क्या आपको प्रचार तय वक्त तक ही करना चाहिए?
प्रचार काम करते वक्त, कुछ प्रचारक सोचते हैं कि वे एक तय वक्त तक ही प्रचार करेंगे, शायद वह वक्त दोपहर का हो। मगर वे हर बार इसी तय वक्त पर अपनी प्रचार सेवा रोक देते हैं और ऐसा करना उनका दस्तूर बन गया है। सच है कि सब के हालात एक जैसे नहीं होते। इसलिए शायद कुछ लोग एक निश्चित समय तक ही प्रचार सेवा करें। आप के बारे में क्या? क्या आप प्रचार काम बीच में ही रोक देते हैं इसलिए कि दूसरे ऐसा कर रहे हैं? या फिर आपके इलाके में भी निश्चित समय तक प्रचार करना दस्तूर बन गया है? क्या आप थोड़ी देर और रुककर प्रचार में और ज़्यादा कर सकते हैं, शायद आप सरेआम गवाही या सड़क गवाही देने के बारे में सोचें? क्या आप घर लौटने से पहले एक या दो वापसी भेंट कर सकते हैं? ज़रा सोचिए, उस वक्त आपको कितनी खुशी होगी अगर आपको किसी घर में दिलचस्पी दिखानेवाला एक शख्स मिल जाए या फिर आप आने-जानेवालों में किसी एक व्यक्ति को पत्रिकाएँ पेश कर पाएँ। जी हाँ, अगर हम तय किए हुए वक्त पर न रुककर थोड़ी देर और प्रचार करें तो हम और ज़्यादा परमेश्वर को “गुणगान का बलिदान” चढ़ा पाएँगे।—इब्रा. 13:15.