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हमारी राज-सेवा—2007
km 10/07 पेज 8

एक-दूसरे का हौसला बढ़ाइए

1. सर्किट अध्यक्ष के दौरे के वक्‍त हमें क्या बढ़िया मौका मिलता है?

प्रेरित पौलुस ने रोम की कलीसिया को लिखा: “मैं तुमसे मिलने की लालसा करता हूँ, जिससे कि तुम्हें कुछ आत्मिक वरदान दे सकूँ कि तुम दृढ़ हो जाओ; अर्थात्‌ जब मैं तुम्हारे मध्य होऊं तो हम आपस में एक दूसरे के विश्‍वास से प्रोत्साहित किए जाएं।” (रोमि. 1:11, 12, NHT) आज भी जब सफरी अध्यक्ष हमारी कलीसिया का दौरा करते हैं, तो उस दौरान हमें एक-दूसरे का हौसला बढ़ाने का बढ़िया मौका मिलता है।

2. सर्किट अध्यक्ष के दौरे की पहले से घोषणा क्यों की जाती है?

2 कलीसिया: आम तौर पर कलीसिया में करीब तीन महीने पहले, सर्किट अध्यक्ष के दौरे की घोषणा की जाती है। इससे हमें अपने कामों की पहले से योजना बनाने में मदद मिलती है, ताकि हम उसके दौरे का पूरा-पूरा फायदा उठा सकें। (इफि. 5:15, 16) जैसे, अगर आप नौकरी करते हैं, तो आप उस हफ्ते प्रचार में हिस्सा लेने के लिए अपने बॉस से छुट्टी माँग सकते हैं। कुछ भाई-बहन उस महीने में सहयोगी पायनियर सेवा करने की योजना बना सकते हैं। लेकिन अगर आपने पहले से ही कहीं बाहर जाने की योजना बनायी है और कलीसिया में घोषणा की जाती है कि उसी दौरान सर्किट अध्यक्ष कलीसिया का दौरा करनेवाला है, तो क्या आप अपनी योजना में कोई फेरबदल कर सकते हैं?

3. दौरे के वक्‍त हौसला-अफज़ाई पाने के लिए, हम क्या कर सकते हैं?

3 सर्किट अध्यक्ष के दौरे का खास मकसद होता है, भाई-बहनों की हौसला-अफज़ाई करना और उन्हें प्रचार में तालीम देना। क्या आप सर्किट अध्यक्ष के साथ, या अगर वह शादीशुदा है, तो उसकी पत्नी के साथ प्रचार में काम करने के लिए कुछ इंतज़ाम कर सकते हैं? सर्किट अध्यक्ष को अलग-अलग प्रचारकों के साथ काम करना बहुत अच्छा लगता है। उनके साथ भी, जिन्हें सेवा में कम तजुरबा होता है या जो प्रचार करने में इतने हुनरमंद नहीं होते। हम सभी, सर्किट अध्यक्ष की पेशकश से बहुत कुछ सीख सकते हैं। और जब वह हमें प्यार से कुछ सुझाव देता है, तो हमें उसे लागू करना चाहिए। (1 कुरि. 4:16, 17) यही नहीं, जब हम सर्किट अध्यक्ष को खाने पर बुलाते हैं, तो हमें हौसला बढ़ानेवाली संगति का आनंद उठाने का एक और बढ़िया मौका मिलता है। (इब्रा. 13:2) इसके अलावा, सर्किट अध्यक्ष कलीसिया की ज़रूरतों को ध्यान में रखकर भाषण देता है, इसलिए उसके भाषण को ध्यान से सुनिए।

4. हम अपने सर्किट अध्यक्ष की हिम्मत कैसे बढ़ा सकते हैं?

4 सर्किट अध्यक्ष: प्रेरित पौलुस बिलकुल कलीसिया के दूसरे भाई-बहनों जैसा था। यानी उसे भी अपनी ज़िंदगी में कई चुनौतियों और परेशानियों का सामना करना पड़ता था। इसलिए उसे भी हौसला-अफज़ाई की ज़रूरत पड़ती थी। और जब भाई-बहन उसकी हिम्मत बंधाते, तो वह इसकी बहुत कदर करता था। (2 कुरि. 11:26-28) मिसाल के लिए, जब रोम की कलीसिया के भाइयों को पता चला कि पौलुस को बंदी बनाकर वहाँ लाया जा रहा है, तो उनमें से कुछ अप्पियुस के चौक पर उससे मिलने गए। वहाँ तक पहुँचने के लिए उन्होंने 74 किलोमीटर का लंबा सफर तय किया! ‘उन्हें देखकर पौलुस ने परमेश्‍वर का धन्यवाद किया, और ढाढ़स बान्धा।’ (प्रेरि. 28:15) उसी तरह, आप भी अपने सर्किट अध्यक्ष की हिम्मत बढ़ा सकते हैं। कैसे? दौरे के वक्‍त पूरा सहयोग देकर उसे ‘दो गुना आदर’ दिखाइए। (1 तीमु. 5:17) इसके अलावा, वह आपकी खातिर जो मेहनत करता है, उसके लिए अपनी बातों और कामों से सच्ची कदरदानी दिखाइए। जब सर्किट अध्यक्ष और उसकी पत्नी आपके विश्‍वास, प्यार और धीरज को देखेंगे, तो उन्हें बेहद खुशी होगी।—2 थिस्स. 1:3, 4.

5. आज हम सभी को हौसला-अफज़ाई की क्यों ज़रूरत है?

5 हममें से ऐसा कौन है, जिसे इन ‘कठिन समयों’ में हौसला-अफज़ाई की ज़रूरत नहीं? (2 तीमु. 3:1) इसलिए अभी से ठान लीजिए कि जब सर्किट अध्यक्ष आपकी कलीसिया में दौरा करने आएगा, तो आप उस खास हफ्ते में पूरा-पूरा हिस्सा लेंगे। हम सभी, यानी सफरी अध्यक्ष और प्रचारक, खुशी-खुशी एक-दूसरे का हौसला बढ़ा सकते हैं। ऐसा करके हम ‘एक दूसरे को शान्ति देंगे और एक दूसरे की उन्‍नति के कारण भी बनेंगे।’—1 थिस्स. 5:11.

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