पत्रिकाएँ पेश करने के लिए क्या कहना चाहिए
प्रहरीदुर्ग सितं. 1
“कई माता-पिताओं को यह चिंता लगी रहती है कि वे अपने बच्चों को ज़िंदगी की मुश्किलों का सामना करने के लिए कैसे तैयार करेंगे। ऐसा करने में क्या बात उनकी मदद कर सकती है? [जवाब के लिए रुकिए।] ध्यान दीजिए कि इस सिलसिले में पवित्र शास्त्र क्या सलाह देता है। [1 कुरिन्थियों 16:14 पढ़िए और पेज 22 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में प्यार के तीन पहलुओं के बारे में बताया गया है। साथ ही, इसमें यह भी बताया गया है कि माता-पिता अपने बच्चों को तालीम देते वक्त किन खास तरीकों से प्यार दिखा सकते हैं।”
सजग होइए! जुला.-सितं.
“आजकल कई शादियाँ टूट रही हैं। इसलिए यह ज़रूरी है कि हम सोच-समझकर जीवन-साथी चुनें। एक सही जीवन-साथी चुनने के लिए क्या बात हमारी मदद कर सकती है? [जवाब के लिए रुकिए।] इस पुरानी कहावत पर ध्यान दीजिए जिससे कई लोगों को मदद मिली है। [नीतिवचन 22:3 पढ़िए और पेज 16 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में ऐसी जानकारी दी गयी है, जिस पर गहराई से सोचकर एक इंसान सही जीवन-साथी चुन सकता है।”
प्रहरीदुर्ग अक्टू. 1
“क्या आपको लगता है कि ज़िंदगी में एक मकसद होने से हम खुशहाल होंगे? [जवाब के लिए रुकिए, फिर 1 यूहन्ना 2:15-17 पढ़िए। इसके बाद पेज 19 पर दिया लेख दिखाइए।] इस लेख में और अगले लेख में समझाया गया है कि कैसे परमेश्वर की मरज़ी पूरी करने से हम ज़िंदगी में कामयाबी और खुशहाली पा सकते हैं।”
सजग होइए! अक्टू.-दिसं.
“बच्चों की परवरिश करने में माता-पिता को सबसे बढ़िया सलाह कहाँ से मिल सकती है? आपका क्या खयाल है? [जवाब के लिए रुकिए।] बाइबल में दिए इस वादे पर ध्यान दीजिए। [2 तीमुथियुस 3:16 पढ़िए।] यह पत्रिका बताती है कि बाइबल कैसे माता-पिताओं को अपने बच्चों की अच्छी परवरिश करने और उन्हें खुश रखने में कारगर मदद दे सकती है।”