वॉचटावर ऑनलाइन लाइब्रेरी
वॉचटावर
ऑनलाइन लाइब्रेरी
हिंदी
  • बाइबल
  • प्रकाशन
  • सभाएँ
  • mwb16 फरवरी पेज 1
  • प्रकाशन कैसे दें

इस भाग के लिए कोई वीडियो नहीं है।

माफ कीजिए, वीडियो डाउनलोड नहीं हो पा रहा है।

  • प्रकाशन कैसे दें
  • हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2016
  • उपशीर्षक
  • मिलते-जुलते लेख
  • क्या दुख-तकलीफें कभी खत्म होंगी? (T-34 ट्रैक्ट)
  • क्या दुख-तकलीफें कभी खत्म होंगी? (T-34 ट्रैक्ट) आखिरी पेज
  • परमेश्‍वर की सुनिए
  • आप इन्हें कैसे देंगे
  • प्रकाशन कैसे दें
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2016
  • प्रकाशन कैसे दें
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2017
  • प्रकाशन कैसे दें
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2016
  • प्रकाशन कैसे दें
    हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2016
और देखिए
हमारी मसीही ज़िंदगी और सेवा — सभा पुस्तिका—2016
mwb16 फरवरी पेज 1
इंडोनेशिया में ‘परमेश्‍वर की सुनिए’ ब्रोशर से गवाही देते हुए

इंडोनेशिया में बहनें परमेश्‍वर की सुनिए ब्रोशर से गवाही दे रही हैं

प्रकाशन कैसे दें

क्या दुख-तकलीफें कभी खत्म होंगी? (T-34 ट्रैक्ट)

T-34 ट्रैक्ट | क्या दुख-तकलीफें कभी खत्म होंगी?

सवाल कीजिए: आपके इलाके में हुई किसी घटना का ज़िक्र कीजिए, जिसके बारे में सोचकर लोग परेशान हैं। फिर पूछिए, कुछ लोग सोचते हैं कि क्या दुख-तकलीफें कभी खत्म होंगी? इस बारे में परमेश्‍वर ने एक वादा किया है, जिसके बारे में मैं आपको बताना चाहता हूँ।

आयत पढ़िए: प्रक 21:3, 4

कहिए: इस ट्रैक्ट में ऐसे दो सबूत दिए गए हैं, जिससे हम यकीन कर सकते हैं कि परमेश्‍वर का यह वादा ज़रूर पूरा होगा।

क्या दुख-तकलीफें कभी खत्म होंगी? (T-34 ट्रैक्ट) आखिरी पेज

सवाल कीजिए: इस दुनिया में इतनी दुख-तकलीफें देखकर क्या आपने कभी सोचा है कि परमेश्‍वर ने दुख-तकलीफें क्यों रहने दी हैं? पवित्र शास्त्र में इस सवाल का जवाब दिया गया है।

आयत पढ़िए: रोम 5:12

कहिए: परमेश्‍वर की तरफ से खुशखबरी! नाम के इस ब्रोशर के पाठ 8 में इस सवाल का जवाब दिया गया है।

परमेश्‍वर की सुनिए

‘परमेश्‍वर की सुनिए’ ब्रोशर

सवाल कीजिए: क्या आप ऐसी दुनिया में रहना चाहेंगे? [पेज 2 और 3 दिखाइए और जवाब के लिए रुकिए।]

आयत पढ़िए: यिर्म 29:11

कहिए: इस किताब में बताया गया है कि हम परमेश्‍वर की कैसे सुन सकते हैं और भविष्य में उस ज़िंदगी का लुत्फ कैसे उठा सकते हैं, जो वह हमारे लिए चाहता है? [पेज 4 और 5 पर चर्चा कीजिए।]

आप इन्हें कैसे देंगे

प्रकाशन देने के जो तरीके ऊपर बताए गए हैं, उनको ध्यान में रखकर सोचिए कि आप अपने तरीके से प्रकाशन कैसे देंगे।

    हिंदी साहित्य (1972-2025)
    लॉग-आउट
    लॉग-इन
    • हिंदी
    • दूसरों को भेजें
    • पसंदीदा सेटिंग्स
    • Copyright © 2025 Watch Tower Bible and Tract Society of Pennsylvania
    • इस्तेमाल की शर्तें
    • गोपनीयता नीति
    • गोपनीयता सेटिंग्स
    • JW.ORG
    • लॉग-इन
    दूसरों को भेजें