जीएँ मसीहियों की तरह
यहोवा के नैतिक स्तरों पर चलते रहिए
इंसानों के लिए क्या सही है क्या गलत, यह यहोवा तय करता है। उसने बताया है कि शादी सिर्फ आदमी और औरत के बीच होनी चाहिए और यह बंधन जीवन-भर का होना चाहिए। (मत 19:4-6, 9) यहोवा हर तरह के नाजायज़ यौन-संबंध की निंदा करता है। (1कुर 6:9, 10) वह पहनावे और बनाव-सिंगार के बारे में भी कुछ सिद्धांत देता है ताकि उसके लोग दुनिया के लोगों से अलग नज़र आएँ।—व्य 22:5; 1ती 2:9, 10.
आज कई लोग यहोवा के स्तरों को ठुकरा देते हैं। (रोम 1:18-32) पहनावे, बनाव-सिंगार और चालचलन के मामले में वे वही करते हैं जो सब कर रहे हैं। कई लोग खुल्लम-खुल्ला गलत काम करते हैं और जो उनकी तरह नहीं जीते उनकी वे खिल्ली उड़ाते हैं।—1पत 4:3, 4.
यहोवा के साक्षी होने के नाते हमें परमेश्वर के नैतिक स्तरों के बारे में दूसरों को बताने से पीछे नहीं हटना चाहिए। (रोम 12:9) हम समझ से काम लेकर उन्हें बता सकते हैं कि यहोवा को क्या पसंद है और क्या नहीं। इसके अलावा, हमें खुद अपनी ज़िंदगी में उसके ऊँचे स्तरों को मानना चाहिए। मिसाल के लिए, कपड़े खरीदते वक्त हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘क्या ये कपड़े यहोवा के स्तरों के मुताबिक हैं या दुनिया के? क्या मेरे पहनावे और बनाव-सिंगार से लोग मुझे परमेश्वर का सेवक कहेंगे?’ या जब हम कोई कार्यक्रम या फिल्म देखने की सोच रहे हैं तो हम खुद से पूछ सकते हैं, ‘क्या यह कार्यक्रम यहोवा को पसंद आएगा? इसमें किसके नैतिक स्तरों को बढ़ावा दिया जा रहा है? मैं जिस तरह का मनोरंजन चुनता हूँ, क्या उससे सही काम करने का मेरा इरादा कमज़ोर पड़ सकता है? (भज 101:3) क्या इससे मेरे परिवारवाले या दूसरे लोग विश्वास से गिर सकते हैं?’—1कुर 10:31-33.
यह क्यों ज़रूरी है कि हम सही-गलत के बारे में यहोवा के स्तरों पर चलते रहें? वह इसलिए कि मसीह यीशु बहुत जल्द सभी राष्ट्रों और हर तरह की बुराई को मिटा देगा। (यहे 9:4-7) सिर्फ वही लोग बचेंगे जो परमेश्वर की मरज़ी पूरी करते हैं। (1यूह 2:15-17) तो फिर आइए हम यहोवा के नैतिक स्तरों पर चलते रहें ताकि लोग हमारा बढ़िया चालचलन देखकर उसकी महिमा करें।—1पत 2:11, 12.
मैं जिस तरह के कपड़े चुनता हूँ, उससे मेरे स्तरों के बारे में क्या पता चलता है?
यहोवा के दोस्त बनो—एक आदमी, एक औरत वीडियो देखिए। फिर आगे दिए सवालों पर चर्चा कीजिए:
यहोवा के स्तरों के मुताबिक जीना क्यों बुद्धिमानी है?
माता-पिताओं को क्यों अपने बच्चों को छोटी उम्र से ही यहोवा के नैतिक स्तर सिखाने चाहिए?
जवान और बुज़ुर्ग किस तरह लोगों की मदद कर सकते हैं ताकि वे परमेश्वर की भलाई से फायदा पा सकें?