बाइबल सिखाती है किताब का बेहतर इस्तेमाल करें
1. यीशु ने अपने चेलों को क्या आज्ञा दी?
पूरी दुनिया में ‘चेले बनाने’ का जो अभियान चलाया जा रहा है उसका निर्देशन करने का “सारा अधिकार” यीशु मसीह को दिया गया है। (मत्ती 28:18,19) स्वर्ग जाने से कुछ समय पहले उसने अपने चेलों को एक ज़रूरी आज्ञा दी। आज उस आज्ञा को मानने में अपना भरसक करना और भी ज़रूरी हो गया है।—यूह. 4:35.
2. प्रचार के लिए बाइबल सिखाती है किताब कैसे एक ज़बरदस्त औज़ार है?
2 प्रचार काम में बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब एक वरदान साबित हो रही है। इसमें 19 अध्यायों के अलावा अतिरिक्त लेख है, जिसमें अलग-अलग विषयों पर ब्योरेवार जानकारी दी गयी है। यह किताब साफ और सरल भाषा में लिखी गयी है। इस किताब के बारे में एक सर्किट अध्यक्ष ने अपनी रिपोर्ट में लिखा कि यह लोगों को “देखते ही भा जाती है और इससे घर-मालिक के साथ बड़ी आसानी से बातचीत शुरू हो जाती है।” उसने यह भी लिखा कि इसे पेश करना इतना आसान है कि “बहुत-से राज प्रचारकों में दोबारा आत्म-विश्वास भर आया है और वे खुशी-खुशी प्रचार में हिस्सा ले रहे हैं।”
3. हम यह किताब असरदार तरीके से कैसे पेश कर सकते हैं?
3 बाइबल सिखाती है किताब का असरदार इस्तेमाल: बाइबल असल में क्या सिखाती है? किताब पेश करने का आसान तरीका है, (1) किसी विषय पर ऐसा सवाल पूछना जिससे पता चले कि घर-मालिक को उसमें दिलचस्पी है या नहीं, (2) अगर घर-मालिक सुनने के लिए राज़ी है तो उस विषय से जुड़ी एक आयत पढ़ना और (3) किताब में उस विषय से जुड़ा अध्याय दिखाना और उसकी शुरूआत में दिए सवालों की तरफ उसका ध्यान खींचना। अगर घर-मालिक दिलचस्पी दिखाता है, तो उस अध्याय के शुरूआती एक-दो पैराग्राफों पर चर्चा करके आप उसे दिखा सकते हैं कि बाइबल अध्ययन कैसे चलाया जाता है। बाइबल अध्ययन शुरू करने का यह तरीका, पहली मुलाकात में या फिर वापसी भेंट के वक्त इस्तेमाल किया जा सकता है।
4. सिखाने और प्रचार करने में क्या फर्क है?
4 जब प्रचारक दिलचस्पी दिखानेवाले को यह किताब पेश करता है तो ज़रूरी है कि वह उससे दोबारा मिले, ताकि उसे ‘सारी बातें मानना सिखाए’ जो कि यीशु की आज्ञा है। (मत्ती 28:20) सिखाने और प्रचार करने में फर्क है। एक सिखानेवाला सिर्फ संदेश ही नहीं सुनाता बल्कि वह हिदायतें देता, समझाता और सबूत पेश करता है।
5. हम असरदार तरीके से बाइबल अध्ययन कराने की तैयारी कैसे कर सकते हैं?
5 बाइबल अध्ययन कराने की अच्छी तैयारी: इस किताब का इस्तेमाल करके अच्छा शिक्षक बनने के लिए: (1) पहले से अच्छी तैयारी कीजिए। खुद से पूछिए: ‘इस विद्यार्थी को यहोवा के साथ अपना रिश्ता बनाने के लिए कौन-सी बात अपनी ज़िंदगी में लागू करनी चाहिए?’ (2) अध्ययन बाइबल पर आधारित रखिए। विद्यार्थी की मदद कीजिए कि वह आयत के उन शब्दों को अलग करके बताए जिनसे चर्चा किया जा रहा विषय पुख्ता होता है। (इब्रा. 4:12) (3) अध्याय के शुरूआती सवाल, अतिरिक्त लेख और आखिर में दिए बक्स का इस्तेमाल कीजिए। (4) खास मुद्दों पर ध्यान बनाए रखने के ज़रिए अध्ययन सरल रखिए। हद-से-ज़्यादा बात करने या बेवजह इधर-उधर की जानकारी देने से दूर रहिए।—यूह. 16:12.
6. यीशु की किस बात से हमें हिम्मत मिलती है?
6 यीशु ने चेला बनाने की आज्ञा देने के बाद जो बात कही उससे हमें बड़ी हिम्मत मिलती है। उसने कहा: “देखो, मैं जगत के अन्त तक सदैव तुम्हारे संग हूं।” (मत्ती 28:20) जी हाँ, “स्वर्ग और धरती का सारा अधिकार” रखनेवाला हमारा अगुवा यीशु हमारी मदद के लिए हमारे साथ है! आइए हम बाइबल सिखाती है किताब का बेहतर तरीके से इस्तेमाल करें और चेला बनाने की आज्ञा पूरे जोश के साथ मानें।