर घर-मालिक के पास पहुँचते हैं, जो उसके लिए सही नहीं है, जैसे वह शायद व्यस्त हो, तो उसके लिए लिहाज़ दिखाइए और अपनी पेशकश छोटी रखिए।
महीने के दौरान इसे आज़माइए:
• पारिवारिक उपासना में या प्रचार में एक घर से दूसरे घर जाते वक्त बीच में रुककर रिहर्सल कीजिए कि एक प्रचारक कैसे घर-मालिक की कही बात के मुताबिक अपनी पेशकश में फेरबदल करता है।
• प्रचार सभा के दौरान सभा चलानेवाला भाई चर्चा कर सकता है या प्रदर्शन दिखा सकता है कि हम घर-मालिक के लिए निजी तौर पर सच्ची परवाह कैसे दिखा सकते हैं।